बुजुर्ग ने बोर्डिंग से पहले सिर्फ पानी माँगा एयर होस्टेस ने कहा “यहाँ भीख नहीं मिलती”

एयरपोर्ट का माहौल हमेशा से ही शोरगुल और भागदौड़ से भरा रहता है।
काउंटर पर लगी लंबी कतारें, चमकते फर्श पर खींचते ट्रॉली बैग, तेज़ आवाज़ में उड़ानों की घोषणाएँ और हर किसी के चेहरे पर कहीं जल्दी पहुँचने की हड़बड़ी।

भीड़ के बीच से धीरे-धीरे एक बुजुर्ग व्यक्ति आगे बढ़ रहा था। उसके पैरों में घिसी-पुरानी चप्पलें थीं, कपड़े धुले हुए थे मगर अब फीके पड़ चुके थे। हाथ में एक छोटा-सा कपड़े का थैला और चेहरे पर हल्की थकान। उसकी चाल धीमी थी, मानो हर कदम सोच-समझकर रखा जा रहा हो।

गेट नंबर तीन पर एक चमचमाता बोर्डिंग काउंटर था, जहाँ नीले यूनिफ़ॉर्म में एक युवा एयर होस्टेस यात्रियों की मदद कर रही थी। बुजुर्ग उसके पास पहुँचे और धीमी आवाज़ में बोले —
“बेटी, बस एक गिलास पानी मिल जाता?”

लड़की ने पहले उसे ऊपर-नीचे देखा, फिर होंठों पर एक हल्की मुस्कान आई। अगले ही पल वह हँसी और बोली —
“यह कोई पानी का नल है क्या? बाहर जाओ, वहाँ भीख मांग लो।”

पास खड़े यात्री खिलखिला पड़े। किसी ने फुसफुसाकर कहा — “एयरपोर्ट पर भीख मांगने लगे हैं लोग।”
एक लड़का तो मोबाइल निकालकर वीडियो बनाने लगा।

बुजुर्ग के चेहरे पर एक पल को शर्मिंदगी और दर्द की रेखा खिंच गई। मगर उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया। बस अपनी आँखें झुका लीं।

इसी बीच दो सुरक्षाकर्मी भी आ पहुँचे। एक ने हाथ से इशारा करते हुए कहा —
“अरे बाबा, लाइन मत रोको। हटो साइड में।”


दूसरा बोला —
“पहले पैसे कमाओ, फिर हवाई जहाज़ में बैठना।”

बुजुर्ग बिना कुछ बोले धीरे-धीरे पीछे हट गए। किसी ने उन्हें बैठने को कुर्सी नहीं दी। कोई पानी देने की कोशिश तक नहीं की। वे जाकर एक कोने में रखी लोहे की बेंच पर चुपचाप बैठ गए। चारों ओर लोग भाग-दौड़ में व्यस्त थे, मानो वह बुजुर्ग वहाँ मौजूद ही न हों।

उनकी आँखों में हल्की नमी थी, होंठ सूख चुके थे। उन्होंने पास रखे अपने छोटे से बैग को देखा, फिर भीड़ की ओर। और फिर फर्श पर नज़रें टिकाकर कुछ देर के लिए आँखें बंद कर लीं।

इसी बीच लाउडस्पीकर से आवाज़ गूंजी —
“अटेंशन प्लीज़, फ्लाइट AI 827 टू मुंबई, अब बोर्डिंग शुरू होने वाली है।”

यात्री अपने-अपने बैग उठाकर लाइन में लगने लगे। माहौल उत्सुकता और रफ़्तार से भरा था। मगर उस कोने में बैठे बुजुर्ग के आसपास जैसे समय ठहर गया हो।

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