गरीब लड़की बोली: ‘मैं आपका हेलीकॉप्टर ठीक कर सकती हूँ!’ अरबपति हँसा, फिर चौंक गया!

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शीर्षक: “मीरा: धूल भरे गांव से निकली रौशनी”

जयपुर के बाहर स्थित सूरजगढ़ गांव में दोपहर की गर्म हवाएं चल रही थीं। धूल उड़ा रही सड़कों पर जीवन अपनी गति से चल रहा था। बच्चे पेड़ के नीचे खेल रहे थे, महिलाएं कुएं से पानी ला रही थीं, और पुरुष खेतों में काम कर रहे थे।

तभी एक जोरदार आवाज हुई। आसमान में एक चमचमाता काला हेलीकॉप्टर लड़खड़ाता दिखा और कुछ ही पलों में गांव के मैदान में जबरदस्त धूल उड़ाते हुए उतर गया।

गांव के लोग इकट्ठा हो गए — हेलीकॉप्टर जैसी चीज़ उन्होंने टीवी पर ही देखी थी। हेलीकॉप्टर से उतरे एक सजे-धजे आदमी: आरव मल्होत्रा — देश के नामी उद्योगपति।

उसके चेहरे पर गुस्सा था। “क्या बकवास है यह?” वह पायलट पर चिल्लाया। “तुम्हें पता है मैं कितनी बड़ी डील के लिए जा रहा था?”

पायलट ने धीमे से कहा, “सर, इंजन में कोई समस्या है। नेटवर्क नहीं है, संपर्क नहीं हो पा रहा।”

गांव वाले खुसर-पुसर कर रहे थे। तभी भीड़ से एक छोटी सी लड़की निकली — फटे-पुराने कपड़े, धूल से सनी चप्पलें, दो चोटियाँ। वो आत्मविश्वास से बोली:

“साहब, मैं आपका हेलीकॉप्टर ठीक कर सकती हूँ।”

लोग हँस पड़े। आरव भी हँसा, “तुम? ये हेलीकॉप्टर पांच करोड़ का है, स्कूल भी गई हो कभी?”

मीरा बिना घबराए बोली, “इंजन का फ्यूल इंजेक्शन सिस्टम फेल हुआ है। मैं इसे ठीक कर सकती हूँ।”

आरव चौंक गया। उसने पायलट की ओर देखा, जिसने धीमे से सिर हिलाया, “सर, वो जो कह रही है… संभव है।”

“ठीक है,” आरव बोला, “अगर तुम इसे ठीक कर दोगी, तो मैं तुम्हें इनाम दूंगा।”

मीरा ने सिर हिलाया, “मुझे इनाम नहीं चाहिए। मुझे आपसे बस कुछ सवाल पूछने हैं।”

मीरा हेलीकॉप्टर के पास गई। अपनी स्कर्ट से एक पुराना औजार निकाला और काम में जुट गई — जैसे उसे सालों का अनुभव हो।

आरव को घबराहट हो रही थी। वो हेलीकॉप्टर में बैठा तो वहाँ फर्श पर एक पुरानी फोटो मिली। उसमें एक छोटी बच्ची और एक जाना-पहचाना चेहरा था — उसके पिता अनिल मल्होत्रा

“यह तस्वीर यहां कैसे आई?” आरव बड़बड़ाया। उसने पायलट को देखा, जो बेचैनी से फोन सिग्नल तलाश रहा था।

फिर वह मीरा के पास गया। “ये फोटो… ये मेरे पिता के साथ तुम्हारी है। तुम उन्हें कैसे जानती हो?”

मीरा शांत थी। “वो मेरे दादा जी थे। उन्होंने मुझे पाला।”

आरव के पैरों के नीचे से ज़मीन खिसक गई।

“क्या तुम…?”

मीरा ने उसकी बात काटी, “आप जो सोच रहे हैं, वो सच है। अनिल मल्होत्रा मेरे दादा और… आपकी बेटी की माँ सविता मेरी माँ थी।”

आरव के दिमाग में भूचाल आ गया।

“तुम… मेरी…”

मीरा ने धीरे से सिर हिलाया, “हाँ, मैं आपकी बेटी हूँ। लेकिन मुझे आपकी दौलत नहीं चाहिए। मैं चाहती हूँ आप सच को स्वीकारें।”

उसी समय एक गाड़ी धूल उड़ाते आई — प्रिया, आरव की बहन, बाहर निकली।

“ओह! तो तुम मिल गए हो अपनी बेटी से?” प्रिया ने तंज किया।

मीरा ने जवाब दिया, “हाँ, और अब सबको सच्चाई जाननी चाहिए।”

प्रिया ने हँसते हुए कहा, “सच? तुम्हारा सच क्या है? कि एक अनजान गांव की लड़की एक उद्योगपति की बेटी है?”

मीरा ने अनिल की डायरी निकाली। उसके पन्नों में कंपनी के भ्रष्टाचार के प्रमाण, पायलट और राजीव चौधरी की साजिशों के निशान थे।

प्रिया की आँखें फैल गईं। “ये सब तुम्हारे पास कैसे है?”

मीरा ने कहा, “मेरे दादा जी ने मुझे सिखाया कि सच्चाई हमेशा उजागर होती है। आज का दिन उसी का दिन है।”

आरव ने डायरी को देखा, फोटो को देखा, मीरा की आंखों में झाँका — वही आंखें, जैसी अनिल की थीं।

“मैं तुम्हारा पिता हूँ,” उसने कहा, “और मैं शर्मिंदा हूँ।”

मीरा रोने लगी — “मैं आपको माफ करती हूँ… क्योंकि दादा जी ने मुझे सिखाया कि माफ करना भी ताकत है।”

प्रिया सुन्न थी। उसकी आंखों से भी आंसू बह निकले। “मैंने भी गलतियाँ की हैं। हमें पिताजी को सही साबित करना है। स्काईटेक को नहीं — अपने परिवार को बचाना है।”

तीनों गले लग गए।

मीरा ने कहा, “अगर आप सच में बदलना चाहते हैं, तो इस गांव में एक स्कूल बनवाइए — ताकि कोई बच्चा तकनीक सीखने से वंचित ना रहे।”

आरव ने वादा किया, “इस गांव में स्कूल भी बनेगा, अस्पताल भी। और हम मिलकर मल्होत्रा इंडस्ट्रीज को फिर से उस रास्ते पर ले जाएंगे जहां विज्ञान और इंसानियत साथ चलते हैं।”

तीनों हेलीकॉप्टर की ओर बढ़े। मीरा ने इंजन में अंतिम टुकड़ा जोड़ा — जिस पर लिखा था: “अनिल मल्होत्रा की संपत्ति”।

हेलीकॉप्टर उड़ गया, लेकिन गांव में एक नई शुरुआत की नींव रख गया।

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https://youtu.be/7-J5SCkzANg?si=aTc0M51utr5dKPpJ