पति 2 साल बाद लौटा तो पत्नी नदी किनारे गाय चरा रही थी
दोस्तों, एक लड़का अपनी जिंदगी में बहुत खुश था। किसी बात की कोई चिंता नहीं थी। अकेला रहता और एकदम मस्त जिंदगी काट रहा था। लेकिन एक दिन अचानक उसे अपनी पत्नी की याद आने लगती है, जिसे उसने 7 साल पहले छोड़ दिया था। उसे अपने ससुराल की याद आने लगती है और उस गांव की कच्ची सड़कों को वह याद करने लगता है, जहां उसने अपनी पत्नी के साथ कुछ हसीन पल गुजारे थे। उसे अपने बीते एक-एक पल की याद आने लगती है। अब उसे बहुत बेचैनी होने लगी थी। इतना ज्यादा वह परेशान हो जाता है कि अगले दिन ही वह अपनी गाड़ी उठाकर अपने गांव से 50 किलोमीटर दूर अपने ससुराल के लिए निकल पड़ता है।
गांव की यात्रा
गांव के अंदर दाखिल होते ही वह बहुत खुश हो जाता है, लेकिन साथ ही निराश भी। वह अपनी पत्नी के बारे में पता लगाने की कोशिश करता है। जब उसे अपनी पत्नी के बारे में जानकारी मिलती है, तो वह फूट-फूट कर रोने लगता है। दोस्तों, दो प्यार करने वालों की यह एक सच्ची प्रेम कथा है। तो चलिए पूरी कहानी को विस्तार के साथ जानने की कोशिश करते हैं।
रजत और महिमा की प्रेम कहानी
उत्तर प्रदेश के जिला कानपुर के एक छोटे से कस्बे में रजत नाम का एक लड़का रहता था। 7 साल पहले उसकी शादी महिमा नाम की एक बेहद खूबसूरत लड़की से हुई थी। उनकी शादी बहुत धूमधाम से हुई थी। दोनों अपने शादीशुदा जीवन में बहुत खुश थे। लेकिन रजत के घरवाले उनके बीच दरार डालने लग जाते हैं। वे दोनों के बीच नफरत पैदा करना शुरू कर देते हैं और आखिरकार वे इसमें सफल भी हो जाते हैं।
रजत बहुत ही सीधा-साधा लड़का था। वह मेहनती और कमाऊ था। रजत दिल्ली में कपड़ों की सेल करता था। भगवान की कृपा से वह धनवान था। रजत की शादी होने के बाद भी महिमा अधिकतर अपने मायके में ही रहती थी। महिमा के अलावा उसके मां-बाप का कोई दूसरा सहारा नहीं था। महिमा की एक बड़ी बहन थी, लेकिन उसकी शादी हो चुकी थी और वह अपने ससुराल में रहती थी। इसीलिए महिमा को अपने मां-बाप की ज्यादा फिक्र रहती थी।
परिवार का दखल
जब रजत दिल्ली से घर आता, तो वह डायरेक्ट अपने ससुराल ही चला जाता और महिमा के साथ कुछ दिन वहीं रुक जाता था। वह उसे खर्चे के लिए पैसे देता था, लेकिन उसके परिवार वाले उसकी इस बात से नफरत करने लगते थे। वे सोचते थे कि कहीं ऐसा न हो कि यह सारा पैसा अपनी पत्नी और उसके मां-बाप पर ही लुटा दे।
इसलिए रजत के भाई और भाभी उसके कानों में जहर घोलने का काम करने लगते हैं। वे उसे बताते हैं कि तुम्हारी पत्नी तुम्हारी पीठ पीछे क्या-क्या कर रही है। घर तो रहती ही नहीं है। किसी को क्या पता चल रहा है, कहां जाती है, किससे मिलती है। उन्होंने पिछले हफ्ते ही गांव में चर्चा सुनी थी कि रजत की पत्नी तो बदचलन है।
झगड़ा और अलगाव
इस सब के चलते रजत और महिमा के बीच तनातनी रहने लगती है और इसी बात को लेकर लड़ाई-झगड़ा शुरू हो जाता है। रजत अपनी पत्नी पर इल्जाम तराशने लगता है। वह उसे बदचलन बोल देता है। महिमा उसे समझाने की कोशिश करती है, लेकिन रजत गुस्से में उस पर हाथ भी उठा देता है।
महिमा तेज में आकर हमेशा के लिए अपने मायके चली जाती है और रजत भी अपने काम पर दिल्ली के लिए निकल जाता है। वह अपने परिवार के इस षड्यंत्र में ऐसा फंसता है कि उसे अपना अच्छा-बुरा दिखाई नहीं देता। अब वह पैसा कमाता है और अपने परिवार वालों को भेजता रहता है।
दुर्घटना और आत्ममंथन
कुछ साल यूं ही बीत जाते हैं। एक दिन अचानक सड़क दुर्घटना में उसके एक हाथ में फ्रैक्चर हो जाता है। वह दिल्ली में ही अपने हाथ पर प्लास्टर लगवाता है और दवाई ले लेता है। फिर वह सोचता है कि चलो घर चलते हैं। घर पर सुकून से रहूंगा और मेरा परिवार भी मेरी देखरेख करेगा।
यही सोचकर वह घर आ जाता है और 2 महीने अपने घर गुजरता है। दो महीनों में वह देखता है कि सभी लोग सिर्फ पैसों के साथ हैं। पैसे के बिना ना तो कोई भाई अपना है, ना कोई दोस्त। पैसा है तो सभी अपने हैं, वरना कोई भी नहीं है।
परिवार की असलियत
जब वह घर आया था, तो सभी उसे बोलते हैं कि यहां क्यों चले आए हो? दिल्ली में तो बड़े-बड़े हॉस्पिटल हैं। पढ़े-लिखे डॉक्टर लोग हैं। तुम्हें यहां आने की क्या जरूरत थी? इस पर रजत कहता है कि हां, मैंने प्लास्टर करा लिया था और दवाई भी ले ली है। अब मुझे बस कुछ दिनों की आराम की जरूरत है। सुबह शाम ताजा खाना और दूध की जरूरत है।
लेकिन अब जब वह कमा नहीं रहा था, तो उसके घर वालों ने उसे एक-एक चीज के लिए झीकने पर मजबूर कर दिया। अब उसके साथ इस तरह से सलूक किया जाता कि उसके अपने परिवार वालों से ही भरोसा उठ जाता है। उसका दिल टूट जाता है।
अलगाव का निर्णय
उसका हाथ अभी सही से काम भी नहीं कर रहा था और प्लास्टर भी अभी तक खुला था। फिर भी उसके घर वाले उसे दिल्ली काम पर जाने के लिए प्रेशर देने लगते हैं कि यहां कब तक ऐसे ही थाली की रोटी खाते रहोगे। यहां घर में पैसे पेड़ पर नहीं झड़ रहे हैं। अब तुम अपने काम पर चले जाओ और दो पैसे कमाओ तभी तो घर का खर्चा भी चलेगा।
इतनी खरी-खोटी सुनने के बाद और अपने साथ हो रही बदसलूकी को देखने के बाद वह बहुत परेशान हो जाता है और एक दिन गुस्से में बोल ही देता है कि मैं अब अलग रहना चाहता हूं। आप सभी लोगों से मैं आपको एक फूटी कौड़ी तक नहीं दूंगा। फिर वह अपने मामाजी और दो-चार रिश्तेदारों को बुलाकर घर में बंटवारा करा लेता है।
नया घर और नई शुरुआत
रजत काफी अच्छा खासा पैसा कमाता था, तो उसने 78 लाख अपने बैंक अकाउंट में भी जमा कर रखे थे। वह उन पैसों से एक घर बनाने का फैसला करता है और घर बनवा देता है। घर को लेकर उसके परिवार वालों ने उसके साथ बहुत विवाद किया। गांव वाले भी उसकी मजाक बनाते थे।
ताना मारते हुए कहते थे कि घर तो बना लिया है। अब इसमें रहेगा कौन? तुम्हारी बीवी बच्चे हैं। परिवार से तुम्हारी बनती नहीं है। तुम्हारे ना कोई आगे है, ना कोई पीछे। हर कोई उसे तरह-तरह की बातें सुनाता था। इस सब से वह तंग आ जाता है।
पत्नी की याद
एक दिन उसे अचानक अपनी धर्मपत्नी की याद आने लगती है और वह अगले दिन ही अपनी गाड़ी से 50 किलोमीटर दूर अपने ससुराल में पहुंच जाता है। वहां अब सब कुछ बदल चुका था। नुक्कड़ पर एक चाय की टपरी हुआ करती थी, लेकिन अब वहां बड़े-बड़े ढाबे खुल चुके थे।
वहां बैठकर चाय पीते हुए उस जगह को गौर से देखने लगता है, जहां उसकी पत्नी उसे विदा करने के लिए आया करती थी। जब भी वह अपने ससुराल आता, तो उसकी पत्नी उसे जबरदस्ती रोक लेती थी। अब वह उस जगह को याद करने लगता है और सोचता है कि चलो उसके घर जाने का समय आ गया है।

ससुराल की खोज
वह एक रुमाल अपने चेहरे पर लपेट लेता है, चेहरे को अच्छी तरह से छुपा लेता है और हेलमेट लगाकर वह ससुराल की तरफ बढ़ता है। वहां जाकर घर के बाहर रुक जाता है और देखता है कि उसके सास और ससुर अपने आंगन में बैठे हैं। ससुर जी कुर्सी पर सर लगाए आराम कर रहे हैं और सासू मां सरसों के फली को मसल कर उनमें से सरसों को बाहर निकाल रही होती हैं।
वह बस खड़े-खड़े घर को निहारने लगता है और करीब 10 मिनट गुजर जाते हैं। तभी उसकी सास बाहर आती हैं और उसे देखते हुए पूछती हैं कि भैया, तुम्हें किससे मिलना था या किसके घर जाना है? बहुत देर से यहीं खड़े हो बेटा, क्या बात है?
महिमा की तलाश
रजत बोखला जाता है और धीमी आवाज में बोलता है कि अम्मा, कहीं नहीं बस यही आगे गांव में ही जाना था। फिर वह दरवाजे की तरफ देखता है और मन ही मन सोचने लगता है कि काश महिमा अंदर से बाहर आए। लेकिन वहां से कोई भी बाहर नहीं आता। वह थोड़ी देर बाद फिर से वही वापस लौटकर चौराहे पर बैठ जाता है।
वह इधर-उधर ताकझाक करने लगता है कि शायद कोई नजर आ जाए। लेकिन महिमा उसे कहीं दिखाई नहीं देती। उसके बाद वह उदास होकर अपने घर के लिए रवाना होने लगता है। एक-दो किलोमीटर चलने के बाद उसे ऐसा लगता है कि मानो कोई उसे पीछे से आवाज लगा रहा हो और कह रहा हो कि तुम कहां जा रहे हो? मुझे यहां अकेला छोड़कर तुम क्यों जा रहे हो?
वापसी का निर्णय
वह बहुत आराम से गाड़ी चला रहा था। अब उसे लगने लगता है कि मैं और आगे न जाऊं। फिर वह रुक जाता है और कहता है कि जिंदगी में तो फिर यहां कभी आना नहीं है। चलो एक बार फिर से वापस चलकर देखते हैं। उसका दिल कह रहा था कि शायद उसे यहां पर कोई मिल जाए।
वह सोचता है कि नदी पर देखूं। जहां गर्मियों के दिनों में लू से बचने के लिए गांव के सभी लोग इकट्ठा हो जाया करते थे। वह भी जब अपनी ससुराल रहता था, तो कई बार वहां अपनी पत्नी के साथ समय बिताने के लिए जाता था। नदी के पास ही एक कच्चा रास्ता जाता था। अब वहां पक्की सड़क बन चुकी थी।
महिमा का सामना
जब वह नदी के किनारे-किनारे चलने लगता है, तो उसकी नजर कुछ गाय के बछड़ों पर पड़ती है। जो नदी किनारे ही घास चढ़ रहे थे। उन्हें चराने के लिए तीन-चार लड़कियां पेड़ के नीचे बैठी थीं। उनमें से एक लड़की के पास एक गाय का छोटा बच्चा बैठा हुआ था, जिसे वह बड़े प्यार से सहला रही थी और उसे प्यार से घास खिला रही थी।
वह खुश हो जाता है और सोचने लगता है कि चलो इनके पास जाकर देखता हूं। शायद मेरी महिमा भी यही कहीं हो। और जब वह उस लड़की के पास पहुंचता है, जो गाय के बच्चे को खिला रही थी, तो उसे देखकर हैरान रह जाता है। वह कोई और नहीं बल्कि उसी की पत्नी महिमा होती है।
महिमा को देखकर उसकी मांग में अभी भी सिंदूर भरा हुआ था। ना तो उसने कोई कंगन पहन रखा था, ना कोई गहना है, ना कोई श्रृंगार है। फिर भी वही मासूमियत उसके चेहरे से झलक रही थी। अब वह रोने लगता है। महिमा भी उसे देखने लगती है। लेकिन जब रजत उससे कुछ बोलता ही नहीं है, तो वह सोचने लगती है कि होगा कोई राहगीर और ऐसे ही आया होगा।
पुनर्मिलन
वह फिर से अपने गाय के बच्चे को चराने लगती है। अब रजत की खुशी का कोई ठिकाना नहीं था। वह उससे बात करते हुए पूछता है कि यह गाय किसकी है? तो वह कहती है कि यह मेरी ही है। वह बोलता है कि मुझे इनमें से एक छोटा बच्चा चाहिए।
महिमा जवाब देते हुए कहती है कि नहीं, अभी यह छोटी है, बिकने के लिए तैयार नहीं हुई है। तो वह कहता है कि मुझे भी छोटा बच्चा ही चाहिए था। मुझे भी पालना है। जब रजत उससे काफी देर से बातचीत कर रहा था, तो महिमा उसकी आवाज को पहचान जाती है और उसकी धड़कन तेज हो जाती है।
वह फटाक से खड़ी हो जाती है और कहती है कि पहले तो आप अपना यह रुमाल हटाइए। रजत कहता है कि अरे यार, मैं कोई चोर नहीं हूं। यह तो बस लू से बचने के लिए रुमाल लपेट रखा है। लेकिन महिमा कहती है कि नहीं, पहले आप अपना चेहरा दिखाइए।
प्यार की पुनरावृत्ति
अब रजत गाड़ी से नीचे उतरता है और अपना रुमाल खोल देता है। महिमा जब उसके चेहरे को देखती है, तो भागकर उसके गले लग जाती है और फफक कर रोने लगती है। रजत की भी आंखें नम हो जाती हैं। वह महिमा से कहता है कि इतने सालों से आप कहां थीं? मैं हर रोज आपका इंतजार किया करती थी।
महिमा कहती है कि मेरी आत्मा तुम्हें देखने के लिए तरस गई थी। इतने दिन कहां थे? आज भोले भटके यहां कैसे चले आए हो? रजत कहता है कि मैं तुम्हें वापस घर लेने के लिए आया हूं। इस पर महिमा कहती है कि झूठ मत बोलिए। मेरी सांसे रुक जाएंगी। मैं अपने साथ कुछ भी कर लूंगी।
संकल्प
सच-सच बताइए, आप यहां क्यों आए हो? इतने दिनों बाद रजत कहता है कि नहीं, मैं सच ही कह रहा हूं। मैं अब तुम्हें अपने साथ ले जाने के लिए ही आया हूं। वह एक बार फिर से उससे पीछे हट जाती है। उसे देखती है और फिर से उसके गले से लिपट जाती है।
दोस्तों, उन दोनों औरतों में से एक महिमा की चाची होती है। वह जब रजत को देखती है, तो पहचान जाती है और बोलती है कि दामाद जी, आप आज कहां से आ गए हो? आप इतने सालों से कहां थे? आज हम लोगों की कैसे याद आ गई?
परिवार का समर्थन
वह कहता है कि चाची जी, पहले आप महिमा को चुप करा दीजिए। फिर मैं सब बातें बताता हूं। महिमा की चाची उसे चुप कराने की बहुत कोशिश करती है, लेकिन वह बस लगातार रोती ही जा रही थी और रजत का हाथ छोड़ने को तैयार ही नहीं थी। अब रजत खुद को संभालता है।
लेकिन अपनी पत्नी का यह प्यार देखकर वह भी रोने लगता है। उनकी चाची उन्हें समझाती-बुझाती हैं और कहती हैं कि दामाद जी, आप इतने दिनों से इसे अकेले छोड़कर रखे हो। लेकिन फिर भी यह आज तक आपके नाम का सिंदूर अपनी मांग में भरती है।
नई शुरुआत
महिमा की चाची कहती है कि बेटी, जो हो गया सो हो गया। अब उनका रोना रोने से कोई फायदा नहीं है। हमें आगे के बारे में सोचना चाहिए। अब तुम फिर से अपनी नई जिंदगी की शुरुआत करो और फिर से अपना घर बसा लो।
महिमा बोलती है कि चाची जी, मैं हमेशा से इन्हें देखने के लिए, इनसे मिलने के लिए तड़प रही थी। लेकिन मैं अपने बूढ़े मां-बाप को इस हालत में अकेले छोड़कर इनके साथ वापस नहीं जाऊंगी।
रजत का प्रस्ताव
रजत कहता है कि मैं सिर्फ तुम्हें ही नहीं, बल्कि तुम्हारे मां-बाप को भी साथ लेकर चलूंगा। मैंने नया घर बनाया है। हम सभी वहीं साथ रहेंगे। दोस्तों, रजत कहता है कि मैं अब तुम्हें खोना नहीं चाहता। तुम अपने मां-बाप को साथ लेकर मेरे घर चलो।
फिर वे दोनों अपने मां-बाप को घर लेकर जाते हैं। जब वे घर पहुंचते हैं, तो सभी गांव वाले और उसके परिवार वाले उन दोनों को एक साथ देखकर दंग रह जाते हैं और अपना सिर पीटने लगते हैं। फिर वे रजत को भड़काने की कोशिश करते हैं और उससे कहते हैं कि इसे क्यों लेकर आया है?
समाज का विरोध
सात साल तुझसे दूर रही, पता नहीं कहां का मुंह मारा होगा। उसे बहुत बुरा भला सुनाते हैं और कहते हैं कि तू हमसे कहता, हम तेरे लिए कोई अच्छी सी लड़की देखकर तेरी दूसरी शादी करा देते। लेकिन दोस्तों, जो अल्फाज उनके जुबान से निकलते हैं, उसका उल्टा वे उसके साथ बर्ताव रखते थे।
क्योंकि रजत के लिए जब भी कोई रिश्ता लेकर आता था, तो यही लोग रिश्ते वाले को भांजी मार देते थे और कह देते थे कि यह तो नशेड़ी है। पहली पत्नी तो छोड़कर चली ही गई है। इसी वजह से आप लोग क्यों अपनी बेटी की जिंदगी खराब करना चाहते हो?
रजत का आत्मसम्मान
जब वह अपनी पत्नी को ले आता है, तो उसे ऐसे भड़काने का काम करते हैं। रजत उनकी कोई बात नहीं सुनता और गुस्से में कहता है कि मैंने आस्तीन के सांप पाल रखे थे। लेकिन अब मेरी आंखें खुल चुकी हैं और आप सभी लोग यहां से चले जाइए।
आगे से मेरी जिंदगी में मेरे किसी काम में आपको दखलंदाजी करने की कोई जरूरत नहीं है। दोस्तों, वे लोग भी अब समझ गए थे कि यह अब हमारी किसी बात को नहीं मानने वाला। अब यह दोनों अपनी नई जिंदगी में खुशहाल थे और अपनी जिंदगी बिता रहे थे।
निष्कर्ष
तो दोस्तों, यह थी कहानी प्यार की जो हमें यह सिखाती है कि सच्चा प्यार कभी खत्म नहीं होता। समय, दूरी और कठिनाइयां चाहे कितनी भी हों, सच्चा प्यार हमेशा अपने रास्ते खोज लेता है। अगर आपको यह कहानी पसंद आई हो, तो कृपया कमेंट करके जरूर बताएं और हमारे YouTube चैनल को सब्सक्राइब कर लें। मिलते हैं फिर से एक नई और इंटरेस्टिंग कहानी के साथ। तब तक के लिए धन्यवाद। जय हिंद!
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