जब इंस्पेक्टर ने खुले आम ऑटो वाले से मांगी रिश्वत | IPS मैडम ने उतरवादी वर्दी

सुबह के करीब 11:00 बजे का समय था। नगर की आईपीएस अधिकारी अनन्या वर्मा एक ऑटो में बैठी हुई थी। ऑटो ड्राइवर को यह बिल्कुल अंदाजा नहीं था कि जो महिला उसकी ऑटो में बैठी हुई है, वह कोई आम महिला नहीं बल्कि नगर की आईपीएस अधिकारी है। अनन्या ने नीले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और देखने में वह बिल्कुल एक सामान्य सी महिला लग रही थी। वह अपने भाई की शादी में शामिल होने के लिए छुट्टी लेकर ऑटो में बैठी घर जा रही थी।

अनन्या ने सोचा कि अपने भाई की शादी में वह आईपीएस अधिकारी के रूप में नहीं बल्कि सिर्फ एक बहन के तौर पर जाएंगी। ऑटो चलाते हुए ड्राइवर रवि ने कहा, “मैडम, आपकी वजह से मैं इस रास्ते से जा रहा हूं। वरना मैं इस रास्ते से बहुत कम जाता हूं।”

सड़क पर समस्या

अनन्या ने ऑटो वाले से पूछा, “लेकिन ऐसा क्यों भैया? इस रास्ते में क्या प्रॉब्लम है?” रवि ने कहा, “मैडम, इस रास्ते पर कुछ पुलिस वाले खड़े रहते हैं। हमारे इलाके का जो इंस्पेक्टर है, वह ऑटो का चालान बिना वजह काटता है और ऑटो वालों से बिना किसी गलती के पैसे वसूलता है। अगर इंस्पेक्टर की बात नहीं मानते तो वह लोगों के साथ मारपीट करता है। आज पता नहीं मेरी किस्मत में क्या लिखा है। ऊपर वाला करे कि इस टाइम पर वो इंस्पेक्टर रास्ते में ना मिले। वरना वह बिना गलती के मुझसे पैसे वसूल करेगा।”

अनन्या मन ही मन सोच रही थी, “क्या सच में यह ऑटो ड्राइवर जो कह रहा है वह सच है? क्या वाकई यहां के थाने का इंस्पेक्टर इतना गलत काम करता है?” थोड़ी ही दूर आगे बढ़ने पर उन्होंने देखा कि सड़क के किनारे इंस्पेक्टर राजीव यादव अपने साथियों के साथ खड़ा था और वाहनों की चेकिंग कर रहा था।

पुलिस का उत्पीड़न

जैसे ही ऑटो उनके सामने पहुंचा, इंस्पेक्टर राजीव यादव ने लाठी से इशारा करके ऑटो को रोक दिया। फिर वह गुस्से में बोला, “अरे ओ पायलट, नीचे उतर। तेरे बाप की सड़क है क्या? इतनी तेज स्पीड में ऑटो चला रहा है। कानून का कोई डर नहीं है क्या? चल अब जल्दी से 5000 का चालान भर।” इतना कहकर इंस्पेक्टर ने चालान बुक निकाल ली।

ड्राइवर रवि डरते हुए बोला, “साहब, मैंने कोई नियम नहीं तोड़ा। आप किस बात का चालान काट रहे हैं? कृपया ऐसा मत कीजिए। मेरी कोई गलती नहीं है। और अभी मेरे पास इतने पैसे भी नहीं है। मैं आपको ₹5,000 कहां से दूं?” यह सुनकर इंस्पेक्टर राजीव और भड़क गया। उसने ऊंची आवाज में कहा, “ज्यादा जबान मत चला मेरे सामने। पैसे नहीं हैं तो ऑटो क्या फ्री में चलता है क्या? जल्दी से ऑटो के कागज निकाल। कहीं यह ऑटो चोरी का तो नहीं है?”

इंस्पेक्टर की दादागिरी

ड्राइवर ने जल्दी से सारे कागज निकाल कर दिखा दिए। कागज बिल्कुल ठीक थे। सब कुछ पूरा था। लेकिन इंस्पेक्टर राजीव ने फिर भी कहा, “कागज तो सही है लेकिन चालान तो भरना ही पड़ेगा। अब 5000 नहीं तो 3000 ही दे दे। वरना तेरी यह ऑटो अभी सीज कर दूंगा।” पास खड़ी अनन्या वर्मा यह सब कुछ ध्यान से देख और सुन रही थी। उन्होंने देखा कि किस तरह इंस्पेक्टर राजीव एक गरीब, लाचार और मेहनती ऑटो ड्राइवर को बिना वजह परेशान कर रहा था।

उनके मन में गुस्सा तो आया पर उन्होंने खुद को शांत रखा ताकि पहले पूरी सच्चाई समझ सकें और फिर सही समय पर कार्रवाई कर सकें। ऑटो ड्राइवर ने डरते हुए इंस्पेक्टर से कहा, “साहब, इतने पैसे मैं कहां से लाऊं? अभी तक तो सिर्फ ₹300 की ही कमाई हुई है। मैं कैसे आपको ₹5000 दूं? प्लीज छोड़ दीजिए साहब। जाने दीजिए। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं गरीब आदमी हूं। दिन रात मेहनत करके अपने परिवार का पेट पालता हूं। मुझ पर रहम कीजिए साहब।”

अनन्या का हस्तक्षेप

लेकिन इंस्पेक्टर राजीव को जरा भी दया नहीं आई। वह गुस्से में भर उठा। उसने ड्राइवर का गिरेबान पकड़कर उसे बुरी तरह मारना शुरू कर दिया और चिल्लाते हुए बोला, “जब पैसे नहीं हैं तो ऑटो क्यों चलाता है? तेरे बाप की सड़क है क्या जो इतनी स्पीड में ऑटो चलाएगा? ऊपर से मुझसे जबान लड़काता है? चल तुझे थाने का मजा चखाते हैं।”

इतना सुनते ही अनन्या खुद को रोक नहीं पाई। वह तुरंत आगे बढ़ी और इंस्पेक्टर के सामने खड़ी होकर बोली, “इंस्पेक्टर, आप बिल्कुल गलत कर रहे हैं। जब ड्राइवर ने कोई गलती नहीं की, तो आप उसका चालान क्यों काट रहे हैं? ऊपर से आपने उसके साथ मारपीट की। यह कानून का उल्लंघन है। आपको कोई हक नहीं है किसी गरीब पर इस तरह अत्याचार करने का। इसे जाने दीजिए।”

राजीव का गुस्सा

इंस्पेक्टर राजीव पहले से ही गुस्से में था। अनन्या की बात सुनकर वह और भड़क गया। उसने ताव में कहा, “अच्छा, अब तू मुझे सिखाएगी कि कानून क्या होता है। बहुत जबान चल रही है तेरी। लगता है तुझे भी जेल की हवा खिलानी पड़ेगी। चल अब दोनों एक साथ जेल में रहना।”

अनन्या का चेहरा गुस्से से लाल हो गया। पर उन्होंने अपने आप पर काबू रखा। वह देखना चाहती थीं कि इंस्पेक्टर आखिर किस हद तक गिर सकता है। इंस्पेक्टर राजीव को यह जरा भी अंदाजा नहीं था कि उसके सामने खड़ी यह असाधारण सी साड़ी पहनी महिला कोई आम औरत नहीं बल्कि नगर की आईपीएस अधिकारी अनन्या वर्मा है।

थाने में प्रवेश

राजीव ने अपने साथियों को आदेश दिया, “चलो, दोनों को थाने ले चलो। वहीं देखेंगे इन दोनों की कितनी जबान चलती है।” तभी दो पुरुष कांस्टेबल और दो महिला कांस्टेबल आगे बढ़े और उन्होंने ऑटो ड्राइवर और अनन्या को पकड़ लिया। जब वे थाने पहुंचे तो इंस्पेक्टर राजीव ने कहा, “इन्हें यहीं बैठा दो। अब यहां देखते हैं यह दोनों क्या करते हैं। इनकी औकात तो इन्हें दिखानी पड़ेगी।”

हवलदारों ने दोनों को एक बेंच पर बिठा दिया। पास ही एक कॉल आई और राजीव ने फोन उठाते हुए कहा, “हां, आपका सब काम हो जाएगा। उस केस में आपका नाम नहीं आएगा। बस मेरे पैसे तैयार रखना। टेंशन मत लो। मैं आपका सारा काम कर दूंगा।” अनन्या और ऑटो ड्राइवर दोनों बैठकर यह सब सुन रहे थे।

अनन्या ने देखा कि यह इंस्पेक्टर ना केवल सड़कों पर लोगों को परेशान करता है बल्कि थाने के अंदर भी रिश्वत लेकर काम निपटाता है। यह गरीबों को लूटता है और उनका हक मारता है। अनन्या गुस्से को दबाए रखें। वह जानती थी कि अभी तात्कालिक गुस्से में कुछ करना ठीक नहीं होगा। असली मुकाबला सबूतों और सही तरीके से करना है ताकि पूरा पुलिस प्रशासन और नगर यह देख सके।

योजना बनाना

वह अंदर से योजना बना रही थी कि किस तरह इसे सबके सामने बेनकाब किया जाए। पास बैठा ऑटो ड्राइवर परेशान था। वह अपने घर और बच्चों की चिंता कर रहा था। अनन्या ने उसकी तरफ देखा और शांत स्वर में कहा, “आप घबराइए मत। यह इंस्पेक्टर आपका कुछ नहीं कर पाएगा। मैं आपके साथ हूं। मैंने सब देख लिया है और मैं इसे बेनकाब करूंगी। आप निश्चिंत रहें। आपकी कोई गलती नहीं है। आप सुरक्षित हैं। मैं कोई आम महिला नहीं हूं। मैं आईपीएस अफसर अनन्या वर्मा हूं। मैं इस इंस्पेक्टर के सारे काले कामों का पता लगा रही हूं। इसलिए अभी चुप रहकर सब देख रही हूं। फिर सब साफ करके इसकी औकात लोगों के सामने दिखाऊंगी।”

यह सुनकर ऑटो ड्राइवर को थोड़ा सुकून मिला। उसने एक गहरी सांस ली और बोला, “क्या आप सच में आईपीएस मैडम हैं? लेकिन जब मेरे साथ यह सब हो रहा था, तो आपने कुछ क्यों नहीं कहा? मुझे बचाया क्यों नहीं? आप कहीं झूठ तो नहीं बोल रही या आप इन लोगों से मिली तो नहीं हैं?” ड्राइवर थोड़ा घबराया हुआ था।

अनन्या ने उसे शांति से भरोसा दिलाया, “नहीं, मैं इन लोगों से नहीं मिली हूं। मैं सच में इस इंस्पेक्टर को बेनकाब करने के लिए चुप बैठी हूं। बस मैं देख रही हूं कि इंस्पेक्टर और कितने गलत गैरकानूनी काम करता है। इसलिए अभी चुप हूं। वरना चाहूं तो इसे तुरंत सस्पेंड भी करवा सकती हूं। तुम थोड़ा धैर्य रखो, फिर देखो मैं इसका क्या हाल करती हूं।”

राजीव की धौंस

कुछ देर बाद इंस्पेक्टर राजीव अपने केबिन में चला गया। फिर उसने एक हवलदार को बुलाया और कहा, “उस ऑटो ड्राइवर को बुलाकर लाऊं।” हवलदार बाहर गया और ड्राइवर से बोला, “साहब ने आपको अंदर बुलाया है।” यह सुनकर ड्राइवर डर गया। मगर अनन्या ने उसे हिम्मत दी और कहा, “तुम परेशान मत हो, जो भी होगा मैं सब देख लूंगी।”

वह इंस्पेक्टर के पास गया। राजीव ने ड्राइवर को देखकर हंसते हुए कहा, “देख, अगर तुझे तेरी ऑटो बचानी है तो तुझे 5000 देने ही होंगे। वरना तेरी ऑटो सीज कर दूंगा। ऊपर से तू मेरा दुश्मन भी बन जाएगा। पूरे इलाके में मेरा ही राज चलता है। मैं जो चाहूं वो कर सकता हूं। मुझसे टक्कर मत लेना। जो मैं कह रहा हूं वही कर। जल्दी से 5000 का चालान भर दे।”

ड्राइवर का दिल जोर से धड़कने लगा। वह रोते हुए बोला, “सर, ऐसा मत कीजिए। मेरा हाल देखिए। अभी मेरे पास इतने पैसे नहीं हैं। प्लीज मुझे छोड़ दीजिए। मेरे छोटे-छोटे बच्चे हैं। मैं उन्हें क्या खिलाऊंगा?”

पैसे की मांग

इंस्पेक्टर गुस्से में बोला, “देख, मैं तेरी कोई बात नहीं सुनूंगा। पैसे दे वरना तू बर्बाद होगा। तेरे परिवार को भी नुकसान होगा। अब पैसे तो तुझे देने पड़ेंगे।” डर की वजह से ड्राइवर ने झट से जेब से ₹2000 निकालकर इंस्पेक्टर को दे दिए और कहा, “मेरे पास बस इतना ही है। प्लीज यह रख लीजिए और मुझे जाने दीजिए।”

इंस्पेक्टर पैसे लेते हुए बोला, “ठीक है, जा बाहर जाकर बैठ जा और अब उस औरत को भेज जो तेरे साथ आई थी।” ड्राइवर बाहर आया और बोला, “मैडम, अब साहब आपको बुला रहे हैं।” अनन्या बिना झिझक उठी और अंदर चली गई।

अनन्या का साहस

इंस्पेक्टर राजीव ने पूछा, “नाम क्या है तुम्हारा?” अनन्या ने आत्मविश्वास भरी आवाज में कहा, “मेरे नाम से आपको क्या मतलब है? आप अपनी बताइए। आपने किस लिए बुलाया है?” इंस्पेक्टर हैरान रह गया। उसे विश्वास नहीं हो रहा था कि एक आम औरत इतनी हिम्मत और आत्मविश्वास के साथ उससे इस तरह बात कर रही है।

वो बोला, “देखो, ज्यादा अकड़ मत दिखाओ। हमारे पास हर अकड़ की दवा है। अभी दो डंडे पड़ेंगे तो सब अकड़ निकल जाएगी। अगर घर जाना है तो जल्दी से 2000 निकालो वरना जेल की हवा खानी पड़ेगी।”

अनन्या ने बेखौफ होकर जवाब दिया, “मैं आपको ₹1 भी नहीं दूंगी। मैंने कोई गलती नहीं की है। आप मुझसे किस बात के पैसे मांग रहे हैं? बिना वजह आपको पैसे देने का क्या मतलब? आप कानून का पालन कर रहे हैं या खुद कानून तोड़ रहे हैं? आपने जो यह वर्दी पहनी है, उसका मतलब क्या? सिर्फ गरीबों को डराना है, उनसे पैसे हटाना है। क्या यही आपकी ड्यूटी है?”

यह सुनकर इंस्पेक्टर राजीव और भड़क गया। उसने गुस्से में हवलदार को बुलाया और चिल्लाते हुए कहा, “अभी इस औरत को जेल में बंद करो।” हवलदार ने आदेश मानते हुए अनन्या को लॉकअप में डाल दिया। किसी को भी इस बात का अंदाजा नहीं था कि आज जो कुछ हो रहा है उसके नतीजे कितने गंभीर होने वाले हैं।

सौरभ का आगमन

अनन्या बिना कुछ बोले शांत खड़ी रही। उनकी आंखों में गुस्सा नहीं बल्कि दृढ़ निश्चय झलक रहा था। कुछ देर बाद थाने के बाहर एक पुलिस की गाड़ी आकर रुकी। गाड़ी से इंस्पेक्टर सौरभ मेहरा बाहर निकले। उनके चेहरे पर सख्ती और गुस्सा साफ झलक रहा था।

वे सीधे थाने के अंदर गए और एक हवलदार से बोले, “सुनो, यहां किसी औरत को लॉकअप में बंद किया गया है। मुझे उसे देखनी है।” हवलदार थोड़ा अटक कर बोला, “हां सर।” तभी अंदर से इंस्पेक्टर राजीव बाहर आया और बोला, “कौन है रे? क्या बात है?”

सौरभ ने उसे देखते हुए कहा, “सुना है तुमने किसी औरत को लॉकअप में डाल दिया है। मुझे वह दिखानी है।” राजीव बोला, “हां, डाला है। चलिए दिखाता हूं।” इतना कहकर राजीव सौरभ को लेकर लॉकअप के पास गया। उसे जरा भी पता नहीं था कि अब जो होने वाला है, वह उसकी जिंदगी का सबसे बड़ा झटका बनने वाला है।

सच्चाई का खुलासा

लॉकअप में बंद महिला को देखकर इंस्पेक्टर सौरभ चिल्ला उठा, “यह तुमने क्या किया? तुम्हें पता है यह कौन है? यह हमारी नगर की आईपीएस मैडम है।” राजीव के पैर तले जमीन खिसक गई। वो डरते हुए बोला, “यह ये आईपीएस मैडम है। मुझे बिल्कुल अंदाजा नहीं था।”

सौरभ ने तुरंत हवलदार को इशारा किया। हवलदार ने लॉकअप खोला और अनन्या बाहर आई। अनन्या ने शांत और ठंगी आवाज में पूरी बात सौरभ को बताई कि कैसे राजीव ने ऑटो ड्राइवर को रोका, पैसे मांगे, ड्राइवर के साथ मारपीट की, उन्हें थाने ले जाकर परेशान किया और बाद में लॉकअप में बंद कर दिया।

जांच की शुरुआत

अनन्या ने बताया कि वे सब कुछ देख रही थीं ताकि इस इंस्पेक्टर की करतूतों को साबित किया जा सके। सौरभ समझ गए कि मामला बहुत गंभीर है। उन्होंने तत्काल बाहर निकले और आगे की कार्रवाई शुरू की। सबसे पहले उन्होंने आधिकारिक चैनलों के जरिए अपने वरिष्ठ अधिकारी एएसपी को मामले की जानकारी भेजी।

फोन पर सूचना के साथ लिखित रिपोर्ट भी भेजी गई ताकि हर कदम का रिकॉर्ड रहे। एएसपी ने रिपोर्ट देखकर स्थिति गंभीर पाई और उन्होंने नगर प्रशासन को नियमों के अनुसार आधिकारिक सूचना भेजी। डीएम अरविंद सिंह और एसपी दोनों ही मामले की गंभीरता देखते हुए थाने पर पहुंचे।

डीएम का हस्तक्षेप

डीएम थाने पर आए और वहां का पूरा मामला देखा। डीएम ने राजीव से पूछा, “तुमने किस अधिकार से किसी महिला को इस तरह थाने में ठहराया और बिना वजह लॉकअप में डाला?” डीएम ने स्पष्ट कहा कि यह कार्य कानून का उल्लंघन है। गरीब नागरिकों से रिश्वत मांगना और जानबूझकर पिटाई करना आपराधिक कृत्य है।

उन्होंने तुरंत निर्देश दिया कि मामले की जांच कराई जाए। संबंधित के खिलाफ आपराधिक कार्यवाही और अनुशासनात्मक कदम उठाए जाएं और तत्काल प्रभाव से पीड़ितों के संरक्षण हेतु कदम उठाए जाए ताकि पीड़ितों को न्याय मिल सके। अनन्या ने कहा कि वह इस मामले में गवाही देंगी और साथ में ऑटो ड्राइवर भी गवाही देगा।

न्याय की ओर कदम

डीएम ने कहा कि आज ही विस्तृत जांच और कार्रवाई के आदेश दिए जाएंगे ताकि आगे कोई भी ऐसे दुरुपयोग की हिम्मत न करें। डीएम अरविंद सिंह ने तुरंत संबंधित एसपी और विजिलेंस विभाग को निर्देश दिए कि वे मामले की पूरी जांच करें। उन्होंने कहा कि राजीव के खिलाफ तुरंत अनुशासनात्मक और आपराधिक कार्यवाही की जाए और पीड़ित ऑटो ड्राइवर और आईपीएस अनन्या को न्याय दिलाया जाए।

अनन्या ने डीएम को पूरी घटना विस्तार से बताई। उन्होंने कहा कि यह सिर्फ उनका मामला नहीं है बल्कि नगर के कई गरीब और छोटे व्यवसाई इसी तरह के अत्याचारों के शिकार होते हैं। उन्होंने अपना बयान आधिकारिक रिपोर्ट में दर्ज करवाया ताकि कोई भी इसे दबा न सके।

जांच की प्रक्रिया

ऑटो ड्राइवर रवि से भी पूछताछ हुई। रवि ने डीएम और जांच अधिकारियों के सामने बताया कि किस तरह राजीव ने बिना किसी कारण के चालान भरने और पैसे मांगने की धमकी दी थी। उसने बताया कि अगर वह पैसे नहीं देता तो उसकी ऑटो सीज हो जाती और परिवार भूखा मर जाता। रवि का बयान भी आधिकारिक फाइल में दर्ज किया गया।

विजिलेंस टीम ने थाने के रिकॉर्ड और सीसीटीवी फुटेज का अध्ययन किया। उन्होंने देखा कि राजीव कई बार ऑटो चालकों और गरीब लोगों को डराकर पैसे वसूलता रहा है। अधिकारियों ने तुरंत आदेश दिया कि राजीव को निलंबित कर हिरासत में रखा जाए ताकि जांच निष्पक्ष रूप से हो सके।

निलंबन और कार्रवाई

कुछ ही दिनों में आधिकारिक जांच रिपोर्ट तैयार हुई। रिपोर्ट में स्पष्ट लिखा गया कि राजीव ने कई नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया और उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमे और अनुशासनात्मक कार्रवाई की सिफारिश की गई। डीएम ने आदेश जारी किया कि राजीव को थाने से हटाकर निलंबित किया जाए और उसके खिलाफ लंबी अवधि की जांच और कानूनी कार्रवाई शुरू की जाए। साथ ही सभी प्रभावित नागरिकों की सुरक्षा और राहत के लिए विशेष प्रबंध किए जाएं।

आईपीएस अनन्या वर्मा ने मीडिया से बात करते हुए कहा कि आज का फैसला सिर्फ मेरे लिए नहीं बल्कि उन सभी गरीब और मेहनतकश लोगों के लिए है जिन्हें अक्सर वर्दी के नाम पर डर और अन्याय का सामना करना पड़ता है। कानून सबके लिए समान होना चाहिए। कोई भी अधिकारी, चाहे वह किसी भी पद पर हो, कानून तोड़ने का हक नहीं रखता।

सच्चाई की जीत

हमारे प्रयासों से यह संदेश जाएगा कि अन्याय के खिलाफ खड़ा होना और सत्य का साथ देना सबसे बड़ा कर्तव्य है। जज पूरी होने के बाद मामला कोर्ट में पहुंचा। अनन्या और ऑटो ड्राइवर रवि ने अपने बयान दिए। कानून ने सभी सबूतों और गवाहों की बातें ध्यान से सुनी।

यह स्पष्ट हो गया कि इंस्पेक्टर राजीव ने ना केवल गरीब नागरिकों के अधिकारों का उल्लंघन किया बल्कि अपनी वर्दी का दुरुपयोग करते हुए निर्दोष लोगों से पैसे वसूले। कोर्ट ने ठोस फैसले के साथ आदेश दिया कि राजीव को तत्काल प्रभाव से निलंबित रखा जाए और उसके खिलाफ आपराधिक मुकदमा दर्ज किया जाए।

न्याय का संदेश

अदालत ने साफ शब्दों में कहा कि जो अधिकारी जनता को डराते, धमकाते और लूटते हैं, उनके खिलाफ सख्त से सख्त कार्रवाई की जाएगी। कोर्ट से बाहर आते हुए आईपीएस अनन्या वर्मा ने पत्रकारों और आम जनता की ओर देखकर कहा कि आज का फैसला सिर्फ मेरे लिए नहीं है बल्कि उन सभी लोगों के लिए है जो वर्दी के नाम पर डर और अन्याय झेलते रहे हैं।

कानून सबके लिए समान होना चाहिए। जब तक कानून का सही इस्तेमाल नहीं होगा, समाज सुरक्षित नहीं रह सकता। न्याय मिलने से ही जनता में विश्वास और सुरक्षा का भरोसा बनता है। इस फैसले ने नगर के सभी अधिकारियों के लिए एक स्पष्ट संदेश भेजा कि वर्दी का मतलब सेवा और सुरक्षा है। डर और लूट नहीं।

जनता का समर्थन

जनता ने राहत की सांस ली और पूरे नगर में यह खबर फैल गई कि भ्रष्टाचार बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। दोस्तों, यह कहानी किसी की भावनाओं को ठेस पहुंचाने का उद्देश्य नहीं रखती, ना ही किसी जाति, धर्म या पेशे को नीचा दिखाने का। इसका असली मकसद सिर्फ और सिर्फ आपको जागरूक और सचेत करना है ताकि आप हमेशा सतर्क और सुरक्षित रह सकें।

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