नौकर ने डूबती हुई करोड़पति की बेटी की जान बचाई… बदले में इनाम देने कीजगह मालिक ने थप्पड़

एक खूबसूरत सुबह, रिया मेहरा, जो एक करोड़पति की बेटी थी, अपने अमीर दोस्तों के साथ अपने प्राइवेट बीच हाउस पर एक ग्रैंड पिकनिक पार्टी कर रही थी। लाउड म्यूजिक, महंगा खाना और चारों ओर बस हंसी-ठिठोली का माहौल था। आदित्य और उसकी पत्नी, रिया के माता-पिता, किसी जरूरी मेडिकल चेकअप के लिए शहर से बाहर थे। इसलिए उन्होंने रिया की देखभाल के लिए अपने सबसे भरोसेमंद नौकर आकाश को साथ भेजा था।

आकाश, जो पिछले 5 सालों से मेहरा परिवार के लिए काम कर रहा था, एक शांत, ईमानदार और मेहनती लड़का था। उसने अपनी वफादारी से सबका दिल जीत लिया था। जहां रिया और उसके दोस्त समंदर की लहरों के साथ नाच रहे थे, सेल्फी ले रहे थे, वहीं आकाश एक कोने में खड़ा चुपचाप सब पर नजर रखे हुए था ताकि किसी को कोई तकलीफ न हो।

भाग 2: संकट का समय

जैसे-जैसे पार्टी आगे बढ़ी, रिया मस्ती में अपने दोस्तों के साथ समंदर की गहरी लहरों की तरफ चली गई। उसके दोस्त उसे और गहरे पानी में जाने के लिए उकसा रहे थे। तभी अचानक एक बड़ी और शक्तिशाली लहर आई और रिया को अपने साथ अंदर की तरफ खींच ले गई। एक पल में सारी मस्ती, सारा मजाक चीख-पुकार में बदल गया।

“रिया!” उसके दोस्तों ने चिल्लाया, “हेल्प, हेल्प मी! मुझे बचाओ!” लेकिन उसके दोस्त, जो कुछ देर पहले उसके साथ नाच रहे थे, अब किनारे पर खड़े होकर घबराने और अपने मोबाइल से वीडियो बनाने लगे। किसी की हिम्मत नहीं हुई कि वह उसे बचाने के लिए आगे बढ़े।

लेकिन एक इंसान था जो भागा, वो था आकाश। उसने एक पल भी नहीं सोचा। अपनी जान की परवाह किए बिना, तूफानी लहरों में कूद गया। पानी का बहाव बहुत तेज था। एक पल को तो लगा कि आकाश खुद भी डूब जाएगा। लेकिन उसने हिम्मत नहीं हारी। उसने किसी तरह रिया को पकड़ा और अपनी पूरी ताकत लगाकर उसे खींचते हुए किनारे तक ले आया।

भाग 3: जान बचाने की कोशिश

किनारे पर रिया बेहोश थी। उसकी सांसे लगभग रुक चुकी थीं। आकाश ने बिना देर किए उसे सीपीआर देना शुरू किया। वह उसके सीने पर दबाव डाल रहा था, उसे सांस देने की कोशिश कर रहा था। रिया के दोस्त, जो अब तक वीडियो बना रहे थे, यह देखकर सन्न रह गए और फिर रिया ने एक लंबी खांसी के साथ पहली सांस ली। उसकी जान बच गई थी। सब लोग ताली बजाने लगे और आकाश की बहादुरी की तारीफ करने लगे।

भाग 4: साजिश का जन्म

लेकिन दोस्तों, उस भीड़ में एक शैतान भी छिपा था। रिया का एक दोस्त रोहन, जो मन ही मन आकाश से जलता था क्योंकि मेहरा परिवार उसे बहुत मानता था, उसके दिमाग में एक घिनौनी साजिश चल रही थी। उसने अपने मोबाइल से उस वीडियो का सिर्फ वह हिस्सा काटा जिसमें आकाश रिया को सीपीआर दे रहा था। उसे अपने सीने से लगाकर सांस देने की कोशिश कर रहा था।

उसने उस वीडियो को एक गलत एंगल से क्रॉप किया जिससे ऐसा लग रहा था कि आकाश बेहोश रिया के साथ कोई जबरदस्ती या गलत हरकत कर रहा है। और उसने वह एडिट किया हुआ वीडियो क्लिप सीधा रिया के पापा आदित्य मेहरा को भेज दिया और साथ में लिखा, “देखिए अंकल, आपका नौकर आपकी बेटी के साथ क्या कर रहा है।”

भाग 5: गलतफहमी का शिकार

उधर, घर पहुंचते ही थकी हुई रिया अपने कमरे में जाकर सो गई। और जब आदित्य मेहरा ने अपने फोन पर वह वीडियो देखा, तो उसके तन-बदन में आग लग गई। उसका खून खौल उठा। उसे अपनी आंखों पर यकीन नहीं हुआ। उसे वीडियो में सिर्फ यही दिखा कि उसका नौकर उसकी बेहोश बेटी के साथ जबरदस्ती कर रहा है।

गुस्से से पागल आदित्य ने तुरंत आकाश को फोन लगाया। “आकाश, कहां है तू? तेरी हिम्मत कैसे हुई मेरी बेटी को छूने की? तू है क्या? एक नौकर! तेरी औकात क्या है? आज के बाद मुझे अपनी शक्ल मत दिखाना। नौकरी से निकाला जाता है तू। अभी के अभी दफा हो जा मेरी नजरों से।”

भाग 6: बर्बादी का एहसास

आकाश, जो उस वक्त रिया के लिए सूप बना रहा था, यह सुनकर सन्न रह गया। उसके हाथ से सूप का कटोरा छूटकर जमीन पर गिर गया। उसके मुंह से शब्द नहीं निकल रहे थे। उसने कांपती आवाज में बस इतना कहा, “सर, आप गलत समझ रहे हैं। मैंने तो बस रिया मैडम की जान बचाई थी।” लेकिन आदित्य कुछ भी सुनने को तैयार नहीं था। उसने फोन काट दिया और गार्ड्स को आदेश दिया कि आकाश को धक्के मारकर घर से बाहर निकाल दिया जाए और उसका सामान सड़क पर फेंक दिया जाए।

आकाश रोया नहीं। वह बस हैरान और टूटा हुआ था। जिस मालिक की बेटी के लिए उसने अपनी जान दांव पर लगा दी, आज उसी मालिक ने उसे जलील करके घर से निकाल दिया था। वह चुपचाप बिना किसी से कुछ कहे उस घर की दहलीज से बाहर निकल गया, जहां उसने 5 साल वफादारी से गुजारे थे।

भाग 7: रिया का जागरण

कुछ घंटों बाद, जब रिया की नींद खुली तो उसने पानी के लिए आवाज लगाई। “आकाश भैया, पानी!” लेकिन जब आकाश नहीं आया तो एक दूसरी नौकरानी पानी लेकर आई। रिया ने पूछा, “आकाश भैया कहां है?” नौकरानी ने डरते हुए बताया, “मैडम, साहब ने उन्हें नौकरी से निकाल दिया है।”

रिया यह सुनकर चौंक गई। “क्या निकाल दिया? पर क्यों? उन्होंने तो मेरी जान बचाई है।” रिया भागकर अपने पापा के कमरे में गई। आदित्य अब भी गुस्से में था। रिया ने कहा, “पापा, आपने आकाश भैया को नौकरी से क्यों निकाला? आज अगर वह नहीं होते तो मैं जिंदा नहीं होती।”

भाग 8: सच्चाई का पता

आदित्य ने गुस्से में अपना फोन रिया को दिखाते हुए कहा, “यह देख, तेरे उस वफादार नौकर की करतूत। जब तू बेहोश थी तो वह तेरे साथ क्या कर रहा था।” रिया ने जब वह एडिटेड वीडियो देखा तो उसका सिर चकरा गया। वह समझ गई कि यह किसी की साजिश है।

उसने तुरंत अपने दोस्त रोहन को फोन लगाया और उससे पूरा अनकट वीडियो भेजने को कहा। फिर रिया ने वह पूरा वीडियो अपने पापा के सामने चलाया। वीडियो में सब कुछ साफ था। रिया का डूबना, दोस्तों का सिर्फ वीडियो बनाना और आकाश का अपनी जान की परवाह किए बिना उसे बचाने के लिए कूदना और फिर किनारे पर उसे सीपीआर देकर उसकी जान बचाना।

भाग 9: पश्चाताप का क्षण

यह देखकर आदित्य मेहरा का चेहरा सफेद पड़ गया। उसका गुस्सा एक पल में शर्मिंदगी और गहरे पश्चाताप में बदल गया। उसे एहसास हुआ कि उसने अपने अंधे गुस्से में कितना बड़ा गुनाह कर दिया है। उसने उस इंसान को जलील किया, जिसने उसकी बेटी को एक नई जिंदगी दी थी। उसकी आवाज टूट गई, आंखों में आंसू आ गए। “हे भगवान, मैंने यह क्या कर दिया? मैंने बहुत बड़ी गलती कर दी।”

भाग 10: माफी की अपील

बेटी रिया बोली, “पापा, हमें उन्हें रोकना होगा। वह बहुत स्वाभिमानी हैं। वह जरूर यह शहर छोड़कर जा रहे होंगे। प्लीज पापा, कुछ कीजिए।” आदित्य और रिया पागलों की तरह गाड़ी लेकर शहर के हर बस स्टेशन और रेलवे स्टेशन पर आकाश को ढूंढने लगे।

आखिरकार, वह उन्हें शहर के मेन बस स्टेशन पर मिल गया। आकाश हाथ में एक छोटा सा बैग लिए अपने गांव जाने वाली एक सस्ती सी बस की लाइन में खड़ा था। उसके चेहरे पर दर्द और खालीपन साफ दिख रहा था। बस चलने ही वाली थी। उसका नंबर आने ही वाला था कि पीछे से आवाज आई, “आकाश, रुक जाओ!”

भाग 11: पुनर्मिलन

आकाश ने पीछे मुड़कर देखा। उसके सामने बस स्टेशन की धूल भरी जमीन पर करोड़पति आदित्य मेहरा और उसकी बेटी रिया घुटनों के बल बैठे थे। आदित्य की आंखों से आंसू बह रहे थे। उसकी आवाज कांप रही थी, “मुझे माफ कर दो बेटा। हो सके तो मुझे माफ कर दो। मैं अपने गुस्से में अंधा हो गया था। तुम मेरे लिए नौकर नहीं, आज से मेरे बेटे से बढ़कर हो।”

यह नजारा देखकर आकाश की आंखों से भी आंसू बहने लगे। उसने दौड़कर अपने मालिक को उठाया। “नहीं सर, प्लीज ऐसा मत कीजिए। आप मेरे मालिक ही नहीं, मेरे पिता जैसे हैं। आप माफी मांगकर मुझे शर्मिंदा कर रहे हैं। शायद गलती मेरी ही थी। मुझे आपको सब कुछ समझाना चाहिए था।”

भाग 12: इंसानियत की जीत

बस स्टेशन पर मौजूद हर इंसान की आंखें नम थीं। यह एक मालिक और नौकर का नहीं, बल्कि दो इंसानों का मिलन था। जहां घमंड हार गया था और इंसानियत जीत गई थी। अगले ही दिन आदित्य मेहरा ने अपने घर के और ऑफिस के पूरे स्टाफ को इकट्ठा किया और सबके सामने उसने माइक पर ऐलान किया, “आज मैं आप सब से अपने एक गुनाह की माफी मांगना चाहता हूं। मैंने कल आकाश का अपमान किया, जिस पर मुझे जिंदगी भर अफसोस रहेगा। आज से आकाश इस घर में नौकर नहीं होगा। वह मेरे साथ मेरे बिजनेस में मेरे दाहिने हाथ की तरह मेरे पर्सनल असिस्टेंट के तौर पर काम करेगा।”

भाग 13: नया अध्याय

यह सुनकर सब लोग तालियों से उसका स्वागत करने लगे। रिया ने मुस्कुराते हुए आकाश के हाथ में उसकी नई जॉब का अपॉइंटमेंट लेटर और कंपनी का आईडी कार्ड रखा। उसने हौसला देते हुए कहा, “आकाश भैया, अब आपको बहुत ऊंची उड़ान भरनी है और हम सब आपके साथ हैं।”

जो घमंडी रिश्तेदार कल तक आकाश को नौकर कहकर उसका मजाक उड़ाते थे, आज वही लोग उसे फोन करके बधाई दे रहे थे। आकाश ने अपनी नई जिम्मेदारी को बहुत अच्छे से निभाया। लेकिन वह आज भी उतना ही विनम्र और जमीन से जुड़ा हुआ था।

भाग 14: एक सीख

उसने अपनी कमाई से अपने गांव में एक छोटा सा घर बनाया और अपने परिवार को भी अपने पास बुला लिया। लेकिन कहानी का सबसे खूबसूरत पल तब आया जब एक इंटरव्यू में एक रिपोर्टर ने आदित्य मेहरा से पूछा, “सर, आपने एक नौकर को इतनी बड़ी पोस्ट कैसे दे दी?”

आदित्य मेहरा ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “मैंने उसे पोस्ट नहीं दी। उसने अपनी इंसानियत से वह पोस्ट कमाई है। उसने मुझे सिखाया कि किसी इंसान का दर्जा उसके काम या कपड़ों से नहीं, बल्कि उसकी नियत और उसके कर्मों से होता है।”

भाग 15: अंत में

दोस्तों, आकाश ने जाते-जाते एक बहुत बड़ी बात कही थी जो हम सबको याद रखनी चाहिए। उसने कहा, “कभी किसी को उसके दर्जे या उसकी हैसियत से मत आंकिए। क्योंकि क्या पता, किसी दिन वही इंसान आपकी जिंदगी की सबसे कीमती सांस बन जाए।”

यह कहानी हमें सिखाती है कि गुस्सा और घमंड हमारी सोचने-समझने की शक्ति को खत्म कर देता है। एक फैसला लेने से पहले हमेशा पूरी सच्चाई जानने की कोशिश करनी चाहिए। आदित्य मेहरा ने अपनी गलती को सुधारा और एक मिसाल कायम की कि माफी मांगने से कोई छोटा नहीं होता।

अगर आपको आकाश की इंसानियत और आदित्य मेहरा के पश्चाताप ने छुआ है तो इस वीडियो को एक लाइक जरूर करें और कमेंट में “इंसानियत सबसे बड़ा धर्म है” जरूर लिखें। इस कहानी को अपने दोस्तों और परिवार के साथ शेयर करें ताकि यह शक्तिशाली संदेश दूर तक पहुंचे और ऐसी ही दिल को झकझोर देने वाली, आंखें खोल देने वाली कहानियों के लिए हमारे चैनल को सब्सक्राइब और फॉलो करना ना भूलें। मिलते हैं अगली कहानी में।

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