पत्नी ने दिया ex के साथ मिलकर दिया अपने पति को धोख़ा। Wife Cheating Story Real Truth

राजेश एक सीधा साधा इंसान था, जो सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करता था। सुबह 9:00 बजे घर से निकलता और शाम को थकाहारा लौटता। उसके लिए परिवार की खुशियां ही सब कुछ थी। उसकी पत्नी नेहा शहर के एक निजी स्कूल में टीचर थी। वह तेजतर्रार, महत्वाकांक्षी और सुंदर थी। शादी को चार साल हो चुके थे, लेकिन अब उनके घर की दीवारों में सन्नाटा उतरने लगा था। पहले राजेश और नेहा दोनों मिलकर हंसी-ठिठोली किया करते थे, साथ में खाना खाते, शाम को कभी-कभी बाजार भी घूमाते। लेकिन पिछले कुछ महीनों से नेहा का रवैया बदलने लगा था।

नेहा का बदलता व्यवहार

अब वह अक्सर देर से लौटती और कहती, “स्कूल में मीटिंग थी।” राजेश पूछता तो झुंझलाकर कहती, “हर बात पर शक क्यों करते हो?” राजेश चुप रह जाता। उसे डर लगता था कि कहीं कुछ गलत न हो जाए। एक दिन जब राजेश दफ्तर में काम कर रहा था, तब मोबाइल पर एक कॉल आया। दूसरी तरफ नेहा का स्कूल का मैनेजर आलोक बात कर रहा था। उसने कहा, “सर, नेहा मैम की तबीयत थोड़ी खराब है। आज वह स्कूल में ही रुक गई हैं।”

राजेश घबरा गया। वो तुरंत बाइक लेकर स्कूल पहुंचा, पर गेट बंद था। चौकीदार ने बताया, “मैम तो आलोक सर के साथ थोड़ी देर पहले ही निकली थीं।” राजेश को बेचैनी सी होने लगी। अगले दिन नेहा घर लौटी तो उसके चेहरे पर थकान थी। राजेश कुछ नहीं बोला। बस उसकी नजरें झुकी हुई थीं। लेकिन उस दिन से उनके बीच की दीवार और ऊंची होने लगी। नेहा अब राजेश से बात करने में कतराने लगी थी। रात को अक्सर फोन पर मुस्कुराती और जब राजेश पास आता तो जल्दी से फोन रख देती।

संदेह और टूटन

एक दिन राजेश ने हिम्मत जुटाकर पूछा, “नेहा, क्या तुम किसी और से प्यार करती हो?” नेहा ने सीधी राजेश की आंखों में देखा और बोली, “राजेश, तुम्हें हमेशा मुझ पर शक क्यों रहता है? मुझे अब इस घर में घुटन होने लगी है।” उसके धीमे स्वर में कहा, जैसे वह कोई फैसला ले रही हो। कुछ दिनों बाद नेहा मायके चली गई। राजेश को लगा शायद थोड़े दिनों की नाराजगी है। सब ठीक हो जाएगा। लेकिन एक हफ्ते बाद उसके घर पुलिस आई।

पुलिस की दस्तक

दरवाजा खोलकर दो सिपाही अंदर आए और पूछा, “क्या आपका नाम राजेश है?” राजेश ने हामी भरी। “आप पर आपकी पत्नी ने घरेलू हिंसा और मानसिक प्रताड़ना का केस दर्ज कराया है। आपको हमारे साथ चलना होगा।” राजेश वही सन रह गया। उसने पुलिस वालों से कहा, “सर, मैंने कुछ नहीं किया।” लेकिन सिपाही बोले, “सब कोर्ट में कहना। अभी तो सिर्फ गिरफ्तारी का आदेश है।” पूरा मोहल्ला तमाशा देखने बाहर निकल आया। सभी काफूसी कर रहे थे। “अरे, राजेश को पुलिस कहां लेकर जा रही है?” कोई बोल रहा था।

राजेश की पत्नी ने केस डाला है। पुलिस राजेश को जीप में बिठाकर ले गई। थाने में बैठा राजेश सारी रात बस सोचता रहा, “कहां गलती हुई मुझसे? मैंने तो बस एक पति होने की जिम्मेदारी निभाई थी। पर अब जो नेहा ने कहा वही सच बन गया। सभी के लिए राजेश घरेलू हिंसा करने वाला एक गलत आदमी था।”

अदालत का सामना

राजेश ने थानेदार से बहुत बार कहा, “मैंने कुछ नहीं किया।” थानेदार ने कहा, “घरेलू हिंसा का केस है। अब कुछ नहीं हो सकता। सब कोर्ट में फैसला होगा।” अगले दिन राजेश को बेल पर छोड़ा गया। पर तब तक उसका दिल टूट चुका था। वह समझ नहीं पा रहा था, जिस इंसान पर उसने सबसे ज्यादा भरोसा किया, उसी ने उसके साथ ऐसा किया। जब वह घर लौटा तो दरवाजे पर नोटिस चिपका हुआ था। पत्नी को सुरक्षा हेतु अलग निवास का आदेश। मतलब अब नेहा उस घर में नहीं आएगी और राजेश को कोर्ट में पेश होना पड़ेगा।

आत्ममंथन

वह पहली रात थी जब राजेश ने खुद से पूछा, “क्या प्यार करना गुनाह है? किसी को अपनी जिंदगी मानकर उसे दिल में बसाना गुनाह है? आखिर मेरी गलती क्या थी? मैंने नेहा से प्यार किया था या कोई भूल कर दी थी?” बस यही सब सोच-सोचकर रात निकल गई। पर अब कहानी एक नया मोड़ ले चुकी थी क्योंकि अब मैदान में उतरने वाला था उसका पुराना दोस्त वकील अरविंद शर्मा, जो सच को अदालत में पेश करने वाला था।

कोर्ट की सुनवाई

कोर्ट की तारीख का दिन था। सुबह-सुबह राजेश सफेद शर्ट और हल्की ग्रे पैंट पहनकर निकला। चेहरा थका हुआ, आंखें सूजी हुई थीं। कोर्ट के बाहर वकीलों की भीड़ थी। कोई फाइलों में झांक रहा था, कोई क्लाइंट से पैसे तय कर रहा था। तभी किसी ने पीछे से आवाज दी, “राजेश!” वह पलटकर देखता है। सामने खड़ा था अरविंद शर्मा, उसका कॉलेज का पुराना दोस्त। वही अरविंद जो अब एक जाने-माने वकील के तौर पर नाम कमा चुका था।

राजेश ने धीमे स्वर में कहा, “अरविंद, मैं बर्बाद हो गया यार।” अरविंद ने उसका कंधा थपथपाया। “अभी कुछ खत्म नहीं हुआ। कोर्ट में झूठ टिकता नहीं, बस वक्त लगता है।” उसने राजेश से फाइल ली और दोनों अंदर चले गए।

नेहा की गवाही

पहली सुनवाई में नेहा आई, उसके चेहरे पर आत्मविश्वास था। उसने एक काले रंग की साड़ी पहनी हुई थी और साथ में था उसका नया साथी आलोक, वही स्कूल का मैनेजर जो नेहा के साथ अध्यापक था। आज वह उसका गवाह था। नेहा ने जज के सामने कहा, “साहब, मेरे पति रोज मुझे ताने देते थे, मारते थे और मुझसे जबरन पैसे मांगते थे।” राजेश चुप था।

कोर्ट में अरविंद ने शांत आवाज में कहा, “माय लॉर्ड, आरोप गंभीर हैं, पर इनका कोई ठोस सबूत नहीं है। ना कोई मेडिकल रिपोर्ट, ना कोई पड़ोसी का बयान, ना कोई तारीख, जब हिंसा हुई। सिर्फ शब्दों से कोई आदमी अपराधी नहीं बनता।” जज ने कहा, “हम आगे की तारीख देंगे। दोनों पक्ष सबूत प्रस्तुत करेंगे।” सुनवाई खत्म हुई लेकिन नेहा के चेहरे पर आत्मसंतोष था। उसे लगता था अब राजेश की जिंदगी तबाह हो जाएगी।

सबूत की खोज

अरविंद ने कोर्ट से निकलते हुए राजेश से कहा, “देखो, अब हमें सबूत चाहिए।” राजेश ने सिर झुकाकर कहा, “लेकिन मेरे पास तो कुछ भी नहीं है।” अरविंद मुस्कुराया। “है, बस तुम्हें मालूम नहीं है। यह झूठ जितना बड़ा होगा, उसके पीछे का सच उतना ही गहरा होगा।” अगले कुछ दिनों में अरविंद ने जांच शुरू की। उसने नेहा के फोन कॉल डिटेल निकलवाए, बैंक ट्रांजैक्शन देखे और स्कूल के सीसीटीवी फुटेज मंगवाए।

धीरे-धीरे तस्वीर साफ होने लगी। पता चला कि जिस रात नेहा ने कहा था, “मैं बीमार थी और स्कूल में रुक गई थी,” उसी रात वह और आलोक होटल सिल्वर इन में गए थे। होटल के रजिस्टर में उनके नाम दर्ज थे। अरविंद ने वह रजिस्टर की कॉपी संभाल कर रखी। उसने राजेश से कहा, “अब वक्त है झूठ को सबके सामने लाने का।”

दूसरी सुनवाई

दूसरी सुनवाई में अरविंद ने फाइल खोली और कहा, “माय लॉर्ड, मेरी क्लाइंट यानी राजेश की पत्नी ने कहा था कि वह उस रात स्कूल में थी। लेकिन हमारे पास होटल का बिल है, जहां वह अपने सहकर्मी के साथ थी। क्या अब भी यह केस घरेलू हिंसा का है या कोई और मकसद छिपा है?” कोर्ट में सन्नाटा छा गया। नेहा का चेहरा उतर गया। लेकिन उसने खुद को संभालते हुए कहा, “वह सब झूठ है। किसी ने मुझे फंसाया है।”

जज ने कहा, “अगर फंसाया है तो सबूत दीजिए।” नेहा चुप रही। सबूत न होने के कारण तारीख को आगे बढ़ा दिया गया। तीसरी सुनवाई के दिन नेहा के वकील ने नई चाल चली। उसने कहा, “राजेश ने मेरी क्लाइंट की प्रॉपर्टी हड़पने की कोशिश की, इसलिए उसने केस किया।” जज ने पूछा, “क्या कोई प्रॉपर्टी डॉक्यूमेंट या ट्रांजैक्शन है?” नेहा ने फाइल आगे बढ़ाई लेकिन उसमें फर्जी कागज थे जिन पर राजेश का नकली सिग्नेचर था।

अरविंद ने मुस्कुराकर कहा, “माय लॉर्ड, यह सिग्नेचर मेरे क्लाइंट के नहीं है। अगर कोर्ट चाहे तो हैंडराइटिंग एक्सपर्ट को बुलाया जा सकता है।” जज ने तुरंत आदेश दिया कि हैंडराइटिंग जांच कराई जाए।

सच का सामना

सुनवाई खत्म हुई। लेकिन नेहा के चेहरे पर बेचैनी थी। वो कोर्ट से निकलते हुए आलोक से बोली, “अगर यह सच साबित हो गया तो सब खत्म हो जाएगा।” आलोक ने कहा, “फिक्र मत करो। हम कोई ना कोई रास्ता निकाल लेंगे।” लेकिन उन्हें नहीं पता था कि सच्चाई अब बहुत नजदीक है। रात को अरविंद अपने ऑफिस में बैठा सारी फाइलें देख रहा था।

उसने गहरी सांस ली और खुद से कहा, “अब वक्त है इस केस को पलटने का।” अगले हफ्ते जब रिपोर्ट आएगी और साथ में होगी वो सीसीटीवी फुटेज भी जिससे इस झूठ का साम्राज्य खत्म होगा और उसके पीछे छिपा चेहरा भी।

खतरा

उस रात के करीब 12:30 बजे थे। बाहर हल्की बारिश हो रही थी और शहर की सड़कें वीरान पड़ी थीं। उसी वक्त वकील अरविंद शर्मा अपने ऑफिस में अकेला बैठा था। मेज पर केस की फाइलें फैली थीं और लैपटॉप स्क्रीन पर वही सीसीटीवी फुटेज खुला था जो अगले दिन अदालत में राजेश की बेगुनाही साबित करने वाला था।

उसने फाइल को पेनड्राइव में सेव किया और तय किया कि सुबह कोर्ट में पेश करेगा। थोड़ी देर बाद वह थकान के कारण कुर्सी पर सो गया। सुबह आंख खुली तो मेज पर सब कुछ वैसा ही था। लेकिन लैपटॉप की स्क्रीन ब्लैक थी। उसने पेन ड्राइव लगाई। अंदर कुछ नहीं। पूरा डाटा डिलीट हो चुका था। वो हड़बड़ा कर उठ गया। लॉकर खोला। वहां से बैकअप हार्ड ड्राइव भी गायब थी।

चोरी का खुलासा

अरविंद के माथे पर पसीना आ गया। किसी ने रात ऑफिस में घुसकर सबूत मिटा दिए थे। उसने तुरंत गार्ड से पूछा, “कल रात कोई आया था?” गार्ड बोला, “सर, एक गाड़ी आई थी। दो लोग उतरे थे। बोले थे आप ही ने बुलाया है कुछ कागज लेने।” अरविंद को सब समझ आ गया था। यह कोई साधारण चोरी नहीं थी। यह चाल थी।

दूसरी ओर नेहा उसी सुबह आलोक के साथ कॉफी शॉप में बैठी थी। उसने फोन उठाया और कहा, “काम हो गया।” दूसरी तरफ से आवाज आई, “हां मैडम, फाइल गायब कर दी गई।” अब नेहा ने राहत की सांस ली। उसने मुस्कुराकर कहा, “अब कोर्ट में वह कुछ साबित नहीं कर पाएंगे।”

कोर्ट में तनाव

दोपहर में कोर्ट में पेशी थी। राजेश और अरविंद पहुंचे लेकिन उनके चेहरे पर बेचैनी थी। जज ने पूछा, “आपके पास जो वीडियो फुटेज था वो कहां है?” अरविंद ने जवाब दिया, “माय लॉर्ड, हमारे ऑफिस से कल रात डाटा चोरी हुआ है। हमने पुलिस में रिपोर्ट दर्ज कराई है।”

नेहा के वकील ने तुरंत कहा, “यह तो साफ झूठ बोल रहे हैं। कोई फुटेज था ही नहीं। यह सब झूठा मामला बना रहे हैं।” जज ने कहा, “अगली तारीख पर कोई ठोस सबूत प्रस्तुत करें वरना केस खारिज किया जाएगा।”

उम्मीद की किरण

राजेश उस दिन कोर्ट से निकलते वक्त टूटा हुआ महसूस कर रहा था। वो बोला, “अरविंद, लगता है भगवान भी अब मेरी तरफ नहीं है।” अरविंद ने दृढ़ स्वर में कहा, “सच कभी हारता नहीं। बस देर होती है और यह देर मैं पूरी कर दूंगा।”

उस रात अरविंद फिर से बैठ गया, फाइलें देखने। अचानक उसे याद आया कि होटल के सीसीटीवी फुटेज की कॉपी उसने अपने एक पुराने सहयोगी के पास भेजी थी। सिर्फ सुरक्षा के लिए। उसने तुरंत फोन मिलाया, “रवि, वो वीडियो की कॉपी तेरे पास है क्या?” रवि ने कहा, “हां सर, मेरे पास मेल में है।”

कोर्ट में वापसी

अरविंद ने राहत की सांस ली। “उसे संभाल कर रखो। कल सुबह कोर्ट में वहीं पेश करनी है।” अगले दिन जब कोर्ट में सुनवाई शुरू हुई, नेहा और आलोक आत्मविश्वास से भरे हुए थे। उन्हें यकीन था कि अब केस खत्म हो जाएगा। लेकिन तभी अरविंद खड़ा हुआ और कहा, “माय लॉर्ड, मेरे पास होटल के सीसीटीवी फुटेज है जो सुरक्षित रखी गई थी।”

उसने स्क्रीन पर दिखाया। होटल सिल्वर इन के गेस्ट लिस्ट में उनका नाम था और सीसीटीवी फुटेज में वह दोनों साफ दिखाई दे रहे थे। पूरा कोर्ट हक्का-बक्का रह गया। नेहा का चेहरा सफेद पड़ गया। उसने कुछ कहना चाहा लेकिन आवाज गले में अटक गई। आलोक कुर्सी पर पीछे झुक गया जैसे अचानक जमीन खिसक गई हो।

नेहा की सच्चाई

अरविंद ने आगे कहा, “माय लॉर्ड, मेरे मुवकिल की क्लाइंट यानी नेहा ने अपने पति पर झूठा केस इसलिए डाला ताकि वह उसे जेल भिजवाकर उसकी संपत्ति अपने नाम कर सके। हमारे पास बैंक स्टेटमेंट है जिसमें उसी दौरान प्रॉपर्टी ट्रांसफर का आवेदन दिया गया था। यह सब सोच-समझ कर की गई साजिश थी।”

जज ने सबूतों को देखा। दस्तावेजों को जांचा और कहा, “यह गंभीर मामला है। पुलिस को आदेश दिया जाता है कि इन तथ्यों की जांच करें और रिपोर्ट पेश करें।” उस दिन नेहा और आलोक कोर्ट से निकलते हुए चुप थे। नेहा ने धीमे स्वर में कहा, “तुमने कहा था सबूत खत्म हो गए हैं।” आलोक ने गुस्से में कहा, “किसने सोचा था वह बैकअप वीडियो रखेंगे?”

अंतिम सुनवाई

उस रात नेहा ने पहली बार डर महसूस किया। अब मामला पलट चुका था। समाज में उसकी इज्जत गिरने लगी थी। स्कूल ने उसे निलंबित कर दिया। दूसरी तरफ अरविंद ने कहा, “राजेश से कहा, अब आखिरी सुनवाई बाकी है। वहां यह झूठ पूरी तरह खत्म होगा।”

लेकिन ठीक उस दिन से पहले कुछ ऐसा हुआ जिसने पूरे केस की दिशा बदल दी। अरविंद को एक धमकी भरा लेटर मिला। “अगर अगली तारीख पर कोर्ट में आए तो तेरी जिंदगी भी उसी फाइल के साथ बंद कर दी जाएगी।”

कोर्ट का फैसला

यह आखिरी सुनवाई थी। शहर के पत्रकार, वकील और कई आम लोग भी देखने आए थे कि सच और झूठ की इस लड़ाई का अंत क्या होगा। अरविंद शर्मा सुबह से चुप था। पिछले रात उसे मिला वो धमकी भरा खत अब भी उसके बैग में रखा था। अगर कोर्ट पहुंचा तो जान से जाएगा। लेकिन उसके चेहरे पर डर बिल्कुल भी नहीं था।

उसने राजेश से कहा, “तू चिंता मत कर। आज जो फैसला होगा वो सिर्फ तेरे लिए नहीं। हर उस आदमी के लिए होगा जिसे झूठे केस में फंसाया गया है।” राजेश ने धीमे स्वर में कहा, “बस मेरा नाम के ऊपर से यह कलंक उतर जाए। मुझे और कुछ नहीं चाहिए।”

नेहा का बयान

कोर्ट की कार्यवाही शुरू हुई। नेहा अपने वकील के साथ पहुंची। चेहरा उतरा हुआ था। उसकी चाल में पहले जैसा आत्मविश्वास नहीं था। जज ने दस्तावेज देखे और कहा, “आज आखिरी बहस सुनी जाएगी।”

नेहा के वकील ने शुरुआत की। वह बोला, “माय लॉर्ड, मेरे पास कुछ नए गवाह हैं जो यह साबित कर सकते हैं कि मेरी क्लाइंट को मानसिक प्रताड़ना दी गई थी।” जज ने सिर उठाया, “कौन है गवाह?” वकील बोला, “पड़ोसी मिसेज अग्रवाल।”

गवाह की गवाही

दरवाजे पर एक औरत आई। झूमकी नजरें, कांपते हाथ। उसने गवाही दी, “जी हां, मैंने कई बार नेहा को रोते देखा है।” अरविंद ने तुरंत क्रॉस एग्जामिनेशन मांगा। वह बोला, “मिसेज अग्रवाल, आप कहती हैं आपने नेहा को रोते देखा, पर क्या कभी राजेश को मारते हुए देखा?”

मिसेज अग्रवाल ने कहा, “नहीं, मैंने खुद नहीं देखा।” “तो फिर आपने किसके कहने पर बयान दिया?” औरत चुप रही। उसकी आंखें नेहा की तरफ उठी। अरविंद ने कहा, “बस माय लॉर्ड, अब और कुछ पूछने की जरूरत नहीं। सब साफ हो चुका है।”

नेहा का सच

जज ने नेहा से पूछा, “क्या आप कुछ कहना चाहेंगी?” नेहा ने गहरी सांस ली और बोली, “मुझे डर था कि अगर मैं सच बोल दूंगी, तो सब मुझसे नफरत करेंगे।” “मैं अब सब बता दूंगी।” पूरा कोर्ट शांत हो गया। नेहा की आवाज कांप रही थी।

“हां, मैंने झूठ बोला था। आलोक ने मुझे समझाया कि अगर मैं राजेश पर केस डाल दूंगी, तो वह प्रॉपर्टी मेरे नाम कर देगा। मैंने लालच में आकर झूठे कागज बनवाए, झूठी रिपोर्ट दी और सबको बेवकूफ बनाया।” उसकी आंखों से आंसू गिरने लगे। “राजेश ने कभी मुझे नहीं मारा। कभी कुछ गलत नहीं किया। गलती मेरी थी।”

न्याय की जीत

यह सब सुनकर राजेश का सर झुक गया। उसकी आंखों में एक गहरी उदासी थी। उसने अपना सब कुछ खो दिया था। जज ने कहा, “यह अदालत इस बात को रिकॉर्ड में लेती है कि केस झूठा था। पुलिस को आदेश दिया जाता है कि फर्जी दस्तावेज बनाने और झूठे आरोप लगाने के लिए नेहा शर्मा और आलोक वर्मा पर मुकदमा दर्ज किया जाए।” पूरा कोर्ट एक पल के लिए सन्न रह गया।

अरविंद ने आंखें बंद की, जैसे कोई बोझ उतर गया हो। राजेश की तरफ देखा और कहा, “देखा, सच को सिर्फ वक्त चाहिए होता है।” नेहा को पुलिस ले जा रही थी। जाते-जाते उसने पीछे मुड़कर देखा। वो वही आदमी था जो कभी उसके लिए सब कुछ करता था और आज भी उसके चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था।

नया जीवन

उसकी आंखें भीग गईं। उसने धीरे से कहा, “माफ कर दो।” राजेश ने कुछ नहीं कहा। बस नजरें झुका ली। नेहा को पुलिस ले गई। अरविंद उसके पास आया। “अब क्या करेगा?” राजेश बोला, “बस अब एक नए जीवन की शुरुआत करूंगा, बिना किसी की उम्मीद के।”

अरविंद मुस्कुरा दिया। “कभी-कभी हारने के बाद ही असली जीत मिलती है।” राजेश धीरे-धीरे अदालत की सीढ़ियां उतरने लगा। पीछे नेहा पुलिस वैन में बैठाई जा रही थी। दोनों की नजरों में कोई शब्द नहीं था। बस एक अधूरा रिश्ता जो अब कानून के पन्नों में दर्ज होकर खत्म हो चुका था।

निष्कर्ष

सड़क पर भीड़ बढ़ने लगी थी। लोग अपने-अपने मुकदमों में व्यस्त थे। लेकिन उस भीड़ में एक आदमी था जिसने अपना केस नहीं बल्कि अपना आत्मसम्मान वापस पा लिया था। उसने एक गहरी सांस ली। दूर अरविंद कोर्ट से बाहर निकलते हुए मुस्कुरा रहा था। उसके हाथ में वह पुरानी फाइल थी जिस पर लिखा था “राजेश-नेहा केस समाप्त।” और उसी के नीचे छोटा सा नोट “सच देर से आता है पर आता जरूर है।”

कहानी यहीं समाप्त होती है। यह कहानी हमें यह सिखाती है कि सच कभी भी छिप नहीं सकता और समय आने पर वह सामने आ ही जाता है। राजेश ने अपने आत्मसम्मान की लड़ाई लड़ी और अंततः जीत हासिल की।

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