पति बना टैक्सी ड्राइवर… और पहली सवारी निकली तलाकशुदा पत्नी, फिर जो हुआ—इंसानियत रो पड़ी
अर्जुन और काव्या की कहानी एक खूबसूरत शुरुआत से शुरू हुई थी। अर्जुन एक साधारण परिवार का लड़का था, जिसकी आंखों में सपनों की चमक थी। वह दिल से बेहद साफ और अपने मां की सेवा में हमेशा तत्पर रहता था। वहीं, काव्या एक तेज-तर्रार लड़की थी, जो कॉलेज में टॉप करती थी। उसे अपने करियर की बहुत चिंता थी और वह हमेशा सोचती थी कि उसे ऊंचा मुकाम हासिल करना है।
दोनों की मुलाकात कॉलेज में हुई थी। अर्जुन ने पहली बार काव्या को एक प्रतियोगिता में देखा था, जहां उसने सभी को पीछे छोड़कर पहला स्थान हासिल किया था। अर्जुन की आंखों में काव्या की प्रतिभा की चमक ने उसे आकर्षित किया। धीरे-धीरे उनकी दोस्ती गहरी हुई और दोनों ने एक-दूसरे से प्यार कर लिया।
भाग 2: शादी और खुशियां
शादी के बाद, दोनों ने एक-दूसरे के साथ मिलकर सपने देखने शुरू किए। अर्जुन ने सोचा कि काव्या की चमक उसकी दुनिया को रोशन करेगी, जबकि काव्या को विश्वास था कि अर्जुन का सुकून उसके सपनों को ठंडक देगा। शादी की शुरुआत में दोनों एक-दूसरे की कमियों को नजरअंदाज करते रहे। घर में खुशियां थीं, हंसी थी, और उम्मीदें थीं।
लेकिन जैसे-जैसे वक्त बीतता गया, काव्या का करियर तेजी से आगे बढ़ने लगा। वह एक सख्त और प्रैक्टिकल महिला बन गई। दूसरी ओर, अर्जुन की नौकरी में समस्याएं आने लगीं। उसकी सैलरी कभी-कभी रुक जाती, और कभी-कभी कंपनी बंद होने की नौबत आ जाती।
भाग 3: रिश्तों में दरार
काव्या की बढ़ती महत्वाकांक्षाओं ने अर्जुन को पीछे धकेलना शुरू कर दिया। “अर्जुन, कब तक मैं अकेली कमाती रहूंगी? कुछ जिम्मेदारी तुम भी लो,” काव्या कहती। अर्जुन चुप रहता, क्योंकि वह कोशिश करता था, लेकिन किस्मत ने उसे निराश किया।
एक दिन, जब अर्जुन की मां की तबीयत बिगड़ गई, काव्या का गुस्सा फूट पड़ा। “मैं और नहीं कर सकती। मेरी जिंदगी रुक गई है।” काव्या ने कहा, “मैं तलाक चाहती हूं।” यह सुनकर अर्जुन का दिल टूट गया।
कुछ हफ्तों में तलाक हो गया। काव्या ने पीछे मुड़कर नहीं देखा। उसे लगा कि वह अब अपने करियर पर ध्यान दे सकेगी। अर्जुन ने अपनी मां को लेकर एक छोटे किराए के कमरे में रहने लगा।
भाग 4: अर्जुन की नई शुरुआत
अर्जुन ने सोचा कि अब उसे कुछ करना होगा। उसने अपनी पुरानी बाइक बेच दी और एक सस्ती टैक्सी खरीदी। वह टैक्सी चलाने लगा ताकि वह अपनी मां की दवाइयों का खर्च उठा सके। अर्जुन ने अपनी नई जिंदगी में खुद को ढालना शुरू किया।
एक दिन, जब उसने ऐप ऑन किया, उसकी पहली राइड बुक हुई। जब उसने अपनी कार रोकी, तो दरवाजा खुला और सामने वही काव्या खड़ी थी। तलाकशुदा पत्नी उसकी पहली सवारी बनकर आई थी।
भाग 5: पहली मुलाकात
अर्जुन को देखकर काव्या का चेहरा सफेद पड़ गया। वह समझ नहीं पा रही थी कि क्या कहे। अर्जुन ने बस एक वाक्य कहा, “कहां जाना है?” उसकी आवाज में कोई भावना नहीं थी, केवल एक प्रोफेशनल ड्राइवर की तटस्थता थी।
कार के अंदर एक भारी सन्नाटा था। दोनों के दिलों के बीच हजारों मील की दूरी थी। राइड खत्म होने पर काव्या ने पैसे बढ़ाए, लेकिन अर्जुन ने कहा, “पहली राइड पर पैसे नहीं लेता।”
भाग 6: एक नया मोड़
काव्या ने अर्जुन को जाते हुए देखा। उस पल उसे एहसास हुआ कि शायद जिंदगी ने उसे उस मोड़ पर खड़ा कर दिया है जहां फैसले गलत भी लगते हैं और देर से समझ आते हैं। अगले दिन, जब अर्जुन एक राइड छोड़कर वापस लौट रहा था, उसने सड़क किनारे काव्या को देखा।
उसका दिल एक पल को धड़का, लेकिन उसने नजरें फेर लीं। तभी एक तेज रफ्तार एसयूवी ने काव्या को टक्कर मार दी। अर्जुन ने तुरंत टैक्सी रोकी और काव्या की ओर भागा।
भाग 7: अर्जुन का साहस
काव्या को अस्पताल ले जाने के बाद डॉक्टरों ने बताया कि उसकी स्पाइनल कॉर्ड में गहरी चोट है। अर्जुन ने खुद को संभाला और कहा, “वह चलेगी, मैं नहीं मानता कि वह कभी नहीं चल सकती।”
अर्जुन ने काव्या की देखभाल करने का फैसला किया। हर दिन वह उसे हॉस्पिटल से घर लेकर आया। काव्या धीरे-धीरे ठीक होने लगी, लेकिन उसके मन में एक सवाल था, “अर्जुन, तुम मेरे लिए इतना क्यों कर रहे हो?”

भाग 8: रिश्तों की नई शुरुआत
कुछ दिनों बाद, काव्या ने अर्जुन से पूछा, “क्या तुम मुझे माफ कर चुके हो?” अर्जुन ने कहा, “माफ करने का सवाल ही नहीं उठता। तुम मेरे लिए हमेशा वही काव्या रहोगी।”
काव्या के दिल में एक नई उम्मीद जागी। उसने महसूस किया कि अर्जुन ने उसे कभी नहीं छोड़ा था। उसकी मेहनत और संघर्ष ने उसे फिर से खड़ा करने की ताकत दी।
भाग 9: फिर से चलने की कोशिश
एक दिन, अर्जुन ने काव्या को कहा, “आज हम थोड़ा बड़ा अभ्यास करेंगे।” काव्या डर गई, लेकिन अर्जुन ने उसे सहारा दिया। काव्या ने पहला कदम रखा। वह गिरती, अर्जुन उसे पकड़ लेता।
हर दिन वह धीरे-धीरे चलने लगी। काव्या ने लाठी छोड़ दी और अर्जुन के सहारे 12 कदम चली। अर्जुन की आंखों में खुशी थी।
भाग 10: प्यार की जीत
एक दिन, काव्या ने अर्जुन से पूछा, “क्या हम फिर से एक हो सकते हैं?” अर्जुन ने कहा, “जब तुमने मुझे छोड़ा था, तभी मेरा दिल तुम्हारे साथ था।”
उनका पुनः विवाह हुआ। काव्या ने अर्जुन के साथ फिर से चलने की इच्छा जताई। अर्जुन ने उसे गले लगाया और कहा, “अब मैं तुम्हारे सहारे चलना चाहता हूं।”
निष्कर्ष
अर्जुन और काव्या की कहानी ने साबित किया कि रिश्तों में असली इंसानियत वही होती है जो मुश्किल समय में एक-दूसरे का सहारा बनती है। प्यार कभी खत्म नहीं होता, वह बस एक नई दिशा ले लेता है।
दोस्तों, जिंदगी हर किसी की परीक्षा लेती है और वही जीतता है जो दिल से बड़ा होता है। रिश्तों में वजह नहीं देखी जाती। कोई गिरता है, कोई चुपचाप उसे थाम लेता है। यही असली इंसानियत है।
क्या आप भी उतनी ही खामोशी और उतनी ही सच्चाई से उसका सहारा बन पाएंगे? आपकी एक लाइन किसी और की सोच बदल सकती है। अगर कहानी पसंद आई हो तो वीडियो को लाइक करें और चैनल को सब्सक्राइब करें।
फिर मिलते हैं अगले वीडियो में। तब तक खुश रहिए, अपनों के साथ रहिए और रिश्तों की कीमत समझिए। जय हिंद, जय भारत!
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