क्लास में सबके सामने टीचर ने..मासूम बच्चे पर चोरी का इल्ज़ाम लगाया — फिर जो हुआ
एक छोटे से शहर में एक 11 साल का बच्चा आकाश वर्मा रहता था, जो अपनी पढ़ाई में बहुत मेहनती और समझदार था। उसकी कक्षा में मिसेज नीलम अग्रवाल नाम की एक सख्त टीचर थीं, जो अपनी तेज आवाज और अनुशासन के लिए जानी जाती थीं।
एक दिन सुबह की क्लास में मिसेज अग्रवाल ने गणित का पाठ शुरू किया। उन्होंने ब्लैकबोर्ड पर कुछ सवाल लिखे और आकाश को बुलाया कि वह उन सवालों को हल करे। लेकिन आकाश उठा तो सही, पर उसके हाथ कांप रहे थे और वह कुछ लिख नहीं पा रहा था। मिसेज अग्रवाल ने तेज आवाज में पूछा, “क्यों नहीं लिख सकते? कल तक तो तुम सबसे तेज छात्र थे।”
आकाश ने धीरे से कहा, “मैम, कल रात… कुछ हुआ था।” मिसेज अग्रवाल ने और गुस्से से कहा, “क्या हुआ था? बोलो जल्दी!” तभी क्लास का एक लड़का ईशान बोल पड़ा, “मैम, इसने कल रात चोरी की है। मैंने इसे स्कूल के गेट पर देखा था।”
यह सुनकर पूरी क्लास में हड़कंप मच गया। मिसेज अग्रवाल ने आकाश से कहा, “चोरी तुमने की है? बताओ क्या है सच्चाई?” आकाश की आंखों में आंसू आ गए, पर वह कुछ स्पष्ट नहीं कह पा रहा था। मिसेज अग्रवाल ने गुस्से में कहा, “तो फिर यहां से निकलो। मैं तुम्हें अपनी क्लास में नहीं देखना चाहती।”
आकाश अपना बैग लेकर क्लास से बाहर निकलने लगा। तभी दरवाजे पर दस्तक हुई। स्कूल का चपरासी रामदीन अंदर आया और बोला, “मैम, एक आदमी आपसे मिलना चाहते हैं। कहते हैं उन्हें आकाश वर्मा से मिलना है।”
रामदीन के पीछे एक बुजुर्ग आदमी अंदर आए, जो करीब 70 साल के थे और साफ सुथरे कपड़े पहने थे। उन्होंने आकाश को देखा और मुस्कुराए। “बेटा आकाश, तुम यहां हो।” मिसेज अग्रवाल हैरान थीं कि यह क्या हो रहा है।
बुजुर्ग हर्षवर्धन तिवारी ने शांत स्वर में कहा, “मैम, कल रात इस बच्चे ने मेरी जान बचाई थी। कुछ लड़के मेरा बैग छीन रहे थे, तभी आकाश ने उनकी मदद की और मेरा बैग वापस दिलवाया।”
पूरी क्लास स्तब्ध थी। मिसेज अग्रवाल का गुस्सा शर्म में बदल गया। हर्षवर्धन जी ने आगे कहा, “जब मैं आकाश से बात कर रहा था, तब पता चला कि यह अपने दोस्त के घर ट्यूशन से लौट रहा था। ईशान ने गलत समझा था कि यह चोरी कर रहा है।”
ईशान का चेहरा लाल हो गया, उसे अपनी गलती का एहसास हो गया। मिसेज अग्रवाल ने आकाश से माफी मांगी। “बेटा, मुझसे बहुत बड़ी गलती हुई है।”
हर्षवर्धन जी ने कहा, “मैम, यह वाकया हमें सिखाता है कि बिना सोचे-समझे किसी पर आरोप नहीं लगाना चाहिए। सच्चाई हमेशा सामने आती है।” उन्होंने आकाश को एक किताब उपहार में दी, जिस पर लिखा था – “सच्चाई हमेशा जीतती है।”
अगले दिन स्कूल में आकाश का बहुत सम्मान हुआ। प्रिंसिपल सर ने कहा, “आकाश, तुम्हारी बहादी के लिए तुम्हें विशेष पुरस्कार दिया जाएगा।”
आकाश का सम्मान हुआ, और उसने सीखा कि सच्चाई और बहादुरी हमेशा रंग लाती है। मिसेज अग्रवाल ने भी अपनी गलती से सबक लिया और आगे से ज्यादा समझदारी से काम लेने का फैसला किया।
आकाश के माता-पिता को उस पर गर्व था। उन्होंने कहा, “बेटा, तुमने दिखाया है कि सच्चाई के साथ खड़े रहने का साहस होना चाहिए।”
इस तरह आकाश की कहानी एक प्रेरणादायक अंत तक पहुंची, जो हमें सिखाती है कि सच्चाई और इंसानियत हमेशा जीतती है।
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