भिखारी बच्चे ने करोड़पति को अपना आख़िरी निवाला दिया… आगे जो हुआ उसने सबको रुला दिया

एक करोड़पति बाप और उसका भूखा बेटा, यह कहानी है एक ऐसे इंसान की जिसने दौलत के पीछे भागते-भागते अपने परिवार को खो दिया, और फिर एक दिन उसे अपनी सबसे बड़ी गलती का एहसास हुआ।

शहर की भीड़भाड़ वाली सड़क पर दिन ढल रहा था। धूल और धूप से भरी हवाओं के बीच लोग अपने-अपने काम में व्यस्त थे। उसी फुटपाथ के किनारे बिजली के खंभे के नीचे एक छोटा सा भिखारी बच्चा सिकुड़ कर बैठा था। उसके बदन पर इतने पुराने और फटे कपड़े थे कि जगह-जगह से त्वचा झलक रही थी। उसके पैरों में चप्पल भी नहीं थी। सिर्फ नुकीले पत्थरों से बचने के लिए उसने कपड़े का टुकड़ा बांध रखा था। उसकी आंखों में भूख की थकान और चेहरे पर मजबूरी की लकीरें थीं।

कई घंटों की भीख मांगने के बाद भी उसके पास बस एक सूखा टुकड़ा रोटी का ही आया था। उसने उसे अपनी छोटी सी थाली में रख छोड़ा था। मानो वह कोई खजाना हो। बच्चा उस रोटी को देखता और कभी अपने पेट को सहलाता जो भूख से गुड़गुड़ा रहा था। लेकिन फिर भी वह रोटी अभी तक नहीं खा रहा था। शायद वह सोच रहा था कि इसे कब खाएं ताकि रात की भूख झेल सके।

सड़क से गुजरते लोग उसे देखते और आगे बढ़ जाते। कुछ लोग मजाक उड़ाते, कुछ तरस खाकर नजरें झुका लेते लेकिन किसी ने भी उसके पास रुककर उसकी हालत नहीं पूछी। छोटा भिखारी वहीं बैठा, चुपचाप अपने आखिरी सहारे को बचाए हुए था।

सड़क पर अचानक एक लंबी और चमचमाती काली गाड़ी आकर रुकी। उसके इंजन की आवाज और चमक ने आसपास खड़े लोगों का ध्यान खींच लिया। सबकी नजरें उस गाड़ी पर टिक गईं। दरवाजा धीरे से खुला और उसमें से एक शख्स उतरा। उसका सूट महंगा था, घड़ी चमचमा रही थी, जूते बिल्कुल नए और चमकदार थे। वह देखने में किसी राजा तरह लग रहा था। पर उसके चेहरे पर कुछ और ही कहानी लिखी थी। उसकी आंखें लाल थीं जैसे कई रातों से सोया ना हो और गालों पर आंसुओं के ताजा निशान थे। वह सीधे सड़क के किनारे बैठ गया। मानो उसके पैरों में अचानक से जान ही ना रही हो।

लोग उसे पहचानते थे। वह वही करोड़पति था जिसके होटल, दुकानें और गाड़ियां पूरे शहर में मशहूर थीं। भीड़ फुसफुसाने लगी। अरे यह तो वही है। इतना बड़ा आदमी रो क्यों रहा है? लेकिन किसी में हिम्मत नहीं थी पास जाकर पूछने की। करोड़पति का चेहरा टूटे हुए शीशे की तरह लग रहा था – बाहर से चमकदार पर भीतर से बिखरा हुआ। उसकी आंखों से आंसू टपकते हुए सड़क की धूल में मिल रहे थे।

छोटा भिखारी बच्चा यह सब बड़ी हैरानी से देख रहा था। उसके मासूम दिल को समझ ही नहीं आया कि इतना बड़ा आदमी जिसके पास सब कुछ है, आखिर क्यों अकेले बैठकर यूं रो रहा है। छोटा भिखारी बच्चा धीरे-धीरे अपनी जगह से उठा। उसका छोटा सा दिल बेचैनी से धड़क रहा था। उसने कभी कल्पना भी नहीं की थी कि उसके सामने बैठा इतना बड़ा आदमी जिसकी गाड़ी ही एक महल जैसी लग रही थी, यूं खुलेआम रो सकता है।

वह डरते-डरते नंगे पांव धीरे-धीरे उसके करीब पहुंचा। बच्चे ने कांपती आवाज में पूछा, बाबूजी आप क्यों रो रहे हो? आपके पास तो सब कुछ है। फिर आप दुखी क्यों हो? करोड़पति ने अपना चेहरा ऊपर उठाया। उसकी आंखों में ऐसी उदासी थी जो किसी भूखे बच्चे से भी गहरी थी। उसने भारी आवाज में जवाब दिया, बेटा मेरे पास सब कुछ था। पैसा, दौलत, घर, गाड़ियां पर मैंने अपनों को खो दिया। परिवार छोड़कर चला गया। दोस्त मुंह मोड़ गए। आज मेरे पास करोड़ों
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