दरोगा ने दूध वाली को मारा थप्पड़ – असली पहचान खुलते ही थाने में मचा हड़कंप, निकली IPS अधिकारी..
राजगढ़ ज़िले में एक ईमानदार, तेजतर्रार और निडर आईपीएस अधिकारी थीं – शालिनी मिश्रा। उनके काम करने का तरीका बाकी अधिकारियों से अलग था। उनके लिए वर्दी सिर्फ एक प्रतीक नहीं, बल्कि एक ज़िम्मेदारी थी। वो मानती थीं कि कानून की असली परीक्षा तब होती है जब उसका पालन खुद रक्षक करें। लेकिन क्या हो जब वही रक्षक वर्दी की आड़ में अत्याचार करने लगें?
शालिनी को अपने थाने के कुछ पुलिसकर्मियों की कार्यशैली को लेकर लंबे समय से संदेह था। आए दिन लोगों की शिकायतें आतीं कि कुछ पुलिसकर्मी आम जनता से दुर्व्यवहार करते हैं, रिश्वत लेते हैं और अपनी वर्दी का दुरुपयोग करते हैं। शिकायतों में सबसे ज़्यादा नाम आता था – इंस्पेक्टर दीपक, और उसके दो साथी – कांस्टेबल रमेश और राकेश का।
शालिनी को समझ आ गया कि सिर्फ बैठकर आदेश देने से सच्चाई सामने नहीं आएगी। उन्हें मैदान में उतरना होगा। एक दिन उन्होंने फैसला लिया – वे अपनी पहचान छुपाकर आम महिला बनकर लोगों के बीच जाएंगी और सच का सामना करेंगी।
उन्होंने साधारण सलवार-कमीज़ पहनकर, चेहरे से सारा मेकअप हटाकर, बालों में तेल लगाकर खुद को एक दूध बेचने वाली महिला के रूप में बदल दिया। उन्होंने राजगढ़ के व्यस्त बाज़ार में एक छोटी सी दूध की दुकान लगा ली। वहां दिनभर बैठतीं, लोगों की बातें सुनतीं, और पुलिस के व्यवहार पर नज़र रखतीं।
एक दिन सुबह के वक़्त अचानक से एक सरकारी गाड़ी आकर रुकी। उसमें से इंस्पेक्टर दीपक, कांस्टेबल रमेश और राकेश उतरे। उनकी नज़र शालिनी पर पड़ी, लेकिन उन्हें वह एक मामूली सी औरत ही लगी। शालिनी ने सिर झुकाकर काम जारी रखा, लेकिन अंदर से वो हर बात पर ध्यान दे रही थीं।
दीपक का व्यवहार बेहद रूखा और अहंकारी था। उसने शालिनी से पूछा, “ओए! किसकी इजाजत से दुकान लगा रखी है?”
शालिनी ने शांति से जवाब दिया, “साहब, मैं रोज़ी-रोटी के लिए दूध बेचती हूं। यह सार्वजनिक जगह है।”
दीपक चिढ़ गया। उसे आदत थी कि लोग उससे डरें, झुकें। उसने गुस्से में आकर कहा, “यह इलाका मेरा है। मैं जो कहूं वो ही होगा। चल, उठा अपना ठेला!”
शालिनी ने दृढ़ता से कहा, “आप अपनी हद में रहें। आपके पास कानून है, तो जिम्मेदारी भी है।”
दीपक का गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उसने रमेश और राकेश को इशारा किया और तीनों ने मिलकर शालिनी का ठेला उलट दिया। सारा दूध सड़क पर फैल गया।
शालिनी की आंखों में आंसू नहीं, आग थी। लेकिन उन्होंने खुद को संयमित रखा। तभी दीपक ने एक ज़ोरदार थप्पड़ उनके गाल पर जड़ दिया। आसपास के लोग स्तब्ध रह गए, लेकिन कोई कुछ बोल नहीं पाया। डर के साए में सब खामोश थे।
शालिनी ने अपने हाथ से गाल को सहलाया और ठंडे स्वर में कहा, “आपको इसका परिणाम भुगतना होगा।”
दीपक हंसते हुए बोला, “क्या करेगी तू? दूध बेचने वाली है तू। तेरा कोई कुछ नहीं बिगाड़ सकता मेरा।”
लेकिन दीपक नहीं जानता था कि यह मामूली दिखने वाली महिला, दरअसल एक तेज़तर्रार आईपीएस अधिकारी है – शालिनी मिश्रा।
उन्होंने तुरंत अपने फोन से एक कॉल किया और कहा, “रिकॉर्डिंग सेव कर लो और मीडिया टीम को तैयार रहने को कहो।”
दरअसल, शालिनी ने पूरी घटना पहले से ही छिपे कैमरे से रिकॉर्ड कर ली थी। थप्पड़, गालियां, ठेला गिराना – सब कुछ कैमरे में कैद था।
शालिनी ने तुरंत डीआईजी प्रकाश शर्मा से संपर्क किया। प्रकाश शर्मा ईमानदार अधिकारी थे और शालिनी पर उन्हें पूरा विश्वास था। उन्होंने शालिनी को मिलने बुलाया।
शालिनी ने पूरी घटना का वीडियो दिखाया और कहा, “सर, यह सिर्फ एक महिला के साथ नहीं, यह कानून के साथ किया गया अपराध है।”
प्रकाश शर्मा का चेहरा गुस्से से तमतमा गया। उन्होंने तुरंत तीनों पुलिसकर्मियों को निलंबित कर दिया और उनके खिलाफ विभागीय जांच शुरू कर दी।
यह खबर पूरे पुलिस विभाग में आग की तरह फैल गई। तीनों आरोपियों के चेहरों से घमंड गायब हो चुका था। उन्होंने अपने बचाव के लिए वकीलों से संपर्क किया। लेकिन वीडियो सबूत इतना पुख्ता था कि उन्हें खुद समझ नहीं आ रहा था कि क्या करें।
मामला अदालत में पहुंचा। शालिनी ने अपनी असली पहचान के साथ अदालत में बयान दिया। उन्होंने कोर्ट को वीडियो दिखाया जिसमें पूरी घटना स्पष्ट थी।
दीपक के वकील ने कई कोशिशें कीं – जैसे, “हो सकता है आपने उकसाया हो”, “आपने पहले हमला किया हो”, आदि। लेकिन शालिनी ने हर सवाल का स्पष्ट और आत्मविश्वास से जवाब दिया।
अदालत ने सबूतों की पुष्टि की और कुछ दिनों बाद अपना फैसला सुनाया –
“इंस्पेक्टर दीपक, कांस्टेबल रमेश और राकेश को कानून का दुरुपयोग करने, एक महिला से मारपीट करने, और अपने पद का गलत इस्तेमाल करने के जुर्म में 6 महीने की जेल की सजा दी जाती है। साथ ही उन्हें पुलिस विभाग से बर्खास्त किया जाता है।”
पूरा न्यायालय तालियों से गूंज उठा।
शालिनी ने राहत की सांस ली। उन्होंने मीडिया से कहा, “यह सिर्फ मेरी जीत नहीं, यह सच की जीत है। यह उन सभी लोगों के लिए उम्मीद की किरण है जो पुलिस के अन्याय से पीड़ित हैं।”
दीपक ने उच्च न्यायालय में अपील की लेकिन वहां से भी उसकी याचिका खारिज हो गई। न्यायालय ने कहा कि निचली अदालत का फैसला पूरी तरह सही है और दोषियों को सजा मिलनी ही चाहिए।
शालिनी मिश्रा की यह कहानी पूरे देश में मिसाल बन गई। उन्होंने यह साबित कर दिया कि एक ईमानदार अधिकारी अगर ठान ले तो वो सिस्टम के भीतर बैठी गंदगी को साफ कर सकता है।
आज भी राजगढ़ में लोग उन्हें सम्मान से याद करते हैं।
और यह कहानी हमें सिखाती है कि –
“अगर आप सच्चाई के साथ खड़े हैं, तो पूरा कानून आपके पीछे खड़ा होता है।”
Play video :
News
‘Salman Khan Is A Very Bad Actor’ Kareena Kapoor Statement Shocks Fans
‘Salman Khan Is A Very Bad Actor’ Kareena Kapoor Statement Shocks Fans In the ever-dramatic world of Bollywood, controversies are…
Ekta Kapoor’s Dating Rumours,Lesbian Tag & Shocking Truth| Explained
Ekta Kapoor’s Dating Rumours,Lesbian Tag & Shocking Truth| Explained Ekta Kapoor’s journey is nothing short of extraordinary. Born into the…
Amitabh Bachchan Marrying Rekha In Hospital After Huge Fight With Jaya Bachchan
Amitabh Bachchan Marrying Rekha In Hospital After Huge Fight With Jaya Bachchan The Bachchan family has long held a significant…
BHUMI PEDNEKAR’S PREMIUM WATER BRAND: TALKING ABOUT SUSTAINABILITY & THEN EXPLOITING RESOURCES
BHUMI PEDNEKAR’S PREMIUM WATER BRAND: TALKING ABOUT SUSTAINABILITY & THEN EXPLOITING RESOURCES In recent times, celebrity-owned brands have increasingly entered…
अमिताभ ने रेखा को दे रखा है पत्नी वाला वो हक जो आजतक जया को नहीं मिला..
अमिताभ ने रेखा को दे रखा है पत्नी वाला वो हक जो आजतक जया को नहीं मिला.. . . ….
Jai Shri Krishna Child Actress Dhriti Bhatia Shocking Transformation After 17 Years
Jai Shri Krishna Child Actress Dhriti Bhatia Shocking Transformation After 17 Years As the world celebrates Janmashtami, the birth of…
End of content
No more pages to load