जिस स्कूल में लड़की सरकारी टीचर थी वहीं लड़का पानीपुरी बेचता हुआ मिला… फिर जो हुआ
स्कूल की घंटी बजी और बच्चे शोरगुल करते हुए गेट की ओर दौड़ पड़े। सरकारी स्कूल की शिक्षिका प्रीति रोज़ की तरह अपनी किताबें समेटकर बाहर निकली। गेट पर उसने देखा—कुछ बच्चे पानी पूरी वाले ठेले के पास हंसी-खुशी खाते-खिलखिलाते खड़े थे। बच्चों की मासूम हंसी में वह भी मुस्कुराई, लेकिन जैसे ही उसकी नजर उस पानी पूरी वाले पर पड़ी, उसका दिल एक पल को थम गया।
उसके कदम बिन सोचे-समझे उस ओर बढ़ने लगे। ठेले वाले ने भी उसकी आंखों की नमी पहचानने की कोशिश की। प्रीति का गला भर आया, और उसके होंठों से एक धीमी फुसफुसाहट निकली—“मनोज…”
हाँ, वही मनोज। वही लड़का, जिससे बरसों पहले कॉलेज के दिनों में प्रीति ने अपने दिल का रिश्ता जोड़ लिया था।
कॉलेज के दिन
बिहार के एक छोटे कस्बे का नवजीवन कॉलेज। मनोज वहीं पढ़ता था—तेज दिमाग, गंभीर स्वभाव, मगर आंखों में सच्चाई की चमक। उसी क्लास में पढ़ती थी प्रीति। धीरे-धीरे प्रीति का दिल उसकी ओर खिंचता चला गया। वह चोरी-चोरी मनोज को देखती, कभी नोट्स बनाते हुए, कभी कैंपस की गलियों में चलते हुए।
मनोज भी उसे नोटिस करता, पर हिम्मत नहीं जुटा पाता। किस्मत ने एक दिन उन्हें आमने-सामने ला खड़ा किया। कॉरिडोर में अचानक नजरें मिलीं और वक्त थम सा गया। मनोज ने कांपती आवाज में पूछ ही लिया—
“तुम बार-बार मेरी तरफ देखती क्यों हो?”
प्रीति शरमा गई और हंसकर वहां से निकल गई। उस हंसी में छिपे जवाब ने मनोज को यकीन दिला दिया कि उसकी भावनाएँ बेकार नहीं हैं। जल्द ही कैंटीन की एक मुलाकात में उसने हिम्मत जुटाकर कह डाला—
“प्रीति, मैं तुमसे प्यार करता हूं।”
प्रीति की आंखों की चमक ही उसका जवाब थी। इसके बाद दोनों का रिश्ता और गहरा होता गया। किताबों से लेकर ख्वाब तक, सब कुछ उन्होंने साथ बांटना शुरू किया।
मनोज ने एक दिन कहा—“क्यों न हम शादी कर लें?”
प्रीति ने मुस्कुराकर जवाब दिया—“शादी तो मैं भी चाहती हूं, मनोज। लेकिन पहले पढ़ाई पूरी कर लें। फिर अपने घरवालों की रजामंदी से ही शादी करेंगे।”
परिवार की दीवार
कॉलेज खत्म हुआ तो मनोज ने अपने घरवालों से प्रीति के बारे में बात की। साधारण किसान परिवार था। माता-पिता ने बेटे की खुशी में अपनी खुशी ढूंढ़ी और हामी भर दी।
लेकिन प्रीति के घर में तूफान आ गया। पिता ने गुस्से में कहा—
“वो किसान का बेटा है। हमारी हैसियत के बराबर नहीं। यह शादी कभी नहीं होगी।”
प्रीति का दिल टूट गया। आंसुओं में डूबी उसने मनोज को फोन किया। मनोज ने समझाया—“प्रीति, हमें साथ रहना है। चाहे कुछ भी हो।”
आख़िरकार उन्होंने घरवालों की मर्जी के खिलाफ भागकर कोर्ट मैरिज कर ली। प्रीति के पिता ने ऐलान कर दिया—“आज से हमारे लिए तू मर चुकी है।”
प्रीति टूट तो गई, लेकिन मनोज के कंधे पर सिर रखकर बोली—“अब तुम ही मेरा सब कुछ हो।”
नई उम्मीद
मनोज के माता-पिता ने बहू का स्वागत बेटी की तरह किया। घर साधारण था, लेकिन अपनापन गहरा। प्रीति ने जल्दी ही मनोज से कहा—“मैं पढ़ाई जारी रखना चाहती हूं। एक दिन सरकारी नौकरी पाना मेरा सपना है।”
मनोज ने मुस्कुराकर उसका साथ दिया। पास के शहर में उसका एडमिशन करवाया। प्रीति जी-जान से पढ़ाई करने लगी।
लेकिन गांव के कुछ लोग उनकी खुशियों से जलने लगे। उन्होंने मनोज के कान भरने शुरू कर दिए—“तेरी बीवी कोचिंग के टीचर के साथ घूमती है।” धीरे-धीरे उन्होंने उसे शराब की आदत भी डाल दी।
मनोज शक और नशे में डूबता गया। अब वह छोटी-छोटी बातों पर प्रीति से झगड़ने लगा। आखिर एक दिन गुस्से में चिल्लाया—
“मुझे सब पता है। तुम्हारा चक्कर उस टीचर से है। अब मैं तुम्हारे साथ नहीं रहना चाहता।”
प्रीति पत्थर सी रह गई। उसकी आंखों से आंसू बहे। उसने कहा—“अगर मेरे चरित्र पर शक है, तो मैं यहां एक पल भी नहीं रुकूंगी।”
उस रात उसने घर छोड़ दिया।
अकेली राह
मायके पहुंची तो वहां भी दरवाजे बंद हो गए। पिता ने कहा—“तूने हमारी इज्जत मिट्टी में मिलाई थी। अब यहां मत आना।”
टूटे दिल के साथ वह सड़कों पर भटकती रही। मजबूरी में उसने अपने कोचिंग टीचर को फोन किया। उन्होंने तुरंत मदद की। अपने घर ले गए, पत्नी और बेटियों से मिलवाया और उसे बेटी की तरह जगह दी। कोचिंग मालिक ने नौकरी दी।
प्रीति दिन में बच्चों को पढ़ाती और रात में खुद पढ़ाई करती। दर्द को ताकत में बदल लिया। सालों की मेहनत रंग लाई—वह सरकारी नौकरी में चयनित हो गई।
मनोज का पतन
इधर मनोज पूरी तरह शराब में डूब चुका था। दोस्तों ने उसे बरबाद कर दिया। मां-बाप भी दुनिया छोड़ गए। जमीन-जायदाद बिक गई। अकेलेपन और पछतावे में उसने पानी पूरी का ठेला लगाकर गुजारा करना शुरू किया।
फिर से मुलाकात
एक दिन किस्मत ने खेल खेला। स्कूल के गेट पर पानी पूरी बेचते हुए मनोज ने अचानक प्रीति को देखा। वही प्रीति—अब एक सम्मानित शिक्षिका, हाथ में कॉपियां, चेहरे पर सादगी और आंखों में आत्मविश्वास।
प्रीति भी उसे देखकर ठहर गई। उसने धीरे से पूछा—“मनोज, यह क्या हाल बना लिया अपना?”
मनोज की आंखें भर आईं—
“सब मेरी गलती थी प्रीति। मैंने तुम्हें खो दिया। दोस्तों के बहकावे में आकर तुम्हारे चरित्र पर शक किया। शराब ने मुझे बरबाद कर दिया। अब मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं। बस माफ कर दो।”
प्रीति की आंखें नम हो गईं। उसने उसका हाथ पकड़कर कहा—“मोहब्बत में गलती इंसान से होती है। लेकिन अगर दिल साफ हो तो रिश्ता फिर जुड़ सकता है। मैं आज भी तुमसे उतना ही प्यार करती हूं। क्यों न हम नई शुरुआत करें?”
मनोज हिचकिचाया—“क्या तुम सच में मुझे माफ कर सकती हो?”
प्रीति मुस्कुराई—“मोहब्बत कभी खत्म नहीं होती। उसने बस हमें परखा है।”
दोनों मंदिर गए और दोबारा शादी कर ली।
नई शुरुआत
प्रीति ने मनोज को ठेला छोड़कर पढ़ाई और काम पर ध्यान देने के लिए प्रेरित किया। मनोज ने मेहनत की और एक प्राइवेट स्कूल में शिक्षक की नौकरी पा ली। अब दोनों पति-पत्नी फिर से सम्मान और मोहब्बत से जीने लगे।
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