बेटी के जन्म पर पिता की परीक्षा | सबक अमोज मुस्लिम कहानी | मुस्लिम कहानी
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बेटी के जन्म पर पिता की परीक्षा: एक सबक देने वाली मुस्लिम कहानी
यह कहानी एक ऐसे जालिम पिता की है जिसने अपनी जुड़वा बेटियों को सिर्फ इसलिए जिंदा जमीन में दफन कर दिया क्योंकि उसे बेटे चाहिए थे। यह कहानी उस दर्दनाक अंजाम की है जिसे देखकर पूरा गांव तौबा-तौबा करने लगा। यह अंजाम इतना खौफनाक था कि इसे सुनकर हर किसी की रूह कांप उठेगी।
बारिश में भागती मां
आसमान पर बादल छाए हुए थे। मूसलाधार बारिश हो रही थी। हर तरफ आंधी चल रही थी, जैसे बारिश हर चीज को बहा ले जाएगी। ऐसे में एक औरत, जिसकी गोद में दो नन्ही बच्चियां थीं, उन्हें लिए तेज भाग रही थी। उसने नंगे पांव कच्ची सड़क पर चलना शुरू किया। हर तरफ वीरानी छाई हुई थी क्योंकि तेज बारिश की वजह से लोग अपने घरों में थे।
वह औरत, जिसका नाम फातिमा था, अपनी बच्चियों को सीने से लगाए हुए थी। बच्चियां इतनी छोटी थीं कि उन्हें पैदा हुए अभी कुछ ही दिन हुए थे। फातिमा की आंखों से आंसुओं का सैलाब बह रहा था। वह बार-बार पीछे मुड़कर देखती और फिर और तेज चलने लगती। उसके चेहरे पर खौफ की लकीरें साफ झलक रही थीं। वह अपनी जान और अपनी बच्चियों की जान को किसी बड़े खतरे से बचाने की कोशिश कर रही थी।
जंगल में पनाह की तलाश
चलते-चलते वह एक घने जंगल में पहुंच गई। सामने उसे एक टूटी-फूटी झोपड़ी नजर आई। उसके दिल ने कहा, “शायद यही मेरी पनाहगाह है।” वह कांपते कदमों के साथ आगे बढ़ी। बारिश की बूंदें उसके बदन को काट रही थीं। उसने झोपड़ी के दरवाजे पर हल्की दस्तक दी। दरवाजा आधा खुला था। डरते-डरते वह अंदर दाखिल हुई। झोपड़ी की हालत देखकर उसकी आंखें नम हो गईं।
छत से बारिश का पानी टपक रहा था। दीवारें बोसीदा थीं और माहौल में एक अजीब सा सन्नाटा छाया हुआ था। वह थकी हारी एक कोने में बैठ गई। उसने हिम्मत जुटाई और कुछ लकड़ियां इकट्ठी कीं। भीगी हुई उंगलियों से आग जलाने की कोशिश करने लगी। आखिरकार एक नन्ही सी चिंगारी भड़की और आग की लौ रोशन हुई।
फातिमा ने अपनी दोनों बच्चियों को सीने से लिपटाया। बच्चियों के नन्हे हाथ उसके चेहरे को छू रहे थे। मां की आंखों से आंसू मोतियों की तरह गिरते जा रहे थे। बारिश की ठंड और जिंदगी के दुख मिलकर उसके वजूद को झकझोर रहे थे। वह अपने दिल में बार-बार अल्लाह को पुकार रही थी, “या अल्लाह, मेरी मदद फरमा। मेरी बच्चियों की हिफाजत फरमा।”
बूढ़ी औरत का सहारा
अचानक दरवाजा चरचराता हुआ खुला। फातिमा ने खौफ से अपनी बच्चियों को और जोर से सीने से लिपटा लिया। दरवाजे में एक झुकी हुई पुरानी लाठी थामे बूढ़ी औरत दाखिल हुई। उसके चेहरे पर झुर्रियां थीं, मगर आंखों में सुकून और मां जैसी मिठास थी। बूढ़ी औरत ने नरम लहजे में कहा, “बेटी, घबराओ नहीं। यह मेरा ही घर है।”
फातिमा ने कांपते हुए जवाब दिया, “अम्मा, मुझे कुछ दिन पनाह दे दो। बाहर तूफान है और मैं अपनी बच्चियों को लेकर कहीं जा नहीं सकती।” बूढ़ी औरत ने उसके कंधे पर हाथ रखा और नरम लहजे में कहा, “यह दर गरीब सही, मगर महफूज है। तुम कुछ दिन यहां सुकून से रह सकती हो।”
फातिमा की दर्दनाक कहानी
बूढ़ी औरत ने पूछा, “बेटी, तुम कौन हो? और इतनी बारिश और तूफान में अपनी नन्ही बच्चियों को लेकर क्यों निकल आई हो?” यह सुनकर फातिमा की आंखों में आंसू उमड़ आए। उसने कांपते हुए कहा, “अम्मा, मेरी कहानी बहुत दर्दनाक है। मैं एक यतीम लड़की थी। ना मां का सहारा था, ना बाप का साया। मेरी शादी दूर के रिश्तेदारों में हुई। मेरा शौहर फजल एक सख्त मिजाज और बेरहम आदमी था। मेरी सास भी उतनी ही संगदिल थी।”
फातिमा ने बताया कि शादी के कुछ ही महीने बाद जब वह मां बनने वाली थी, उसने सोचा कि यह खबर सुनकर उसका शौहर खुश होगा। मगर उसके अल्फाजों ने उसका दिल तोड़ दिया। उसने कहा, “अगर बेटे हुए तो ठीक, वरना अगर बेटियां हुईं तो याद रखना, मैं उन्हें जिंदा जमीन में दफन कर दूंगा।”
जुड़वा बेटियों का जन्म
फातिमा ने अल्लाह से दुआ मांगी कि उसे बेटे अता हों ताकि उसकी बेटियां जालिम हाथों से बच जाएं। मगर जब वक्त आया, तो अल्लाह ने उसे दो जुड़वा बेटियों से नवाजा। फातिमा का दिल खुशी से भर गया। मगर उसके चेहरे की मुस्कुराहट खौफ के साए में दब गई।
जैसे ही उसकी सास को बेटियों के जन्म की खबर मिली, उसने फजल को फोन किया और कहा, “तुम्हारी बीवी ने बेटियां जनी हैं। यह हमारे लिए बोझ हैं।” फजल ने जवाब दिया, “मैं 5 दिनों में वापस आ रहा हूं। मैं आकर सब ठीक कर दूंगा।”
भागने का फैसला
फजल के लौटने से पहले ही फातिमा ने अपनी बच्चियों को बचाने का फैसला किया। उसने अल्लाह का नाम लेकर अपनी दोनों बच्चियों को सीने से लगाया और घर से भाग निकली। बारिश और कीचड़ भरे रास्तों पर वह लगातार दौड़ती रही। उसके दिल में सिर्फ एक ही ख्याल था कि कहीं जालिम हाथ उसकी मासूम बच्चियों तक ना पहुंच जाएं।
जालिम पिता का अंजाम
कुछ दिनों बाद फजल ने फातिमा को ढूंढ निकाला। उसने बूढ़ी औरत को पैसे देकर फातिमा को धोखा देने पर मजबूर कर दिया। फजल ने फातिमा की बच्चियों को छीन लिया और उन्हें कब्रिस्तान ले गया। वहां उसने अपनी मां के साथ मिलकर बच्चियों को जिंदा जमीन में दफन कर दिया।
मगर अल्लाह ने उनकी इस जालिम हरकत को देखा। अगले ही दिन फजल और उसकी मां पर ऐसा अज़ाब आया कि उनकी लाशें कीड़ों और सांपों से भर गईं। गांव के लोग यह मंजर देखकर कांप उठे।
सबक देने वाली कहानी
फातिमा की कहानी हर किसी के लिए एक सबक बन गई। गांव के लोग अब समझ गए थे कि मासूमों का खून कभी बेकार नहीं जाता। यह कहानी हमें सिखाती है कि अल्लाह हर जालिम का हिसाब जरूर करता है। बेटियां अल्लाह की रहमत होती हैं, और उन्हें बोझ समझने वाले हमेशा अपनी सजा पाते हैं।
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