प्रेमिका फुटपाथ पे भीख मांग रही थी …प्रेमी ने जो किया दुनिया हैरान…

शहर का सिटी बैंक जहां पर मोहित कैशियर के पद पर काम करता था। मोहित थोड़ा शर्मीला लड़का था, इसलिए वह किसी से ज्यादा बात नहीं करता था। बैंक के बाकी कर्मचारियों को भी यह बात पता थी। इसलिए वह भी मोहित से ज्यादा बातें नहीं करते थे। मोहित को अपने काम से लगाव था, इसलिए जब वह बैंक आता तो उसे समय का पता ही नहीं चलता था। अपने काम के प्रति समर्पण के कारण वह बैंक का बेस्ट एंप्लई बन गया था।

नई जॉइनिंग

समय का पहिया अपनी गति से चल रहा था। एक दिन सिटी बैंक में एक नई जॉइनिंग होती है। उसका नाम माया था। माया खूबसूरत तो थी ही, लेकिन उसकी खूबसूरती सिर्फ चेहरे तक सीमित नहीं थी। उसकी आंखों में चमक, चेहरे पर आत्मविश्वास और हावभाव में आकर्षण था। माया सिर्फ सुंदर नहीं थी, बल्कि वह महत्वाकांक्षी भी थी। माया के सपने बहुत बड़े थे, और वह तरक्की की सीढ़ियां जल्दी से जल्दी चढ़ना चाहती थी।

जहां मोहित अपने में ही रिजर्व रहता था, वहीं माया को सभी से बातचीत करना पसंद था। माया ने अपने सोशल बिहेवियर से सभी को अपना दीवाना बना लिया था। वहां पर जितने भी लोग काम करते थे, चाहे वह महिला हो या पुरुष, सभी माया से दोस्ती करना चाहते थे। सिवाय मोहित के, क्योंकि मोहित को इस तरह की हरकतें बिल्कुल भी पसंद नहीं थी। मोहित माया से भी उतनी ही बात करता जितनी उसे जरूरत होती।

मोहित और माया की दोस्ती

माया को यह पता था कि सभी लोग उसके सोशल बिहेवियर और उसकी खूबसूरती को लेकर ही उससे दोस्ती करना चाहते हैं। मगर माया तो मोहित से दोस्ती करना चाहती थी, क्योंकि मोहित को माया की खूबसूरती से कोई लेना-देना नहीं था। मोहित की यही बात माया के दिल में उतर गई और वह मोहित से दोस्ती करने के लिए उतावली हो उठी। वह किसी न किसी बहाने से मोहित से बात करने लगी।

मोहित को भी यह बात बहुत जल्द पता चल गई कि माया उसे पसंद करती है। मगर अपने स्वभाव के कारण वह माया से ज्यादा बात नहीं करता था। लेकिन माया ने हार नहीं मानी। एक दिन माया ने मोहित से कहा कि चलो आज कॉफी पीने चलते हैं। मोहित पहले तो संकोच कर रहा था, मगर माया के बार-बार कहने पर चलने को राजी हो गया।

कॉफी पीने के बाद दोनों अपने-अपने घर चले गए। एक दिन माया ने मोहित से फिर से कहा कि आज भी हम लोग शाम को बाहर चलेंगे। मोहित, जो अब माया से खुलकर बात करने लगा था, उसे कोई ऐतराज नहीं था। शुरुआत में हल्की-फुल्की बातें, फिर दोस्ती और धीरे-धीरे वह दोस्ती गहरी हो गई।

प्यार का एहसास

एक दिन मोहित ने माया से कहा कि तुम्हारे साथ समय बिताना मुझे हमेशा अच्छा लगता है। माया ने भी मुस्कुराते हुए कहा, “हां मोहित, तुम्हारी सादगी और सोच मुझे बहुत भाती है। तुम दूसरों से अलग हो।” दोस्ती बढ़ी और वह दोस्ती धीरे-धीरे प्यार और फिर शादी की सोच तक पहुंच गई।

एक बार मोहित ने कहा, “माया, मैं चाहता हूं कि हम हमेशा साथ रहें। तुम्हारे बिना मेरी जिंदगी अधूरी है।” माया मुस्कुराई। उसने मोहित से कहा कि “मैं भी यही चाहती हूं।” मोहित माया के साथ शादी को लेकर बेहद खुश था। मगर उसे यह नहीं पता था कि एक तूफान उसका इंतजार कर रहा है।

गबन का आरोप

अगले दिन जब मोहित बैंक पहुंचा, तो वहां पर पुलिस वालों ने उसे गिरफ्तार कर लिया। उसने झल्लाकर पुलिस वालों से पूछा, “मेरा कसूर क्या है? मैंने किया क्या है?” पुलिस वालों ने कहा कि बैंक में 5 करोड़ का गबन हुआ है और सारे सबूत आपके खिलाफ हैं। मोहित ने लगभग रोते हुए कहा, “मैंने यह गबन नहीं किया है। मैं बेकसूर हूं।” मगर पुलिस वालों ने उसकी एक भी बात नहीं सुनी और मोहित को जेल जाना पड़ा।

जेल की जिंदगी

मोहित हर दिन जेल में बस एक ही बात सोचता था कि आखिर वह कौन है जिसने उसे गबन के झूठे केस में फंसाया है। कौन है वह जो उसकी जिंदगी बर्बाद करना चाहता है? मगर लाख कोशिशों के बाद भी मोहित को अपने सवालों के जवाब नहीं मिले। मोहित जल्द से जल्द बाहर आना चाहता था।

एक दिन उसके माता-पिता उससे मिलने आए तो मोहित ने उनसे कहा, “पिताजी, मेरा एक दोस्त है जिसका नाम नीरज है। वह एक अच्छा वकील है। आप लोग उससे मेरा केस लड़ने के लिए कहो। मुझे पूरा यकीन है कि वह मना नहीं करेगा।” मोहित के पिताजी ने वैसा ही किया और नीरज से मिलकर उसे सारी बात बताई।

नीरज की मदद

नीरज ने सारी बात सुनने के बाद मोहित के पिताजी से कहा, “अंकल जी, आप चिंता ना करें। मैं मोहित को जल्द से जल्द बाहर निकाल लूंगा।” नीरज ने मोहित के केस को अच्छी तरह से पढ़ा और अपने कई साल के अनुभव की वजह से उसने मोहित को सिर्फ कुछ महीनों की जेल होने दी।

जेल से वापस आने के बाद मोहित को कहीं भी नौकरी नहीं मिली, जिसके कारण उसे अब यह चिंता सताने लगी कि आखिर वह अब अपने परिवार का सहारा किस तरह से बनेगा। एक दिन मोहित ने अपनी मां से कहा, “मैं बिजनेस करूंगा।” मां ने कहा, “ठीक है बेटा, जो सही लगे वह करो।”

बिजनेस की शुरुआत

मोहित ने अपनी सारी जमा पूंजी लगाकर इलेक्ट्रॉनिक की एक दुकान खोली। मोहित की लगन और लोगों से बात करने के अपने हुनर के कारण जल्द ही उसकी दुकान अच्छी चलने लगी। एक बार काम के सिलसिले में मोहित को दूसरे शहर जाना पड़ा।

माया की बदहाली

मोहित जब रेलवे स्टेशन से बाहर निकला तो एक भिखारिन को देखकर वह थोड़ा रुक सा गया। मोहित उसे बड़े ध्यान से देख रहा था। मगर पहचान नहीं पा रहा था। इसलिए वह उसके पास आ गया। मोहित ने जब उसका चेहरा देखा तो उसके होश उड़ गए। वह भिखारिन कोई और नहीं बल्कि माया थी। अब तक माया ने भी मोहित को देख लिया था। इसीलिए वह सकपका सी गई।

मोहित ने माया से कहा, “माया, तुम इस शहर में भीख क्यों मांग रही हो और तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ?” माया, जो अभी भी सदमे में थी, उसने मोहित की बात का कोई जवाब नहीं दिया। मोहित ने फिर से पूछा, “माया, तुम इस शहर में भीख क्यों मांग रही हो और तुम्हारी नौकरी का क्या हुआ?”

माया की सच्चाई

माया ने मोहित की तरफ अपराध बोध से देखा और धीरे से कहा, “मोहित, यह मेरे कर्मों की सजा है जो मैं भुगत रही हूं।” मोहित ने माया की तरफ आश्चर्य से देखा। माया ने आगे कहा, “सिटी बैंक में जो गबन हुआ था, वह मैंने ही किया था। तुम्हें गबन के झूठे केस में मैंने ही फंसाया था।”

मोहित, जो माया की बातों को बड़े ध्यान से सुन रहा था, अचानक क्रोधित होकर बोल पड़ा, “माया, मैंने तो तुमसे सच्चा प्रेम किया था। मगर तुमने मेरे साथ यह सब किया। आखिर क्यों?” माया रो रही थी और रोते-रोते ही उसने मोहित से कहा कि “मोहित, जल्दी अमीर बनने की सोच ने मुझे इंसान से हैवान बना दिया था। मैं तुम्हारे सच्चे प्यार को पहचान नहीं पाई। मुझे माफ कर दो, मोहित।”

मोहित का दर्द

मोहित के चेहरे पर अब उदासी दिख रही थी। उसने फिर से माया से पूछा, “अगर वह गबन तुमने किया था तो तुम्हें तो अमीर होना चाहिए। मगर तुम यहां भीख मांग रही हो। ऐसा क्यों?” माया ने एक ठंडी आह भरते हुए कहा कि “उस घटना के बाद मेरे पापा को कैंसर हो गया और मां को पैरालिसिस हो गया। मैंने दोनों का काफी इलाज कराया। मगर मैं उन्हें बचा नहीं सकी। मेरे बड़े भाई ने चालाकी से मेरी बची हुई सारी संपत्ति अपने नाम कर ली और मुझे धक्के मारकर बाहर निकाल दिया। जिस शहर ने मुझे सब कुछ दिया, उसी शहर ने मेरा सब कुछ छीन भी लिया। इसलिए मैंने उस शहर को छोड़ दिया और यहां आ गई। मगर यहां आने के बाद मुझे कुष्ठ रोग हो गया। इसलिए मुझे भीख मांगकर अपना गुजारा करना पड़ता है।”

अंतिम निर्णय

मोहित ने माया की तरफ हिकारत भरी नजर से देखते हुए कहा, “माया, ऊंचा उठने की रेस में तुमने न सिर्फ मुझे बर्बाद कर दिया, बल्कि अपने आप को भी बर्बाद कर लिया। शायद इसे ही ईश्वर का न्याय कहते हैं।”

मोहित ने माया को एक आखिरी बार देखा और कहा, “तुम्हारे साथ जो हुआ, वह तुम्हारी गलतियों का नतीजा है। मुझे उम्मीद थी कि तुम अपनी गलती सुधारोगी, लेकिन तुमने तो और भी बुरा कर दिया। अब मैं तुम्हें और नहीं देख सकता।”

निष्कर्ष

मोहित ने माया को छोड़ दिया और आगे बढ़ गया। माया ने उसे जाते हुए देखा और उसके दिल में पछतावा और अफसोस था। उसने अपनी गलतियों से सबक लिया था, लेकिन अब सब कुछ खत्म हो चुका था। मोहित ने अपनी जिंदगी को फिर से संवारने की ठान ली थी, और माया की कहानी उसके लिए एक चेतावनी बन गई थी।

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि जल्दी अमीर बनने की चाहत में हमें अपने सच्चे रिश्तों और मूल्यों को नहीं भूलना चाहिए। जीवन में सच्चा प्यार और सच्ची दोस्ती सबसे महत्वपूर्ण होती है।

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