महिला DM की गाड़ी पंचर हो गयी थी पंचर जोड़ने वाला तलाकशुदा पति निकला

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पंचर जोड़ने वाला और जिला मजिस्ट्रेट: एक अधूरी मोहब्बत की पूरी कहानी

पौड़ी गढ़वाल के एक छोटे से कस्बे में रमन नाम का एक युवक अपने माता-पिता और छोटी बहन के साथ हंसी-खुशी जीवन बिता रहा था। रमन पढ़ा-लिखा, मेहनती और स्वाभिमानी था, लेकिन उसकी आर्थिक स्थिति उतनी अच्छी नहीं थी। एक दिन परिवार में शादी का निमंत्रण आया और सभी लोग रिश्तेदारी में शादी अटेंड करने गए। शादी के माहौल में रमन की नजर एक बेहद खूबसूरत लड़की गरिमा पर पड़ी। पहली ही नजर में रमन को गरिमा से एकतरफा प्यार हो गया।

शादी में दोनों की मुलाकात धीरे-धीरे दोस्ती में बदल गई। दोनों ने एक-दूसरे का नाम, परिवार और बाकी जानकारियां साझा कीं। पता चला कि दोनों दूर के रिश्तेदार हैं, लेकिन शादी करने में कोई बाधा नहीं थी। रमन ने गरिमा से उसका फोन नंबर ले लिया और शादी के बाद रोजाना बातचीत होने लगी। बातचीत के दौरान रमन को पता चला कि गरिमा एक बहुत अमीर परिवार से है, जबकि वह खुद साधारण परिवार से है। दोनों की दोस्ती कब गहरे प्यार में बदल गई, उन्हें पता ही नहीं चला।

समय के साथ गरिमा ने रमन से शादी की इच्छा जताई। रमन ने उसे बताया कि उसके परिवार वाले शायद इस रिश्ते के लिए राजी न हों, लेकिन दोनों ने कोर्ट मैरिज कर ली। जब गरिमा बार-बार घर से बाहर जाने लगी, तो उसके घरवालों को शक हुआ और उन्होंने सच पता कर लिया। चूंकि शादी कानूनी रूप से हो चुकी थी, गरिमा के पिता ने सामाजिक प्रतिष्ठा को बचाने के लिए रीति-रिवाज से भी दोनों की शादी करवा दी।

शादी के बाद गरिमा रमन के घर आ गई और वहीं रहकर अपनी पढ़ाई जारी रखी। रमन के घरवाले भी उसे पढ़ाई के लिए प्रोत्साहित करते थे। मगर धीरे-धीरे गरिमा को घर की साधारण स्थिति अखरने लगी। उसकी मां ने भी उसे रमन के खिलाफ भड़काना शुरू कर दिया। घर में छोटी-छोटी बातों पर तानेबाजी और झगड़े बढ़ने लगे। एक दिन गरिमा नाराज होकर मायके चली गई और कोर्ट में तलाक के लिए आवेदन कर दिया। कुछ ही महीनों में दोनों का तलाक हो गया।

गरिमा ने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दो साल की मेहनत के बाद जिला मजिस्ट्रेट (DM) बन गई। उधर, रमन अपनी मां की बीमारी और मौत के बाद पूरी तरह टूट गया। आर्थिक तंगी के चलते उसे अपने दोस्त से सलाह मिली और उसने टायर पंचर जोड़ने का काम शुरू किया। अपनी गाड़ी में पंचर जोड़ने का सामान और फोन नंबर लिखवाकर वह आसपास के इलाकों में सेवा देने लगा। मेहनत के बल पर उसका काम चल निकला।

एक दिन DM गरिमा ठाकुर की सरकारी गाड़ी का टायर जंगल के पास पंचर हो गया। ड्राइवर ने पंचर जोड़ने वाले को बुलाया, जो कोई और नहीं बल्कि रमन था। रमन ने गाड़ी का पंचर जोड़ते वक्त गरिमा को देखा और दोनों भावुक हो गए। ड्राइवर ने पैसे देने चाहे, लेकिन रमन ने मना कर दिया। उसने कहा कि अगर कभी सरकारी काम में मदद की जरूरत पड़े तो DM साहिबा उसकी सहायता कर दें। गरिमा ने अपना फोन नंबर लिखकर रमन को दे दिया।

रमन ने रात में फोन किया, गरिमा ने तुरंत कॉल उठा लिया। दोनों ने पुराने दिनों की बातें कीं और गरिमा ने पूछा कि रमन टायर पंचर जोड़ने का काम क्यों करने लगा। रमन ने मिलने का आग्रह किया। अगले दिन दोनों पार्क में मिले, जहां रमन ने अपनी परेशानियों और मां की मौत के बाद की परिस्थितियों को साझा किया। गरिमा ने बताया कि उसने दूसरी शादी नहीं की है, उसकी मांग में सिंदूर रमन के नाम का ही है। दोनों भावुक हो गए।

गरिमा ने कहा कि उसने पैसे की तंगी और मां के बहकावे में आकर तलाक लिया, लेकिन उसका प्यार रमन के लिए कभी कम नहीं हुआ। रमन ने भी बताया कि उसने दूसरी शादी नहीं की, क्योंकि उसका दिल सिर्फ गरिमा के लिए धड़कता है। दोनों मंदिर गए, जहां गरिमा ने रमन का हाथ थाम लिया और रोते हुए कहा कि वह फिर से उसके साथ रहना चाहती है। रमन ने भी अपनी भावनाओं को स्वीकार किया और दोनों ने एक बार फिर मां काली के सामने एक दूसरे को वरमाला पहनाई।

अब दोनों ने अपने नए जीवन की शुरुआत की और खुशी-खुशी साथ रहने लगे। यह कहानी बताती है कि प्यार, विश्वास और समझदारी से हर मुश्किल आसान हो जाती है। गरिमा और रमन की कहानी लाखों में एक है, जिसमें बिछड़ने के बाद भी मोहब्बत कायम रही और अंत में दोनों फिर मिल गए।

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