दिल्ली – तिलक नगर: किराए के कमरे से उठी अजीब जलने की गंध, मकान मालिक ने फ्रिज में जमी हुई लाश पाई

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नहीं होती।”

अस्पताल में एक युवक लाया गया, उसकी कलाई पर टैटू था—एसआर। ऋतु ने पहचान लिया, यही टैटू समीर के हाथ पर था। समीर ने कहा, “मैंने इमरान को नहीं मारा, राघव और मालिक का काम था—मालहोत्रा।” राठौर को समझ आ गया, यह सिर्फ हत्या नहीं, राजनीति और सत्ता के खिलाफ लड़ाई है।

राठौर ने इमरान की फाइल खंगाली, नकली बिल, हवाला के जरिए पैसों का लेन-देन, आर एम एंटरप्राइजेज—राजेंद्र मालत्रा का नाम बार-बार। मालत्रा ने खुद राठौर से मिलने आकर कहा, “कानून ताकतवर की जेब में है, सोच लो।” राठौर बोले, “अगर तुमने हत्या करवाई है, तो हिसाब मिलेगा।”

मंदिर के बाहर दो गुट आमने-सामने हो गए। एक गुट सत्य की जीत के नारे लगा रहा था, दूसरा गुट केस बंद करने की मांग कर रहा था। समीर की लाश मंदिर की सीढ़ियों पर मिली, जेब में पर्ची थी—”जो सच बोलेगा, उसका अंजाम यही होगा।” अब भीड़ में गुस्सा बढ़ गया। ओम प्रकाश पहली बार बोले, “अब बहुत हो चुका, मैं अपनी बेटी और राठौर साहब के साथ हूं।” भीड़ ने साथ देने का वादा किया।

राठौर ने मालत्रा के ऑफिस पर छापा मारा, फाइलें, हार्ड डिस्क, नकली कंपनियों के नाम, हवाला खातों का विवरण और मालत्रा के हस्ताक्षर मिले। बाहर से गाड़ियों की आवाज आई, नकाबपश लोग आए, गोलीबारी शुरू हुई, पुलिस की मदद पहुंची, हमलावर भाग गए। अखबारों और टीवी पर खबर छा गई, “मालत्रा के ऑफिस पर छापा, काला कारोबार बेनकाब।”

मालत्रा ने मीडिया में बयान दिलवाए, “राठौर ने फंसाने की साजिश रची है।” ऋतु ने सोशल मीडिया पर अभियान शुरू किया—”जस्टिस फॉर इमरान।” मंदिर में आरती के दौरान माहौल उग्र हो गया, पुलिस को लाठीचार्ज करना पड़ा। एक और युवक की हत्या हुई, जेब में पर्ची—”जो सच बोलेगा, उसका अंजाम यही होगा।”

अब तिलक नगर की जनता बगावत पर उतर आई। ओम प्रकाश बोले, “अगर हम चुप रहे तो सबकी बारी आएगी।” भीड़ ने साथ देने का वादा किया। राठौर ने गुप्त ऑपरेशन की योजना बनाई, सबूत इकट्ठे किए। सुबह पुलिस की गाड़ियां मल्होत्रा के बंगले पहुंचीं, सैकड़ों लोग पीछे-पीछे। बंगले में मालत्रा ने मीडिया को बुला रखा था, लाइव प्रसारण शुरू हुआ। मालत्रा ने कहा, “राठौर मुझे राजनीतिक दुश्मनी में फंसा रहे हैं।”

राठौर ने भीड़ के सामने कहा, “मालत्रा मीडिया का इस्तेमाल करके सच छुपाना चाहता है। हमारे पास उसकी फाइलें, डायरी, आदमियों के बयान हैं। आप ही तय कीजिए।” भीड़ ने नारे लगाए—”इमरान को इंसाफ चाहिए, मालत्रा को जेल भेजो।” बंगले के बाहर विस्फोट हुआ, अफरा-तफरी मच गई। राठौर ने आदेश दिया—”भीड़ को सुरक्षित करो, आग बुझाओ, मालत्रा को हिरासत में लो।”

मालत्रा को गिरफ्तार किया गया, लेकिन उसकी मुस्कान कायम थी। टीवी चैनलों पर उसकी छवि को निर्दोष बताने की कोशिशें शुरू हो गईं। ऋतु ने कहा, “अगर उसे छूट मिल गई तो सारी कुर्बानी बेकार हो जाएगी।” सरला देवी ने आवाज उठाई, “हमें अदालत तक राठौर का साथ देना होगा।”

अदालत में महीनों सुनवाई चली। मल्होत्रा की वकालत और पैसे की ताकत भी सच के सामने टिक नहीं पाई। न्यायाधीश ने कहा, “राजेंद्र मल्होत्रा को इमरान और समीर की हत्या और अवैध कारोबार का दोषी पाया जाता है। उम्र कैद की सजा।” बाहर नारे गूंज उठे—”सत्य की जीत।” ऋतु की आंखों में आंसू थे, ओम प्रकाश ने गर्व से बेटी का हाथ थामा। सरला देवी ने सिर झुकाकर प्रार्थना की।

तिलक नगर में ढोल नगाड़े बजे, लेकिन इस बार वे सिर्फ त्यौहार के लिए नहीं थे, बल्कि उस सच की जीत के लिए थे जिसने मौत और डर के बीच भी रास्ता बना लिया। राठौर ने आसमान की ओर देखा—”सच देर से जीतता है, पर हारता कभी नहीं।”

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