जज साहब अपनी गाडी से हॉस्पिटल जा रहे थे ; लेकिन पुलीस वालो ने गाडी रोकी और पैसे मांगे फिर ….

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जज साहब का प्रतिशोध: एक संघर्ष की कहानी

प्रस्तावना

नमस्कार मेरे प्यारे दर्शकों! स्वागत है आप सभी का। आज हम आपको सुनाएंगे एक ऐसी कहानी, जिसमें न्याय, संघर्ष और प्रतिशोध का अनोखा मेल है। यह कहानी है जज साहब की, जो अपनी गाड़ी से हॉस्पिटल जा रहे थे, लेकिन रास्ते में उन्हें एक दरोगा ने रोक लिया। आइए, जानते हैं इस दिलचस्प कहानी को।

जज साहब की यात्रा

जज साहब जल्दी-जल्दी में हॉस्पिटल जा रहे थे। अचानक, एक दरोगा उनकी गाड़ी को रोकता है और जबरदस्ती चालान काटने लगता है। जज साहब ने पूछा, “किस बात का तुम चालान बना रहे हो?” दरोगा गुस्से में आकर जज साहब को थप्पड़ मार देता है और उनकी गाड़ी भी जब्त करवा देता है। भरे बाजार में एक दरोगा जज साहब का अपमान कर देता है।

इस अपमान के बाद जज साहब ने जो किया, उसे सुनकर आपके भी पसीने छूट जाएंगे। जज साहब ने ठान लिया कि अब वह चुप नहीं बैठेंगे।

रवि की कहानी

इस घटना की शुरुआत होती है उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से, जहां पर एक लड़का रवि अपनी मां के साथ रहता था। रवि के पिताजी 2 साल की उम्र में ही इस दुनिया से जा चुके थे। तब से रवि की मां चौराहे पर चाय समोसा बेचकर रवि को पाल-पोस रही थी।

रवि हमेशा से ही एक गरीब परिवार से था। उसकी मां उसे बहुत मेहनत से पढ़ा रही थी। रवि भी अपनी मां से खूब प्यार करता था। अक्सर वह अपनी मां की चाय की ठेली पर जाकर मदद करता था। स्कूल से आने के बाद वह चाय की ठेली पर चला जाता था।

रवि अपने स्कूल में अच्छे नंबर लाकर पास होता था। वह हमेशा से पढ़ाई में काफी तेज था। उसकी मां कहती, “तू अपने पिता पर गया है।” रवि अक्सर अपनी मां से पूछता, “मां, हम इतने गरीब क्यों हैं? पापा क्या करते थे?”

रवि का सपना

रवि की मां उसे बताती है कि उसके पिताजी एक सरकारी वकील थे। वे गरीब लोगों की हमेशा मदद करते थे। रवि के पिताजी झूठे आरोप में फंसे लोगों का केस लड़ते थे। कभी किसी से पैसा नहीं लेते थे और ना ही किसी से रिश्वत लेते थे।

वे लोगों का केस जल्दी जीतते थे, लेकिन कई वकील उनसे जलते थे। रवि अपने पिता के बारे में सुनकर गर्व महसूस करता था। वह अपनी मां से कहता, “मैं बड़ा होकर पापा की तरह वकील बनूंगा और न्याय दिलाऊंगा।”

संघर्ष और मेहनत

रवि ने अपनी 12वीं कक्षा पास की और फिर लॉ में ग्रेजुएशन किया। उसने कई बड़े वकीलों के अधीन रहकर काम किया और धीरे-धीरे अपनी पहचान बनाई। उसकी चतुराई और तेज दिमाग ने उसे कोर्ट में एक प्रमुख वकील बना दिया।

वह गरीबों के केस लड़ा करता था। एक दिन उसने एक गरीब व्यक्ति का केस लड़ा, जिसका भाई उसकी सारी जमीन हड़प चुका था। रवि ने उस केस को जीत लिया और गरीब को न्याय दिलाया।

जज बनने का सपना

समय बीतता गया और रवि ने जज बनने के लिए परीक्षा दी। उसने अच्छे नंबर लाकर पास किया और एक दिन जज बन गया। अब वह समाज के लिए न्याय देने लगा। लेकिन जज बनने के बाद भी उसके मन में अपने पिता का ख्याल आता था।

वह अपने पिता के अधूरे सपने को पूरा करना चाहता था। उसने ठान लिया कि वह उन लोगों से बदला लेगा, जिन्होंने उसके पिता को धोखा दिया था।

दरोगा का अपमान

एक रात जब रवि अपनी पत्नी को हॉस्पिटल ले जा रहा था, तभी एक दरोगा ने उनकी गाड़ी रोक ली। रवि ने कहा, “मेरी पत्नी गर्भवती है, हमें जल्दी जाना है।” लेकिन दरोगा ने उसकी एक नहीं सुनी और रवि को थप्पड़ मार दिया।

इस अपमान ने रवि को अंदर से झकझोर दिया। उसने ठान लिया कि अब वह चुप नहीं बैठेगा।

प्रतिशोध की योजना

रवि ने एक योजना बनाई। उसने साधे कपड़ों में उसी रास्ते पर जाने का निर्णय लिया। जब दरोगा ने उसे रोका, तो रवि ने कहा, “मैं एक जज हूं।” लेकिन दरोगा ने उसकी बात को अनसुना कर दिया और पैसे मांगने लगा।

रवि ने अपने कैमरे वाला पेन निकाला और दरोगा की हरकतों को रिकॉर्ड करना शुरू किया। दरोगा ने रवि को थप्पड़ मारा, लेकिन रवि ने अपने गुस्से को काबू में रखा।

न्याय की वापसी

रवि ने दरोगा को फोन करने का बहाना किया और एसपी को बुला लिया। जब एसपी वहां पहुंचे, तो उन्होंने दरोगा को जलील किया और कहा, “यह कोई आम इंसान नहीं, बल्कि एक न्यायाधीश है।”

दरोगा सदमे में आ गया और माफी मांगने लगा। लेकिन रवि ने कहा, “तुम्हें सजा मिलेगी।”

अंत की ओर

रवि ने दरोगा और उसके साथियों के खिलाफ केस दर्ज किया। अंततः, उन सभी को निलंबित कर दिया गया और 5 साल की सजा सुनाई गई।

इस घटना ने रवि को यह सिखाया कि न्याय और सच्चाई हमेशा जीतती है। वह अपने पिता के सपने को पूरा कर चुका था।

निष्कर्ष

दोस्तों, यह कहानी हमें सिखाती है कि संघर्ष और मेहनत कभी बेकार नहीं जाती। अगर आपके इरादे मजबूत हों, तो आप किसी भी मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

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