जिसे पूरी सब्जी वाले समझ रहे थे। उसके एक कॉल से पूरी एयर लाइन बंद हो गई | फिर जो हुआ…

राज की कहानी एक छोटे से गाँव से शुरू होती है, जहाँ वह अपने परिवार के साथ रहता था। उसके पिता एक छोटे से खेत में काम करते थे और माँ घर संभालती थीं। राज बचपन से ही मेहनती और समझदार था। उसने अपनी पढ़ाई पूरी की और शहर में एक छोटी सी नौकरी की तलाश में निकल पड़ा।

शहर में राज ने कई छोटे-मोटे काम किए, लेकिन उसे कुछ ऐसा करना था जो उसकी जेब भर सके और दिल भी खुश रखे। एक दिन उसने बाजार चौक में एक ठेला देखा, जिस पर पूरी सब्जी बेची जा रही थी। राज को खाना बनाना पसंद था, सो उसने सोचा क्यों न वह खुद का ठेला लगाए। घरेलू स्वाद नाम का ठेला राज का नया ठिकाना बन गया। लोग उसके खाने के दीवाने हो गए। स्वाद ऐसा कि लोग दूर-दूर से आते।

लेकिन राज की जिंदगी में एक मोड़ तब आया जब एक दिन एक खूबसूरत लड़की नेहा उसके ठेले पर आई। उसने राज से कहा, “मुझे तुमसे एक महीने के लिए शादी करनी है। रोज के 20,000 रुपये दूंगी। कोई सवाल नहीं, कोई शर्त नहीं, बस मेरे साथ घर चलोगे।”

राज हैरान रह गया। क्या कोई ऐसा कह सकता है? नेहा की आँखों में एक गहरा दर्द था, जो राज को सोचने पर मजबूर कर रहा था। उसने पूछा, “क्यों? तुम्हारी मजबूरियाँ क्या हैं?” नेहा ने कहा, “बाद में बताऊँगी। अभी बस इतना जान लो कि मुझे तुम्हारा साथ चाहिए।”

राज ने सोचा, एक महीना है, देखेंगे क्या होता है। उसने हामी भर दी। नेहा का घर शहर के पुराने रईस इलाके में था। राज को देखकर घरवाले हैरान रह गए। मिसेज शर्मा, नेहा की माँ, ने ताने मारे, “यह ठेले वाला? यह क्या संभालेगा?”

नेहा ने कहा, “माँ, यह मेरा फैसला है। राज मेरे पति हैं एक महीने के लिए।” घर में तनाव बढ़ गया। रिश्तेदारों ने राज को नीचा दिखाने की कोशिश की। पर राज शांत रहा। उसने रसोई में जाकर सबके लिए पोहा बनाया। स्वाद ऐसा कि सब चुप हो गए।

धीरे-धीरे राज ने घरवालों का दिल जीतना शुरू किया। वह सादगी से रहता, सबकी इज्जत करता। नेहा के घर में एक पार्टी थी सिंह ग्रुप की। नेहा ने राज को साथ चलने को कहा। राज ने वही सादा कपड़े पहने। पार्टी में सबने राज को ठेले वाला कहकर ताने मारे।

तभी एक अजीब सी खबर आई। राज के पास दो आदमी आए, “सर, हाई फ्लाई एयर की कॉर्पोरेट फ्लाइट डायवर्ट करनी है। आपका निर्देश चाहिए।” सब हैरान रह गए। “हाई फ्लाई एयर? राज कौन है?”

राज ने शांति से कहा, “मैं ठेले वाला राज हूँ। हाई फ्लाई एयर मेरा बिजनेस है।” सबके मुंह खुल गए। मिसेज शर्मा ने अपनी गलती मानी। राज ने घोषणा की, “नेहा के फैसले का सम्मान करता हूँ। एक ट्रस्ट बनेगा – नेहा शर्मा फाउंडेशन।”

पार्टी में तालियाँ बजीं। नेहा ने राज का हाथ थाम लिया। “सब ठीक है अब।” राज ने कहा, “जब तक साथ हैं, सब ठीक है।”

अगले दिन इतवार था। ठेले पर राज और नेहा साथ में काम कर रहे थे। लोग खुशी से खाना खा रहे थे। मिसेज शर्मा ने आकर माफी मांगी। राज ने कहा, “सादगी में ताकत है।”

शाम को घर में एक छोटी सी रस्म हुई। राज और नेहा का साथ सबने स्वीकार किया। राज ने कहा, “इस घर में कोई ऊँच-नीच नहीं। खाना आदर है, आदमी नहीं।”

रात को बालकनी में नेहा ने पूछा, “तुम कौन हो राज?” राज ने कहा, “मैं वही हूँ – ठेले वाला। पर असली अमीरी दिल में होती है।”
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