जब बैंक के मालिक बैंक में बुजुर्ग बनकर गए , मेनेजर ने धक्के मारकर निकला फिर जो हुआ …

सुबह के 11:00 बजे थे। शहर के सबसे बड़े बैंक में एक साधारण से कपड़े पहने हुए बुजुर्ग व्यक्ति दाखिल होते हैं। उनके हाथ में एक पुराना सा लिफाफा था। जैसे ही वह बैंक में प्रवेश करते हैं, अंदर मौजूद सभी ग्राहक और बैंक कर्मचारी उन्हें अजीब नजरों से देखने लगते हैं। इस बुजुर्ग व्यक्ति का नाम था चरण दास। चरण दास जी के एक हाथ में छड़ी थी और दूसरे में वही पुराना लिफाफा। वह धीरे-धीरे ग्राहकों के लिए बने काउंटर की तरफ बढ़ते हैं।

काउंटर पर एक महिला कर्मचारी बैठी थी, जिसका नाम था सीमा। बैंक के अंदर मौजूद हर व्यक्ति की निगाहें चरण दास जी पर टिकी हुई थीं। धीरे-धीरे चरण दास जी सीमा के पास पहुंचते हैं और बड़ी विनम्रता से कहते हैं, “देखिए बेटी, मेरे खाते में कुछ गड़बड़ हो गई है। यह ठीक से चल नहीं रहा है।” यह कहते हुए चरण दास जी लिफाफा सीमा की तरफ बढ़ाते हैं।

लेकिन सीमा चरण दास जी के कपड़ों को देखकर उन्हें परखती है और कहती है, “बाबा, कहीं आप गलत बैंक में तो नहीं आ गए? मुझे नहीं लगता कि आपका खाता इस बैंक में होगा।”

तभी चरण दास जी सहजता से कहते हैं, “बेटी, एक बार तुम देख तो लो। शायद मेरा खाता इसी बैंक में हो।” सीमा लिफाफा रखते हुए उनसे कहती है, “बाबा, इसमें थोड़ा समय लगेगा और आपको थोड़ी देर इंतजार करना होगा।” इतना कहकर सीमा और बैंक में मौजूद अन्य लोगों का काम करने लगती है।

धैर्य और सम्मान

चरण दास जी वहीं खड़े होकर इंतजार करने लगते हैं। थोड़ी देर तक इंतजार करने के बाद वह दोबारा कहते हैं, “बेटी, अगर तुम थोड़ी व्यस्त हो तो तुम मैनेजर को फोन कर दो। दरअसल, मुझे उनसे भी कुछ काम है, तो मैं उनसे कुछ बात कर लूंगा।”

इसके बाद सीमा ना चाहते हुए भी अपना फोन उठाती है और मैनेजर सुनील के केबिन का नंबर डायल करती है। उसने फोन करके मैनेजर को बताया कि एक बुजुर्ग व्यक्ति उनसे मिलना चाहते हैं।

मैनेजर सुनील चरण दास जी को दूर से ही देखता है। चरण दास जी बड़े साधारण दिख रहे थे। मैनेजर सुनील फोन पर सीमा से पूछता है, “क्या यह हमारे बैंक का ग्राहक है या ऐसे ही कोई मुंह उठाकर चला आया है?”

सीमा कहती है, “सर, यह बात तो मुझे नहीं पता। लेकिन यह आपसे मिलने की बात कर रहे हैं।” तब मैनेजर सुनील कहता है, “ऐसे लोगों के लिए मेरे पास समय नहीं है। तुम ऐसा करो, इन्हें बिठा दो। थोड़ी देर बैठकर यहां से चले जाएंगे।”

अपमान का सामना

मैनेजर सुनील के आदेश अनुसार सीमा चरण दास जी को वेटिंग एरिया में बैठा देती है। वह कहती है, “बाबा, आप वहां बैठ जाओ। थोड़ी देर में मैनेजर साहब फ्री हो जाएंगे और उसके बाद आपसे मिल लेंगे।”

चरण दास जी वहां से टहलते हुए वेटिंग एरिया की तरफ चले जाते हैं और कोने में रखी एक कुर्सी पर जाकर बैठ जाते हैं। सभी लोग अभी भी चरण दास जी की तरफ देख रहे थे क्योंकि वहां जितने भी ग्राहक आते थे, वे सूट बूट में होते थे, जबकि चरण दास जी ने साधारण कपड़े पहन रखे थे।

देखने से भी नहीं लग रहा था कि उनका खाता इस बैंक में होगा क्योंकि इस बैंक में अमीर लोगों के खाते होते थे। इसी वजह से चरण दास जी आकर्षण का केंद्र बन गए थे और सभी लोग उन्हें घूर-घूर कर देख रहे थे और उनके बारे में तरह-तरह की बातें बना रहे थे।

यह बातें चरण दास जी को भी सुनाई देती हैं। लेकिन वह इन सभी चीजों को अनदेखा करते हैं और अपना नंबर आने का इंतजार करते रहते हैं। वह सोचते हैं कि थोड़ी देर में मैनेजर आएगा और मैं उससे बात कर लूंगा।

एक नई मुलाकात

बैंक के अंदर एक और व्यक्ति छोटी पोस्ट पर काम करता था, जिसका नाम था अमित। अमित अभी बाहर गया हुआ था और जैसे ही वह बैंक के अंदर आता है, तो वह देखता है कि एक बुजुर्ग व्यक्ति वेटिंग एरिया में बैठा हुआ है, जिसकी तरफ सभी लोग देख रहे हैं और उसके बारे में तरह-तरह की बातें कर रहे हैं। कोई उसे भिखारी कह रहा है, तो कोई कह रहा है कि इस बैंक में तो इसका खाता हो ही नहीं सकता और यह यहां कैसे आ गया?

अमित यह सभी बातें सुन लेता है। इसके बाद अमित सीधा चरण दास जी के पास जाता है और बड़े आदर भाव से उनसे पूछने लगता है, “बाबा, आप यहां क्यों आए हो और क्या काम है आपको?” अमित को यह सब कुछ बहुत बुरा लगता है। वह बुजुर्ग व्यक्ति की हालत देखकर थोड़ा परेशान हो जाता है और इसी वजह से उनसे पूछने गया था।

चरण दास जी अमित को बताते हैं, “मुझे मैनेजर से मिलना है और उससे मुझे कुछ काम है।” यह बात सुनकर अमित उनसे कहता है, “ठीक है बाबा, आप थोड़ी देर यहां इंतजार करो। मैं अभी मैनेजर से बात करके आता हूं।”

इसके बाद अमित मैनेजर सुनील के केबिन में जाता है और उन्हें उस बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में बताता है। लेकिन मैनेजर सुनील पहले से ही उस बुजुर्ग व्यक्ति के बारे में जानता था और कहने लगता है, “मुझे पता है, मैंने ही उसे वहां बिठा रखा है। थोड़ी देर वहां बैठेगा और बैठने के बाद वहां से चला जाएगा।”

अपमान की पुनरावृत्ति

इसके बाद मैनेजर सुनील अमित को कोई और काम बता देता है और कहता है, “तुम अपना काम कर लो और तुम्हें इस चीज से कोई मतलब नहीं है।” अब अमित दूसरे काम में लग जाता है और धीरे-धीरे उस बुजुर्ग व्यक्ति को वहां बैठे हुए लगभग एक घंटा हो गया था।

एक घंटे तक बुजुर्ग व्यक्ति अपना धैर्य रखते हैं। लेकिन उसके बाद उन्हें यह बात सहन नहीं होती। वह खड़े होते हैं और मैनेजर सुनील के केबिन की तरफ बढ़ने लगते हैं। जैसे ही वह मैनेजर सुनील के केबिन की तरफ बढ़ते हैं, मैनेजर देखता है कि वह बुजुर्ग व्यक्ति उसके पास ही आ रहा है।

तो वह फौरन अपने केबिन से बाहर निकलता है और उस बुजुर्ग व्यक्ति के सामने खड़ा हो जाता है और अकड़ते हुए पूछने लगता है, “हां बाबा, बताइए आपको क्या काम है?”

सच्चाई का सामना

चरण दास जी अपना लिफाफा आगे बढ़ाते हुए कहने लगते हैं, “बेटा, यह देखो मेरे बैंक अकाउंट की डिटेल इसके अंदर है और मेरे बैंक अकाउंट से कोई भी लेनदेन नहीं हो पा रहा है। आप देखकर यह बताइए कि इसमें क्या दिक्कत है?”

अब इस बात को सुनकर मैनेजर सुनील थोड़ी देर तक सोच विचार करता है और कहता है, “बाबा, जब किसी बैंक अकाउंट में पैसे नहीं रहते तो ऐसा ही हो जाता है। मेरे ख्याल से आपने भी अपने अकाउंट में पैसे जमा नहीं करवाए होंगे और इसी वजह से आपके अकाउंट की लेनदेन रोक दी गई है।”

इसके बाद बुजुर्ग व्यक्ति बड़े ही विनम्र भाव से कहने लगते हैं, “बेटा, पहले तुम एक बार अकाउंट को चेक तो कर लो। उसके बाद ही कुछ मुझे बताओ तो ही अच्छा रहेगा। इस तरह से तुम कैसे बता सकते हो?”

तो मैनेजर सुनील हंसने लगता है और

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