घमंडी इंस्पेक्टरों ने ।PS को छेडा… फिर जो हुआ, पूरा थाना हिल गया!”सच्ची घटना..
सुबह की हल्की धुंध और ट्रैफिक की हलचल के बीच सड़क के किनारे खड़ी आयशा खान ओनेटो का इंतजार कर रही थी। लाल रंग की साड़ी में वह बिल्कुल साधारण दिखाई दे रही थी। किसी को अंदाजा भी नहीं था कि सामने खड़ी महिला नगर की आईपीएस अधिकारी है। कुछ ही देर बाद एक काली रंग की जीप तेजी से आई और साइड में रुक गई। उसमें से निकला इंस्पेक्टर संजय वर्मा, जिसकी उम्र करीब 45 साल थी। वह डीएसपी का खास आदमी था, जिसकी शक्ल सूरत में घमंड झलकता था।
पहली मुलाकात
जैसे ही वह जीप से उतरकर बाहर आया, उसने मुस्कुराकर आयशा से कहा, “चलोगी क्या?” उसकी आवाज में मस्ती और घुमावदार तानों का असर था। आयशा के भीतर गुस्सा उठ खड़ा हुआ, पर उसने चेहरे पर कड़वी सख्ती रखी और बिना जवाब दिए खड़ी रही। इंस्पेक्टर संजय हंसते हुए और करीब आकर बोला, “अरे मैडम, इतना मुंह क्यों घुमा रखा है? अपने आशिक से क्या शर्माती हो? एक बार तो देख लो। तुम्हें देखे बगैर मेरी सुबह नहीं होती। आज चलो कहीं घूम आते हैं।”
उसकी बातें बेवकूफाना और उबाऊ थी। वह स्पष्ट तौर पर छेड़खानी कर रहा था। आयशा ने ठंडे लहजे में कहा, “आपको कोई अधिकार नहीं है कि आप किसी अनजान लड़की से ऐसे बात करें।” पर संजय को यह सब मजाक सा लगा। उसने ताव देकर आगे बढ़ने की कोशिश की और जब आयशा ने मुंह फेर लिया तो वह हंसते हुए बोला, “अरे शर्माने की क्या बात? मैं तो बस मजाक कर रहा था। थोड़ी मस्ती कर लो। तुम्हारी खूबसूरती पर मैं फिदा हूं। अब मना मत करो।”
अपमान का सामना
हद तब छू गई जब उसने अपना हाथ बढ़ाकर आयशा को अपनी ओर खींचने की कोशिश की। आयशा ने झट से उसका हाथ छुड़ा लिया और सख्ती से कहा, “यहां बीच सड़क पर लड़की को छेड़ रहे हो। क्या तुम्हें शर्म नहीं आती? तुम्हारी मां-बाप नहीं है क्या?” उसकी आवाज में क्रोध था पर शब्द साफ और नियंत्रित थे। “यहां से हट जाओ, वरना मैं वो हाल कर दूंगी कि तुम आगे कभी किसी लड़की को छूने की हिम्मत नहीं कर पाओगे।”
संजय ने अहंकार भरी हंसी के साथ पलटा और ठहाका लगाते हुए कहा, “अच्छा, तू मुझे मार देगी। मार के दिखा तो सही। मैं तुम्हें याद रखूंगा। तुम्हारे हाथों मार पड़ना मेरे लिए अब नया रोमांच होगा। आराम से आ जाओ। ज्यादा एटीट्यूड मत दिखाओ। मैं तुम्हें अपना बनाकर ही रहूंगा। समझी?”
आयशा ने उसकी आंखों में ठंडी नजर डालकर कहा, “तुम्हारी धमकियों से मुझे फर्क नहीं पड़ता। मैं किसी की संपत्ति नहीं कि तुम बस मालिक बनकर मुझ पर हक जताओ। अब बस यहां से हट जाओ।”
संघर्ष की शुरुआत
आयशा की बातों ने जैसे किसी अंगारे को हवा दे दी हो। इंस्पेक्टर का घमंड पल भर में आग में बदल गया। उसने तेज स्वर में चिल्लाते हुए आयशा के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। “बहुत बकवास कर रही है बड़ी देर से। अब समझ में आएगा तुझको कि मैं कौन हूं।” आयशा का चेहरा ठिठक सा गया। पर उसकी आंखों में क्रोध की आग पहले से भी तेज जल उठी।
संजय ने बेसुरी आवाज में कहा, “इतना प्यार से बोल रहा हूं और तू कुछ समझती नहीं। तू खुद को क्या समझती है? मैंने कहा है कि मैं तुम्हें लिए बिना यहां से नहीं जाऊंगा। क्या तू नहीं जानती कि पूरा नगर मेरा नाम जानता है। मैं इंस्पेक्टर संजय वर्मा हूं, जिसे डीएसपी साहब का संरक्षण प्राप्त है। जो मैं कहूंगा वही होगा। यहां मेरा राज चलता है। ज्यादा नौटंकी मत कर। चल मेरे साथ, वरना दो और थप्पड़ पड़ेंगे। समझी?”
आत्मरक्षा का अधिकार
आयशा के लिए अब बात साफ थी। यह इंस्पेक्टर सत्ता के घमंड में पला बढ़ा था और इसीलिए अपनी सीमाएं भूल चुका था। पर उसके चेहरे की लालिमा अब भय की नहीं, असली गुस्से की थी। वह सख्ती से बोली, “तुझे लगता है तुझ में इतना अधिकार है। तेरा डीएसपी कोई भी हो। कानून सबके लिए एक जैसा है। तुम किसी भी हाल में किसी महिला को ऐसा अपमानित नहीं कर सकते।”
पर संजय की अकड़ बढ़ती गई। उसने फिर से हमला करने की नियत दिखाई। तभी आयशा ने झट से उसका हाथ पकड़ा और इतना जोर से झटका दिया कि वह संतुलन खो बैठा। संजय चिल्लाया, “तू मुझे मारेगी? मेरा नाम याद रख।” लेकिन आयशा कोई आम लड़की नहीं थी। उसने इंस्पेक्टर संजय को जमीन पर गिरा दिया। भीड़ में खड़े लोग चौंक उठे। कुछ ने मोबाइल निकाल कर रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया। कुछ ने बीच बचाव के लिए आने की हिम्मत नहीं की क्योंकि वे जानते थे कि मामला पुलिस का है।
न्याय की लहर
संजय जो अभी तक अपनी अकड़ में डूबा था, अचानक डर के मारे कांप उठा। उसने मन ही मन सोचा कि अब डीएसपी साहब को बुलाना ही पड़ेगा। घबराहट में उसने चिल्लाया, “रुक, तुझे अभी बताता हूं। मैं अपने डीएसपी साहब को बुलाता हूं। वे आएंगे और तुझे सबक सिखाएंगे। तूने मेरी बेइज्जती की है।” और वह तेजी से अपने फोन में नंबर डायल करने लगा।
आयशा ने शांत लेकिन कठोर स्वर में कहा, “बुला लो, पर जान लो। अगर तुम्हारे डीएसपी साहब ने भी मेरे साथ किसी तरह की गलत हरकत की, तो कानून के आगे सब बराबर है। कोई भी चाहे वह कितना भी बड़ा क्यों न हो, सलाखों के पीछे जाएगा।”
कुछ ही देर में एक कार मौके पर आई, और कार से करीब 55 साल का आदमी उतरा। चेहरा परिचित, कद-काठी में प्रभावशाली। वह प्रकाश गुप्ता नगर का डीएसपी था। उसने भीड़ में कदम रखते ही मुस्कान भरी नकली अदब के साथ आयशा की तरफ सलाम ठोकते हुए कहा, “अच्छा, आप यहां क्या मामला है मैडम?” उसकी आवाज में खास आदमी को बचाने का घमंड झलक रहा था।
घमंड का सामना
उसकी नजर एकाएक संजय पर पड़ी। वह तेजी से संजय के पास गया और उसके हाल को देखकर चौंक उठा। संजय ने गुस्से में कहा, “साहब, इस लड़की ने मुझे मारा। देखो, मेरा क्या हाल कर दिया। इसे नहीं छोड़ूंगा। मैं इसे सबक सिखाऊंगा।”
प्रकाश गुप्ता का रंग बदल गया। उसने आयशा की ओर देखते हुए कहा, “मैडम, आपने मेरे इंस्पेक्टर को क्यों इस तरह?” भीड़ में एक सन्नाटा छा गया। लोग फुसफुसाने लगे कि मामला बड़ा होने वाला है। एक तरफ एक आईपीएस अफसर, दूसरी तरफ डीएसपी का खास आदमी।
आयशा ने गर्दन सीधी कर ली और शांत स्वर में जवाब दिया, “मुझे आपके इंस्पेक्टर की परवरिश की जिम्मेदारी लेने की जरूरत नहीं। उसने जो किया वह सार्वजनिक जगह पर हुआ। मैंने केवल आत्मरक्षा की। अगर वे चाहें तो शिकायत दर्ज कराएं। सब कुछ रिकॉर्ड हुआ है। लेकिन समझ लें, किसी भी तरह की गुंडागर्दी का जवाब मैं कानून के मुताबिक कर दूंगी। आप चाहें तो शिकायत दर्ज कराइए। पर याद रखें, कानून का कानून ही चलेगा।”
गंभीरता का एहसास
संजय की बेईमानी और हाथ उठाने के बाद जो माहौल बन गया था, वह अब और भी गंभीर रूप ले चुका था। प्रकाश गुप्ता के सुर में पहली से कठोरता थी। पर जब आयशा ने तेज आवाज में कहा कि पहले अपने इंस्पेक्टर की हरकत सुनिए, फिर फैसला कीजिए, उसने जोर देकर कहा कि उसने आत्मरक्षा की और सार्वजनिक जगह पर हुई अभद्रता बर्दाश्त नहीं की जा सकती।
प्रकाश गुप्ता ने हाथ जोड़कर क्षमा याचना की कोशिश की। “सॉरी मैडम। मैं अपने इंस्पेक्टर की तरफ से माफी मांगता हूं। मुझे पूरा मामला पता नहीं है।” लेकिन आयशा ने शांत पर अटल लहजे में कहा, “माफी अगर आपके इंस्पेक्टर ने गलत किया है, तो माफी ही काफी नहीं होगी। कानून के अनुसार कार्रवाई होगी। किसी के पद से बड़े होकर कोई भी व्यक्ति किसी महिला से इस तरह का व्यवहार नहीं कर सकता।”

बदलाव की शुरुआत
भीड़ में खामोशी फैल गई। लोग आपस में फुसफुसाने लगे कि आखिर एक पावरफुल आदमी और कानून की ताकत के बीच कैसे टकराव होगा। इंस्पेक्टर संजय खड़ा देखकर भी असहज था। उसे समझ नहीं आ रहा था कि उसके डीएसपी साहब इस सार्वजनिक दबाव के आगे झुक क्यों रहे हैं। गर्व का घमंड उसके अंदर कमजोर पड़ता जा रहा था। वह पहले जितना अडंगा नहीं दिखा पा रहा था।
आयशा ने तुरंत आइडेंटिफिकेशन करवाकर मोबाइल रिकॉर्डिंग और आसपास के गवाहों के बयान भी सुरक्षित करवा लिए। कई लोगों ने मोबाइल निकाला और घटना रिकॉर्ड कर चुकी थी। उसने फिर संजय को अपने साथ थाने ले जाने के निर्देश दिए। सब इंस्पेक्टर अंकित शर्मा को तुरंत फोन करके बुलाया गया। अंकित शीघ्र ही दो-तीन हवलदारों के साथ मौके पर पहुंचे। उन्होंने स्थिति का जायजा लिया।
थाने में कार्रवाई
गवाहों के बयानों को नोट किया और संजय को थाने ले जाने की औपचारिक प्रक्रिया शुरू की। थाने में पहुंचते ही आयशा ने खुद मामले की प्रारंभिक जांच में हाथ लगाया। उसने संयम और पेशेवर खड़ाई के साथ गवाहों से पूछताछ करवाई। मोबाइल फुटेज और आसपास के सीसीटीवी के रिकॉर्ड देखे जाने के लिए निर्देश दिए।
जांच में जो तथ्य सामने आए वे चिंताजनक थे। कई लड़कियों ने बतलाया कि संजय अक्सर सार्वजनिक जगहों पर घूरता, अहित टिप्पणी करता और कई बार जबरन छेड़छाड़ की कोशिश करता। कुछ लड़कियां डर के मारे पहले कभी थाने नहीं आई। वे प्रतिष्ठित पद के डीएसपी की ताकत और बदनामी के डर से मुंह बंद रखती रही। आयशा ने इन शिकायतों को गंभीरता से लिया।
सख्त कार्रवाई
उसने तुरंत एक लिखित रिपोर्ट तैयार करवाने का फैसला किया। गवाही, रिकॉर्डिंग और प्राथमिक वैधानिक कागजातों के साथ और संजय के खिलाफ सख्त धाराओं के लागू होने की सिफारिश की। उसे मालूम था कि यह सिर्फ एक घटना नहीं बल्कि यह एक पैटर्न था जिसे अब तोड़ना जरूरी है। क्योंकि मामला केवल अपराध का नहीं रहकर समाज के एक बड़े प्रश्न में बदलता जा रहा था।
ताकत के दुरुपयोग और नारी सुरक्षा का। आयशा ने तय किया कि इसे कलेक्टर कार्यालय तक सीधे ले जाना होगा ताकि नगर प्रशासन पूरी तरह से इस पर संज्ञान ले। उसने सारी फाइल और सबूत संक्षेप में तैयार करवाकर कलेक्टर अजय मेहरा को स्थिति से अवगत कराना उचित समझा।
कलेक्टर के पास
सुबह कागजों का फोल्डर हाथ में लिए आयशा सीधे कलेक्टर कार्यालय की ओर बढ़ी। उसे पता था कि अब लड़ाई केवल एक इंस्पेक्टर के खिलाफ नहीं है। यह संदेश देने की लड़ाई है कि कानून के आगे हर कोई बराबर है। चाहे नाम बड़ा हो या पद ऊंचा। आईपीएस आयशा खान ने कलेक्टर अजय मेहरा के चेंबर पर दस्तावेज रखकर सब कुछ बिना किसी नाटकीयता के विस्तार से बताया। घटनाओं का क्रम, गवाहों के बयान, मोबाइल और सीसीटीवी फुटेज की प्रति और उन लड़कियों की लिखित शिकायतें जो डर के मारे पहले सामने नहीं आई थी।
उसने हर वह बात सुस्पष्ट तरीके से रखी जो उसने खुद देखी, सुनी और रिकॉर्ड की थी। उसके शब्दों में थकान नहीं थी। केवल कर्तव्य के प्रति अटल इरादा और सत्य को सामने लाने की मजबूरी थी। अजय मेहरा ने हर कागज ध्यान से पढ़ा। सीसीटीवी के फुटेज को कई बार देखा और गवाहों के बयान नोट किए।
कलेक्टर का निर्णय
वह एक संवेदनशील और अनुशासित प्रशासक था। उसके चेहरे पर निर्णय की गंभीरता दिख रही थी। उसने आयशा की पेशेवरता की तारीफ की और कहा, “मैं इस मामले को सार्वजनिक रूप से उठाऊंगा और पूरी पारदर्शिता के साथ कार्रवाई करूंगा।” राजीव ने तुरंत आवश्यक निर्देश दिए। संजय वर्मा के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने का निर्देश। गिरफ्तार करने की अनुमति देने के लिए सबूतों का संकलन और मामले की निष्पक्षता सुनिश्चित करने हेतु एक मजिस्ट्रेट और मुलजिम की मौजूदगी में जांच की निगरानी।
साथ ही उन्होंने पुलिस महानिदेशालय को भी सूचित कर दिया कि मामला संवेदनशील होने के कारण इसे प्राथमिकता देनी है। अजय मेहरा ने महसूस किया कि यह मामला केवल एक व्यक्तिगत विवाद नहीं रहेगा। यह सार्वजनिक स्वास्थ्य का मुद्दा बन सकता है। जहां ताकत का दुरुपयोग और महिलाओं की सुरक्षा दोनों दांव पर हैं।
प्रेस कॉन्फ्रेंस
इसीलिए उन्होंने फैसला किया कि मामले को पारदर्शी तरीके से उठाया जाए। एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलानी होगी जिसमें सभी तथ्यों और पुलिस कार्यवाही का ब्यौरा जनता के सामने रखा जाएगा। उन्होंने आयशा से कहा, “हम भ्रष्ट और ताकतवर प्रभाव से डरकर पीछे नहीं हट सकते। प्रेस कॉन्फ्रेंस में मैं खाद सब कुछ बताऊंगा। तथ्य, कार्यवाही और आगे की प्रक्रिया।”
प्रेस मीटिंग की तैयारी तेजी से हुई। कलेक्टर कार्यालय ने प्रेस नोट जारी किया जिसमें घटना के सार, आरोपों और पुलिस कार्यवाही की रूपरेखा दी गई। उसी दिन शाम तक मीडिया हॉल में सीटें भर गई। स्थानीय चैनल, अखबारों के रिपोर्टर और सोशल मीडिया पर सक्रिय पत्रकार लोग उत्सुक थे। आयशा को भी बुलाया गया ताकि वह मामले की पेशेवर रूपरेखा रख सके और तकनीकी सवालों का जवाब दे सके।
प्रेस कॉन्फ्रेंस का दिन
प्रेस कॉन्फ्रेंस के दिन हॉल में सन्नाटा और उत्कीर्ण उत्सुकता दोनों थी। कैमरे झिलमिला रहे थे। रिपोर्टर नोट्स कर रहे थे और एक बड़ी स्क्रीन पर घटना के फुटेज के अंश दिखाई देने लगे। उन फुटेज में संजय वर्मा की घुसपैठ पूर्ण हरकतें और आयशा द्वारा आत्मरक्षा की स्थिति स्पष्ट दिख रही थी।
कलेक्टर ने क्रमवार तथ्यों का हवाला दिया। पहले पब्लिक प्लेस पर छेड़छाड़, फिर हाथ उठाना, आयशा की स्वाभाविक आत्मरक्षा और बाद में संजय के खिलाफ मिलने वाले शांतिपूर्ण नामी गवाहों के बयानों का जिक्र। उन्होंने कहा कि सबूत इतने प्रबल हैं कि मामले पर राजनीतिक दबाव से हटकर त्वरित और कड़े कदम उठाए जा रहे हैं।
आयशा की आवाज
मंच पर खड़ी आयशा ने भी स्पष्ट शब्दों में कहा कि उन्होंने केवल कर्तव्य निभाया और कानून का पालन किया। “हमारा काम महिलाओं की सुरक्षा सुनिश्चित करना है।” उसने कहा, “जब भी कोई पद या पदाधिकारी दुरुपयोग करता है, उस पर कार्रवाई होना चाहिए।” नफरत, डर या सत्ता की धमकी से हटकर उसके आंचल में सादगी थी। पर आवाज में लौ थी।
हॉल में बैठे लोगों को लगा कि वे सिर्फ एक अफसर की नहीं, समाज की आवाज सुन रहे हैं। प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद कानूनी प्रक्रिया आगे बढ़ी। संजय के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर ली गई। उसमें छेड़छाड़, अपमान और सार्वजनिक स्थान पर अनुचित व्यवहार जैसी धाराएं शामिल थीं।
न्याय की प्रक्रिया
मामले की गंभीरता को देखते हुए कलेक्टर ने तुरंत संजय के खिलाफ गिरफ्तारी के कदमों को मंजूरी दे दी। प्रकाश गुप्ता, जो डीएसपी के रूप में पद पर थे, अचानक से सार्वजनिक और राजनीतिक दबाव में फंस गए। सरकार ने देखा कि मामला कितनी तेजी से भड़क रहा है। पुलिस महानिदेशालय ने भी संज्ञान लिया और उच्च स्तर पर जांच का आदेश दे दिया गया ताकि किसी भी तरह की गलत छवि से बचा जा सके।
प्रकाश गुप्ता ने बढ़ते प्रभाव और बढ़ते दबाव को महसूस किया। पार्टी के भीतर और जनता के बीच उनकी स्थिति कमजोर पड़ने लगी। सरकार ने प्रकाश गुप्ता को भी समुचित कार्यवाही के संकेत दिए। प्रकाश को किसी भी तरह के दमन से बचाने के लिए सरकार ने उन्हें अस्थाई रूप से पद से हटाने का सुझाव दिया ताकि जांच निष्पक्ष हो और जनता का भरोसा बना रहे।
निष्पक्ष जांच
कलेक्टर और पुलिस ने यह सुनिश्चित किया कि कोई भी शैडो प्रक्रिया न चले। अगर प्रकाश गुप्ता ने भी अपने पद का दुरुपयोग किया हो, तो उसे भी नियमों के अनुरूप देखा जाएगा। मामले की स्वतंत्र जांच का आदेश जारी हुआ जिसमें सीबीआई लेवल के निरीक्षक और मजिस्ट्रेट की निगरानी रखी गई।
जांच के आगे बढ़ने के साथ ही और भी चौंकाने वाले तथ्य सामने आए। स्थानीय स्तर पर कई और शिकायतें मिलीं। जिनमें कहा गया कि संजय ने सत्ता का इस्तेमाल कर कई बार महिलाओं को धमकाया और उन्हें शर्मिंदा किया। कई गुहारें जो पहले दबती रही अब खुलकर आईं। इन सब प्रमाणों को मिलाकर नगर प्रशासन ने कड़ा रुख अपनाया।
समाज में बदलाव
राजनीतिक और प्रशासनिक प्रक्रियाओं के समन्वय में प्रकाश गुप्ता को अस्थाई निलंबन का सामना करना पड़ा। उन्हें डीएसपी पद से हटा दिया गया और उन पर भी जांच जारी रखी गई। संजय वर्मा को कानून के मुताबिक अदालत में पेश किया गया और न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया। समाज में यह संदेश साफ हो गया कि कोई भी व्यक्ति चाहे उसका नाम कितना भी ऊंचा हो, कानून से ऊपर नहीं है।
कोर्ट में मामले की सुनवाई जारी रही और साक्ष्य के आधार पर अभियोजन पक्ष ने मामला मजबूत ढंग से पेश किया। आयशा के लिए यह कोई जीत हार की बात नहीं थी। उसका मकसद सिर्फ न्याय था। न केवल अपने लिए बल्कि उन सभी लड़कियों के लिए जिन्होंने ताकतवरों के डर से आवाज उठाई नहीं।
बदलाव की लहर
प्रेस और जनता ने भी देखा कि किस तरह पारदर्शिता और कर्तव्य निष्ठा से काम लेने पर बड़े-बड़े दबावों को अपना सही मुकाम दिखाया जा सकता है। आयशा अपने काम पर लौट आई। पर बदलाव की लहर जो उन्होंने शुरू की थी, सड़कों पर, थानों में और अफसरशाही में महसूस की जा सकती थी। जनता को अब थोड़ी और हिम्मत मिली थी कि वे भी अपनी आवाज उठा सकें और यही वह सच्चा परिवर्तन था जिसकी आयशा ने लड़ाई लड़ी थी।
यह कहानी हमें सिखाती है कि निडर होकर कर्तव्य निभाना, कानून पर भरोसा रखना और पारदर्शिता बनाए रखना ही किसी भी दबाव या संरक्षण को तोड़कर न्याय की स्थापना कर सकता है। हमें हर गलत करने वालों के खिलाफ आवाज उठाना चाहिए ताकि जुल्म करने वाले जुल्म करने से पहले 100 बार सोचें।
दोस्तों, यह कहानी केवल मनोरंजन के उद्देश्य से बनाई गई है। इसमें दिखाए गए सभी पात्र, घटनाएं और संवाद काल्पनिक हैं। किसी भी वास्तविक व्यक्ति, संस्था या घटना से इनका कोई संबंध नहीं है। कृपया इसे केवल कहानी के रूप में देखें और इसका आनंद लें। हम किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाना नहीं चाहते। अगर कहानी अच्छी लगी हो तो प्लीज हमारे चैनल स्टोरी दर्पण को सब्सक्राइब और वीडियो को एक लाइक जरूर करें। धन्यवाद!
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