जब बैंक का सिस्टम ठप हो गया ; तो सफाई कर्मचारी की बेटी ने जो किया , सब हैरान रह गये ….

गर्मियों की दोपहर थी। आसमान से सूरज मानो आग बरसा रहा था। गाँव के सरकारी स्कूल में आधे दिन की छुट्टी हो गई थी। बच्चे खुशी-खुशी घरों की ओर भाग रहे थे। उसी समय रमेश, जो कस्बे के सबसे बड़े बैंक में सफाई कर्मचारी था, अपनी दस वर्षीय बेटी काव्या को लेने स्कूल पहुँचा।

काव्या ने पिता को देखते ही दौड़कर उनकी गोद में छलाँग लगा दी।
“पापा, आज जल्दी छुट्टी हो गई,” उसने मासूम मुस्कान के साथ कहा।
रमेश मुस्कुराया—“हाँ बेटी, अच्छा हुआ। वैसे अब तुम मेरे साथ बैंक चलो। मुझे थोड़ी देर सफाई करनी है। फिर हम दोनों साथ घर चलेंगे।”

काव्या ने भोलेपन से पूछा, “लेकिन पापा, मैं वहाँ क्या करूँगी?”
रमेश ने प्यार से उसके सिर पर हाथ फेरते हुए कहा—“बस, चुपचाप बैठ जाना। चाहो तो किताब पढ़ लेना। कभी मेरा काम देख लेना।”

बैंक में अफरातफरी

जैसे ही दोनों बैंक पहुँचे, वहाँ का नज़ारा अजीब था। कतारों में खड़े लोग बेचैन थे, कर्मचारी परेशान थे और हर किसी के चेहरे पर चिंता साफ झलक रही थी।

दरअसल, सुबह से ही बैंक का कंप्यूटर सिस्टम गड़बड़ कर रहा था। स्क्रीन पर बार-बार लाल अक्षरों में संदेश आता—
“System Error! Please Try Again Later.”

किसानों के खातों से सब्सिडी अटकी हुई थी, व्यापारियों का लेन-देन रुका था, और विद्यार्थियों की फीस भी जमा नहीं हो पा रही थी। लाखों-करोड़ों का लेन-देन ठप हो गया था।

ग्राहक गुस्से में चिल्ला रहे थे—
“अरे बाबूजी, मेरे बेटे की फीस भरनी है, सुबह से खड़ा हूँ।”
“मेरा माल ट्रक में लदा है, भुगतान नहीं हुआ तो भारी नुकसान होगा!”

मैनेजर श्री वर्मा लगातार फोन पर आईटी टीम से मदद माँग रहे थे। लेकिन हर बार जवाब मिलता—“कुछ समय लगेगा।”

सफाईकर्मी की बेटी

इसी अफरातफरी में रमेश झाड़ू और थैला लेकर अंदर आया। उसके साथ नन्हीं काव्या भी थी।
भीड़ देखकर काव्या ने धीरे से पिता का हाथ खींचा—
“पापा, ये सब इतने परेशान क्यों हैं? क्या कंप्यूटर खराब हो गया है?”
रमेश ने आह भरते हुए कहा—“हाँ बेटी, सिस्टम खराब है। इंजीनियर आएँगे तभी ठीक होगा।”

काव्या की जिज्ञासा और बढ़ गई। उसने मासूमियत से कहा—
“पापा, अगर मैं देखूँ तो शायद ठीक कर दूँ।”
रमेश हँस पड़े—“नहीं बिटिया, यह बच्चों का खेल नहीं। यहाँ करोड़ों का काम होता है।”

विशेषज्ञ की असफलता

करीब आधे घंटे बाद एक टेक्निकल विशेषज्ञ लैपटॉप लेकर पहुँचा। सबकी उम्मीदें उस पर टिक गईं। वह तेजी से कोड्स टाइप करने लगा, सर्वर चेक किया, रीस्टार्ट किया। लेकिन नतीजा वही—
“Critical Error! System Failure.”

मैनेजर घबरा गए। पसीना उनके माथे से टपक रहा था। उन्होंने विशेषज्ञ से पूछा—“क्यों ठीक नहीं हो रहा? आप तो एक्सपर्ट हैं ना?”
विशेषज्ञ ने निराश होकर कहा—“सर, यह सामान्य खराबी नहीं है। सिस्टम किसी हैकर ने अपने कब्ज़े में ले लिया है। पैसा अपने आप दूसरी जगह ट्रांसफर हो रहा है।”

यह सुनते ही सबकी साँसें थम गईं। बैंक मैनेजर का चेहरा पीला पड़ गया। वे समझ गए कि यह तो बहुत बड़ी मुसीबत है।

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