भिखारी बन चुका था तलाक़शुदा पति… पत्नी ने गाड़ी रोकी और फिर जो हुआ…

भिखारी बन चुका था तलाकशुदा पति। पत्नी ने एक गाड़ी रोकी और फिर जो हुआ दोस्तों सोचिए जब जिंदगी का सबसे करीबी रिश्ता हालात और लालच की वजह से टूट जाए और वही इंसान सालों बाद सड़क पर हाथ फैलाते हुए मिल जाए तो क्या होगा?

लखनऊ का हजरदगंज चौराहा हमेशा की तरह शाम को जाम से ठसाठस भरा था। लाल बत्ती पर गाड़ियों की लंबी कतारें लगी थीं। हॉर्न की आवाजें और रिक्शों की चिल्लाहट से माहौल भारी हो गया था। इसी भीड़ में एक चमचमाती Fortuner कार धीरे-धीरे आगे बढ़ रही थी। कार के अंदर बैठी थी अनामिका वर्मा, शहर की जानीमानी बिजनेस वूमन। बेदाग साड़ी, आत्मविश्वास भरा चेहरा और आंखों में हल्की सी थकान। दिल्ली मीटिंग से लौटते वक्त वह सीधे अपनी मां से मिलने जा रही थी।

कार रुकते ही कुछ बच्चे और औरतें खिड़की पर आ खड़े हुए। अनामिका ने अपने पर्स से कुछ नोट निकाले और ड्राइवर से शीशा नीचे करने का इशारा किया। नोट उनके हाथ में जाते ही चेहरे खिल उठे। अनामिका की आदत थी, जहां भी जरूरतमंद दिखते मदद करती। लेकिन तभी भीड़ में से एक दुबला आदमी लड़खड़ाते कदमों से कार की खिड़की तक पहुंचा। उसके कपड़े फटे हुए थे, बाल बिखरे हुए और चेहरे पर गहरी थकान की लकीरें। उसने कांपते हाथों से कांच पर दस्तक दी। “मुझे… मुझे कुछ नहीं मिला।” उसकी आवाज बेहद धीमी थी, मानो भीतर से टूटी हुई।

अनामिका ने सहज भाव से उसकी ओर देखा। लेकिन अगले ही पल जैसे उनका दिल धड़कना भूल गया। आंखें चौड़ी हो गईं। “यह… यह तो रोहित है।” हां, वही रोहित मिश्रा, उसका पूर्व पति। वो आदमी जिसके साथ कभी उसने सपने देखे थे, जिसके साथ सात फेरे लिए थे। आज उसी को सड़कों पर भीख मांगते हुए देख रही थी।

अनामिका का चेहरा सफेद पड़ गया। दिल की धड़कने बेकाबू हो गईं। उसने विश्वास नहीं किया। फिर दोबारा गौर से देखा। नहीं, शक की गुंजाइश नहीं थी। वो सचमुच रोहित ही था। रोहित ने भी अनामिका को पहचान लिया। उसकी आंखों में शर्म और पीड़ा झलक रही थी। “अनामिका… तुम…” उसकी आवाज कांप रही थी।

अनामिका के हंठ सूख गए। उन्होंने बमुश्किल शब्द निकाले। “रोहित, तुम… इस हालत में… यह सब कैसे…?” भीड़ अब तक कार के आसपास इकट्ठा हो चुकी थी। लोग आपस में कानाफूसी करने लगे। “अरे यह तो वर्मा ग्रुप की मालकिन है। यह गरीब आदमी कौन है जो उनसे पहचान का दावा कर रहा है?” कुछ लोग तो शक करने लगे कि शायद कोई अमीर औरत किसी गरीब को जबरदस्ती ले जा रही है।

रोहित ने धीरे से सिर उठाया और बोला, “गलत मत समझिए। यह मेरी पत्नी थी। अब पूर्व पत्नी है।” भीड़ हक्का बक्का रह गई। अनामिका ने गहरी सांस ली और ड्राइवर से कहा, “पीछे का दरवाजा खोलो।” ड्राइवर ने आदेश का पालन किया। अगले ही पल रोहित उस Fortuner की पिछली सीट पर बैठ चुका था।

कार धीरे-धीरे जाम से निकलने लगी। अनामिका की आंखें अभी भी नम थीं। उनके दिल में सवालों का तूफान था। यह वही रोहित है जिसने कभी मुझे अपने सपनों की रानी कहा था। आज इस हालत में क्यों? आखिर ऐसा क्या हुआ कि मेरा पति सड़क पर भीख मांगने को मजबूर हो गया।

वह जानती थी इस सवाल का जवाब आसान नहीं होगा। Fortuner जाम से निकलकर सीधे चारबाग रोड के एक मध्यम दर्जे के होटल पर रुकी। अनामिका का मन अब भी उथल-पुथल से भरा था। वो समझ ही नहीं पा रही थी कि जिस आदमी को कभी उसने
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