धर्मेंद्र के बाद हेमा के घर जाकर सनी देओल ने क्या कियाआप भी देखें..

सनी देओल का हेमा मालिनी के घर जाना: रिश्तों की नई शुरुआत

प्रारंभ

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ, जिसने न केवल उनके परिवार बल्कि पूरे देश को शोक में डाल दिया। धर्मेंद्र की मौत के बाद, सनी देओल ने अपनी सौतेली मां हेमा मालिनी के घर अद्वैत जाने का निर्णय लिया। यह कदम कई सवाल उठाता है: क्या यह एक नई शुरुआत है? क्या पुरानी नफरत की दीवार गिर गई है? या फिर संपत्ति के बंटवारे का कोई नया खेल रचा जा रहा है?

एक काली रात का मंजर

1 दिसंबर 2025 की रात को जब सनी देओल अपनी गाड़ी से हेमा मालिनी के बंगले के गेट पर पहुंचे, तो वह एक अजीब सा माहौल था। जूहू की सड़कें, जो अक्सर सितारों की चमक से रोशन रहती हैं, उस रात खामोशी ओढ़े हुए थीं। सनी का वहां पहुंचना एक बहुत महत्वपूर्ण पल था, क्योंकि यह वह घर था जहां उन्होंने कभी कदम नहीं रखा था।

सनी का यह कदम सिर्फ एक मुलाकात नहीं था, बल्कि यह एक संदेश था। यह उस परंपरा का अंत था जो पिछले 40 सालों से चली आ रही थी। सनी देओल ने वहां जाकर न केवल अपने पिता की याद को सम्मान दिया, बल्कि यह भी दर्शाया कि वे अपने परिवार के लिए कितने जिम्मेदार हैं।

परिवार में बढ़ता तनाव

धर्मेंद्र की मौत के बाद, परिवार में तनाव बढ़ गया था। प्रार्थना सभा में सनी और बॉबी ने भावुक होकर अपने पिता को याद किया, लेकिन हेमा और उनकी बेटियां कहीं नजर नहीं आईं। इस दौरान सोशल मीडिया पर यह चर्चा थी कि अब देओल परिवार का क्या होगा, और क्या प्रकाश कौर और हेमा मालिनी का परिवार एक साथ आएगा या दूरियां और बढ़ेंगी।

जब सनी ने हेमा के घर जाने का फैसला किया, तब यह स्पष्ट हो गया कि वे अपने परिवार को एकजुट रखने के लिए तैयार हैं। यह कदम उन अफवाहों को भी खत्म करता है जो यह कहती थीं कि सनी और बॉबी अपनी सौतेली बहनों को संपत्ति से बेदखल कर देंगे।

सनी और हेमा की मुलाकात

सनी और हेमा की मुलाकात बेहद भावुक थी। सनी ने अपनी सौतेली मां के आंसू पोंछे और कहा कि अब वह इस परिवार के मुखिया हैं। उन्होंने स्पष्ट किया कि किसी को भी अकेला महसूस करने की जरूरत नहीं है। यह मुलाकात एक नई शुरुआत का प्रतीक थी, जहां परिवार की एकता और प्यार को प्राथमिकता दी गई।

सनी के साथ इस रात भरत तख्तानी भी थे, जो ईशा देओल के पूर्व पति हैं। यह दिखाता है कि देओल परिवार के रिश्ते कागजों के मोहताज नहीं हैं। भरत का वहां होना यह साबित करता है कि सनी आज भी ईशा के रक्षक हैं, चाहे हालात कैसे भी हों।

संपत्ति का बंटवारा

धर्मेंद्र ने अपने पीछे 450 करोड़ रुपये की संपत्ति छोड़ी है, जिसमें जूहू के दो आलीशान बंगले, लोनावाला का फार्महाउस, विंटेज गाड़ियों का कलेक्शन और करोड़ों का रेस्टोरेंट बिजनेस शामिल है। लेकिन सनी ने स्पष्ट कर दिया है कि वह अपनी सौतेली बहनों को उनका पूरा हक देंगे।

यहां तक कि धर्मेंद्र ने अपनी एक जायदाद, लुधियाना के डांगो गांव में, अपने भतीजे बूटा सिंह को दान कर दी थी। यह उनके दूरदर्शिता और जमीन से जुड़े इंसान होने का प्रमाण है। उन्होंने अपने बच्चों को यह सिखाया कि असली संपत्ति रिश्तों में होती है, न कि केवल पैसों में।

रिश्तों की ताकत

सनी देओल का हेमा मालिनी के घर जाना एक महत्वपूर्ण संदेश देता है कि रिश्ते खून से ज्यादा भावनाओं से बनते हैं। सनी ने साबित कर दिया है कि वह सिर्फ पर्दे पर ही नहीं, बल्कि असल जिंदगी में भी अपने पिता की परछाई हैं।

धर्मेंद्र जी के अंतिम दिनों में उनकी हालत बहुत खराब थी, लेकिन उन्होंने कभी किसी को अपना दर्द नहीं महसूस होने दिया। उन्होंने अपनी अंतिम इच्छा का सम्मान किया, और सनी ने उस रात अपनी सौतेली मां के साथ खड़े होकर यह दिखाया कि परिवार की एकता सबसे महत्वपूर्ण है।

निष्कर्ष

1 दिसंबर की रात ने यह साबित कर दिया कि देओल परिवार में प्रेम और सम्मान की कोई कमी नहीं है। सनी देओल ने अपने पिता की इच्छा को पूरा किया और यह दिखाया कि रिश्तों का महत्व पैसे से कहीं अधिक है।

इस घटना ने हमें यह सिखाया कि जीवन बहुत छोटा है और पुरानी रंजिशें और गिले शिकवे मौत के सामने बौने साबित होते हैं। सनी का कदम यह दर्शाता है कि परिवार की एकता सबसे बड़ी विरासत है।

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