धर्मेंद्र की शोक सभा में क्यों नहीं आई हेमा मालिनी!Dharmendra Prayer Meet ! Prakash Kaur ! Suny deol

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धर्मेंद्र की शोक सभा में क्यों नहीं आईं हेमा मालिनी? परिवार, परंपरा और भावनाओं की अनकही कहानी

मुंबई। जब 24 नवंबर 2025 की सुबह बॉलीवुड के शेर, पंजाब के पुत्तर और करोड़ों दिलों के हीरो धर्मेंद्र का निधन हुआ, तो पूरा देश स्तब्ध रह गया। उनकी मौत ने न सिर्फ उनके परिवार, बल्कि पूरे फिल्म जगत और फैंस को गहरे शोक में डाल दिया। लेकिन उनके जाने के बाद जो घटनाएं घटीं, उन्होंने एक बार फिर देओल परिवार की जटिलता, पुराने जख्म और रिश्तों की गहराई को सबके सामने ला दिया। सबसे बड़ा सवाल था—धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हेमा मालिनी आखिर क्यों नहीं आईं उस भव्य प्रेयर मीट में, जहां पूरा बॉलीवुड उमड़ पड़ा था?

तीन दिनों की हलचल: रिश्तों का सन्नाटा और दर्द

धर्मेंद्र के निधन के बाद तीन दिन तक पूरे बॉलीवुड में एक अजीब सा तनाव और हलचल थी। यह उन तीन दिनों की कहानी है, जिसमें प्यार भी था, दुख भी था, रिश्तों की खामोशी भी थी और वो दूरियां भी, जो सालों से चली आ रही हैं और आज भी खत्म नहीं हुईं।

आमतौर पर जब इतने बड़े स्टार का निधन होता है, तो अंतिम यात्रा बड़े स्तर पर होती है। तिरंगे के साथ सम्मान, पूरा सिस्टम मौजूद रहता है। लेकिन देओल परिवार ने जो फैसला किया, वह बिल्कुल अलग था। धर्मेंद्र जी का अंतिम संस्कार उसी दिन दोपहर में बेहद निजी तरीके से विलय पार्ले के श्मशान घाट पर कर दिया गया। ना किसी को समय दिया गया, ना कोई बड़ा इंतजाम। हजारों फैंस भड़क गए, सोशल मीडिया पर सनी और बॉबी देओल को खरी-खोटी सुनाई गई। लेकिन सच हमेशा वही नहीं होता जो बाहर दिखाई देता है।

असल वजह थी—देओल परिवार का दर्द। कुछ दिन पहले अस्पताल में धर्मेंद्र जी का एक वीडियो लीक हो गया था, जिसमें वह बेसुद हालत में थे और प्रकाश कौर उनके पास बैठी रो रही थीं। यह वीडियो परिवार के लिए किसी सदमे जैसा था। ऐसे में परिवार ने तय किया कि अंतिम विदाई पूरी तरह निजी रखी जाएगी।

आखिरी रात: दो परिवार, एक दर्द

धर्मेंद्र जी के जाने से एक रात पहले, उनके घर की तीसरी मंजिल का छोटा सा कमरा पूरे परिवार के लिए मंदिर बन गया था। सनी देओल अपने पिता का हाथ पकड़े बैठे थे, बॉबी थोड़ी दूर बैठकर अपने आंसू छुपा रहे थे, प्रकाश कौर प्रार्थना कर रही थीं। कर्ण देओल भी चुपचाप अंदर आए, दादा जी का हाथ छुआ। तभी डॉक्टर ने बताया कि जूहू से वीडियो कॉल है—हेमा मालिनी।

स्क्रीन पर हेमा मालिनी, ईशा और अहाना देओल दिखीं। हेमा जी ने कांपती आवाज में कहा, “धर्म जी, मैं यहां हूं। आप सुन रहे होंगे। हम सब यहीं हैं। आप भी आराम से रहिए।” कमरे में एक सन्नाटा था, लेकिन उस एक पल में ऐसा लगा जैसे दो परिवार नहीं, बल्कि एक ही दिल धड़क रहा हो। सबके अंदर एक ही दर्द घूम रहा था।

दो प्रार्थना सभाएं: सम्मान और मर्यादा

अगले तीन दिनों ने दोनों परिवारों के रिश्तों का माहौल तय कर दिया। एक सभा ताज लैंड्स एंड होटल में थी, जहां हिंदुस्तान के सारे बड़े चेहरे आए। दूसरी सभा हेमा मालिनी के घर पर थी, जहां सिर्फ दिल से जुड़े लोग पहुंचे। देओल परिवार चाहता था कि अंतिम विदाई सिर्फ परिवार के बीच हो और कोई तमाशा ना बने।

लेकिन यही तो बात है—एक सुपरस्टार सिर्फ परिवार का नहीं होता, वह पूरे देश का होता है। इसलिए तीन दिन बाद देओल परिवार ने एक बड़ा आयोजन रखा, जिसे नाम दिया “सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ”। ताज लैंड्स एंड होटल सफेद फूलों से सजा हुआ था, एलईडी स्क्रीन पर धर्मेंद्र जी की फिल्मों की झलक थी। सनी देओल हाथ जोड़े हर मेहमान का स्वागत कर रहे थे, बॉबी आंसू पोंछते रहे। सलमान खान ने सनी को गले लगाया और दोनों रो पड़े। शाहरुख, अमिताभ, रेखा, आमिर, अक्षय, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ—हर बड़ा नाम वहां मौजूद था।

हेमा मालिनी की अनुपस्थिति: गहरी वजहें

भीड़ में एक चेहरा गायब था—हेमा मालिनी। यही सवाल सबके मन में घूम रहा था। असली वजह बहुत गहरी थी। हेमा और प्रकाश कौर के बीच की दूरी कोई झगड़ा नहीं, बल्कि एक मर्यादा थी। एक ऐसी दीवार जो प्यार से नहीं, मजबूरी से बनी थी। ताज का आयोजन पहला परिवार कर रहा था, इसलिए हेमा जी वहां नहीं गईं। वह नहीं चाहती थीं कि किसी तरह की असहज स्थिति बने, मीडिया का कैमरा इधर-उधर घूमे और धर्मेंद्र जी की यादें खो जाएं।

उसी समय हेमा जी ने अपने जूहू स्थित बंगले पर अलग प्रार्थना सभा रखी। वहां सिर्फ करीबी लोग थे, कोई शो नहीं, कोई मीडिया नहीं, सिर्फ भावनाएं और यादें थीं। ईशा देओल के पूर्व पति भारत तख्तानी भी पहुंचे, जिन्होंने तलाक के बाद भी परिवार का साथ नहीं छोड़ा। यह इंसानियत का बड़ा उदाहरण था।

भावनाओं का ज्वार: गीत, आंसू और यादें

ताज लैंड्स एंड होटल में सोनू निगम ने “पल-पल दिल के पास” गाना गाया। सनी और बॉबी दोनों अपने आंसू रोक नहीं पाए। पूरा हॉल नम हो गया। हर चेहरा धर्मेंद्र जी की शख्सियत को याद कर रहा था। मंच के नीचे जितना तूफान था, उतना ही गानों में भावनाओं का ज्वार था। कई लोग सनी और बॉबी को गले लगा रहे थे, कोई उनकी पीठ थपथपा रहा था, कोई दूर से रो रहा था।

हेमा मालिनी ने अपने घर पर बैठकर सोशल मीडिया पर धर्मेंद्र जी के साथ पुरानी तस्वीरें और भावुक पोस्ट शेयर की। उन्होंने लिखा—”धर्म जी मेरे दोस्त थे, जीवन साथी थे, बेटियों के सबसे प्यारे पिता थे। यह खालीपन कभी नहीं भर पाएगा।” हर पोस्ट में एक पत्नी का दर्द साफ झलक रहा था।

दो परिवार, एक प्यार

जब हम इन दो अलग-अलग प्रार्थना सभाओं को देखते हैं, तो लगता है कि दो परिवार जरूर हैं, लेकिन धर्मेंद्र जी के लिए दोनों का प्यार एक जैसा है। एक तरफ ताज लैंड्स एंड का शोर, दूसरी तरफ हेमा जी के घर की चुप्पी—दोनों जगह एक ही इंसान की याद थी। दोनों जगह आंसू थे, दोनों जगह सम्मान था।

धर्मेंद्र जी ने अपनी जिंदगी दो परिवारों के बीच संतुलन बनाकर जी। यह आसान नहीं था, लेकिन उन्होंने कभी कोई बड़ा विवाद सामने नहीं आने दिया। उनकी विदाई में सिर्फ एक सुपरस्टार का जाना नहीं था, बल्कि दो परिवारों की भावनाओं, समझदारी, मर्यादा और इंसानियत की कहानी थी।

निष्कर्ष: रिश्तों की गहराई और विरासत

धर्मेंद्र जी की शोक सभा में हेमा मालिनी की अनुपस्थिति एक मर्यादा, एक सम्मान और एक समझदारी थी। दोनों परिवारों ने अपनी-अपनी दुनिया में धर्मेंद्र जी को विदाई दी। यह कहानी हमें सिखाती है कि रिश्तों की गहराई, दर्द और समझदारी समय के साथ भी मिटती नहीं है। धर्मेंद्र जी की असली विरासत यही है—प्यार, सम्मान और इंसानियत।

ओम शांति।

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