धोखाधड़ी के खिलाफ एफआईआर दर्ज होने के बाद दीपिका पादुकोण और शाहरुख खान को मुंबई पुलिस गिरफ्तार करेगी!

हाल ही में बॉलीवुड के मशहूर अभिनेता शाहरुख़ ख़ान और अभिनेत्री दीपिका पादुकोण एक नए विवाद में फंस गए हैं। राजस्थान के भरतपुर जिले में इन दोनों कलाकारों के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है। मामला एक Hyundai कंपनी की SUV कार से जुड़ा है, जिसमें तकनीकी खामियों को लेकर शिकायत की गई थी। शिकायतकर्ता का आरोप है कि कार में गंभीर खराबियाँ हैं, और प्रचार के ज़रिए उपभोक्ताओं को गुमराह किया गया है।

मामले की शुरुआत कैसे हुई

भरतपुर निवासी कीर्ति सिंह नाम के एक वकील ने 2022 में हरियाणा के सोनीपत स्थित एक डीलर से Hyundai Alcazar SUV खरीदी थी। इस कार की कीमत लगभग ₹24 लाख थी। उनका दावा है कि कुछ महीनों तक कार ठीक चलने के बाद उसमें बार-बार तकनीकी दिक्कतें आने लगीं। शिकायतकर्ता के अनुसार, तेज़ गति से कार चलाने पर उसमें कंपन और शोर उत्पन्न होता है। इसके अलावा, इंजन मैनेजमेंट सिस्टम बार-बार खराबी का संकेत देने लगता है।

जब उन्होंने इस संबंध में डीलर और कंपनी से शिकायत की तो उन्हें कोई स्थायी समाधान नहीं मिला। डीलर ने स्वीकार किया कि यह एक “मैन्युफैक्चरिंग डिफेक्ट” है, और इसे पूरी तरह से ठीक नहीं किया जा सकता। इसके बाद शिकायतकर्ता ने कोर्ट का रुख किया।

FIR में किन-किन लोगों को आरोपी बनाया गया

शिकायतकर्ता कीर्ति सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए भरतपुर की सीजेएम कोर्ट नंबर 2 ने मथुरा गेट थाने को एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। दर्ज एफआईआर में कुल आठ लोगों के नाम हैं, जिनमें बॉलीवुड अभिनेता शाहरुख़ ख़ान, अभिनेत्री दीपिका पादुकोण, Hyundai कंपनी के उच्च अधिकारी और कार डीलर शामिल हैं।

FIR भारतीय दंड संहिता की धारा 420 (धोखाधड़ी), 406 (विश्वास भंग), 120‑B (आपराधिक साजिश) और उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम के प्रावधानों के तहत दर्ज की गई है।

शिकायतकर्ता का क्या कहना है

कीर्ति सिंह का आरोप है कि Hyundai के विज्ञापनों में इस कार को एक बेहतरीन, भरोसेमंद और आधुनिक तकनीक वाली कार के रूप में प्रस्तुत किया गया था। शाहरुख़ ख़ान और दीपिका पादुकोण जैसे सितारों ने कार की विश्वसनीयता और परफॉर्मेंस को लेकर जनता को आकर्षित किया। लेकिन जब उन्होंने कार खरीदी, तो उन्हें तकनीकी खामियों और बार-बार सर्विस सेंटर के चक्कर लगाने के अलावा कुछ नहीं मिला।

उनका कहना है कि जब आम लोग इन सितारों के प्रचार को देखकर किसी ब्रांड पर भरोसा करते हैं, और बाद में धोखा होता है, तो सिर्फ कंपनी ही नहीं, ब्रांड एंबेसडर भी इसके लिए ज़िम्मेदार होते हैं।

कानूनी दृष्टिकोण: क्या ब्रांड एंबेसडर दोषी हो सकते हैं?

भारत में उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम, 2019 के तहत अगर कोई सेलिब्रिटी या ब्रांड एंबेसडर किसी उत्पाद का प्रचार करते समय भ्रामक या झूठी जानकारी देता है, और उसके कारण उपभोक्ता को नुकसान होता है, तो उस एंबेसडर को भी दोषी माना जा सकता है।

हाल के वर्षों में केंद्रीय उपभोक्ता संरक्षण प्राधिकरण (CCPA) ने कई ऐसे मामलों में सख्त रुख अपनाया है जहाँ सेलिब्रिटी प्रमोशन की वजह से जनता को गुमराह किया गया। इस मामले में भी शिकायतकर्ता की दलील है कि विज्ञापन के ज़रिए उन्हें गलत जानकारी दी गई और उनकी मेहनत की कमाई से खरीदी गई गाड़ी ने उन्हें मानसिक और आर्थिक रूप से परेशान किया।

शाहरुख़ ख़ान और Hyundai के संबंध

शाहरुख़ ख़ान Hyundai के साथ 1998 से जुड़े हुए हैं, जब कंपनी ने भारत में अपनी पहली कार “Santro” लॉन्च की थी। वे कंपनी के कई प्रसिद्ध विज्ञापनों में दिखाई दिए हैं और Hyundai ब्रांड की विश्वसनीयता को लोकप्रिय बनाने में उनकी भूमिका अहम रही है।

दीपिका पादुकोण भी हाल ही में Hyundai की ब्रांड एंबेसडर बनी थीं। उन्होंने दिसंबर 2023 में कंपनी के साथ आधिकारिक रूप से साझेदारी की और Hyundai Creta 2024 जैसे नए मॉडलों का प्रचार किया।

Hyundai कंपनी की प्रतिक्रिया

इस मामले को लेकर अभी तक Hyundai इंडिया की ओर से कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है। हालांकि, आमतौर पर ऐसी स्थितियों में कंपनियाँ या तो आंतरिक जांच कराती हैं या फिर कानूनी प्रक्रिया के तहत जवाब देती हैं।

यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या कंपनी इस शिकायत को गंभीरता से लेकर उपभोक्ता को समाधान देती है या अदालत में ही इस विवाद का हल निकलेगा।

बॉलीवुड सितारों की चुप्पी

शाहरुख़ ख़ान और दीपिका पादुकोण की तरफ से इस मामले में अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी गई है। दोनों ही कलाकार अपने करियर के व्यस्त चरण में हैं, और ऐसे में यह विवाद उनकी छवि पर क्या असर डालता है, यह भविष्य में स्पष्ट होगा।

बॉलीवुड सितारों के लिए ब्रांड एंडोर्समेंट एक बड़ा राजस्व स्रोत होता है, लेकिन साथ ही इसमें जोखिम भी होता है, खासकर जब उत्पाद की गुणवत्ता में खामी पाई जाती है। हाल के वर्षों में कई अन्य सेलिब्रिटीज़ पर भी इसी तरह के आरोप लग चुके हैं।

समाज और कानून के लिए यह मामला क्यों महत्वपूर्ण है

यह मामला केवल एक कार में खराबी का नहीं है, बल्कि यह उपभोक्ता अधिकारों, ब्रांड की ज़िम्मेदारी और प्रचार की नैतिकता का भी सवाल है। जब कोई आम नागरिक किसी उत्पाद को खरीदता है, तो वह विज्ञापन, प्रचार और ब्रांड की विश्वसनीयता को देखकर ही निर्णय लेता है।

अगर कोई ब्रांड केवल दिखावे और प्रचार के दम पर अपने उत्पाद बेच रहा है, और असलियत में वह उत्पाद तकनीकी या गुणवत्ता के पैमाने पर खरा नहीं उतरता, तो यह धोखाधड़ी की श्रेणी में आता है।

इसलिए अदालत द्वारा इस मामले की निष्पक्ष जांच और फैसला न केवल शिकायतकर्ता को न्याय दिलाने में मदद करेगा, बल्कि भविष्य में कंपनियों और सेलिब्रिटीज़ को भी यह संदेश देगा कि प्रचार करते समय उन्हें सतर्क रहना चाहिए।

निष्कर्ष

शाहरुख़ ख़ान और दीपिका पादुकोण के ख़िलाफ़ दर्ज यह एफआईआर भारतीय कानून, उपभोक्ता अधिकार और विज्ञापन की नैतिकता के बीच के एक जटिल रिश्ते को उजागर करती है। यह मामला केवल एक व्यक्ति की परेशानी नहीं है, बल्कि पूरे उपभोक्ता तंत्र को झकझोर देने वाला उदाहरण है।

अगर ब्रांड एंबेसडर को भी जवाबदेह ठहराया जाता है, तो यह सेलिब्रिटी प्रचार की दुनिया में एक बड़ा मोड़ साबित हो सकता है। साथ ही, उपभोक्ताओं को भी यह सीख मिलेगी कि उत्पाद चुनते समय सिर्फ विज्ञापन नहीं, बल्कि उत्पाद की गुणवत्ता और कंपनी की साख को भी जांचना ज़रूरी है।

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