पत्नी ढाबे पर खाना परोस रही थी… उसका करोड़पति पति सामने खड़ा था!
ऑटो-डब

दिल्ली की सर्दी की एक सुबह थी। सूरज की किरणें धीरे-धीरे आसमान में उग रही थीं, लेकिन धरती पर ठंड की चादर अभी भी बिछी हुई थी। एक छोटी सी गली में, जहां हमेशा हलचल रहती थी, एक पुरानी इमारत थी। इस इमारत के एक कोने में एक छोटा सा ढाबा था, जिसका नाम था “शेर पंजाब ढाबा”। इस ढाबे की पहचान उसके लजीज खाने और गर्मजोशी से भरे माहौल की वजह से थी। यहां काम करने वाली नेहा, एक साधारण सी महिला थी, जिसकी आंखों में जिम्मेदारियों का बोझ साफ झलकता था।

नेहा की उम्र 30 के आस-पास थी। वह पिछले पांच सालों से इस ढाबे में काम कर रही थी। उसकी दिनचर्या सुबह सूरज उगने से पहले शुरू होती थी। वह अपने 7 साल के बेटे हितेश को तैयार करती और फिर ढाबे के काम में जुट जाती। ग्राहकों को खाना परोसना, मेजें साफ करना, हिसाब-किताब में मदद करना, वह हर काम पूरी लगन से करती थी। लेकिन उसकी जिंदगी में एक खालीपन था, जिसे वह हर दिन महसूस करती थी।

एक दिन, जब दिन का समय था और सड़क पर ट्रैफिक कुछ कम था, एक चमचमाती काली Mercedes ढाबे के सामने आकर रुकी। गाड़ी से एक ऊंचे कद का युवक उतरा। यह अरनव मेहरा था, जो देश के सबसे बड़े टेक्सटाइल साम्राज्यों में से एक का मालिक था। उसकी दुनिया कांच की इमारतों, करोड़ों की डील्स और आलीशान पार्टियों तक ही सीमित थी। अचानक एक सड़क किनारे ढाबे पर रुकना उसके लिए किसी बुरे सपने जैसा था।

अरनव ने अंदर कदम रखा। वहां का माहौल उसके लिए अजीब था। मसालों की महक, तंदूर की सौधी खुशबू और लोगों की हल्की-फुल्की बातचीत ने उसे थोड़ी राहत दी। लेकिन जैसे ही उसकी नजर नेहा पर पड़ी, उसका दिल धड़क उठा। नेहा का चेहरा, उसकी मासूमियत, और उसकी आंखों में छिपा दर्द, सब कुछ उसे अतीत की याद दिलाने लगा।

अरनव ने नेहा को पहचान लिया। वह वही नेहा थी, जिसे उसने सालों पहले एक पल में पराया कर दिया था। उनके बीच की दूरी, जो समय और परिस्थितियों ने बनाई थी, आज अचानक मिटती हुई महसूस हुई। नेहा ने भी उसे पहचाना, लेकिन उसके चेहरे पर कोई भाव नहीं थे। वह बस अपने काम में लगी रही, जैसे कुछ हुआ ही न हो।

अरनव ने अपने दिल की धड़कन को नियंत्रित किया और नेहा के पास जाकर कहा, “नेहा, तुम यहां कैसे हो?” नेहा ने सिर झुकाकर जवाब दिया, “मैं यहां काम कर रही हूं।” उसकी आवाज में कोई शिकायत नहीं थी, बस एक अजीब सी शांति थी।

अरनव ने उसे बताया कि उसने अपनी जिंदगी में बहुत कुछ खोया है। उसने अपनी सौतेली मां के जहर से भरे शब्दों को सुना था, जिसने उसे नेहा से दूर कर दिया था। लेकिन अब, जब वह उसे देख रहा था, तो उसे एहसास हुआ कि उसने अपनी सबसे बड़ी गलती की थी।

नेहा ने कहा, “अरनव, जो हुआ, वह हुआ। अब मैं अपनी जिंदगी में आगे बढ़ चुकी हूं।” लेकिन उसके दिल में एक उम्मीद थी, एक उम्मीद कि शायद अरनव उसे वापस पा सके।

अरनव ने नेहा से कहा, “मैं जानता हूं कि मैंने तुम्हारे साथ अन्याय किया। लेकिन मैं अब बदल चुका हूं। मैं तुम्हारे और हितेश के लिए कुछ करना चाहता हूं।”

नेहा ने उसकी तरफ देखा, उसकी आंखों में एक सवाल था। “क्या तुम सच में ऐसा कर सकते हो?”

अरनव ने कहा, “हां, मैं तुम्हारी मदद करना चाहता हूं।”

लेकिन नेहा ने कहा, “मदद की जरूरत नहीं है। मैं अपने बेटे के लिए खुद लड़ सकती हूं।”

इस बीच, हितेश ने अपनी मां को बुलाया। वह अपनी मां के पास आया और बोला, “मां, क्या यह अंकल मेरे पापा हैं?” नेहा का दिल एक पल के लिए रुक गया। उसने सोचा, “क्या हितेश ने सच में पहचान लिया?”

अरनव ने कहा, “मैं तुम्हारा पिता हूं, बेटा।”

हितेश ने मुस्कुराते हुए कहा, “मैंने हमेशा सुना था कि मेरे पापा बहुत अच्छे हैं।”

नेहा ने अपने बेटे को गले लगाया और कहा, “बेटा, यह सब बहुत मुश्किल है।”

अरनव ने कहा, “मैं जानता हूं कि तुम्हारे लिए यह सब आसान नहीं है। लेकिन मैं तुम्हें कभी छोड़ना नहीं चाहता।”

नेहा ने कहा, “तुम्हारी बातों में विश्वास नहीं है। तुमने मुझे छोड़ दिया।”

अरनव ने कहा, “मैंने अपनी गलती को समझ लिया है। मैं तुम्हें कभी नहीं छोड़ूंगा।”

धीरे-धीरे, नेहा ने अरनव की बातों को सुनना शुरू किया। उसने महसूस किया कि शायद अरनव सच में बदल गया है।

कुछ दिनों बाद, हितेश की तबीयत बिगड़ गई। नेहा ने उसे अस्पताल ले जाने का फैसला किया। अस्पताल में, अरनव ने अपनी सारी ताकत लगाई। उसने डॉक्टरों से बात की और हितेश के इलाज का खर्च उठाने का फैसला किया।

जब हितेश का ऑपरेशन सफल हुआ, तो नेहा की आंखों में आंसू थे। उसने अरनव की तरफ देखा और कहा, “धन्यवाद, अरनव। तुमने मेरे बेटे की जान बचाई।”

अरनव ने कहा, “यह मेरा फर्ज था, नेहा।”

इस घटना के बाद, नेहा और अरनव के बीच का रिश्ता धीरे-धीरे मजबूत होने लगा। उन्होंने एक-दूसरे को समझा और एक नई शुरुआत की।

नेहा ने कहा, “हम अपने बेटे के लिए एक नई जिंदगी शुरू कर सकते हैं।”

अरनव ने कहा, “हां, हम एक नई शुरुआत करेंगे।”

इस तरह, नेहा और अरनव ने अपने अतीत को पीछे छोड़ते हुए एक नई जिंदगी की ओर कदम बढ़ाया। यह एक ऐसी कहानी थी जो हमें सिखाती है कि गलतियां हर किसी से होती हैं, लेकिन सच्चा प्यार और समझ हमेशा रिश्तों को मजबूत बना सकते हैं।

इस कहानी ने हमें यह भी बताया कि जीवन में कठिनाइयां आती हैं, लेकिन अगर हम एक-दूसरे का साथ दें, तो हम हर मुश्किल का सामना कर सकते हैं।

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