देर रात अचानक हेमा मालिनी के घर पहुंचे सनी देओल बंटवारे पर बिगड़ी बात! Dharmendra property division
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धर्मेंद्र के जाने के बाद: देर रात सनी देओल की हेमा मालिनी से मुलाक़ात, क्या सचमुच “बंटवारा बातचीत” हुई?
धर्मेंद्र के निधन के बाद देओल परिवार एक बार फिर सुर्खियों में है। अभिनय के “ही-मैन” कहलाए गए धर्मेंद्र ने जैसे अपने फिल्मी करियर से लोगों का दिल जीता, वैसे ही उनकी निजी ज़िंदगी हमेशा दो परिवारों—पहली पत्नी प्रकाश कौर और दूसरी पत्नी हेमा मालिनी—के बीच बंटी हुई रही। अब, उनके जाने के बाद संपत्ति, रस्मों और रिश्तों को लेकर उठ रहे सवालों ने इस दूरी को और भी स्पष्ट कर दिया है।
इसी बीच, 1 दिसंबर की देर रात सनी देओल के अचानक हेमा मालिनी के जूहू स्थित घर “अद्वित्या” पहुँचने की ख़बर और तस्वीरों ने एक नए विवाद को जन्म दे दिया—क्या यह सिर्फ एक सांत्वना भरी मुलाक़ात थी, या फिर धर्मेंद्र की संपत्ति के “बंटवारे” पर कोई गंभीर चर्चा?
धर्मेंद्र की दो दुनिया: प्रकाश कौर और हेमा मालिनी
धर्मेंद्र ने अपने करियर की शुरुआत से पहले ही प्रकाश कौर से अरेंज मैरिज कर ली थी। इस रिश्ते से उनके चार बच्चे हुए—सनी, बॉबी, विजेता और अजीता। प्रकाश शुरू से ही फिल्म जगत की चमक–दमक से दूर, पारंपरिक पंजाबी गृहणी रहीं, जबकि धर्मेंद्र मुंबई में रहकर करियर और कामयाबी की सीढ़ियाँ चढ़ते गए।
सिनेमा के मंच पर उनके जीवन की सबसे बड़ी एंट्री तब हुई जब 70 के दशक में उनकी जोड़ी “ड्रीम गर्ल” हेमा मालिनी के साथ बनी। शूटिंग के दौरान दोनों करीब आए और अंततः धर्मेंद्र ने हेमा से भी शादी कर ली। हिंदू विवाह अधिनियम के तहत दूसरी शादी अवैध होती, इसलिए इंडस्ट्री में यह बात लंबे समय तक चर्चा में रही कि उन्होंने इस्लाम कबूल कर निकाह किया, भले ही उन्होंने सार्वजनिक रूप से कभी इसे स्पष्ट रूप से स्वीकार नहीं किया।
हेमा से शादी के बाद धर्मेंद्र एक वैकल्पिक जीवन जीने लगे—एक घर जूहू में, प्रकाश कौर और बच्चों के साथ; दूसरा घर हेमा और बेटियों ईशा–अहाना के साथ। वे दोनों परिवारों के बीच सचेत दूरी बनाए रखते हुए सालों तक “विज़िटिंग फादर” की तरह दोहरे दायित्व निभाते रहे।

दो परिवारों के बीच बढ़ती दूरी के संकेत
धर्मेंद्र के जीवनकाल में भी दोनों परिवारों के बीच की दूरी किसी से छुपी नहीं थी। 2012 में ईशा देओल की शादी में न तो सनी–बॉबी पहुंचे, न ही उनकी मां प्रकाश कौर। यह दृश्य कई अटकलों को जन्म देने के लिए काफ़ी था।
धर्मेंद्र की बिगड़ती सेहत के दिनों में सोशल मीडिया पर वायरल एक पुराना हॉस्पिटल वीडियो भी ध्यान खींचता है, जिसमें वे दर्द से तड़पते नज़र आते हैं और उनके साथ सिर्फ सनी और बॉबी दिखते हैं। हेमा या उनकी बेटियाँ कहीं नज़र नहीं आतीं। इससे यह धारणा मज़बूत हुई कि आखिरी दौर में भी दोनों परिवार अलग-अलग घेरे में ही मौजूद रहे।
24 नवंबर 2025 को जब धर्मेंद्र का जूहू निवास पर निधन हुआ, अंतिम संस्कार की तैयारियाँ और रस्में लगभग पूरी तरह पहले परिवार—सनी और बॉबी—ने संभालीं। पवन हंस श्मशान घाट पर अंतिम संस्कार के दौरान हेमा और उनकी बेटियाँ मौजूद तो थीं, पर उनकी भूमिका साफ़ तौर पर एक “दर्शक” की थी। मुखाग्नि, कर्मकांड और बाकी रस्में सनी–बॉबी की अगुवाई में हुईं।
अस्थि-विसर्जन से दूर रखा गया हेमा का परिवार?
धर्मेंद्र के पारिवारिक पुरोहित पंडित संदीप पाराशर के बयान ने इस दूराव को और स्पष्ट कर दिया। उन्होंने मीडिया से बातचीत में बताया कि हर की पौड़ी, हरिद्वार में अस्थि-विसर्जन की रस्म पूरी तरह निजी रखी गई। सभी कर्मकांड एक प्राइवेट होटल में किए गए और अस्थि-विसर्जन के समय सिर्फ सनी देओल, बॉबी देओल, दोनों के बेटे और एक नज़दीकी रिश्तेदार मौजूद थे।
हेमा मालिनी और उनकी बेटियाँ ईशा–अहाना इस कार्यक्रम में शामिल नहीं थीं। पंजाबियों में अब महिलाओं का अस्थि-विसर्जन में शामिल होना आम बात है, ऐसे में यह अनुपस्थिति कई सवाल खड़े करती है:
क्या सनी–बॉबी ने उन्हें जानबूझकर नहीं बुलाया?
या हेमा ने खुद दूरी बनाए रखने का फैसला किया?
स्पष्ट जवाब किसी तरफ़ से नहीं आया, लेकिन संकेत यह हैं कि दोनों परिवार एक–दूसरे की व्यक्तिगत सीमाओं का सम्मान करते हुए भी भावनात्मक स्तर पर दूर ही रहे।
दो अलग-अलग प्रार्थना सभाएँ: एक ही दिन, दो दुनिया
27 नवंबर 2025 को धर्मेंद्र की शांति के लिए दो अलग-अलग प्रार्थना सभाएँ रखी गईं—यह दृश्य भी दोनों परिवारों के बीच खिंची रेखा का प्रतीक बन गया।
पहली सभा: सनी और बॉबी देओल ने मुंबई के ताज लैंड्स एंड, बांद्रा में आयोजित की। यह भव्य, सार्वजनिक और इंडस्ट्री के दिग्गजों से भरी हुई थी—शाहरुख खान, सलमान खान, अभिषेक बच्चन, ऐश्वर्या राय सहित कई फिल्मी हस्तियाँ शामिल हुईं। मीडिया कवरेज भी व्यापक था।
दूसरी सभा: हेमा मालिनी ने अपने निवास पर साधारण, आध्यात्मिक माहौल वाली सभा रखी, जिसमें भगवद्गीता पाठ और भजन संध्या हुई। इसमें महिमा चौधरी, सुनीता आहूजा जैसे कुछ करीबी लोग ही शामिल हुए।
हेमा और उनकी बेटियाँ ताज वाले कार्यक्रम में नहीं गईं, जबकि पहले परिवार का कोई सदस्य हेमा के घर आयोजित सभा में नज़र नहीं आया। यह “दो प्रार्थना सभाएँ” इस बात की अंतिम पुष्टि थी कि धर्मेंद्र की मौत के बाद भी दोनों परिवार अलग-अलग संप्रेषणीय दायरों में ही रहे।
देर रात सनी देओल की हेमा से मुलाक़ात: सांत्वना या “बंटवारे” की चर्चा?
इन्हीं परिस्थितियों के बीच 1 दिसंबर की रात सनी देओल का हेमा मालिनी के जूहू स्थित घर पर जाना अचानक चर्चा का केंद्र बन गया। ट्विटर/एक्स पर “Legend Deols” नाम के एक फैन अकाउंट ने दावा किया कि सनी, बिज़नेसमैन भरत तख्तानी के साथ हेमा के घर पहुँचे थे। फोटो में दोनों एक कार में साथ नज़र आ रहे थे।
भरत तख्तानी, ईशा देओल के पूर्व पति और हेमा के दामाद हैं; 2024 में दोनों के तलाक की खबरों के बीच उनके संबंध भी चर्चा में रहे थे। बताया जाता है कि धर्मेंद्र की मौत के बाद भरत का हेमा–ईशा के घर आना-जाना फिर शुरू हुआ और उसी सिलसिले में वह सनी को साथ लेकर हेमा के घर पहुँचे।
इस मुलाक़ात पर अलग-अलग व्याख्याएँ सामने आईं:
कुछ लोगों ने कहा कि सनी देओल केवल शोक संवेदना व्यक्त करने और हेमा को भावनात्मक सहारा देने गए थे।
कुछ ने इसे “दो परिवारों के बीच दूरी घटने की शुरुआत” कहा।
वहीं कुछ यूज़र्स ने यह तक अटकल लगाई कि देर रात की इस निजी मुलाक़ात में धर्मेंद्र की संपत्ति के बंटवारे पर भी चर्चा हुई होगी।
परिवार की ओर से इन कयासों की न तो पुष्टि की गई, न ही खंडन। सनी और हेमा, दोनों ने सार्वजनिक रूप से मुलाक़ात के कारण पर कुछ नहीं कहा, जिससे यह मामला पूरी तरह “इंटरप्रिटेशन” और अफवाह की ज़द में है।
400 करोड़ की दौलत और “पुश्तैनी ज़मीन” का सवाल
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, धर्मेंद्र अपने पीछे लगभग 400 करोड़ रुपए की संपत्ति, अनेक व्यवसाय और पुश्तैनी ज़मीन छोड़ गए हैं। स्वाभाविक है कि इतने बड़े एस्टेट के बंटवारे को लेकर अटकलें तेज़ हों।
सबसे हैरान करने वाली बात यह सामने आई कि धर्मेंद्र ने कथित तौर पर अपनी पुश्तैनी ज़मीन किसी भी बच्चे या पत्नी के नाम नहीं की। यह ज़मीन reportedly किसी और भरोसेमंद रिश्तेदार/ट्रस्ट की देखरेख में चली गई, जिसका विवरण सार्वजनिक नहीं हुआ।
ऐसे में सवाल उठते हैं:
क्या धर्मेंद्र ने जानबूझकर पुश्तैनी संपत्ति को सभी बच्चों की सीधी पहुँच से बाहर रखा ताकि भविष्य में झगड़े से बचा जा सके?
या क्या यह कोई अलग कानूनी व्यवस्था थी जिसे परिवार जानता है, पर सार्वजनिक नहीं किया गया?
इन सभी सवालों के बीच, यह तथ्य साफ़ है कि संपत्ति को लेकर अभी आधिकारिक रूप से कुछ भी स्पष्ट नहीं है। जब तक वसीयत (यदि हो) या कानूनी दस्तावेज़ों की जानकारी सामने नहीं आती, “बंटवारा बहस” महज़ अनुमान ही है।
क्या सनी–हेमा के बीच कड़वाहट कम हो रही है?
सनी देओल और हेमा मालिनी के रिश्ते को लेकर हमेशा एक “सम्मानजनक दूरी” की बात होती रही है। सनी ने कभी उन्हें सार्वजनिक रूप से “मां” नहीं कहा; हेमा ने भी कभी पहले परिवार से निकटता दिखाने की कोशिश प्रचारात्मक ढंग से नहीं की। दोनों के बीच टकराव की कहानियाँ अफवाहों की दुनिया में भले मौजूद रही हों, पर दोनों पक्षों ने उन्हें हमेशा खारिज किया।
हाल के वर्षों में गदर 2 की सफलता के दौरान ईशा देओल, सनी और बॉबी के साथ एक तस्वीर ने प्रशंसकों को उम्मीद दी कि नई पीढ़ी भावनात्मक दीवारों को कुछ हद तक तोड़ रही है। धर्मेंद्र के निधन के बाद देर रात की मुलाक़ात, अगर सिर्फ शोक-संवेदना के लिए भी थी, तो भी यह संकेत है कि दोनों तरफ़ कहीं न कहीं रिश्ते को “सभ्य स्तर” पर बनाए रखने की इच्छा है।
सवाल यह नहीं कि क्या वे एक परिवार की तरह कभी एक छत के नीचे आएँगे—शायद नहीं। सवाल यह है कि क्या आने वाले समय में कम से कम सार्वजनिक कटुता और छुपे आरोप–प्रत्यारोपों से बचते हुए, एक-दूसरे की जगह को स्वीकार किया जा सकेगा।
निष्कर्ष: दो छोरों के बीच पुल या हमेशा के लिए दूरी?
धर्मेंद्र की ज़िंदगी और मृत्यु, दोनों ने यह साबित किया कि एक इंसान एक साथ दो दुनियाओं का हिस्सा हो सकता है—लेकिन दो दुनियाओं को पूरी तरह जोड़ पाना लगभग असंभव है।
एक तरफ़ पंजाब की जड़ों से जुड़ा, पहली पत्नी और बेटों के साथ परंपरागत परिवार; दूसरी तरफ़ बॉलीवुड की “ड्रीम गर्ल” और दो बेटियाँ, जिनके लिए धर्मेंद्र प्रेमी, पति और पिता तीनों थे।
अस्थि-विसर्जन में अनुपस्थिति, अलग प्रार्थना सभाएँ, देर रात की निजी मुलाक़ात, पुश्तैनी ज़मीन का किसी बच्चे के नाम न होना—ये सब मिलकर एक ही बात कहती हैं: धर्मेंद्र की मृत्यु के बाद भी यह परिवार दो समानांतर लाइनों पर ही चल रहा है, जो कभी–कभार एक दूसरे को पार से देख तो लेते हैं, पर मिलते नहीं।
जहाँ तक सनी देओल की देर रात हेमा मालिनी से मुलाक़ात का सवाल है, सच शायद केवल वही लोग जानते हैं जो उस कमरे में उपस्थित थे। बाहरी नज़र से इतना ही कहा जा सकता है कि यह मुलाक़ात, चाहे सांत्वना के लिए हो या संपत्ति पर चर्चा के लिए, इस परिवार की कहानी के अगले अध्याय की शुरुआत भर है—एक ऐसा अध्याय जिसमें प्रश्न तो बहुत हैं, लेकिन स्पष्ट उत्तर अभी भी धुंध में छुपे हुए हैं।
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