मनीषा का प्रेमी ही निकला हत्यारा? पलट गया मामला, चौंकाने वाला खुलासा! हरियाणा…

एक छोटे से गाँव की सरल-सी लड़की मनीषा अपने परिवार की आशा थी — पढ़ाई करके नर्स बनकर सामाजिक सम्मान पाना और ग़रीब परिवार की सबसे बड़ी बेटियों में अपनी पहचान बनाना चाहती थी। वह प्ले‑स्कूल में बच्चों को पढ़ाती थी और शाम को अपनी तंगी के बावजूद किताबों से जुड़ी रहती थी। उसका सपना था कि वह अपने गाँव की पहली नर्सिंग ऑफिसर बने।

11 अगस्त — एक सामान्य दिन, एक भयानक मोड़

11 अगस्त को मनीषा बड़े उत्साह के साथ आईडियल नर्सिंग कॉलेज, सिंहानी में बीएसएससी नर्सिंग के फॉर्म भरने गई। पर शाम तक जब वह घर वापस नहीं लौटी, तो परिवार बेचैन हो उठा। पिता ने न जाने कितने बार कॉलेज जाकर पूछताछ की, लेकिन कॉलेज के गार्ड ने मना कर दिया और सीसीटीवी दिखाने से इन्कार कर दिया। रात में 6:26 बजे पिता को मनीषा के मोबाइल से 10 सेकंड का एक रहस्यमयी कॉल आया। उसके बाद फोन स्विच ऑफ हो गया। दिल दहला देने वाली यह स्थिति बनी जब पुलिस को सूचना दी गई लेकिन पुलिस ने लापरवाही दिखाई, “19 साल की लड़की है, शायद किसी के साथ चली गई है, 24 घंटे इंतजार करो” कह कर एफआईआर तक दर्ज नहीं की। परिवार निराश, लेकिन उम्मीद में।

13 अगस्त — शव की बरामदगी और दोहरे पोस्टमार्टम की जोड़ी

ज्यादा दबाव पड़ने पर पुलिस ने आखिरकार 13 अगस्त सुबह एक शव मिलने की सूचना दी। जब परिवार वहां पहुँचा और कपड़ों से पहचान की तो वह मनीषा ही थी, लेकिन उसकी हालत ने सबको झकझोर दिया। शव पर गहरे घाव — कस कर मर जाने जैसा चिन्ह। बताया गया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में घाव दर्ज थे, पर ‘गलत काम’ के कोई प्रमाण नहीं। परिवार भड़क गया — “झूठ कहा गया है!” दबाव बढ़ा तो दूसरी रिपोर्ट में उन्होंने कह दिया कि ये घाव किसी जानवर की गलती है। दो राय, दो रिपोर्ट्स — समाज और परिवार का घमासान बढ़ गया, और केस हवा में लटका रहा।

विरोध-प्रदर्शन और CBI तक का मामला

तब तक मामला पूरे प्रदेश में तूल पकड़ चुका था। लोग सड़कों पर उतरे, “Justice For Manisha” का नारा गूँज उठा। प्रशासन ने पुलिस अधिकारियों को सस्पेंड करने के अलावा SP को ट्रांसफर किया। फिर तीसरा पोस्टमार्टम AIIMS, दिल्ली में कराया गया और केस CBI को सौंपा गया। अब उम्मीद जगी कि सत्य खुलेगा, और न्याय मिलेगा।

CBI जांच — जब सबसे भरोसेमंद निकला सबसे बड़ा गुनहगार

जांच एजेंसी ने मोबाइल कॉल डिटेल, लोकेशन ट्रैकिंग और अन्य तकनीकी जानकारियाँ जुटाईं। खुलासा हुआ कि अंतिम कॉल उसी लड़के से हुआ था जो खुद उसके सबसे करीबी था — दोस्त कह कर छुपाए गए गहराई से। परिवार को जो भरोसा था, उसी लड़के ने मनीषा का विश्वासघात किया।

शुरुआत में उसने सब कुछ नकारा। लेकिन जब कॉल रिकॉर्ड, लोकेशन और तकनीकी सबूतों की एतिहासिकता पेश की गई, तो वह टूट गया और कबूल कर लिया। उसने बताया कि उसने मनीषा को बुलाया था; विवाद उस समय हुआ जब मनीषा पढ़ाई करना चाहती थी, और वह सिर्फ उसी के साथ घर‑परिवार संभालने का दबाव बना रहा था। डर था कि अगर मनीषा आगे बढ़ गई, तो रिश्ता टूट जाएगा। यह भावना चिंता से घड़ी थी।

छल, विश्वासघात और योजना

हिंसा के बाद, उसने धुँआ-धुँआ कर सबूतों को मिटाने की कोशिश की—कपड़े बदले, फोन बंद किया, फिर रिसेट किया, मोबाइल डेटा मिटाने की कोशिश की। सोशल मीडिया पर कॉलेज को घसीटने की अफवाह फैलाई ताकि ध्यान वहाँ रह जाए। उसका चाचा प्रभावशाली था और पुलिस पर दबाव डाला गया ताकि जांच हलकी दिखाई जाए।

लेकिन तकनीक तेज निकली। डेटा रिकवरी, इंटरनेट सर्च, लोकेशन ट्रैकिंग — यह सब उजागर हुआ और साबित हो गया कि यह एक सोची समझी योजना थी, एक सुनियोजित विश्वासघात।

CBI का पुख्ता सबूत और कोर्ट में लड़ाई

CBI ने चार्जशीट दाखिल की — कपटी योजना, स्पष्ट डेटा, कबूलनामा और गवाह। अदालत ने बोला कि यह साधारण केस नहीं, बल्कि बड़े परीक्षा जैसा केस है — समाज का विश्वास इस पर बँधा है। आरोपी पक्ष ने कहा कि वह मानसिक दबाव में था, नाबालिग था—सबूतों ने इन बहानों को खारिज किया।

माँ का संकल्प और समाज की आवाज़

मनीषा की माँ ने मीडिया से कहा कि जब तक अपराधी को कड़ी सज़ा नहीं मिलेगी, वे चैन की सांस नहीं लेंगी। उन्होंने अपनी बेटी की याद में एक ट्रस्ट खोलने की बात कही, जिससे गरीब लड़की पढ़ सके, उनका सपना जाग सके।

समाज का संदेश

इस पूरे मामले ने सार्वजनिक चेतना को झकझोर दिया है — कहा जा रहा है कि अगर न्याय नहीं हुआ तो विश्वास कानून में टूट जाएगा। यह लड़ाई सिर्फ एक परिवार की नहीं, बल्कि पूरे समाज की आत्मा की लड़ाई बन गई है।

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