जज साहब गंदे कपड़े पहनकर चाय वाले के भेष में थाने पहुंचे फिर जो हुआ…|
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एक चाय वाले के भेष में जज: न्याय की सच्चाई
प्रस्तावना
एक चाय की दुकान, एक जज का भेष, और एक गरीब लड़की को झूठे केस में फंसाने की साजिश—यह कहानी आपको अंदर से हिला देगी। क्या सच की जीत होगी या अमीरों के पैसे की ताकत गरीब लड़की का खून पिएगी?
सुबह की धुंधली रोशनी में शहर की तंग गलियां धीरे-धीरे जाग रही थीं। धूल भरी सड़कों पर साइकिल की घंटियां गूंज रही थीं और हवा में चाय की खुशबू तैर रही थी। इसी माहौल में गली के नुक्कड़ पर रामू की छोटी सी चाय की दुकान थी। जहां हर दिन सुबह से शाम तक शहर के अलग-अलग तबकों के लोग आकर चाय पीते और अपने दिल की बात कहते।
रामू एक सादा आदमी था जिसकी उम्र 50 के आसपास थी। उसके चेहरे पर हमेशा मुस्कान रहती और उसके हाथों से बनी चाय में कुछ जादू था। वह सिर्फ चाय नहीं बेचता था बल्कि लोगों के दुख-सुख का साझीदार भी था।
एक नया ग्राहक
आज शाम जब सूरज ढलने लगा था तो रामू की दुकान पर एक नया ग्राहक आया। यह आदमी अलग दिख रहा था। साफ सुथरे कपड़े, शांत चेहरा और आंखों में एक अजीब गहराई। उसने चाय मंगवाई और चुपचाप एक कोने में बैठ गया। रामू ने देखा कि यह आदमी सिर्फ चाय नहीं पी रहा बल्कि आसपास की हर बात को बड़े ध्यान से सुन रहा था।
“साहब, पहली बार आए हैं?” रामू ने पूछा।
“हां, मेरा नाम दिवाकर है। यहां की चाय के बारे में सुना था।”
रामू ने मुस्कुराकर कहा, “साहब, यहां सिर्फ चाय नहीं, शहर की हर कहानी मिलती है।”
दिवाकर ने सिर हिलाया और चाय की चुस्की ली। उसी वक्त दुकान में श्याम आया, रामू का वफादार नौकर जो शहर के अलग-अलग थानों में चाय पहुंचाने का काम करता था।
श्याम का चेहरा परेशान था और वह बेचैनी से इधर-उधर देख रहा था। “मालिक, थाने में कुछ बड़ी गलत बात हो रही है।”
रामू ने भौहें चढ़ाई। “क्या मतलब?”
श्याम ने आसपास देखा और फिर बोला, “एक गरीब लड़की को बेवजह फंसाने की साजिश चल रही है। उसका नाम कीर्ति है और वह बिल्कुल मासूम है।”
दिवाकर चुपचाप चाय पी रहा था, लेकिन उसके कान खुले थे। श्याम की बातें उसे गहराई से प्रभावित कर रही थीं।
कीर्ति की कहानी
श्याम ने चारों तरफ नजर दौड़ाई और फिर धीमी आवाज में बताना शुरू किया। “मालिक, यह कहानी एक अमीर लड़के सुमित अग्रवाल से शुरू होती है। वह शहर के बड़े कारोबारी रमेश अग्रवाल का बेटा है। पिछले हफ्ते सुमित ने एक गरीब लड़की कीर्ति को गली में रोका और उसका अपमान किया। कीर्ति एक मजदूर की बेटी है जो दिनरा फैक्ट्री में काम करके अपने बीमार पिता का इलाज कराती है।”
दिवाकर ने चाय का प्याला धीरे से होठों पर लगाया लेकिन उसकी आंखें श्याम पर टिकी थीं।
“कीर्ति ने सुमित का विरोध किया और उसे धक्का देकर वहां से निकल गई। लेकिन सुमित का अहंकार इसे बर्दाश्त नहीं कर सका। उसने अपने पिता रमेश से शिकायत की और फिर…”
रामू ने उत्सुकता से पूछा, “फिर क्या मालिक?”
“रमेश अग्रवाल ने थाने के दो बड़े अफसरों को पैसे का लालच दिया। इंस्पेक्टर दिनेश यादव और सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार ने एक शैतानी योजना बनाई है। वे कीर्ति पर चोरी का झूठा इल्जाम लगाने वाले हैं और सुमित को बिल्कुल साफ छवि दे देंगे।”
दिवाकर का हाथ चाय के प्याले पर रुक गया। उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं आया। लेकिन उसकी आंखों में एक तूफान उठ रहा था।
“आज मैंने थाने में सुना। दिनेश यादव मुकेश से कह रहा था रमेश साहब ने वादा किया है अगर हमने कीर्ति को फंसा दिया तो बड़ा प्रमोशन मिलेगा और मोटी रकम भी।”
रामू ने सिर हिलाया। “यह तो बहुत गलत बात है। वह गरीब लड़की का क्या कसूर?”
श्याम ने दुखी स्वर में जवाब दिया, “मालिक, पैसे की ताकत के सामने गरीबी हमेशा हार जाती है। कीर्ति को पता भी नहीं है कि क्या आने वाला है।”
दिवाकर का संकल्प
दिवाकर ने धीरे से चाय का प्याला नीचे रखा। उसके मन में एक योजना बन रही थी। दिवाकर ने चाय का आखिरी घूंट पिया और श्याम की तरफ देखा। उसके चेहरे पर अब एक अजीब सी दृढ़ता आ गई थी।
“श्याम, तुम कल थाने मत जाना।”
श्याम चौंक गया। “क्यों साहब?”
दिवाकर ने मुस्कुराते हुए कहा, “कल मैं तुम्हारी जगह चाय लेकर जाऊंगा।”
रामू और श्याम दोनों हैरान रह गए। “लेकिन साहब, आप तो यहां पहली बार आए हैं।”
दिवाकर ने अपना परिचय दिया। “मैं दिवाकर चौधरी हूं। इस शहर की जिला अदालत का मुख्य न्यायाधीश।”
यह सुनकर रामू और श्याम की सांस रुक गई। एक जज वे एक जज के सामने पुलिस की भ्रष्टाचार की कहानी कह रहे थे।
श्याम के चेहरे पर डर आ गया। “साहब, माफ करिए। हमें नहीं पता था।”
दिवाकर ने हाथ हिलाकर उन्हें रोका। “कोई माफी की जरूरत नहीं। तुमने जो कुछ बताया है वह बहुत गंभीर है। अगर सच में किसी निर्दोष लड़की को फंसाने की साजिश चल रही है तो इसे रोकना मेरी जिम्मेदारी है।”
रामू ने कांपती आवाज में पूछा, “साहब, लेकिन आप चाय वाले के भेष में क्यों जाना चाहते हैं?”
दिवाकर ने समझाया, “क्योंकि अगर मैं जज के रूप में जाऊंगा तो वे सब संभल जाएंगे। लेकिन अगर मैं एक सामान्य चाय वाले के भेष में जाऊं तो वे अपनी असली हरकतें दिखाएंगे।”
श्याम ने चिंता जताई। “साहब, यह बहुत खतरनाक है। अगर पकड़े गए तो…”
दिवाकर ने दृढ़ता से कहा, “न्याय के लिए जोखिम उठाना पड़ता है। मैं नहीं चाहूंगा कि मेरी अदालत के क्षेत्र में कोई निर्दोष व्यक्ति फंसे।”
योजना की तैयारी
उस रात दिवाकर ने अपना फैसला सुनाया। अगली सुबह वह पुराने फटे कपड़े पहनेंगे, चेहरा छिपाएंगे और थाने में चाय बांटने जाएंगे। उनका मकसद था साजिश को अपनी आंखों से देखना और सबूत जुटाना।
अगली सुबह सूरज उगने से पहले दिवाकर चौधरी ने अपने न्यायाधीश के गांव को अलमारी में रखा और पुराने कपड़े निकाले। उन्होंने एक फटा कुर्ता, मैली धोती और टूटी चप्पलें पहनी।
शीशे में देखकर वह मुस्कुराए। कोई भी नहीं पहचान सकता था कि यह वही व्यक्ति है जो कल तक इस शहर के न्याय का प्रतीक था। रामू की दुकान पर पहुंचकर उन्होंने चाय का बड़ा थरमस उठाया और प्याले की टोकरी संभाली।
श्याम ने चिंतित स्वर में कहा, “साहब, मैं डर रहा हूं। अगर कुछ गलत हो गया, तो…”
दिवाकर ने उसकी पीठ थपथपाई। “कुछ नहीं होगा। तुम बस यहीं रामू के साथ रुको और इंतजार करो।”
थाने की तरफ साइकिल चलाते हुए दिवाकर के मन में कई विचार आ रहे थे। उन्होंने अपनी जेब में एक छोटा रिकॉर्डर छिपाया था। जो कुछ भी बात होगी वह रिकॉर्ड हो जाएगी।
थाने में घुसपैठ
थाने पहुंचकर उन्होंने देखा कि पुलिस वाले अपने काम में व्यस्त थे। चाय वाला एक कांस्टेबल ने आवाज लगाई। दिवाकर ने सिर झुका कर कहा, “साहब, गर्म चाय लाया हूं।”
उसने अपनी आवाज को भी बदल लिया था ताकि कोई शक ना करें। पुलिस वालों ने बिना ध्यान दिए चाय ली। दिवाकर ने महसूस किया कि वे उसे एक मामूली चाय वाले से ज्यादा कुछ नहीं समझ रहे।
चाय बांटते हुए उन्होंने कानें खुली रखी। इंस्पेक्टर दिनेश यादव अपने केबिन में सब इंस्पेक्टर मुकेश कुमार से बात कर रहा था।
“कीर्ति को आज शाम बुलवाना है।” दिनेश कह रहा था। “रमेश साहब का फोन आया था, काम जल्दी निपटाना है।”
मुकेश ने हंसकर जवाब दिया। “चिंता की कोई बात नहीं। वह गरीब लड़की क्या करेगी? उसके पास पैसा है ना वकील।”
यह सुनकर दिवाकर का खून खौल उठा। लेकिन उन्होंने अपने आप को संयम में रखा। रिकॉर्डर चालू था। हर बात रिकॉर्ड हो रही थी।
थाने से निकलते वक्त दिवाकर ने सोचा, यह सिर्फ शुरुआत है। उन्हें और सबूत चाहिए। रामू की चाय की दुकान पर वापस लौटकर दिवाकर ने श्याम और रामू को सब कुछ बताया।
कीर्ति की मदद
वे सच में कीर्ति को फंसाने की तैयारी कर रहे हैं। उन्होंने गुस्से से कहा, “आज श्याम, कीर्ति को थाने बुलाया जाएगा।”
श्याम का चेहरा और भी चिंतित हो गया। “साहब, हमें कुछ करना चाहिए।”
दिवाकर ने सोचा और फिर कहा, “पहले हमें कीर्ति से मिलना होगा। उसे इस साजिश के बारे में चेतावनी देनी होगी।”
रामू ने कहा, “साहब, कीर्ति पास की फैक्ट्री में काम करती है।”
श्याम ने सिर हिलाया। “हां साहब, वह बहुत अच्छी लड़की है। पूरे परिवार का बोझ उसी पर है। उसका बाप बीमार है, मां कमजोर और एक छोटा भाई है।”
यह सुनकर दिवाकर का दिल और भी भर आया। एक मासूम लड़की जो पहले से ही जिंदगी की मुश्किलों से जूझ रही है, उसे अब झूठे इल्जाम में भी फंसाया जा रहा है।
“चलो, कीर्ति से मिलते हैं।” दिवाकर ने फैसला किया।
श्याम के साथ वे फैक्ट्री की तरफ निकले। रास्ते में श्याम ने बताया, “साहब, कीर्ति रोज सुबह 6:00 बजे से शाम 6:00 बजे तक काम करती है। फिर शाम को अपने बाप की दवा लेने जाती है।”
फैक्ट्री के बाहर इंतजार करते हुए दिवाकर ने देखा कि मजदूर निकल रहे थे। उनके चेहरों पर थकान थी लेकिन जीने की उम्मीद भी।
श्याम ने इशारा किया। “वह रही कीर्ति।”
एक सादे कपड़ों में लड़की निकली। उसकी उम्र करीब 20 साल होगी। चेहरे पर मासूमियत और आंखों में संघर्ष की कहानी।
श्याम ने आवाज लगाई। “कीर्ति!”
लड़की ने मुड़कर देखा और पहचान गई। “श्याम भाई!”
दिवाकर ने महसूस किया कि यह लड़की सच में बहुत भोली है। उसे पता भी नहीं है कि उसके साथ क्या होने वाला है।
श्याम ने कीर्ति को एक तरफ ले जाकर धीरे से सब कुछ समझाया। कीर्ति का चेहरा पहले हैरानी से भरा। फिर डर से पीला पड़ गया। “लेकिन मैंने तो कुछ नहीं किया।” वह कांपती आवाज में बोली।
दिवाकर ने उसे हिम्मत दी। “बेटी, तुम डरो मत। हम तुम्हारे साथ हैं।”
कीर्ति की आंखों में आंसू आ गए। “साहब, अगर मुझे पकड़ लिया तो मेरे परिवार का क्या होगा? बाबूजी बीमार हैं। मां काम नहीं कर सकती और छोटा भाई अभी पढ़ रहा है।”
उसकी आवाज में दर्द था। दिवाकर ने महसूस किया कि यह लड़की ना सिर्फ अपनी बल्कि पूरे परिवार की जिम्मेदारी संभाल रही है।
“कीर्ति,” दिवाकर ने धीरे से कहा, “मैं तुम्हें वचन देता हूं कि तुम्हारे साथ कोई अन्याय नहीं होगा।”
कीर्ति ने उनकी तरफ देखा। कुछ तो अलग था इस चाय वाले में। उसकी आंखों में जो भरोसा था, उससे कीर्ति को थोड़ा सुकून मिला।
श्याम ने समझाया, “कीर्ति, आज शाम तुम्हें थाने बुलाया जाएगा। वहां कुछ भी कहें, तुम सच बोलना। झूठ मत बोलना। चाहे कितना भी डराएं।”
कीर्ति ने सिर हिलाया। “लेकिन अगर वे मुझे जेल भेज दें तो…?”
दिवाकर ने दृढ़ता से कहा, “ऐसा नहीं होगा। मैं वहां रहूंगा।”
कीर्ति को घर छोड़ने के बाद दिवाकर, श्याम और रामू वापस दुकान पर आए। अब उन्हें योजना बनानी थी। “आज शाम मैं फिर थाने जाऊंगा।” दिवाकर ने कहा। “इस बार मुझे कीर्ति की पूछताछ सुननी है।”
श्याम ने चिंता जताई। “साहब, कहीं आप पकड़े ना जाएं।”
“मैं सावधान रहूंगा।” दिवाकर ने आश्वासन दिया।
उन्होंने अपने कोर्ट की जेब से एक छोटा माइक निकाला। “यह कीर्ति को देना होगा। इससे जो भी बातचीत होगी, वह रिकॉर्ड हो जाएगी।”
आखिरी तैयारी
शाम होते-होते शहर में अफवाहें फैलने लगीं कि कीर्ति को थाने बुलाया गया है। लोग फुसफुसा रहे थे। “वह तो इतनी भली लड़की है। उसने क्या किया होगा?”
दिवाकर ने महसूस किया कि लोग कीर्ति को जानते हैं और उसका सम्मान करते हैं।
रामू की चाय की दुकान पर भी चर्चा हो रही थी। एक बूजुर्ग आदमी कह रहा था, “कीर्ति जैसी बच्ची को कौन परेशान कर रहा है? वह तो घर से काम से घर बस यही करती है।”
यह सुनकर दिवाकर को और भी यकीन हो गया कि वे सही राह पर हैं।
शाम ढलते ही दिवाकर ने फिर से चाय वाले का भेष अपनाया। इस बार उन्होंने चेहरे पर एक पुराना गमछा भी बांधा ताकि पहचाने जाने का जोखिम कम हो।
श्याम ने उन्हें माइक दिया। “साहब, इसे कीर्ति तक पहुंचाना है।”
दिवाकर ने सिर हिलाया और थाने की तरफ निकल गए। थाने पहुंचकर उन्होंने देखा कि माहौल तनावपूर्ण था। कुछ कांस्टेबल बाहर खड़े थे और अंदर से आवाजें आ रही थीं।
दिवाकर ने चाय का थरमस लेकर अंदर जाने की कोशिश की। लेकिन एक कांस्टेबल ने रोक दिया। “आज नहीं, कल आना।”
दिवाकर ने गिड़गिड़ाते हुए कहा, “साहब, गर्म चाय है। ठंडी हो जाएगी।”
कांस्टेबल ने झिड़की दी। “कहा ना, आज नहीं।”
लेकिन तभी अंदर से मुकेश की आवाज आई। “चाय वाले को अंदर भेजो। हमें भी चाय चाहिए।”
दिवाकर को राहत मिली। वे अंदर गए और चाय बांटने लगे। केबिन में कीर्ति एक कुर्सी पर बैठी थी। उसका चेहरा डर से पीला था और आंखों में आंसू थे।
दिनेश यादव और मुकेश कुमार उसे घेर कर खड़े थे। दिवाकर ने चाय का प्याला दिनेश के पास रखते हुए सुना, “देख कीर्ति, हमारे पास तुम्हारे खिलाफ पक्के सबूत हैं। तूने सुमित के घर से सोने की चैन चुराई है।”
कीर्ति रो रही थी। “नहीं साहब, मैंने कुछ नहीं चुराया। मैं तो सुमित को जानती तक नहीं।”
मुकेश ने हंसकर कहा, “झूठ बोल रही है, गवाह भी हैं।”
दिवाकर ने चाय बांटते हुए चुपके से कीर्ति के पास जाकर उसके हाथ में माइक दबा दिया।
कीर्ति ने चौंक कर उनकी तरफ देखा। दिवाकर ने आंखों के इशारे से समझाया कि वह इसे छुपा ले। समझदार लड़की थी। उसने तुरंत माइक को अपनी साड़ी में छुपा लिया।
दिनेश ने फिर धमकी दी। “अगर तू मान जाए कि तूने चोरी की है तो हम तुझे छोड़ देंगे। नहीं तो जेल में सड़ेगी।”
कीर्ति ने कांपती आवाज में कहा, “मैंने कुछ नहीं किया है। मैं क्यों झूठ बोलूं?”
अब हर बात रिकॉर्ड हो रही थी। मुकेश ने कीर्ति को और डराने की कोशिश की। “देख लड़की, रमेश अग्रवाल का बेटा है सुमित। तू जानती है रमेश अग्रवाल कौन है? इस शहर का सबसे बड़ा कारोबारी। उसकी पहुंच कहां तक है?”
कीर्ति की सांसे तेज हो रही थी। “साहब, मैं गरीब हूं लेकिन झूठ नहीं बोलूंगी।”
दिनेश ने मेज पर हाथ मारा। “बहुत जिद कर रही है। ठीक है, कल तुझे कोर्ट में पेश करेंगे। देखते हैं कौन तेरी मदद करता है।”
कीर्ति ने घबरा कर पूछा, “साहब, मुझे घर जाने दीजिए। मेरी मां इंतजार कर रही होगी।”
दिनेश ने कहा, “ठीक है, आज जा लेकिन कल सुबह यहां आना। भागने की कोशिश मत करना, नहीं तो पूरे परिवार को अंदर कर देंगे।”
कीर्ति डरी सहमी उठी और बाहर निकली। दिवाकर भी चाय का काम खत्म करके बाहर आए। उन्होंने कीर्ति को दूर से फॉलो किया।
न्याय की लड़ाई
थाने से निकलते ही कीर्ति रोने लगी। दिवाकर ने उसके पास जाकर कहा, “बेटी, घबराओ मत, माइक दे दो।”
कीर्ति ने रोते हुए माइक निकाल कर दिया। “क्या होगा मेरा?” कीर्ति ने पूछा।
दिवाकर ने उसे सांत्वना दी। “कुछ नहीं होगा। तुम सिर्फ सच बोलते रहना। झूठ का सामना करने के लिए हमेशा सच की जरूरत होती है।”
रामू की चाय की दुकान पर वापस लौटकर दिवाकर ने रिकॉर्डिंग सुनी। श्याम और रामू भी सुन रहे थे। हर बात साफ रिकॉर्ड थी। कैसे दिनेश और मुकेश ने कीर्ति को डराया, कैसे रमेश अग्रवाल का नाम इस्तेमाल किया? और कैसे उन्होंने झूठे इल्जाम की बात की।
“यह तो बहुत बड़ा सबूत है।” श्याम ने कहा।
दिवाकर ने सिर हिलाया। “हां, लेकिन अभी भी यह काफी नहीं है। हमें रमेश अग्रवाल और उसके बेटे सुमित के खिलाफ भी सबूत चाहिए।”
रामू ने पूछा, “तो अब क्या करेंगे साहब?”
दिवाकर ने सोचकर कहा, “कल मैं फिर थाने जाऊंगा। इस बार मुझे सुमित से मिलना है और रमेश अग्रवाल की भी बातें सुननी है।”
उन्होंने योजना बनाई। श्याम अगली सुबह कीर्ति के घर जाकर उसे हिम्मत देगा और दिवाकर थाने में नजर रखेंगे।
उस रात दिवाकर ने अपने घर में बैठकर सोच रहे थे। वे एक जज थे और उन्होंने हमेशा अदालत में न्याय दिया था। लेकिन आज वे महसूस कर रहे थे कि कभी-कभी न्याय की लड़ाई अदालत के बाहर भी लड़नी पड़ती है।
कीर्ति जैसी मासूम लड़की को बचाना उनकी जिम्मेदारी थी।
अगली सुबह श्याम कीर्ति के घर गया। कीर्ति का परिवार एक छोटी सी झोपड़ी में रहता था। उसके पिता बीमारी की वजह से बिस्तर पर पड़े थे। मां घर का काम करती थी और छोटा भाई रवि स्कूल जाता था।
श्याम ने कीर्ति की मां को सब कुछ बताया। “हमारी कीर्ति ने कुछ गलत नहीं किया।”
कीर्ति की मां ने रोते हुए कहा, “वह तो बहुत अच्छी लड़की है। रोज काम पर जाती है। घर आकर खाना बनाती है। बाप की दवा लाती है।”
श्याम ने उन्हें समझाया कि कुछ लोग उनकी मदद कर रहे हैं।
कीर्ति ने डरते हुए पूछा, “श्याम भाई, यह चाय वाला कौन है? वह इतनी मदद क्यों कर रहा है?”
श्याम ने रहस्यमय अंदाज में कहा, “वे बहुत अच्छे इंसान हैं, न्याय में विश्वास रखते हैं।”
रामू के भाई हरी ने उन्हें अपने घर में जगह दी। “चिंता मत करो। यहां आप सुरक्षित हो।”
उधर दिवाकर रामू की चाय की दुकान पर श्याम का इंतजार कर रहे थे। रिकॉर्डिंग सुनकर रामू भी चिंतित था। “साहब, यह तो बहुत गंदा खेल है।”
दिवाकर ने सिर हिलाया। “हां रामू, लेकिन अब हम इसे रोकेंगे।”
श्याम ने ढलते ही वापस आया। “साहब, कीर्ति का परिवार सुरक्षित पहुंच गया।”
उसने राहत से कहा। दिवाकर ने खुश होकर कहा, “अच्छा किया। अब हमें आगे की योजना बनानी है।”
उन्होंने रिकॉर्डिंग दोबारा सुनी। रमेश अग्रवाल की आवाज साफ थी। “मैंने तुम्हें ₹5 लाख दिए हैं।”
यह बहुत बड़ा सबूत है।
श्याम ने कहा, “लेकिन अभी भी हमें और मजबूत सबूत चाहिए। हमें रमेश अग्रवाल के पैसे के लेनदेन का प्रमाण चाहिए।”
रामू ने पूछा, “तो अब क्या करेंगे साहब?”
दिवाकर ने कहा, “मेरा एक पुराना दोस्त है। राकेश सिंह, वह इसी शहर में पुलिस में डीएसपी है। वह ईमानदार आदमी है। मैं उससे मदद मांगूंगा।”
उस रात दिवाकर ने राकेश सिंह को फोन किया। “राकेश, मुझे तुमसे मिलना है। बहुत जरूरी बात है।”
राकेश ने पूछा, “क्या बात है दिवाकर?”
दिवाकर ने कहा, “फोन पर नहीं कह सकता। कल सुबह मिलते हैं।”
अंतिम कार्रवाई
अगली सुबह दिवाकर और राकेश एक पार्क में मिले। दिवाकर ने पूरी कहानी बताई। कीर्ति की मासूमियत से लेकर रमेश अग्रवाल की साजिश तक।
राकेश ने गंभीरता से सुना। “यह तो बहुत गंभीर मामला है।” उसने कहा।
दिवाकर ने रिकॉर्डिंग राकेश को सुनवाई। सुनकर राकेश का चेहरा गुस्से से भर गया। “यह साफ भ्रष्टाचार है। दिनेश और मुकेश को तुरंत गिरफ्तार करना चाहिए।”
लेकिन दिवाकर ने रोका। “राकेश, अगर हमने जल्दबाजी की तो रमेश अग्रवाल बच जाएगा। हमें उसे भी पकड़ना है।”
राकेश ने पूछा, “तो फिर क्या करें?”
दिवाकर ने योजना बताई। “हमें रमेश के बैंक खाते की जानकारी चाहिए। जो 5 लाख उसने दिए हैं, उसका रिकॉर्ड होगा।”
राकेश ने सिर हिलाया। “यह मुश्किल है, लेकिन कोशिश करूंगा।”
दोपहर में राकेश ने अपने संपर्कों से जानकारी जुटाई। “दिवाकर, मुझे पता चला है कि रमेश ने 3 दिन पहले अपने खाते से 5 लाख कैश निकाले थे।”
यह सुनकर दिवाकर को खुशी हुई। “यह परफेक्ट सबूत है।”
उसी दिन दोपहर में दिवाकर ने फैसला किया कि अब समय आ गया है मीडिया की मदद लेने का।
उन्होंने अपने एक पत्रकार मित्र अजय शर्मा को फोन किया। “अजय, मुझे तुमसे मिलना है। बहुत जरूरी बात है।”
अजय ने खुशी से कहा, “हां दिवाकर भाई, आइए। क्या बात है?”
दिवाकर ने कहा, “यह एक बड़ी कहानी है जो शहर को हिला देगी।”
रामू की चाय की दुकान पर मिलकर दिवाकर ने अजय को पूरी कहानी बताई और रिकॉर्डिंग सुनवाई।
अजय का चेहरा हैरानी से भर गया। “यह तो बहुत बड़ा स्कैंडल है। रमेश अग्रवाल इस शहर का बड़ा आदमी है। उसके खिलाफ लिखना आसान नहीं होगा।”
दिवाकर ने दृढ़ता से कहा, “अजय, सच्चाई से डरना नहीं चाहिए। एक निर्दोष लड़की की जिंदगी दांव पर है।”
अजय ने हिम्मत जुटाई। “आप सही कह रहे हैं। मैं यह खबर छापूंगा।”
उस शाम अजय ने अपने अखबार के लिए एक बड़ी खबर तैयार की। “पुलिस कारोबारी गठजोड़, निर्दोष लड़की को फंसाने की साजिश।”
खबर में रमेश अग्रवाल के नाम के साथ-साथ दिनेश यादव और मुकेश कुमार के नाम भी थे।
रात को जब कीर्ति को यह खबर मिली तो उसकी आंखों में उम्मीद की चमक आई। “श्याम भाई, क्या सच में हमारी मदद हो रही है?” उसने पूछा।
श्याम ने हिम्मत दी। “हां, कीर्ति, अब सब ठीक होगा।”
छोटे भाई रवि ने खुशी से कहा, “मैंने कहा था ना, दीदी ने कुछ गलत नहीं किया।”
कीर्ति की मां ने आंसू पोंछ कर कहा, “भगवान का शुक्र है।”
रामू की चाय की दुकान पर भी खुशी का माहौल था। लोग आकर बधाई दे रहे थे।
“रामू भाई, तुम्हारी दुकान से ही तो न्याय निकला है।” एक आदमी ने कहा।
रामू ने मुस्कुरा कर कहा, “यह तो दिवाकर साहब का कमाल है।”
श्याम को दिवाकर, राकेश, अजय और श्याम रामू की दुकान पर मिले। “अब रमेश अग्रवाल की बारी है।” दिवाकर ने कहा।
राकेश ने बताया, “उसे गिरफ्तार करने का वारंट तैयार है।”
“कल सुबह कार्यवाही होगी।” अजय ने खुशी से कहा, “कल का अखबार बहुत धमाकेदार होगा।”
“भ्रष्ट पुलिस वाले गिरफ्तार, अगली बारी कारोबारी की।”
लोग इस खबर का बेसब्री से इंतजार कर रहे थे।
लेकिन रमेश अग्रवाल हार मानने वाला नहीं था। उसने अपने गुंडों को बुलाया। “इस अजय शर्मा को चुप कराओ और वह चाय वाला जो जज निकला है, उसे भी सबक सिखाओ।”
गुंडों ने हामी भरी।
रात को दिवाकर को राकेश का फोन आया। “दिवाकर, सावधान रहना। हमें खबर मिली है कि रमेश के गुंडे तुम्हें और अजय को नुकसान पहुंचाने की योजना बना रहे हैं।”
दिवाकर ने शांति से कहा, “चिंता मत करो राकेश। न्याय के रास्ते पर चलने वालों को डर नहीं लगता।”
अगली सुबह रमेश अग्रवाल की गिरफ्तारी के लिए राकेश की टीम उसके घर पहुंची।
रमेश का घर शहर के सबसे महंगे इलाके में था। बड़ा बंगला, ऊंची दीवारें और सिक्योरिटी गार्ड। लेकिन कानून के सामने यह सब बौन था।
दरवाजे पर दस्तक देने पर सिक्योरिटी गार्ड ने कहा, “साहब, घर में नहीं है।”
राकेश ने सर्च वारंट दिखाया। “हमें घर की तलाशी लेनी है।”
अंदर जाकर उन्होंने देखा कि रमेश की कार गराज में खड़ी है। वह यहीं कहीं छुपा होगा।
राकेश ने कहा, “घर की तलाशी के दौरान हमें एक गुप्त कमरा मिला। वहां रमेश अपने वकील के साथ बैठकर भागने की योजना बना रहा था।”
“रमेश अग्रवाल, आप गिरफ्तार हैं।” राकेश ने कहा।
रमेश ने घमंड से कहा, “तुम जानते नहीं मैं कौन हूं।”
“मेरे पास पैसा है, ताकत है।”
राकेश ने दृढ़ता से जवाब दिया, “मैं जानता हूं आप कौन हैं। एक भ्रष्ट कारोबारी जो निर्दोष लड़की को फंसाने की कोशिश कर रहा था।”
रमेश के वकील ने कानूनी दामपेंच की कोशिश की। “यह गैरकानूनी गिरफ्तारी है।”
लेकिन राकेश के पास मजबूत सबूत थे। दिनेश और मुकेश के बयान, रिकॉर्डिंग और बैंक के कागजात सब कुछ रमेश के खिलाफ थे।
गिरफ्तारी के वक्त रमेश ने धमकी दी, “तुम सबको बर्बाद कर दूंगा। मेरे पास पैसा है, ताकत है।”
लेकिन राकेश ने शांति से कहा, “पैसा और ताकत कानून से बड़ी नहीं होती।”
जब रमेश को हथकड़ी लगाकर ले जाया गया तो बाहर भीड़ जमा हो गई थी। लोग खुशी से नारे लगा रहे थे। “कीर्ति को न्याय मिला। भ्रष्टाचार का अंत हो।”
सुमित अग्रवाल भी घर में मौजूद था। उसे भी गिरफ्तार किया गया। “कीर्ति को परेशान करने और झूठी शिकायत करने के आरोप में।”
बाप बेटे दोनों को एक ही दिन गिरफ्तार देखकर लोगों का भरोसा न्याय व्यवस्था में वापस लौट रहा था।
अजय ने इस पूरी गिरफ्तारी की खबर अपने अखबार के लिए तैयार की।
निष्कर्ष
इस तरह, एक चाय वाले के भेष में जज ने न केवल एक निर्दोष लड़की को बचाया, बल्कि समाज में भ्रष्टाचार के खिलाफ एक मजबूत संदेश भी दिया। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच्चाई और न्याय के लिए कभी भी लड़ाई को छोड़ना नहीं चाहिए।
दिवाकर की साहसिकता और ईमानदारी ने साबित कर दिया कि न्याय का मार्ग कठिन हो सकता है, लेकिन अंततः सच्चाई की जीत होती है।
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Sad News for Amitabh Bachchan Fans as Amitabh Bachchan was in critical condition at hospital!
Sad News for Amitabh Bachchan Fans as Amitabh Bachchan was in critical condition at hospital! . . Amitabh Bachchan’s Hospitalization…
Aishwarya Rais Shocking Step Sued with Bachchan Family & Move to Delhi Court for Linkup with Salman?
Aishwarya Rais Shocking Step Sued with Bachchan Family & Move to Delhi Court for Linkup with Salman? . . Bollywood…
कोच्चि दहल उठा: मछली पकड़ने वाली नाव के डिब्बे से 36 शव बरामद, सीमा पर छिपा चौंकाने वाला सच
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एक अरबपति एक टोकरी में एक बच्चे को पाता है और सच्चाई उसे हमेशा के लिए उसकी नौकरानी से जोड़ देती है
एक अरबपति एक टोकरी में एक बच्चे को पाता है और सच्चाई उसे हमेशा के लिए उसकी नौकरानी से जोड़…
Avika Gor’s grand Wedding with Milind Chandwani on National TV with Tv Actors and Family
Avika Gor’s grand Wedding with Milind Chandwani on National TV with Tv Actors and Family . . Avika Gor and…
Chhannulal Mishra: Classical music legend Chhannulal Mishra passes away, last rites to be performed in Kashi!
Chhannulal Mishra: Classical music legend Chhannulal Mishra passes away, last rites to be performed in Kashi! . . India Mourns…
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