तलाक के 10 साल बाद पत्नी सड़क किनारे पानी बेच रही थी उसके बाद पति ने जो किया…
हरियाणा के हिसार में एक कॉलेज था, जहां अरविंद और ममता एक साथ पढ़ते थे। अरविंद एक साधारण सा लड़का था, जो हमेशा अपनी पढ़ाई में व्यस्त रहता था। वहीं, ममता एक खूबसूरत और चुलबुली लड़की थी, जिसकी मुस्कान में एक खास जादू था। अरविंद उसे दूर से देखता और उसके प्रति अपने दिल में एक गहरा प्यार महसूस करता, लेकिन कभी हिम्मत नहीं कर पाया कि उसे अपने दिल की बात बता पाए।
कॉलेज के दिनों में अरविंद ने ममता को कई बार अपने दिल की बात कहने की कोशिश की, लेकिन हर बार वह खुद को रोक लेता। ममता की खुशियों में शामिल होना उसे अच्छा लगता था, लेकिन अपनी भावनाओं को व्यक्त करने की हिम्मत नहीं जुटा पाता। दोनों के बीच एक अनकही सी खामोशी थी, जो वक्त के साथ गहरी होती गई।
भाग 2: बिछड़ने का समय
कॉलेज खत्म होने के बाद, ममता की शादी एक अच्छे परिवार में तय हो गई। अरविंद को जब यह खबर मिली, तो उसका दिल टूट गया। उसने सोचा, “अगर मैंने उस दिन ममता से अपने दिल की बात कह दी होती, तो शायद आज सब कुछ अलग होता।” ममता की शादी के दिन अरविंद ने उसे दूर से देखा, उसकी आंखों में आंसू थे, लेकिन उसने अपनी भावनाओं को छिपाने की पूरी कोशिश की।
शादी के बाद ममता अपने ससुराल चली गई और अरविंद ने उसे भूलने की कोशिश की, लेकिन उसकी यादें हमेशा उसके साथ बनी रहीं। अरविंद ने शादी नहीं की और अपने करियर पर ध्यान केंद्रित किया। वह सोचता रहा, “क्या मैं कभी ममता को भुला पाऊंगा?”
भाग 3: अचानक फिर से मुलाकात
सालों बाद, एक दिन अरविंद अपनी गाड़ी से कहीं जा रहा था। रास्ते में उसे एक पानी पूरी का ठेला दिखाई दिया। उसने सोचा कि क्यों न वहां रुककर कुछ खा लिया जाए। जैसे ही वह ठेले के पास पहुंचा, उसकी नजरें उस लड़की पर पड़ीं, जो पानी पूरी बेच रही थी। वह वही ममता थी, जिसे उसने सालों पहले देखा था।
ममता अब साधारण कपड़ों में थी, लेकिन उसकी मुस्कान वही थी। अरविंद का दिल तेजी से धड़कने लगा। उसने तुरंत अपनी गाड़ी रोकी और ठेले के पास जाकर बैठ गया। “एक प्लेट पानी पूरी दे दो,” उसने कहा। ममता ने मुस्कुराते हुए कहा, “जी, अभी बनाती हूं।”
जब ममता ने पानी पूरी बनानी शुरू की, तो अरविंद ने उसे ध्यान से देखा। उसकी आंखों में पुरानी यादें ताजा हो गईं। वह उसे पहचान गया था, लेकिन ममता ने उसे नहीं पहचाना। अरविंद ने धीरे से कहा, “क्या आपका नाम ममता है?”
भाग 4: पुरानी यादें ताजा
ममता ने चौंकते हुए कहा, “आप कौन हैं?” अरविंद ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं अरविंद हूं, तुम्हारी क्लास में पढ़ता था।” ममता की आंखें भर आईं। उसने झिझकते हुए कहा, “आप तो बड़े हो गए हैं।”
अरविंद ने कहा, “तुम्हारे बारे में सोचते-सोचते मैं आज तक शादी नहीं कर पाया।” ममता ने उसकी बात सुनकर कहा, “लेकिन मैंने शादी कर ली थी।”
अरविंद ने कहा, “क्या तुम खुश हो?” ममता ने सिर झुकाते हुए कहा, “शादी के दो साल बाद मेरे पति की मौत हो गई और उसके बाद मेरे ससुराल वालों ने मुझे घर से निकाल दिया।”
भाग 5: ममता की कहानी
ममता ने अपनी कहानी सुनाते हुए कहा, “मेरे पिताजी ने मुझे मायके बुलाया, लेकिन वहां भी मुझे ताने सुनने पड़े। मैंने यह पानी पूरी का ठेला शुरू किया ताकि खुद को संभाल सकूं। अब मैं पांच साल से यही कर रही हूं।”
अरविंद की आंखों में आंसू आ गए। उसने कहा, “ममता, मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं।” ममता ने कहा, “नहीं, मैं अपनी मेहनत से जीना चाहती हूं।”
भाग 6: एक नया मोड़
अरविंद ने कहा, “क्या तुम जानती हो, मैंने तुम्हारे लिए आज तक शादी नहीं की? तुम मेरी पहली और आखिरी मोहब्बत हो।” ममता ने कहा, “लेकिन मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं। तुम बड़े घर के हो और मैं एक साधारण लड़की।”
अरविंद ने कहा, “मुझे तुम्हारी जरूरत है। मैं तुम्हें अपने घर ले जाना चाहता हूं।” ममता ने कहा, “नहीं, मैं तुम्हारे साथ नहीं रह सकती।”
अरविंद ने कहा, “मैं कल फिर आऊंगा।” ममता ने कहा, “ठीक है, लेकिन मैं तुम्हें मना कर दूंगी।”
भाग 7: अरविंद का फैसला
अरविंद ने अपनी मां से कहा, “मां, मैं शादी करना चाहता हूं।” मां ने कहा, “तूने यह फैसला अचानक कैसे किया?” अरविंद ने सारी बातें बताई। मां ने कहा, “अगर तेरा दिल सच है, तो तुझे तेरा प्यार जरूर मिलेगा।”
अरविंद ने कहा, “मैं आज ही ममता के पास ले जाऊंगा।” मां ने कहा, “चल बेटा, आज तेरा सपना पूरा करने का वक्त आ गया है।”

भाग 8: शादी का दिन
अरविंद अपनी मां के साथ ममता के ठेले पर पहुंचा। ममता ने कहा, “आप फिर आ गए?” अरविंद ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैं तुम्हें अपनी दुल्हन बनाकर ले जाना चाहता हूं।” ममता ने चौंकते हुए कहा, “क्या आप सच में ऐसा करना चाहते हैं?”
अरविंद की मां ने कहा, “बेटा, तुम्हारी मेहनत और सच्चाई सबसे बड़ी है। ममता, तुम हमारी बहू बनोगी।” ममता की आंखों में आंसू आ गए।
भाग 9: नई जिंदगी की शुरुआत
अरविंद ने ममता को बाजार ले जाकर नई साड़ियां और गहने दिलवाए। अगले दिन अरविंद ने अपनी पूरी बारात लेकर ममता के घर पहुंचा। सब लोग हैरान थे कि एक अमीर लड़का सड़क किनारे पानी पूरी बेचने वाली लड़की से शादी कर रहा है।
शादी धूमधाम से हुई और ममता को सम्मान के साथ अरविंद के घर ले जाया गया। अरविंद ने ममता के बूढ़े पिता को भी अपने घर ले जाकर उनकी सेवा करने का वादा किया।
भाग 10: सच्चे प्यार की मिसाल
अरविंद और ममता की शादी पूरे इलाके में मिसाल बन गई। उन्होंने एक प्यारी सी बेटी को जन्म दिया। ममता ने कहा, “अब मेरा परिवार पूरा हो गया है।”
एक दिन ममता ने अरविंद से कहा, “क्या मैं अपनी पुरानी ससुराल जा सकती हूं?” अरविंद ने कहा, “तुम्हारी हर ख्वाहिश मेरे लिए हुक्म है।”
भाग 11: पुरानी ससुराल की यात्रा
अरविंद ने ममता और अपनी बेटी को लेकर ममता की पुरानी ससुराल पहुंचा। वहां ममता ने कहा, “याद है उस दिन तुमने मुझसे कहा था, ‘तेरा इस घर में क्या काम?’”
ममता ने कहा, “आज देख लो, आज मेरा सब कुछ है।” ममता ने अपनी बेटी को गोद में उठाते हुए कहा, “आज मेरे पास वह पति है जिसने मुझे कभी मेरी मजबूरी से नहीं देखा।”
भाग 12: वक्त का बदलाव
ममता ने कहा, “मैं आज यहां कोई ताना देने नहीं आई हूं। मैं तो बस यह दिखाने आई हूं कि वक्त बदलता है।” ममता की आंखों में सुकून था।
अरविंद ने कहा, “चलो ममता, अब तुम्हें यहां कुछ भी साबित करने की जरूरत नहीं है।” ममता ने बिना किसी गिला, बिना किसी शिकवा, बिना किसी बोझ के अपने पुराने दर्द को वहीं छोड़ दिया और अरविंद के साथ लौट गई।
भाग 13: सच्चे प्यार की जीत
अरविंद और ममता की कहानी यह साबित करती है कि कभी-कभी देर से सही, लेकिन भगवान हर किसी को उसका हक जरूर देता है। और जब कोई इंसान सच्चे दिल से किसी से प्यार करता है, तो वह प्यार किसी ना किसी दिन मुकम्मल होकर ही रहता है।
इस तरह अरविंद और ममता की अधूरी मोहब्बत पूरी हुई। उनकी मुस्कुराहट अब उनकी जिंदगी बन चुकी थी, और उनके कदम अब बोझ नहीं थे।
निष्कर्ष
क्या आज भी लोग किसी को उसकी मजबूरी देखकर ठुकरा देते हैं? क्या इंसान की पहचान उसके हालात से होती है या उसके दिल से? अगर आपको कभी किसी ने सिर्फ आपके हालात देखकर छोड़ा हो, तो कमेंट में जरूर बताइए।
इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि प्यार की ताकत और सच्चाई हमेशा जीतती है। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो इसे लाइक करें, शेयर करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें। धन्यवाद!
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