धर्मेंद्र के जाते ही आधी रात को सलमान से मिलने क्यों गयी हेमा मालिनी ? Hema malini and Salman khan
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धर्मेंद्र के जाने के बाद हेमा मालिनी का सलमान खान से आधी रात को मिलना: एक रहस्य
24 नवंबर 2025 को, जब बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन हुआ, तो पूरे देश में शोक की लहर दौड़ गई। उनके जाने के बाद, हेमा मालिनी का सलमान खान के घर गैलेक्सी अपार्टमेंट में आधी रात को पहुंचना सबको चौंका गया। सन्नाटे में घिरी रात और रोने से सूजी हुई आंखों के साथ हेमा मालिनी ने एक ऐसा कदम उठाया जो कई सवाल खड़े करता है। आखिरकार, इस मुलाकात के पीछे की वजह क्या थी? क्या परिवार के अंदर कुछ ठीक नहीं चल रहा था? इस लेख में हम इस रहस्यमय मुलाकात और उसके पीछे की भावनाओं को समझने की कोशिश करेंगे।
धर्मेंद्र की विदाई: एक दुखद क्षण
धर्मेंद्र जी का निधन एक ऐसा मोड़ था जिसने न केवल उनके परिवार को बल्कि पूरे बॉलीवुड को हिला कर रख दिया। जब उनकी तबीयत बिगड़ी, तो परिवार के सभी सदस्य अस्पताल पहुंचे। सनी देओल, बॉबी देओल और प्रकाश कौर सभी वहां मौजूद थे। लेकिन हेमा मालिनी, जो धर्मेंद्र की दूसरी पत्नी हैं, अस्पताल नहीं पहुंची। यह बात लोगों के बीच चर्चा का विषय बन गई। क्या वह जानबूझकर नहीं गईं या फिर कोई और कारण था?
जब धर्मेंद्र जी की मौत की खबर आई, तो पूरे बॉलीवुड में खामोशी छा गई। लेकिन इस खामोशी के पीछे की सच्चाई क्या थी? क्या परिवार के अंदर कोई बड़ा तनाव था? क्या हेमा मालिनी और धर्मेंद्र के बच्चों के बीच कोई अनबन थी? इन सवालों के जवाब जानने के लिए हमें कहानी के अगले हिस्से की ओर बढ़ना होगा।

हेमा मालिनी का सलमान खान के घर जाना
जैसे ही आधी रात का समय आया, हेमा मालिनी ने सलमान खान के घर जाने का फैसला किया। गैलेक्सी अपार्टमेंट के बाहर पहुंचने पर, उनका चेहरा रोने से सूजा हुआ था और उनकी आंखों में दर्द था। सलमान खान, जो धर्मेंद्र जी को बेटे की तरह मानते थे, ने तुरंत उनकी भावनाओं को समझा। वह जानते थे कि यह मुलाकात सिर्फ एक औपचारिकता नहीं थी, बल्कि एक मां के दर्द और बेटियों के अधिकार की कहानी थी।
हेमा ने सलमान से कहा, “मैं अपनी बेटियों के लिए आई हूं। मैं ईशा और अहाना के लिए न्याय चाहती हूं।” यह वाक्य उस दर्द को दर्शाता है जो वह महसूस कर रही थीं। उन्होंने कहा कि उन्हें अपने लिए कुछ नहीं चाहिए, लेकिन उनकी बेटियों का हक क्यों नहीं? यह एक मां का आरोप था, जिसे सलमान को समझना था और परिवार तक पहुंचाना भी।
परिवार के अंदर का तनाव
धर्मेंद्र जी की विदाई के समय, पारिवारिक तनाव साफ नजर आ रहा था। सनी और बॉबी ने अपनी मां प्रकाश कौर के साथ मिलकर सभी रस्में निभाईं। लेकिन हेमा मालिनी और उनकी बेटियों को इस प्रक्रिया से दूर रखा गया। यह स्थिति परिवार के अंदर के रिश्तों को और भी जटिल बना देती है।
जब परिवार में कोई बड़ा नुकसान होता है, तो रिश्तों की दूरी साफ नजर आती है। बेटियों को अपने पिता की अस्थियों को विसर्जित करने का अधिकार नहीं दिया गया। यह एक ऐसा मुद्दा था जो हेमा मालिनी के लिए बेहद संवेदनशील था। उन्होंने सलमान को बताया कि वह अपनी बेटियों के लिए न्याय चाहती हैं, और यह बात सलमान को भी समझ में आई।
सलमान खान का मध्यस्थता का प्रयास
सलमान खान ने हेमा की बात सुनी और उन्हें आश्वासन दिया कि वह स्थिति को समझने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा, “मैं कोशिश करूंगा, लेकिन सनी भैया भावुक हैं और उनके इरादे गलत नहीं होते।” सलमान ने सनी देओल से बात की और उन्हें स्थिति के बारे में बताया।
सनी ने सलमान को बताया कि पापा के संस्कार घर की परंपराओं से करने थे और उन्होंने किसी को रोका नहीं। लेकिन यह भी सच था कि ईशा और अहाना को पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का मौका नहीं मिला। यह स्थिति दोनों परिवारों के बीच तनाव को और बढ़ा रही थी।
मीडिया की भूमिका और सोशल मीडिया पर प्रतिक्रियाएं
इस पूरी घटना के दौरान, मीडिया ने भी अपनी भूमिका निभाई। सोशल मीडिया पर इस बात को लेकर कई चर्चाएं हुईं कि हेमा मालिनी को परिवार में उचित सम्मान नहीं दिया गया। लोग यह भी कहने लगे कि उनकी बेटियों को भी अपने पिता के अंतिम संस्कार में शामिल होने का अधिकार मिलना चाहिए था।
यहां तक कि कई फैंस ने सोशल मीडिया पर अपनी नाराजगी व्यक्त की और सवाल उठाए कि आखिरकार एक मां और बेटियों को उनके अधिकार से क्यों वंचित रखा गया। इस स्थिति ने परिवार के अंदर की भावनाओं को और भी जटिल बना दिया।
निष्कर्ष: एक परिवार की कहानी
धर्मेंद्र जी का निधन सिर्फ एक सुपरस्टार की मौत की कहानी नहीं है, बल्कि यह एक परिवार की भावनाओं की कहानी है। एक मां का दर्द, बेटियों की खामोशी और बेटों का कर्तव्य, जिसे कभी-कभी दुनिया गलत भी समझती है।
इस घटना ने हमें यह सिखाया कि परिवार चाहे कितना बड़ा हो, दुख के समय रिश्तों की दूरी साफ नजर आती है। परंपराओं का सम्मान जरूरी है, लेकिन बेटियों की भावनाएं भी कम नहीं होतीं। सबसे बड़ी बात यह है कि जब एक परिवार टूटता है, तो बाहर की दुनिया केवल कहानी देखती है, लेकिन अंदर असली दर्द वही सहते हैं जो उससे गुजर रहे होते हैं।
धर्मेंद्र जी चले गए, लेकिन उनके पीछे एक ऐसा परिवार छोड़ गए जिसे अब खुद अपने घाव भरने हैं। सवाल यह नहीं है कि कौन सही था, कौन गलत, बल्कि यह है कि क्या पिता के प्यार में बेटा-बेटी का कोई फर्क होता है?
आप बताइए, क्या ईशा और अहाना को धर्मेंद्र की अस्थि विसर्जन में जाना चाहिए था? क्या बेटियों को भी वही अधिकार मिलने चाहिए जो बेटों को मिलते हैं? क्या परिवार को इस मुद्दे पर खुलकर बात करनी चाहिए? अपनी राय कमेंट में जरूर लिखें।
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