मनीषा के हत्यारे पकड़े गए, उस दिन मनीषा के साथ क्या हुआ था! हरियाणा भिवानी मनीषा मु…

मनीषा केस: एक अनसुलझी गुत्थी या न्याय की अधूरी तलाश?

हरियाणा के भिवानी जिले की 19 वर्षीय शिक्षिका मनीषा की मौत ने पूरे प्रदेश को हिला कर रख दिया है। यह मामला केवल एक युवती की असमय मृत्यु तक सीमित नहीं रहा, बल्कि यह एक सामाजिक, राजनीतिक और प्रशासनिक बहस का विषय बन गया है। सोशल मीडिया से लेकर विधानसभा तक, न्यूज़ चैनलों से लेकर आम जनमानस की जुबान तक, हर जगह केवल एक ही सवाल गूंज रहा है — आखिर मनीषा को क्या हुआ?

घटना की शुरुआत: गुमशुदगी से मौत तक

11 अगस्त को मनीषा अपने घर से स्कूल गई लेकिन कभी वापस नहीं लौटी। उसके परिवार ने स्थानीय पुलिस स्टेशन में गुमशुदगी की रिपोर्ट दर्ज कराने की कोशिश की, लेकिन पुलिस की लापरवाही के कारण यह रिपोर्ट देर शाम जाकर दर्ज हुई। इसके अगले दिन यानी 12 अगस्त को भी पुलिस ने कोई ठोस कार्रवाई नहीं की। 13 अगस्त को मनीषा का शव एक सुनसान स्थान पर मिला, और यहीं से यह मामला एक जटिल और पेचीदा जांच में तब्दील हो गया।

पोस्टमार्टम की अनोखी त्रयी

हरियाणा में शायद पहली बार किसी केस में एक नहीं, दो नहीं बल्कि तीन पोस्टमार्टम किए जा रहे हैं।

पहला पोस्टमार्टम भिवानी जिला नागरिक अस्पताल में हुआ, लेकिन परिजनों को इस रिपोर्ट पर भरोसा नहीं हुआ।

दूसरी पोस्टमार्टम रिपोर्ट, पीजीआई रोहतक से आई जिसमें डॉक्टर कुंदन सिंह ने कहा कि मनीषा के शरीर पर कोई बड़े घाव नहीं थे, न ही दुष्कर्म के कोई संकेत थे।
बल्कि गर्दन पर जो निशान मिले थे, वे किसी जानवर के कारण थे। रिपोर्ट में सलाइवा (लार) भी किसी जानवर की बताई गई।

विरा रिपोर्ट में दावा किया गया कि मनीषा ने खुद कीटनाशक पीकर आत्महत्या की थी। पुलिस ने कहा कि सीसीटीवी फुटेज में वह एक दुकान से कीटनाशक खरीदती दिखाई दी थी और उसके बैग से एक सुसाइड नोट भी मिला जिसमें वह अपने माता-पिता से माफी मांग रही थी।

सवालों के घेरे में पुलिस और प्रशासन

इस पूरे घटनाक्रम में पुलिस की भूमिका पर लगातार सवाल खड़े हो रहे हैं।

क्यों मनीषा की गुमशुदगी की रिपोर्ट 12 घंटे से भी ज़्यादा देर से दर्ज हुई?

क्यों प्रारंभिक जांच में पुलिस ने तत्परता नहीं दिखाई?

अगर मनीषा ने कीटनाशक पीया था, तो वह बोतल या पाउच कहां है?

सिंघानी नहर के पास वह कैसे पहुंची?

क्या यह संभव है कि एक शिक्षित युवती आत्महत्या करने से पहले कोई सुराग या संकेत छोड़े बिना ऐसा कदम उठा ले?

सामाजिक आक्रोश और सीबीआई जांच

मनीषा की मौत के बाद केवल उसके परिवार ने नहीं, बल्कि पूरे भिवानी क्षेत्र और आस-पास के 25 से 26 गांवों के लोगों ने एकजुट होकर इस मामले में न्याय की मांग उठाई। धरने, कैंडल मार्च, सोशल मीडिया कैंपेन और सड़क जाम जैसे कई तरीकों से जनता ने प्रशासन पर दबाव बनाया। इसके बाद सरकार को अंततः सीबीआई जांच के आदेश देने पड़े।

सीबीआई ने केस की पूरी फाइल हरियाणा पुलिस से ली, दिल्ली एम्स में तीसरा पोस्टमार्टम कराया और सेंटर फॉरेंसिक साइंस लैब में सैंपल्स जांच के लिए भेजे गए। अब सभी की नजर इस तीसरी और अंतिम पोस्टमार्टम रिपोर्ट पर है, जो इस पूरे केस की दिशा तय कर सकती है।

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