“भिखारी बच्चे ने करोड़पति की जान बचाई… फिर जो हुआ, देखकर आप रो पड़ेंगे!
हैदराबाद की गलियों में हलचल हमेशा रहती है। ऊँची इमारतें, भागती गाड़ियाँ, हॉर्न का शोर, और लोगों की आवाज़ें। इसी भीड़-भाड़ में एक कोने पर एक छोटा सा चेहरा हर दिन नजर आता है। उसका नाम है रवि। रवि मुश्किल से 8 साल का है। नंगे पैर, फटी शर्ट और हाथ में एक पुराना डिब्बा, जिससे वह राहगीरों से सिक्के मांगता है। कोई उसे देखता भी नहीं, जैसे वह इस शहर का हिस्सा ही नहीं हो।
रवि का अतीत
रवि हर सुबह उसी जगह पहुंचता है, एक पुराने बस स्टैंड के पास, जहां दिनभर गाड़ियाँ रुकती हैं। उसके मन में भूख है, लेकिन उसे इसकी आदत हो चुकी है। उसने आंखें बंद की और अपनी पुरानी यादों में खो गया। उसकी मां, शांति, जो रातभर सिलाई करती थी, और पिता, रामू, जो मजदूरी करके दिन बिताते थे। घर छोटा था, लेकिन प्यार बड़ा था। रवि का सपना था कि वह पढ़-लिखकर अपनी मां के लिए एक नई सिलाई मशीन खरीदेगा। लेकिन किस्मत ने उसके सपने पर ताला लगा दिया। तीन साल पहले, बारिश की एक रात, उसके माता-पिता एक सड़क हादसे का शिकार हो गए।
सड़क पर जीवन
रवि तब केवल 5 साल का था। पड़ोसियों ने कुछ दिन उसकी देखभाल की, लेकिन फिर सब अपने रास्ते चले गए। धीरे-धीरे, रवि की जिंदगी फुटपाथ की हो गई। उसने समझ लिया था कि जिंदगी भीख नहीं देती, बल्कि मौके देती है। आज भी, जब वह दीवार के सहारे बैठा था, उसकी नजर सड़क के उस पार गई। एक आदमी, विक्रम मल्होत्रा, जो शहर का मशहूर कारोबारी था, फोन पर बहस कर रहा था।
खतरनाक पल
विक्रम का ध्यान सड़क पर नहीं था। तभी रवि ने देखा कि एक तेज रफ्तार कार विक्रम की तरफ आ रही है। बिना सोचे समझे, रवि उछल पड़ा और चिल्लाया, “साहब, हट जाइए! गाड़ी आ रही है!” विक्रम ने नहीं सुना, और रवि ने उसे धक्का दे दिया। गाड़ी उनके पास से गुजरी, और विक्रम गिर पड़ा।
एक नई शुरुआत
विक्रम ने रवि को देखा और कहा, “तुमने मुझे क्यों बचाया?” रवि ने कहा, “मेरे मां-बाप भी ऐसे ही चले गए थे। मैं नहीं चाहता कि किसी और को ऐसा दर्द मिले।” विक्रम ने उसकी आँखों में देखा और उसके दिल में कुछ बदल गया। उसने रवि को खाना दिया और उसके साथ समय बिताया।
घर में नया सदस्य
विक्रम ने रवि को अपने घर बुलाने का फैसला किया। जब रवि ने पहली बार विक्रम के घर का दरवाजा खोला, तो उसे लगा जैसे वह किसी दूसरे जहां में आ गया हो। विक्रम की पत्नी, कविता, ने उसे अपनाया और कहा, “अगर तुम चाहो तो हमारे साथ रह सकते हो।” रवि की आँखों में आंसू थे।
नई जिंदगी की शुरुआत
अब रवि एक नए जीवन की शुरुआत कर रहा था। विक्रम और कविता ने उसे स्कूल भेजने का फैसला किया। रवि ने पहली बार स्कूल की यूनिफार्म पहनी और स्कूल जाने के लिए तैयार हुआ। लेकिन स्कूल में उसे भेदभाव का सामना करना पड़ा। बच्चे उसे देखकर कहते, “यह वही लड़का है जो सड़क पर भीख मांगता था।”
संघर्ष और मेहनत
रवि ने सब कुछ सहन किया और अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया। उसने मेहनत की और धीरे-धीरे उसके नंबर बढ़ने लगे। एक दिन, जब परिणाम घोषित हुए, रवि ने पूरे सेक्शन में पहला स्थान पाया। विक्रम और कविता ने उसे गले लगाया और कहा, “तुमने हमारी उम्मीदों को पूरा किया है।”
ईर्ष्या का जन्म
लेकिन इस खुशी के बीच, विक्रम का भाई, राजेश, जो खुद एक व्यापारी था, रवि से जलने लगा। उसने सोचा कि रवि उनके परिवार का नाम मिटा रहा है। राजेश ने अपने बेटे आर्यन को रवि से जलने के लिए उकसाया।
राजेश की साजिश
राजेश ने तय किया कि वह किसी भी तरह रवि को विक्रम से दूर करेगा। उसने शहर में अफवाह फैलाने शुरू कर दिए कि विक्रम ने रवि को अपने नाम कर लिया है। यह सुनकर विक्रम और कविता परेशान हो गए।
सच्चाई का सामना
एक दिन, जब विक्रम ऑफिस में गया, तो उसे बताया गया कि रवि के नाम से कुछ अनधिकृत लेन-देन हुए हैं। विक्रम ने रवि से पूछा, “क्या तुमने कुछ किया?” रवि ने कहा, “नहीं पापा, मैंने कुछ नहीं किया।” विक्रम ने उसकी आँखों में देखा और उसे विश्वास था।
आखिरी वार
लेकिन राजेश की साजिश और तेज हो गई। उसने एक दिन अपने बेटे आर्यन को कहा, “अब वक्त है कुछ साबित करने का।” आर्यन ने रवि को जानबूझकर ठोकर मारी, जिससे रवि गिर पड़ा।
सच्चाई का जश्न
आखिरकार, एक दिन विक्रम को एक पेनड्राइव मिली, जिसमें सीसीटीवी फुटेज था। उसमें साफ दिख रहा था कि कॉन्ट्रैक्ट फाइल रात में कोई और ले गया था। वह आर्यन था। विक्रम ने राजेश को बुलाया और सबूत दिखाए। राजेश का चेहरा फीका पड़ गया।
पुनर्मिलन
राजेश ने अपनी गलती मान ली और विक्रम ने उसे माफ कर दिया। अब सब कुछ ठीक हो गया। रवि ने फिर से अपनी पढ़ाई पर ध्यान दिया और विक्रम और कविता के साथ मिलकर एक एनजीओ खोला।
नई राह
रवि ने सड़क के बच्चों के लिए एक एनजीओ खोला, जहां उन्हें खाना, कपड़े और शिक्षा दी जाती थी। उसने कहा, “मैं उन बच्चों में अपना अतीत देखता हूं।”
समापन
इस तरह, रवि ने न केवल अपनी जिंदगी बदली, बल्कि दूसरों की जिंदगी में भी रोशनी भर दी। उसने साबित किया कि रिश्ते खून से नहीं, बल्कि कर्म से बनते हैं। और इस तरह, हैदराबाद की गलियों में एक नया सूरज उगने लगा।
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