गरीब किसान का परिवार

पूजा ने अपने पति को कहा, “मैं खेतों पे जा रही हूं काम करने के लिए और यह घर का सारा काम करके ना, इस बच्चे को साथ में लेकर तुम खेत पे ही आ जाइयो।”

पति ने मुस्कुराते हुए कहा, “घर का काम तो मैंने सारा कर दिया। यह धनिया सुखाना था, यह भी सूख गया। मैं आपके ही साथ खेत पर चलती हूं ना। मैं अकेली कैसे आउंगी खेतों पर?”

पति ने कहा, “ठीक है, पूजा, तो फिर चलो। सुनो जी, आप बस एक मिनट रुको। मैं बोतल में घर से पानी भर लेती हूं। बाबू को खेत में प्यास लगने लगी, तो फिर हम पानी कहां से लाएंगे?”

पति ने कहा, “अच्छा, ठीक है। जल्दी करो। फिर लेट हो रहे हैं हम खेत पे।”

भाग 2: खेत में काम

खेत में पहुंचते ही पूजा ने कहा, “पानी यहां पे रख दो। बेटा, तुम यहीं पे बैठो और खेलो। मैं थोड़ा काम कर लूं।” पति ने कहा, “मैं इसमें डोरा डाल देता हूं। और तुम उस गोभी को साफ कर दो। उसमें जो भी घास है, उसे निकाल दो।”

जब वे काम कर रहे थे, तभी पूजा ने कहा, “आज मेरी बाई आंख क्यों फड़क रही है? मुझे तो ऐसा लग रहा है। मुझे डर सा लग रहा है कहीं कुछ।”

पति ने उसे समझाते हुए कहा, “क्या हुआ पूजा? तुम ज्यादा सोचा मत करो। देखो तुम्हारी बाईं आंख फड़क रही है ना। मैं इसको कुछ नहीं समझता। और बेमतलब की तुम डर रही हो। कुछ नहीं होगा। तुम जाकर काम करो और मुझे भी करने दो।”

भाग 3: दादा ठाकुर का आगमन

तभी खेत में एक गाड़ी आई। पूजा ने कहा, “दादा ठाकुर की गाड़ी हमारे खेतों में आ रही है। मुझे तो ऐसा लगता है दादा ठाकुर आज बहुत गुस्से में है।”

पति ने कहा, “तुम घबराओ मत। आने दो दादा ठाकुर को। ऐसा कुछ नहीं होगा।”

दादा ठाकुर ने गाड़ी से उतरते ही कहा, “राम-राम दादा। मैं ना तेरे यहां राम-राम लेने नहीं आया हूं। अपना कर्जा लेने आया हूं। जल्दी से मेरा कर्जा दे मुझे।”

पति ने हाथ जोड़कर कहा, “दादा ठाकुर, मैं आपसे हाथ जोड़ के विनती कर रहा हूं। बस अबकी बार हमें माफी दे दो। मेरी सच में बाढ़ से फसल मारी गई। मेरी अबकी जो फसल होगी, मैं आपका सारा कर्जा चुका दूंगा।”

भाग 4: दादा ठाकुर की धमकी

दादा ठाकुर ने गुस्से में कहा, “देख, मुझे कोई बहाना नहीं चाहिए। मुझे ना मेरे पैसे दे।” पति ने कहा, “दादा, हम गरीब किसान बेशक हैं लेकिन हम ईमानदार हैं। हम आपकी पाई-पाई चुका देंगे। इस बार हमारी यह फसल उग जाने दो।”

ठाकुर ने कहा, “जितने तुम ईमानदार बन रहे हो उतने हो नहीं। अगर ईमानदार होते तो मेरे पैसे अब तक मेरे घर पहुंचा देते।”

भाग 5: गोली चलाना

तभी दादा ठाकुर ने गुस्से में आकर गोली चला दी। पति को गोली लगी और वह गिर पड़ा। पूजा चिल्लाई, “ये क्या कर दिया आपने?”

दादा ठाकुर और उसके लोग घबरा गए। “दादा ठाकुर, यहां से जल्दी निकलो। यहां पर पुलिस आ गई तो हम लफड़े में पड़ जाएंगे।”

भाग 6: बदला लेने की ठान

पति की मौत के बाद पूजा का दिल टूट गया। उसने अपने बेटे को बुलाया और कहा, “बेटा, हमें दादा ठाकुर से बदला लेना होगा।”

बेटे ने कहा, “मां, मैं बदला लूंगा। मैं दादा ठाकुर को नहीं छोड़ूंगा।”

भाग 7: दादा ठाकुर का सामना

कुछ समय बाद, पूजा और उसका बेटा दादा ठाकुर के पास पहुंचे। दादा ठाकुर ने उन्हें देखकर हंसते हुए कहा, “क्या तुम लोग फिर से आए हो? तुम्हारा पति तो मर गया।”

बेटे ने गुस्से में कहा, “तूने मेरे पिता को मारा है। अब तुझे भुगतना होगा।”

भाग 8: संघर्ष

दादा ठाकुर ने हंसते हुए कहा, “अरे छोटे, तेरा क्या है? तू तो बस एक किसान है।” लेकिन बेटे ने हिम्मत नहीं हारी और दादा ठाकुर से लड़ा।

भाग 9: पुलिस का हस्तक्षेप

तभी पुलिस आई और दादा ठाकुर को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस ने कहा, “तुम्हें अपनी करनी का फल भुगतना पड़ेगा।”

भाग 10: इंसाफ

पूजा और उसका बेटा न्याय पाने में सफल रहे। दादा ठाकुर को जेल भेज दिया गया और उनकी संपत्ति जब्त कर ली गई।

भाग 11: नई शुरुआत

पूजा ने अपने बेटे के साथ मिलकर खेतों में काम करना शुरू किया। उन्होंने मेहनत से अपनी फसल उगाई और अपने जीवन को फिर से संवारने का प्रयास किया।

भाग 12: संदेश

पूजा ने अपने बेटे को सिखाया कि इंसाफ के लिए लड़ना जरूरी है। उन्होंने यह भी सीखा कि मेहनत और ईमानदारी से ही सफलता मिलती है।

भाग 13: अंत में

इस तरह, पूजा और उसके बेटे ने न केवल अपने परिवार का सम्मान वापस पाया बल्कि समाज में एक मिसाल भी कायम की। उन्होंने साबित किया कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना और अपने हक के लिए लड़ना हर किसी का अधिकार है।

इस कहानी ने यह संदेश दिया कि कभी भी डरना नहीं चाहिए और हमेशा सच्चाई के साथ खड़ा होना चाहिए। इंसाफ की लड़ाई कभी खत्म नहीं होती, जब तक कि हर किसी को उसका हक न मिल जाए।

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