गरीब लड़की Paralyzed जज से बोली, “मेरे पापा को रिहा कर दो, मैं आपको ठीक कर दूंगी” | फिर जो हुआ…
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कहानी: गरीब लड़की ने परालाइज्ड जज से कहा—”मेरे पापा को रिहा कर दो, मैं आपको ठीक कर दूंगी” | फिर जो हुआ…
मुंबई के एक भीड़भाड़ वाले कोर्टरूम में उस दिन अजीब सी खामोशी थी। सबकी नजरें एक दस साल की छोटी बच्ची रिया पर थीं, जो धीरे-धीरे चलती हुई जज की व्हीलचेयर के पास पहुंची। उसकी सिंपल फ्रॉक उसके पतले जिस्म पर ढीली थी, लेकिन उसकी आंखों में अजीब सा आत्मविश्वास था। जज माया शर्मा, जो पिछले तीन सालों से व्हीलचेयर पर थीं, अपने सामने इस बच्ची को देख रही थीं। रिया ने बेंच पर अपने छोटे हाथ रखे और कहा—“जज मैम, अगर आप मेरे पापा को आजाद कर देंगी, तो मैं वादा करती हूं, आपके पैरों को फिर से चलने लायक बना दूंगी।”
कोर्टरूम में हलचल मच गई। कुछ लोग हंसने लगे, कुछ हैरान रह गए। सबको लगा यह बच्ची मासूम है या शायद दुनिया के नियम नहीं जानती। लेकिन जज माया की आंखों में एक अजीब सी हलचल थी। उन्हें याद आया कि कभी-कभी चमत्कार वहीं होते हैं, जहां सबसे ज्यादा उम्मीदें टूट जाती हैं।
तीन हफ्ते पहले की बात है। रिया के पिता रवि एक ईमानदार मजदूर थे, जो कंस्ट्रक्शन साइट पर काम करते थे। रिया की मां उसे दो साल की उम्र में छोड़ गई थी। रवि ने अकेले ही रिया को पाला, उसकी बीमारी—अस्थमा—से लड़ते हुए। रिया को बार-बार सांस लेने में तकलीफ होती थी, और उसकी दवाइयां बहुत महंगी आती थीं। रवि ने अपनी सारी जमा पूंजी, बाइक और पत्नी की अंगूठी तक बेच दी थी, लेकिन फिर भी दवाइयों के पैसे पूरे नहीं होते थे।
एक ठंडी सुबह रिया को तेज बुखार और सांस की तकलीफ हुई। रवि के पास बस थोड़े-से पैसे बचे थे। फार्मेसी वाले उधार नहीं देते, हॉस्पिटल इंश्योरेंस के बिना इलाज नहीं करता। मजबूरी में रवि ने अपने मालिक से एडवांस मांगा, लेकिन मना कर दिया गया। रिया का चेहरा नीला पड़ रहा था, और रवि जानता था कि अगर दवाई नहीं मिली तो कुछ भी हो सकता है।

उस रात, रवि ने अपनी बेटी को प्यार से देखा, जैकेट पहना और शहर की फार्मेसी पहुंच गया। वह कभी चोरी नहीं करना चाहता था, लेकिन बेटी की जान बचाने के लिए मजबूर हो गया। उसने दवाई जेब में डाल ली, लेकिन बाहर निकलते ही सिक्योरिटी गार्ड ने पकड़ लिया। रवि ने गिड़गिड़ाते हुए कहा—“मेरी बेटी बीमार है, मैं वादा करता हूं पैसे लौटा दूंगा।” लेकिन कानून कानून था। पुलिस आई, रवि को गिरफ्तार कर लिया गया।
रिया की दादी ने उसे हॉस्पिटल पहुंचाया, लेकिन डॉक्टरों ने कहा कि जब तक रवि की कानूनी समस्या खत्म नहीं होती, रिया को अस्थायी देखभाल में भेजना पड़ेगा। रवि का केस जज माया शर्मा को मिला—जो खुद एक हादसे के बाद व्हीलचेयर पर थीं और अपने काम में डूबी रहती थीं।
कोर्टरूम में रवि के समर्थन में कुछ लोग थे, कुछ कानून के पक्ष में। रवि दो हफ्ते से रिया को नहीं देख पाया था, उसकी आंखें आंसुओं से भरी थीं। प्रोसिक्यूटर ने कानून की बात की, लेकिन रवि के वकील ने उसकी मजबूरी और ईमानदारी समझाने की कोशिश की। जज माया फैसला सुनाने ही वाली थीं कि अचानक रिया अपनी दादी के साथ कोर्टरूम में आ गई। उसने अपने पिता को देखा और दौड़ पड़ी—“पापा!” सबकी आंखों में आंसू आ गए।
रिया सीधे जज माया के पास गई, उनका हाथ पकड़ा और पूरे विश्वास से बोली—“मेरे पापा अच्छे आदमी हैं। उन्होंने दवाई सिर्फ मेरी बीमारी के लिए ली थी। जज मैम, मैं देख सकती हूं कि आपके पैर काम नहीं करते। मेरे पास एक तोहफा है—मैं दुखी लोगों को अच्छा फील करवा सकती हूं। अगर आप मेरे पापा को घर जाने देंगी, तो मैं वादा करती हूं कि आपके पैर फिर से चलने लगेंगे।”
कोर्टरूम में फिर हलचल हुई। लोग हंसने लगे, लेकिन जज माया की आंखों में उम्मीद की किरण जागी। उन्होंने कहा—“रिया, डॉक्टर्स ने कहा है कि मैं कभी चल नहीं पाऊंगी।” रिया मुस्कुराई—“कभी-कभी डॉक्टर्स सबकुछ नहीं जानते। चमत्कार तब होते हैं जब लोग प्यार और विश्वास रखते हैं। मुझे सिर्फ एक मौका दीजिए।”
जज माया ने बहुत सोचकर फैसला किया—“मैं रवि की सजा 30 दिन के लिए टालती हूं। अगर इस समय में रिया अपना वादा पूरा कर देती है, तो सारे चार्जेज खत्म कर दिए जाएंगे। लेकिन अगर नहीं, तो रवि को और बड़ी सजा मिलेगी।” रवि डर गया, लेकिन रिया ने उसका हाथ पकड़ लिया—“पापा, सब ठीक हो जाएगा। चमत्कार तब होते हैं जब प्यार डर से ज्यादा मजबूत होता है।”
अगले दिन रवि ने रिया से पूछा—“तुमने कभी किसी को ठीक किया है?” रिया ने मुस्कुराकर बताया—“दादी की कमर दर्द, चिंटू की टूटी बाजू—मैंने उन्हें कहानियां सुनाकर ठीक किया। जज माया के पैर टूटे नहीं, उनकी आत्मा सो गई है। जब लोग बहुत दुखी होते हैं, तो उनका शरीर भी काम करना भूल जाता है। मैं उन्हें खुशी याद दिलाऊंगी।”
जज माया भी रिया के बारे में सोच रही थीं। डॉक्टर्स ने तो कह दिया था कि सुधार नामुमकिन है, लेकिन रिया के छूने से जो गर्मी उनके पैरों में आई थी, वह भूल नहीं पा रही थीं। शाम को रिया पार्क में बच्चों को हंसाती, उनका हाथ पकड़ती, कहानियां सुनाती। एक बुजुर्ग ने रवि से कहा—“रिया के पास ऊपर वाले का तोहफा है।”
तीन दिन बाद जज माया ने रिया को पार्क में बुलाया। माया ने अपनी जज की पोशाक की जगह नीली साड़ी पहनी। रिया बतख को ब्रेड खिला रही थी। दोनों ने मिलकर बतखों को खाना खिलाया, कहानियां सुनीं, और पहली बार जज माया ने खुलकर हंसी। रिया ने पूछा—“आपको सबसे ज्यादा क्या पसंद था?” जज माया बोलीं—“नाचना। मैं छोटी थी तो कत्थक सीखती थी।” रिया ने कहा—“क्या आप मेरे साथ डांस करेंगी?” माया ने कहा—“मैं डांस नहीं कर सकती।” रिया बोली—“आपका सिर, हाथ, दिल—सब डांस कर सकते हैं।” दोनों ने हाथ हवा में घुमाए, और जज माया को पहली बार लगा कि वह जिंदा हैं।
रिया ने उनके घुटनों पर हाथ रखकर कहा—“आपके पैर टूटे नहीं हैं, बस आपकी आत्मा जागने का इंतजार कर रही है।” जज माया को समझ आया कि एक्सीडेंट ने सिर्फ शरीर नहीं, आत्मा को भी डरा दिया है। रिया ने कहा—“कल फिर मिलेंगे, मैं आपको और कहानियां सुनाऊंगी।”
लेकिन उसी शाम पार्क में हादसा हो गया। जज माया की व्हीलचेयर तालाब के पास पलट गई, उन्हें सिर में चोट आई और वे बेहोश हो गईं। हॉस्पिटल में डॉक्टरों ने कहा—अगले 24 घंटे बहुत क्रिटिकल हैं। रिया ने डॉक्टर से मिलने की इजाजत मांगी। सबको लगा, यह बच्ची क्या कर सकती है? लेकिन डॉक्टर ने पांच मिनट की इजाजत दी।
रिया आईसीयू में गई, जज माया का हाथ थामा और बोली—“मैं जानती हूं आप डरी हुई हैं। एक्सीडेंट ने आपकी आत्मा को अंधेरे में छिपा दिया है। लेकिन मैं रोशनी का रास्ता देख सकती हूं।” रिया ने उन्हें डांस की खुशी, बतखों को खिलाने की याद दिलाई। जज माया की हार्ट रेट स्टेबल होने लगी। उनकी उंगलियां हिलीं, आंखें खुल गईं। डॉक्टर भी हैरान रह गए। जज माया ने कहा—“मुझे अपने पैर महसूस हो रहे हैं।” उन्होंने जोर लगाया, दोनों पैर हिल गए।
रिया ने ताली बजाई—“आपकी आत्मा जाग गई है, शरीर को काम करना याद आ गया है।” जज माया की आंखों में आंसू थे—“मैंने तुम पर विश्वास नहीं किया, लेकिन तुमने दिखा दिया कि चमत्कार सच में होते हैं।”
उस दिन कोर्ट में जज माया ने रवि के सारे चार्जेज खत्म कर दिए। उन्होंने रवि को हॉस्पिटल में नौकरी दिलवाई, जिसमें रिया और उसके लिए हेल्थ इंश्योरेंस भी था। रवि ने कहा—“मैं आपका शुक्रिया कैसे अदा करूं?” जज माया ने रिया को देखते हुए कहा—“अपनी बेटी का शुक्रिया करो, जिसने सिखाया कि प्यार हर चीज को ठीक कर सकता है।”
तीन हफ्ते बाद, जज माया कोर्टरूम में छड़ी के सहारे चलकर आईं। पूरा कोर्ट तालियों से गूंज उठा। पहली रो में रवि अपनी नई जॉब के लिए तैयार बैठा था, रिया धूप जैसी मुस्कुरा रही थी। जज माया ने कहा—“हीलिंग सिर्फ टूटी हड्डियां ठीक करना नहीं है, यह टूटी आत्माओं को ठीक करना है। चमत्कार तब होते हैं जब हम एक दूसरे पर विश्वास करते हैं।”
रिया ने रवि से कहा—“पापा, चमत्कार की सबसे अच्छी बात यह है कि जब लोग एक चमत्कार देख लेते हैं, तो वे हर अच्छी चीज पर विश्वास करने लगते हैं। और जब लोग अच्छी चीजों पर विश्वास करते हैं, तो अच्छी चीजें हमेशा होती रहती हैं।” रवि ने अपनी बेटी को गले लगाया। उसने जाना, प्यार डर से हमेशा मजबूत होता है, और रिया जैसी परी के साथ चमत्कार हर दिन होते हैं।
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