जब होटल के मालिक को भिखारी समझकर निकाल दिया गया, सच्चाई जानकर सबके होश उड़ गए!”
होटल की मैनेजर जिस बुजुर्ग को भिखारी समझकर सबके सामने नीचा दिखा रही थी, असल में वह ना तो भिखारी था और ना ही गरीब, बल्कि इतना बड़ा आदमी था जिसकी किसी ने कल्पना भी नहीं की थी। और जब उसकी सच्चाई सामने आई, तो ऐसा हुआ कि पूरे होटल के होश उड़ गए।
होटल में प्रवेश
सुबह के ठीक 11:00 बजे, शहर के सबसे बड़े पांच सितारा होटल में एक बुजुर्ग साधारण कपड़े पहने हुए होटल की ओर बढ़ रहे थे। उनके हाथ में एक पुराना सा झोला था। जैसे ही वह होटल के गेट पर पहुंचे, गार्ड के माथे पर तुरंत शिकन आ गई। गार्ड ने सामने आकर रास्ता रोकते हुए कहा, “बाबा, आप यहां कहां आ गए? क्या काम है आपका यहां?”
गंगा प्रसाद ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “बेटा, मेरी यहां बुकिंग है। बस उसी के बारे में पूछना था।” गार्ड ने हंसते हुए अपनी साथी से कहा, “अरे देखो तो। बाबा कह रहे हैं इनकी यहां बुकिंग है।” गार्ड ने फिर गंगा प्रसाद से कहा, “बाबा, देखो, आपसे जरूर कोई गलती हुई है। शायद आपको किसी ने गलत पता दे दिया है क्योंकि यह होटल बहुत ही लग्जरी है। बड़े-बड़े बाबू लोग आते हैं यहां। कोई आम आदमी इसे अफोर्ड नहीं कर सकता।”
रिसेप्शन पर राधा
इतने में होटल की रिसेप्शनिस्ट राधा कपूर ने यह बातचीत सुन ली। उसने अपनी नजरें गंगा प्रसाद पर डाली। सिर से पांव तक उन्हें देखा और होठों पर हल्की मुस्कान तैर गई। वह मुस्कान स्वागत की नहीं, बल्कि ताने और उपेक्षा की थी। राधा ने कहा, “बाबा, मुझे नहीं लगता कि आपकी कोई बुकिंग इस होटल में होगी। यह होटल बहुत महंगा है। शायद आप गलत जगह आ गए हैं।”
गंगा प्रसाद ने उसी सहजता से जवाब दिया, “बेटी, एक बार चेक तो कर लो। शायद मेरी बुकिंग यहीं हो।” राधा ने लापरवाही से कंधे उचकाए और कहा, “ठीक है, इसमें समय लगेगा। आप वेटिंग एरिया में जाकर बैठ जाइए।”
गंगा प्रसाद ने सिर हिलाया और धीरे-धीरे वेटिंग एरिया की ओर बढ़े। लॉबी में मौजूद कई गेस्ट उन्हें अजीब नजरों से घूर रहे थे। किसी ने धीरे से कहा, “लगता है मुफ्त का खाने आया है।” कोई और बोला, “इसकी तो औकात भी नहीं है कि यहां का एक गिलास पानी भी खरीद सके।” गंगा प्रसाद ने यह सब सुना लेकिन वे चुप रहे।
लॉबी का माहौल
वह कोने में रखी एक कुर्सी पर बैठ गए। झोला जमीन पर रखा और दोनों हाथ छड़ी पर टिका कर खामोश बैठे रहे। लॉबी का माहौल अजीब हो चुका था। लोग चाय और कॉफी की चुस्कियां लेते हुए उन्हीं की तरफ इशारा करके बातें बना रहे थे। किसी छोटे बच्चे ने अपनी मां से मासूमियत से पूछा, “मम्मी, यह बाबा यहां क्यों बैठे हैं? यह तो होटल वाले जैसे नहीं दिखते।” मां बच्चे से बोली, “बेटा, सब किस्मत की मार है। जब किस्मत साथ ना दे तो हर किसी की सुननी पड़ती है।”
इसी बीच राधा फिर से वहां से गुजरी। उसने अपने साथी स्टाफ से कहा, “पता नहीं मैनेजर साहब क्या कहेंगे। ऐसे लोगों को यहां बैठाना भी रिस्क है। होटल की इमेज खराब हो रही है।” साथी ने हंसते हुए कहा, “कोई बात नहीं, कुछ देर बाद यह खुद ही उठकर चला जाएगा।”
गंगा प्रसाद यह सब सुन रहे थे। पर वह एक शब्द ना कह सके। वह सिर्फ इंतजार कर रहे थे कि कोई उनकी बात सुने। एक घंटे तक वह यूं ही बैठे रहे। कभी घड़ी देखते, कभी रिसेप्शन की तरफ नजर डालते। उन्हें उम्मीद थी कि कोई आएगा और कहेगा, “हां बाबा, आपकी बुकिंग है।” लेकिन ऐसा नहीं हुआ।
गंगा प्रसाद का धैर्य
गंगा प्रसाद ने धीरे से कुर्सी का सहारा लिया और खड़े हो गए। उन्होंने रिसेप्शन की तरफ देखा और कहा, “बेटी, अगर तुम व्यस्त हो तो अपने मैनेजर को बुला दो। मुझे उनसे भी कुछ जरूरी बात करनी है।” राधा ने मन ही मन सोचा, “अब इसे मैनेजर से भी मिलना है।” फिर अनमने ढंग से फोन उठाया और होटल मैनेजर विक्रम खन्ना को कॉल लगाने लगी।
उसने कहा, “सर, एक बुजुर्ग आपसे मिलना चाहते हैं।” विक्रम ने दूर से गंगा प्रसाद को देखा और फोन पर हंसते हुए कहा, “क्या यह हमारे गेस्ट हैं या बस ऐसे ही चले आए हैं? मेरे पास अभी टाइम नहीं है। इन्हें बैठने दो। थोड़ी देर में खुद चले जाएंगे।”
राधा ने वही आदेश दोहराया और गंगा प्रसाद को और थोड़ी देर बैठने का आदेश दिया। गंगा प्रसाद ने गहरी सांस ली और फिर से उसी कोने की कुर्सी पर बैठ गए। सारी नजरों का बोझ उनके कंधों पर था। लेकिन उनकी आंखों में अब भी वही सब्र था, मानो कह रहे हों, “सच को छिपाया जा सकता है पर रोका नहीं जा सकता।”
अर्जुन की दया
लॉबी में गंगा प्रसाद अब भी बैठे थे। समय धीरे-धीरे बीत रहा था। लेकिन उनके लिए हर मिनट किसी पहाड़ की तरह भारी हो रहा था। इसी बीच रिसेप्शनिस्ट राधा कपूर दोबारा उनके पास आई। उसने रूखी आवाज में कहा, “बाबा, आपको थोड़ा और इंतजार करना पड़ेगा। मैनेजर साहब अभी भी बिजी हैं।”
गंगा प्रसाद ने मुस्कुरा कर सिर हिलाया और बोले, “ठीक है बेटी, मैं इंतजार कर लूंगा।” उसी समय होटल का मैनेजर विक्रम खन्ना अपने केबिन में बैठा हुआ किसी विदेशी क्लाइंट से फोन पर बातें कर रहा था। उसके चेहरे पर घमंड साफ झलक रहा था।
फोन रखते ही रिसेप्शन से राधा का दोबारा कॉल आया। राधा ने कहा, “सर, वो बुजुर्ग अब भी लॉबी में बैठे हैं। आप एक बार उनसे मिल लीजिए।” विक्रम ने हंसते हुए कहा, “बैठा रहने दो। थोड़ी देर में थक जाएगा और खुद चला जाएगा। मेरे पास ऐसे फालतू लोगों के लिए वक्त नहीं है।”
तभी वहां एक छोटा कर्मचारी आया। नाम था अर्जुन शर्मा। वह होटल का बेल बॉय था। उसने गंगा प्रसाद को देखा। लॉबी में सब उनका मजाक उड़ा रहे थे। लेकिन अर्जुन की आंखों में उनके लिए सम्मान था। वह धीरे से पास आकर बोला, “बाबा, आप कब से बैठे हैं? क्या किसी ने आपकी मदद नहीं की?”
गंगा प्रसाद ने मुस्कुराकर उसकी ओर देखा और कहा, “बेटा, मैं मैनेजर से मिलना चाहता हूं पर लगता है वह व्यस्त हैं।” अर्जुन का चेहरा कस गया। वह बोला, “बाबा, आप चिंता मत करो। मैं अभी उनसे बात करता हूं।”
गंगा प्रसाद ने सिर हिलाया। “तुम्हारा बहुत धन्यवाद। भगवान तुम्हें सुखी रखे।” अर्जुन तेज कदमों से मैनेजर के केबिन की ओर गया। दरवाजे पर पहुंचते ही उसने नॉक किया और अंदर चला गया।
विक्रम का अहंकार
विक्रम खन्ना ने इशारे से पूछा, “क्या बात है?” अर्जुन ने आदर से कहा, “सर, लॉबी में एक बुजुर्ग बैठे हैं। वो आपसे मिलना चाहते हैं।” विक्रम ने भौें चढ़ाई और ठंडी आवाज में बोला, “अर्जुन, तुम्हें कितनी बार कहा है कि फालतू लोगों से दूर रहो।”
“वो कोई गेस्ट नहीं है। शायद भूला भट्ट का कोई आया है।” अर्जुन ने धीरे से कहा, “लेकिन सर, उन्होंने कहा है कि उन्हें आपसे जरूरी बात करनी है।” विक्रम हंस पड़ा। “अरे जरूरी बात? तुम्हें अंदाजा भी है यहां कितने करोड़ का कारोबार होता है और तुम मुझे ऐसे बाबा से मिलवाना चाहते हो।”
अर्जुन चुप रहा लेकिन अंदर से दुखी था। उसने सोचा, “इंसान को उसकी शक्ल देखकर कैसे ठुकराया जा सकता है? क्या बड़े पद पर बैठने से किसी को इंसानियत भूल जानी चाहिए?” विक्रम ने सख्त आवाज में कहा, “अर्जुन, तुम अपना काम करो। यह मामला तुम्हारे बस का नहीं है।”
अर्जुन ने सिर झुकाया और बाहर चला आया। लॉबी में लौटते ही उसने गंगा प्रसाद की ओर देखा। उनकी आंखों में धैर्य अब भी था। अर्जुन उनके पास बैठ गया और बोला, “बाबा, मैंने कोशिश की लेकिन मैनेजर साहब अभी नहीं मिलना चाहते।”
गंगा प्रसाद ने मुस्कुराकर उसके कंधे पर हाथ रखा और बोले, “कोई बात नहीं बेटा, तुमने कोशिश की। यही मेरे लिए काफी है।” अर्जुन की आंखें भर आईं। उसे महसूस हुआ कि यह बुजुर्ग कोई आम इंसान नहीं है। उनकी सादगी में एक अजीब सी ताकत छिपी थी।
सच्चाई का सामना
लॉबी का माहौल अब और भी भारी हो चुका था। लोगों के ताने और ठहाके, गंगा प्रसाद की खामोशी और अर्जुन की बेचैनी सब मिलकर एक अजीब तस्वीर बना रहे थे। करीब एक घंटा बीत चुका था। गंगा प्रसाद अब भी उसी कुर्सी पर बैठे थे। उन्होंने धीरे से आंखें बंद की और सोचा, “धैर्य रखना ही असली ताकत है। लेकिन अब समय आ गया है कि सच्चाई सामने आए।”
होटल की घड़ी ने 12:30 बजाए। गंगा प्रसाद अब और चुपचाप बैठ नहीं पाए। उन्होंने धीरे से अपनी छड़ी उठाई, झोला कंधे पर टांगा और रिसेप्शन की तरफ बढ़ गए। लॉबी में बैठे कई लोगों ने फिर से ताने कसे। “देखो देखो, बाबा अब मैनेजर से लड़ने जा रहे हैं।”
रिसेप्शन पर खड़ी राधा कपूर ने उन्हें आते देखा। उसने झुंझुलाकर कहा, “बाबा, आपको कहा था ना इंतजार कीजिए। मैनेजर अभी बिजी हैं।” गंगा प्रसाद ने उसकी ओर देखा और नरम आवाज में बोले, “बेटी, बहुत इंतजार कर लिया। अब मैं खुद ही उनसे बात कर लूंगा।” इतना कहकर गंगा प्रसाद सीधा मैनेजर विक्रम खन्ना के केबिन की ओर बढ़े।
विक्रम की प्रतिक्रिया
लॉबी में खामोशी छा गई। सबकी नजरें उसी तरफ टिक गईं। हर कोई देखना चाहता था कि आगे क्या होने वाला है। जैसे ही गंगा प्रसाद ने केबिन का दरवाजा खोला, विक्रम अपनी घूमने वाली कुर्सी पर अकड़ के साथ बैठा था। उसने भौंहें चढ़ाते हुए कहा, “हां बाबा, बताइए, इतना शोर क्यों मचा रखा है? क्या काम है आपको?”
गंगा प्रसाद ने धीरे से झोला खोला और उसके अंदर से एक लिफाफा निकाला। उसे आगे बढ़ाते हुए बोले, “यह मेरी बुकिंग और होटल से जुड़ी कुछ डिटेल है। कृपया एक बार देख लीजिए।” विक्रम ने हंसते हुए लिफाफा हाथ में लिया लेकिन खोले बिना ही टेबल पर पटक दिया। उसकी हंसी में अहंकार साफ झलक रहा था।
उसने कहा, “बाबा, जब किसी इंसान की जेब में पैसे नहीं होते हैं, तो उसे बुकिंग जैसी बड़ी-बड़ी बातें करना बिल्कुल बेकार है। मुझे आपके जैसे लोगों की शक्ल देखकर ही पता चल जाता है कि आपके पास कुछ नहीं है। यह होटल आपके बस का नहीं है। बेहतर होगा आप यहां से चले जाएं।”
गंगा प्रसाद ने उसकी आंखों में देखा। उनकी आवाज अब गहरी और गंभीर हो चुकी थी। उन्होंने कहा, “बेटा, बिना देखे कैसे तय कर लिया? एक बार इन कागजों को देख तो लो। सच्चाई अक्सर वैसी नहीं होती जैसी दिखती है।”
गंगा प्रसाद का निर्णय
विक्रम कुर्सी पर पीछे झुक गया और जोर से हंसते हुए बोला, “बाबा, मुझे किसी कागज को देखने की जरूरत नहीं है। मैं सालों से इस होटल को संभाल रहा हूं। लोगों की शक्ल देखकर ही पहचान लेता हूं कि किसकी क्या औकात है। आपकी शक्ल कहती है, आपके पास कुछ भी नहीं है।” यह सुनकर लॉबी में बैठे कुछ गेस्ट भी हंसने लगे।
गंगा प्रसाद ने गहरी सांस ली। लिफाफा टेबल पर रखा और शांत स्वर में बोले, “ठीक है, जब तुम्हें यकीन नहीं है तो मैं चला जाता हूं, लेकिन याद रखना, जो तुमने आज किया है उसका नतीजा तुम्हें भुगतना पड़ेगा।” इतना कहकर उन्होंने दरवाजे की ओर कदम बढ़ाए। पीछे बैठे गेस्ट फुसफुसाए, “वाह, मैनेजर ने सही किया। ऐसे लोगों को यही सबक मिलना चाहिए।”
गंगा प्रसाद होटल से बाहर निकल गए। उनकी धीमी चाल और झुकी हुई कमर ने पूरे स्टाफ के बीच एक अजीब सा सन्नाटा छोड़ दिया। लेकिन विक्रम अपनी कुर्सी पर बैठा मुस्कुराता रहा। उसके चेहरे पर गर्व और तिरस्कार का मिलाजुला भाव था।
अर्जुन की खोज
इसी बीच बेल बॉय अर्जुन शर्मा उस लिफाफे की तरफ बढ़ा। उसने धीरे से उसे उठाया और चुपचाप अपने सर्वर कंप्यूटर की ओर चला गया। कंप्यूटर स्क्रीन पर उसने लॉग इन किया और फाइलें खोलना शुरू किया। लिफाफे में लिखी डिटेल्स के आधार पर उसने होटल का पुराना रिकॉर्ड खंगाला।
कुछ ही देर में उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। स्क्रीन पर जो जानकारी थी उसने अर्जुन को हिला कर रख दिया। रिकॉर्ड में साफ लिखा था, “गंगा प्रसाद होटल के 65% शेयर होल्डर संस्थापक सदस्य।” अर्जुन की सांसे तेज हो गईं। उसने फॉरेन प्रिंटर से रिपोर्ट निकाली। कागज हाथ में लिए वह भागता हुआ मैनेजर के केबिन में पहुंचा।
विक्रम का अहंकार
अंदर विक्रम अब भी किसी क्लाइंट से फोन पर बात कर रहा था। अर्जुन ने धीरे से कहा, “सर, यह रिपोर्ट देखिए। यह वही बुजुर्ग हैं जो यहां आए थे। यह हमारे होटल के असली मालिक हैं।” विक्रम ने फोन रखते हुए अर्जुन की तरफ देखा और भौहें चढ़ा ली। “अर्जुन, तुम्हें कितनी बार कहा है? मुझे ऐसे लोगों की रिपोर्ट्स में दिलचस्पी नहीं है। यह सब फालतू बातें हैं।”
अर्जुन ने फिर कोशिश की। “लेकिन सर, यह रिपोर्ट साफ बताती है कि गंगा प्रसाद हमारे होटल के मालिक हैं। अगर हमसे कोई गलती हो गई है तो…” विक्रम ने बीच में ही बात काट दी। उसने रिपोर्ट को अपनी तरफ सरका कर देखा। फिर बिना पढ़े ही उसे वापस अर्जुन की ओर धकेल दिया। उसकी आवाज में अहंकार पहले से और ज्यादा था।
उसने कहा, “मुझे यह सब बकवास नहीं चाहिए। तुम्हें मैंने कहा है ना, अपना काम करो। यह होटल मेरी मैनेजमेंट स्किल से चलता है। किसी पुराने बाबा की दान दक्षिणा से नहीं।” अर्जुन हैरान रह गया। उसके चेहरे पर गहरी बेचैनी थी।
अर्जुन का संकल्प
वह रिपोर्ट हाथ में लेकर वापस निकल गया। लॉबी में आते ही उसने गंगा प्रसाद को याद किया। उनकी आंखों की गहराई, उनका धैर्य। उसे लगा, यह मामला अब सिर्फ होटल तक सीमित नहीं है। यह इंसानियत की परीक्षा है। धीरे-धीरे शाम होने लगी। गेस्ट अपने-अपने कमरों में चले गए। स्टाफ अपने काम में लग गया। लेकिन अर्जुन के दिल में हलचल बढ़ती गई।
उसे यकीन था, कल का दिन इस होटल की तस्वीर बदल देगा। अगली सुबह का नजारा बिल्कुल अलग था। होटल के हर कोने में हलचल थी। स्टाफ आपस में धीरे-धीरे फुसफुसा रहे थे। किसी ने कहा, “कल जो बाबा आए थे, शायद उनके बारे में कोई बड़ी बात है।” दूसरे ने जवाब दिया, “हां, सुना है वह होटल के बड़े शेयर होल्डर हैं।” यह खबर धीरे-धीरे पूरे होटल में फैल चुकी थी। लेकिन किसी को अब भी भरोसा नहीं हो रहा था।
गंगा प्रसाद की वापसी
10:30 बजते ही लॉबी का माहौल अचानक बदल गया। होटल के मुख्य द्वार से वही साधारण कपड़े पहने बुजुर्ग गंगा प्रसाद अंदर आए। लेकिन इस बार वह अकेले नहीं थे। उनके साथ एक सूट बूट पहना अधिकारी था, जिसके हाथ में काले रंग का ब्रीफ केस था। सभी की नजरें एक ही पल में उसी दिशा में टिक गईं। गार्ड, रिसेप्शनिस्ट, वेटर सब सन्नाटे में खड़े रह गए।
कल जिन्हें सबने अनदेखा किया था, आज वही शख्स होटल में किसी सम्राट की तरह प्रवेश कर रहे थे। गंगा प्रसाद ने सीधे हाथ से इशारा किया। “मैनेजर को बुलाओ।” आवाज में अब कोई नरमी नहीं थी बल्कि एक आदेश की कठोरता थी। थोड़ी ही देर में विक्रम खन्ना बाहर आए।
सच्चाई का खुलासा
विक्रम ने गंगा प्रसाद को देखा और उसकी आंखों में हैरानी थी। “आप फिर से?” उसने सवाल किया। गंगा प्रसाद ने कहा, “हां, मैं फिर से आया हूं। और यह मेरा प्रतिनिधि है।” विक्रम ने उनकी बात को नजरअंदाज करते हुए कहा, “आपको यहां आने की जरूरत नहीं थी। आपने कल जो किया, उसके लिए मुझे खेद है।”
गंगा प्रसाद ने कहा, “खेद नहीं, विक्रम। मुझे तुम्हारी माफी नहीं चाहिए। मैं यहां अपनी पहचान के लिए आया हूं।” इतना कहकर उन्होंने ब्रीफ केस खोला और उसमें से कुछ दस्तावेज निकाले। “यहां है मेरी पहचान,” उन्होंने कहा।
होटल की पहचान
विक्रम ने दस्तावेजों को ध्यान से देखा और उसकी आंखें चौड़ी हो गईं। “यह क्या है?” उसने पूछा। “यह मेरे होटल के शेयर और मेरी पहचान की पूरी जानकारी है। मैं इस होटल का एकमात्र संस्थापक सदस्य हूं।”
लॉबी में मौजूद सभी लोग सन्न रह गए। गंगा प्रसाद की पहचान अब सबके सामने थी। विक्रम के चेहरे पर घबराहट साफ झलक रही थी। “आप… आप सच में हमारे मालिक हैं?” उसने कांपती आवाज में पूछा।
गंगा प्रसाद ने कहा, “हां, और तुमने मुझे जिस तरह से अपमानित किया, उसका नतीजा तुम्हें भुगतना पड़ेगा।” विक्रम ने अपनी गलती को समझा और कहा, “मैं माफी चाहता हूं।” लेकिन गंगा प्रसाद ने कहा, “माफी अब काम नहीं आएगी। तुम्हारी घमंड ने तुम्हें अंधा कर दिया था। अब तुम्हें अपनी गलती का एहसास होगा।”
निष्कर्ष
गंगा प्रसाद ने कहा, “मैं इस होटल को फिर से सही दिशा में ले जाऊंगा। और तुम्हें अपनी जगह पर लाऊंगा।” उन्होंने सभी कर्मचारियों की ओर देखा और कहा, “इस होटल का असली मूल्य सिर्फ पैसे में नहीं है, बल्कि यहां की सेवा और इंसानियत में है।”
लॉबी में खड़े लोग अब गंगा प्रसाद को नए नजरिए से देख रहे थे। उन्होंने अपनी पहचान को साबित कर दिया था और विक्रम को उसकी गलती का एहसास हो गया था।
गंगा प्रसाद ने कहा, “मैं चाहता हूं कि इस होटल में हर किसी को समान सम्मान मिले। और मैं इस होटल को एक ऐसा स्थान बनाना चाहता हूं जहां हर कोई बिना किसी भेदभाव के आ सके।”
इस घटना के बाद गंगा प्रसाद ने होटल की दिशा को पूरी तरह से बदल दिया। उन्होंने होटल में बदलाव लाया और कर्मचारियों को सिखाया कि असली सेवा क्या होती है। विक्रम को अपनी गलती का एहसास हुआ और उसने गंगा प्रसाद से माफी मांगी।
समापन
गंगा प्रसाद की पहचान ने न केवल होटल के माहौल को बदला, बल्कि सभी कर्मचारियों को यह सिखाया कि किसी भी व्यक्ति का मूल्य उसकी बाहरी स्थिति से नहीं, बल्कि उसकी आत्मा और उसके कार्यों से होता है।
इस तरह, गंगा प्रसाद ने न केवल अपनी पहचान बनाई, बल्कि होटल में एक नई संस्कृति का निर्माण किया, जहां सभी को सम्मान और प्यार के साथ देखा जाता था।
Play video :
News
Senior actor Umesh’s health condition is critical | Comedy Actor MS Umesh Hospitalized
Senior actor Umesh’s health condition is critical | Comedy Actor MS Umesh Hospitalized . . Senior Actor Umesh’s Health Condition…
Odisha Kidnapping: Truck driver caught for kidnapping woman from road | CCTV footage goes viral
Odisha Kidnapping: Truck driver caught for kidnapping woman from road | CCTV footage goes viral . . Odisha Kidnapping Shocks…
Kareena Kapoor Khan admitted to Hospital after Saif Ali Khan lost all his Wealth and Pataudi Palace!
Kareena Kapoor Khan admitted to Hospital after Saif Ali Khan lost all his Wealth and Pataudi Palace! . . Kareena…
कोर्ट के अंदर एक भिखारन महिला आई जज साहब खड़े हो गए
कोर्ट के अंदर एक भिखारन महिला आई जज साहब खड़े हो गए एक कोर्ट में खामोशी छाई हुई थी। सब…
25 साल बाद दोस्ती का कर्ज चुकाने आया करोड़पति दोस्त
25 साल बाद दोस्ती का कर्ज चुकाने आया करोड़पति दोस्त क्या आप जानते हैं कि दुनिया का सबसे सफल इंसान…
अनाथ बच्चे ने करोड़पति से अपने भाई को खरीदने के लिए कहा क्योंकि वह बहुत भूखा था। इसके बाद उसने क्या किया…
अनाथ बच्चे ने करोड़पति से अपने भाई को खरीदने के लिए कहा क्योंकि वह बहुत भूखा था। इसके बाद उसने…
End of content
No more pages to load