“करोड़पति बाप VIP कार में बैठकर जा रहा था… उन्हीं का बेटा फुटपाथ पर उनसे भीख माँगने आ गया और फिर..

एक करोड़पति बाप और उसका भूखा बेटा, यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसने दौलत के पीछे भागते-भागते अपने परिवार को खो दिया, और फिर एक दिन उसे अपनी सबसे बड़ी गलती का एहसास हुआ।

एक शहर में एक ऐसा व्यक्ति रहता था जिसे लोग करोड़पति कहते थे। उसका नाम सिर्फ दौलत और रुतबे से जुड़ा हुआ था। वो हर दिन अपनी चमचमाती कार में बैठकर शहर की सड़कों पर निकलता और लोग उसकी शान देखकर हैरान हो जाते। उसकी दुनिया बहुत बड़ी थी। भव्य घर, आलीशान कारें, गहनों की भरमार, लेकिन उसके अंदर एक खालीपन भी था जो किसी ने महसूस नहीं किया।

उसकी आंखों में हमेशा आत्मविश्वास की झलक रहती, लेकिन उसके दिल में कहीं ना कहीं अकेलापन भी था। वह अपने परिवार से दूर था। बच्चों के खेल, पत्नी की बातें, मां-बाप के अनुभव, यह सब उसके लिए बस आवाज की तरह था जिसे वह सुनता नहीं था। वो दौलत में डूबा हुआ था और यही दौलत उसकी दुनिया की सबसे बड़ी चमक थी।

हर सुबह वो अपनी चमकती कार में बैठता, शहर की भीड़ के बीच से गुजरता। लोग उसे देखकर मुस्कुराते या इज्जत भरी नजर डालते। उसकी आंखों में घमंड था, लेकिन दिल में कोई सच्चा एहसास नहीं। उसे यह भी महसूस नहीं था कि उसके घर में कुछ टूट रहा है, कुछ दर्द महसूस कर रहा है।

उसके पास सब कुछ था – पैसे, रुतबा, शोहरत, लेकिन उसके पास अपने परिवार का प्यार नहीं था। उसकी कार शहर के सबसे महंगे रास्तों से गुजर रही थी। सड़क पर चलते लोग उसकी कार को देखकर रास्ता दे रहे थे। कुछ लोग अंदर झांकते, कुछ लोग नजरों से जलते और कुछ चुपचाप मुस्कुराते। लेकिन वह बस अपनी दुनिया में मग्न था।

उसकी दुनिया केवल आज के आराम और चमक में सीमित थी। लेकिन उसी रास्ते पर फुटपाथ के किनारे कुछ ऐसा था जिसने उसकी पूरी दुनिया को झकझोड़ दिया। एक छोटा बच्चा फटे कपड़ों में भूखा प्यासा भीख मांग रहा था। उसकी आंखों में दर्द और अकेलापन साफ झलक रहा था। भीड़ उसे अनदेखा कर रही थी। लोग अपनी राह में व्यस्त थे।

लेकिन उसकी आंखें उस बच्चे पर टिकी थीं। पहली बार वो करोड़पति बाप खुद को अजीब स्थिति में पाया। उसकी दौलत, उसकी शान, उसके गहने, उसके महंगे कपड़े सब कुछ उस बच्चे के सामने बेकार लग रहे थे। उसने महसूस किया कि उसका रुतबा और दौलत किसी भूखे बच्चे के दर्द के सामने कितने बेअसर हैं।

भीड़ के बीच यह दृश्य और भी मारक लग रहा था। लोग धीरे-धीरे पास आते, बच्चे को देखकर बातें करते, हंसते या आंखें फेरते। लेकिन बाप के अंदर का अहंकार धीरे-धीरे टूटने लगा। उसने पहली बार महसूस किया कि दौलत और शोहरत सब कुछ नहीं होती। कुछ रिश्ते, कुछ प्यार, कुछ परिवार की जरूरतें ऐसी होती हैं जिन्हें कोई पैसा पूरा नहीं कर सकता।

वो सोचने लगा कि उसने अपनी दौलत के पीछे इतना समय लगाया कि परिवार और बच्चों के लिए कुछ भी नहीं बचा। उसने अपनी आंखें बंद करके दौलत की चमक में दुनिया देखी, लेकिन अपने घर की छोटी खुशियों को कभी नहीं देखा। उसकी गलती का एहसास धीरे-धीरे उसके दिल में बैठने लगा।

बच्चे की छोटी-छोटी हथेलियां, उसकी फटी हुई पोशाक, उसकी आंखों का दर्द, यह सब उसके दिल को हिला रहा था। वो जान गया कि यह बच्चा कोई आम बच्चा नहीं है। उसके दिल की धड़कन तेज हो गई। उसके हाथ ठंडे हो गए। पसीना आने लगा। उसके भीतर का अहंकार अब डर और शर्म में बदलने लगा।

इस पल ने उसकी दुनिया की सारी चमक को फीका कर दिया। वह समझ गया कि असली दौलत केवल पैसा नहीं है, परिवार, प्यार, रिश्ते, यही असली दौलत हैं। और यही वो पहला झटका था जो उसके जीवन में बदलाव लाने वाला था।

उस आली
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