मामूली लड़का समझकर चाय फेंकी मुंह पर । जब अगले दिन पता चला वही है कंपनी का मालिक फिर जो हुआ…
मनीषा सुबह 8:00 बजे ही ऑफिस पहुंच गई थी। आज उसका पहला दिन था श्री एंटरप्राइज में। तीन महीने से नौकरी की तलाश में भटकने के बाद आखिरकार उसे यह मौका मिला था। पिछले हफ्ते जब उसे अपॉइंटमेंट लेटर मिला था, तो उसकी खुशी का ठिकाना नहीं रहा था। पिताजी ने कितनी मुश्किल से उसकी पढ़ाई पूरी करवाई थी। बीकॉम की डिग्री लेकर जब वह छोटे शहर से यहां आई थी, तब उसके पास सिर्फ सपने थे और एक छोटा सा बैग।
पहला दिन और घबराहट
कंपनी का ऑफिस काफी बड़ा था। शीशे की बिल्डिंग देखकर मनीषा थोड़ा घबरा गई। उसने अपने कुर्ते की सलवटे ठीक की और अंदर दाखिल हुई। रिसेप्शन पर खड़ी लड़की ने मुस्कुराकर उसे तीसरी मंजिल पर जाने को कहा। लिफ्ट में चढ़ते हुए मनीषा के हाथ पसीने से भीग गए थे। उसने मन ही मन भगवान से प्रार्थना की कि बस सब ठीक हो जाए।
तीसरी मंजिल पर उतरते ही उसे एक बड़ा सा हॉल दिखा। कुछ लोग अपनी कुर्सियों पर बैठे काम में व्यस्त थे। मनीषा ने एक महिला से पूछा कि एचआर डिपार्टमेंट कहां है? उन्होंने कॉरिडोर के आखिरी कमरे की तरफ इशारा किया। मनीषा धीरे-धीरे आगे बढ़ी। रास्ते में उसे प्यास लगी तो उसने देखा कि एक तरफ छोटा सा पेंट्री एरिया था। वहां एक युवक खड़ा था, जो काउंटर से पानी पी रहा था।
पहली मुलाकात और गलतफहमी
मनीषा ने सोचा शायद यहां का कोई चपरासी या कर्मचारी होगा। उसने अपना फोन निकाला तो देखा कि पिताजी का मिस कॉल था। वह उन्हें वापस कॉल करने लगी। “एक्सक्यूज मी,” उस युवक ने धीरे से कहा। मनीषा फोन पर ही बात करने लगी। उसके पिताजी परेशान लग रहे थे। घर पर कुछ समस्या थी। युवक ने दोबारा कुछ कहने की कोशिश की।
“अरे, मिनट भर रुको भी!” मनीषा ने झुझलाकर कहा। पिताजी की बात सुनकर उसका मूड खराब हो गया था। घर में पैसों की तंगी की बात चल रही थी। तभी उस युवक ने काउंटर पर रखी चाय की तरफ हाथ बढ़ाया। मनीषा बातों में इतनी उलझ गई थी कि उसे लगा यह चाय अभी उसने बनाई है।
“भैया, यह मेरी चाय है। आप अपनी बना लीजिए,” मनीषा ने कड़क आवाज में कहा। “भैया, मैं…” युवक कुछ कहने लगा। “क्या मैम है? यहां ऑफिस है, कोई चाय की दुकान नहीं। और ढंग से बोलना नहीं आता क्या?” मनीषा का धैर्य जवाब दे गया। पिताजी की चिंता और नई जगह का तनाव उसके सिर पर हावी हो गया था। युवक का चेहरा गंभीर हो गया। उसकी आंखों में अजीब सा भाव आया। “मुझे लगा यह…” युवक ने धीमी आवाज में कहा।
“तुम्हें जो लगा वो गलत लगा। समझे? बिना पूछे किसी की चीज नहीं लेते,” मनीषा का स्वर और कठोर हो गया। उसे खुद पर भी गुस्सा आ रहा था कि वह इतना बुरा व्यवहार क्यों कर रही है, लेकिन रुक नहीं पा रही थी। “माफी चाहता हूं,” युवक ने कहा और पीछे हटने लगा। “माफी से क्या होगा? तुम जैसे लोगों को लगता है कि कुछ भी कर सकते हैं,” कहते हुए मनीषा ने गुस्से में अपना चाय का कप उठाए बिना सोचे समझे उस युवक की शर्ट पर फेंक दिया।
परिणाम
युवक की आंखें फटी की फटी रह गईं। गर्म चाय उसकी शर्ट को भिगोती हुई छाती तक पहुंची। वह बस वहीं खड़ा रह गया। उसके चेहरे पर दर्द के साथ-साथ हैरानी भी थी। मनीषा एक पल के लिए सन्न रह गई। उसने क्या कर दिया? लेकिन अपनी गलती मानने की बजाय वह वहां से चली गई। उसके कदम तेज थे लेकिन दिल बेचैन था।
10 मिनट बाद जब मनीषा एचआर ऑफिस में पहुंची तो वहां की मैनेजर ने उसे बैठने को कहा। कागजात भरते हुए उन्होंने बताया कि जल्दी ही कंपनी के मालिक सभी नए कर्मचारियों से मिलेंगे। मनीषा ने सिर हिलाया। उसका मन अभी भी उस घटना में उलझा था।
शर्म और पछतावा
शाम को घर लौटते हुए मनीषा को अपने व्यवहार पर शर्म आई। उसने किसी अनजान व्यक्ति के साथ इतना बुरा किया था। लेकिन अब क्या हो सकता था? वह तो कभी उससे दोबारा मिलेगी भी नहीं। अगले दिन मनीषा 9:00 बजे ऑफिस पहुंची। रात भर ठीक से नींद नहीं आई थी। बार-बार कल की घटना याद आ रही थी। उस अनजान व्यक्ति के चेहरे पर जो हैरानी और दर्द था, वह उसकी आंखों के सामने घूम रहा था।
सुबह उठकर उसने खुद से वादा किया था कि अगर कभी मौका मिला तो वह माफी मांगेगी। ऑफिस में आज सुबह से ही अजीब सी हलचल थी। सभी कर्मचारी थोड़े सतर्क और सजग नजर आ रहे थे। मनीषा ने अपनी सहकर्मी प्रिया से पूछा, “क्या बात है? आज सब इतने व्यस्त क्यों लग रहे हैं?”
प्रिया ने मुस्कुराते हुए कहा, “अरे, तुम्हें पता नहीं? आज हमारे कंपनी के मालिक आ रहे हैं। दीपक सर, वो बहुत कम ऑफिस आते हैं। बाहर ज्यादातर काम रहता है उनका। आज खासतौर पर नए कर्मचारियों से मिलने आ रहे हैं।”
मनीषा का दिल जोर से धड़का। कंपनी के मालिक! उसने कभी सोचा नहीं था कि पहले हफ्ते में ही मालिक से मुलाकात होगी। “कैसे हैं वो?” मनीषा ने पूछा। “बहुत अच्छे इंसान हैं। सीधे साधे, किसी से ऊंची आवाज में नहीं बोलते। लेकिन काम के मामले में बहुत सख्त हैं। गलती बर्दाश्त नहीं करते,” प्रिया ने बताया।
पहली मुलाकात का सामना
11:00 बजे सभी कर्मचारियों को कॉन्फ्रेंस रूम में बुलाया गया। मनीषा ने अपने कपड़े ठीक किए और दूसरों के साथ वहां पहुंच गई। कमरे में करीब 20 लोग थे। सभी नए कर्मचारी, सबके चेहरे पर उत्सुकता थी। दरवाजा खुला और एचआर मैनेजर अंदर आई। उनके पीछे एक व्यक्ति था। मनीषा ने जैसे ही उस व्यक्ति को देखा, उसकी सांसें थम गईं। वो वही युवक था जिस पर उसने कल चाय फेंकी थी।
मनीषा के हाथ पैर ठंडे पड़ गए। उसका चेहरा पीला हो गया। दिल इतनी तेजी से धड़क रहा था कि लगा अभी बाहर निकल आएगा। “नहीं, यह नहीं हो सकता। यह कैसे संभव है?” एचआर मैनेजर ने कहा, “मैं आप सब से मिलवाती हूं श्री एंटरप्राइजेज के मालिक दीपक कुमार से।” कमरे में तालियां गूंज उठीं। मनीषा अपनी जगह पर पत्थर की तरह जम गई थी।
दीपक ने सबको देखा। उसकी नजर मनीषा पर पड़ी। एक पल के लिए उसकी आंखों में कुछ चमका। फिर वह सामान्य हो गया। उसने शांत आवाज में बोलना शुरू किया, “मैं आप सभी का स्वागत करता हूं। इस कंपनी में हर व्यक्ति महत्वपूर्ण है। मैं चाहता हूं कि आप सब मेहनत करें। ईमानदारी से काम करें। यहां सिर्फ डिग्री या अनुभव नहीं, आपका व्यवहार भी मायने रखता है। जो दूसरों के साथ सम्मान से पेश आता है, वो इस कंपनी में आगे बढ़ता है।”
गहरी सीख
मनीषा का गला सूख रहा था। हर शब्द सीधे उसके दिल में चुभ रहा था। दीपक ने आगे कहा, “कभी-कभी हम किसी को देखकर उसके बारे में राय बना लेते हैं। कपड़ों से, बोलने के तरीके से या उनकी हैसियत से। लेकिन असल में इंसान की पहचान उसके कर्मों से होती है ना कि उसके दिखावे से।” मनीषा की आंखों में आंसू आ गए। उसने सिर झुका लिया। शर्म से उसका चेहरा लाल हो गया।
दीपक अभी भी बोल रहे थे, लेकिन उसे कुछ सुनाई नहीं दे रहा था। उसने अपने जीवन में इतनी बड़ी गलती कर दी थी। मीटिंग खत्म हुई। सब लोग बाहर जाने लगे। मनीषा भी उठी लेकिन उसके पैर कांप रहे थे। वो दरवाजे की तरफ बढ़ने लगी। “मनीषा जी,” दीपक की आवाज सुनाई दी। मनीषा रुक गई। उसने घूम कर देखा। कमरे में सिर्फ वह दोनों ही रह गए थे। दीपक उसकी तरफ देख रहे थे। उनके चेहरे पर कोई गुस्सा नहीं था। बस एक गंभीरता थी।
“जी जी सर,” मनीषा की आवाज कांप रही थी। “क्या आप मुझे पहचान रही हैं?” दीपक ने पूछा। मनीषा की आंखों से आंसू बहने लगे। “सर, मुझे माफ कर दीजिए। मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे नहीं पता था कि मैं इस कंपनी का मालिक हूं।”
माफी और समझ
दीपक ने उसकी बात पूरी की। मनीषा ने सिर झुका लिया। “मुझे सच में बहुत शर्म आ रही है। मैं उस दिन परेशान थी। घर में कुछ समस्याएं थीं। लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि मैं किसी के साथ ऐसा व्यवहार करूं। आपने कुछ गलत नहीं किया था। गलती मेरी थी।” दीपक चुप रहे। कुछ पल की खामोशी रही। “अगर मैं कंपनी का मालिक नहीं होता, सिर्फ एक साधारण कर्मचारी होता, तब भी क्या आप माफी मांगती?” दीपक ने सवाल किया।
मनीषा ने सिर उठाया। दीपक की आंखों में सवाल था। गुस्सा नहीं। “हां सर,” मनीषा ने रोते हुए कहा, “मैं कल रात से ही खुद को धिक्कार रही हूं। मुझे अपने ऊपर बहुत गुस्सा है। आप चाहें तो मुझे नौकरी से निकाल दें। मैं अपनी सजा के लिए तैयार हूं।”
दीपक ने लंबी सांस ली। “देखिए मनीषा जी, मैं आपसे नाराज नहीं हूं। हां, तकलीफ जरूर हुई थी। लेकिन ज्यादा दुख इस बात का हुआ कि आपने मुझे एक इंसान की तरह नहीं देखा। आपको लगा कि मैं कोई मामूली व्यक्ति हूं तो मेरे साथ कैसा भी बर्ताव किया जा सकता है।”
मनीषा लगातार रो रही थी। “मुझे माफ कर दीजिए सर। प्लीज।” “मैं आपको माफ कर देता हूं,” दीपक ने कहा, “लेकिन एक शर्त पर। आप वादा करें कि अब कभी किसी के साथ ऐसा व्यवहार नहीं करेंगी। चाहे वह कोई भी हो। चपरासी हो, सफाई कर्मचारी हो या कोई और, हर इंसान सम्मान का हकदार है।”
नई शुरुआत
“मैं वादा करती हूं सर,” मनीषा ने सिर झुकाकर कहा। “मैं अपनी यह गलती कभी नहीं दोहराऊंगी।” दीपक ने कुछ पल सोचा। फिर बोले, “ठीक है, आप जाइए। अपने काम पर ध्यान दीजिए। मैं चाहता हूं कि आप अच्छा प्रदर्शन करें।” मनीषा को विश्वास नहीं हो रहा था। उसने सोचा था कि आज उसकी नौकरी चली जाएगी। लेकिन दीपक ने उसे माफ कर दिया। उसने झुककर धन्यवाद किया और कमरे से बाहर निकल गई।
बाहर आकर मनीषा सीधे वाशरूम में गई। आईने में अपना चेहरा देखा तो खुद से नफरत हो गई। “कितनी बुरी इंसान है वो। किसी का दिल दुखाना इतना आसान था उसके लिए।” उसने अपना चेहरा धोया और खुद को संभाला।
परिवार का समर्थन
दोपहर का खाना खाते समय प्रिया ने पूछा, “क्या हुआ? तुम इतनी उदास क्यों हो?” मनीषा ने कुछ नहीं कहा। वह अपनी प्लेट में खाना देख रही थी, लेकिन कुछ खाया नहीं जा रहा था। शाम को जब मनीषा घर पहुंची तो पिताजी दरवाजे पर खड़े थे। “कैसा रहा दूसरा दिन?” उन्होंने पूछा। “ठीक था पापा,” मनीषा ने झूठ बोल दिया। वह अपने पिताजी को कैसे बताती कि उसने कितनी बड़ी गलती की है।
रात को खाना खाते हुए मनीषा की मां ने कहा, “बेटा, नौकरी मिल गई है तो बस मेहनत से काम करना। और हां, सबके साथ अच्छे से बात करना। घमंड कभी मत करना।” मनीषा की आंखों में फिर से आंसू आ गए। मां की बात सुनकर उसे और भी बुरा लगा। उसने सिर हिलाया और जल्दी से अपने कमरे में चली गई।
परिवर्तन की शुरुआत
अगले कुछ दिन मनीषा बहुत शांत रही। वो समय पर ऑफिस आती, अपना काम करती और चली जाती। किसी से ज्यादा बात नहीं करती थी। दीपक रोज ऑफिस नहीं आते थे। लेकिन जब भी आते, मनीषा उनसे नजरें चुराती रहती। एक हफ्ते बाद शुक्रवार को दीपक ऑफिस आए। उन्होंने सभी विभागों का निरीक्षण किया। जब वह अकाउंट्स डिपार्टमेंट में आए जहां मनीषा काम करती थी तो उसकी धड़कनें तेज हो गईं।
दीपक ने सभी की फाइलें देखी। मनीषा की फाइल देखते हुए उन्होंने कहा, “अच्छा काम है। साफ सुथरा और व्यवस्थित।” मनीषा ने धीरे से धन्यवाद कहा। दीपक आगे बढ़ गए। शाम को जब मनीषा ऑफिस से निकल रही थी, तो गेट पर उसे दीपक दिखे। वह अपनी गाड़ी की तरफ जा रहे थे। मनीषा रुक गई।
उसने हिम्मत जुटाई और उनकी तरफ बढ़ी। “सर, एक मिनट,” मनीषा ने कहा। दीपक रुके और पलट कर देखा। “जी बोलिए।” “सर, मैं आपको फिर से माफी मांगना चाहती हूं। मुझे अभी भी अपने किए पर बहुत शर्म आती है। आपने मुझे माफ कर दिया। यह आपकी बढ़ाई है। लेकिन मैं खुद को माफ नहीं कर पा रही हूं,” मनीषा ने कहा।
दीपक की समझदारी
दीपक ने गंभीरता से उसकी तरफ देखा। फिर बोले, “मनीषा जी, गलती हो गई। आपने मान ली। अब खुद को इतना सजा मत दीजिए। हम सब इंसान हैं। गलतियां होती हैं। महत्वपूर्ण यह है कि हम उनसे क्या सीखते हैं।” “लेकिन सर…” मनीषा ने कहना चाहा। “देखिए,” दीपक ने बात काटते हुए कहा, “मैं समझ सकता हूं कि आप कितना बुरा महसूस कर रही हैं। लेकिन अपने आपको इतना दोष देना भी सही नहीं। आपने गलती की, माफी मांगी, मैंने माफ कर दिया। अब आगे बढ़िए। अपने काम पर ध्यान दीजिए।”
मनीषा ने सिर हिलाया। “धन्यवाद सर। आप बहुत अच्छे इंसान हैं।” दीपक मुस्कुराए और बोले, “आप भी अच्छी इंसान हैं। बस उस दिन परिस्थितियां खराब थीं। चलिए अब घर जाइए। देर हो रही है।”
नई पहचान
मनीषा ने हाथ जोड़े और वहां से चली गई। उसके मन में पहली बार थोड़ी शांति महसूस हुई। दो महीने बीत चुके थे। मनीषा अब पूरी लगन से काम कर रही थी। उसने अपनी गलती से सीख ली थी। अब वह ऑफिस के हर व्यक्ति से विनम्रता से बात करती। चाहे वह सफाई कर्मचारी हो या मैनेजर।
चपरासी रामदीन जब उसकी टेबल पर चाय रखता तो वह हमेशा मुस्कुराकर धन्यवाद कहती। छोटी-छोटी बातें थीं। लेकिन मनीषा के व्यक्तित्व में बड़ा बदलाव आ गया था। एक दिन दोपहर को मनीषा कैंटीन में खाना खा रही थी। तभी दीपक वहां आए। वह अकेले थे। आमतौर पर वह अपने केबिन में ही खाना खाते थे। मनीषा ने उन्हें देखा और नजरें झुका लीं।
दीपक ने खाना लिया और देखा कि सभी टेबल भरी हुई थीं। सिर्फ मनीषा की टेबल पर जगह खाली थी। वह उसकी तरफ आए। “क्या मैं यहां बैठ सकता हूं?” दीपक ने पूछा। मनीषा चौंक गई। “जी हां सर। बिल्कुल।” दीपक बैठ गए और खाना खाने लगे। कुछ देर खामोशी रही। मनीषा को सांस लेने में भी तकलीफ हो रही थी।
“कैसा चल रहा है काम?” दीपक ने पूछा। “अच्छा है सर। मुझे बहुत कुछ सीखने को मिल रहा है,” मनीषा ने जवाब दिया। “अच्छी बात है। मैंने आपकी फाइलें देखी हैं। काफी सुधार हुआ है,” दीपक ने कहा। “धन्यवाद सर,” मनीषा ने कहा। दीपक ने खाना खत्म किया और उठने लगे। तभी उन्होंने कहा, “मनीषा जी, एक बात कहूं।”
सीखने का अवसर
“जी सर,” मनीषा ने कहा। “आप अब भी खुद को उस दिन के लिए दोष दे रही हैं। मैं आपकी आंखों में देख सकता हूं। लेकिन सच कहूं तो उस घटना से मुझे भी कुछ सीखने को मिला।” मनीषा ने हैरानी से उनकी तरफ देखा। “आपको सर?” “हां, मुझे एहसास हुआ कि लोग किस तरह दूसरों को आंकते हैं। उस दिन अगर मैं पहले ही बता देता कि मैं कौन हूं तो शायद आपका व्यवहार अलग होता। लेकिन सवाल यह है, क्या सम्मान सिर्फ पद के कारण मिलना चाहिए? हर इंसान को बिना किसी शर्त के सम्मान मिलना चाहिए।”
मनीषा की आंखें भर आईं। “आप सच में बहुत महान हैं सर।” दीपक ने मुस्कुराते हुए कहा, “नहीं, मैं सिर्फ एक आम इंसान हूं। बस जिंदगी ने कुछ सबक सिखाए हैं।” कहकर वह चले गए।
नई जिम्मेदारी
उस दिन के बाद मनीषा ने खुद को पूरी तरह माफ कर दिया। उसने तय किया कि वह अपनी गलती को अपनी ताकत बनाएगी। तीन महीने बाद कंपनी में एक नया लड़का आया रोहित। वह गांव से आया था और थोड़ा डरा-सहमा रहता था। उसकी हिंदी और अंग्रेजी में गलतियां होती थीं। कुछ कर्मचारी उसका मजाक उड़ाते थे।
एक दिन मनीषा ने देखा कि दो लड़के रोहित से मजाक कर रहे थे। “अरे भाई, यह फाइल को फाइल क्यों बोलता है?” एक ने हंसते हुए कहा। मनीषा सीधे उनके पास गई। “तुम लोगों को शर्म नहीं आती? किसी की कमजोरी का मजाक उड़ाना तुम्हें बड़ा बनाता है क्या?” दोनों लड़के चुप हो गए।
मनीषा ने रोहित की तरफ देखा। उसकी आंखों में आंसू थे। “रोहित, तुम्हारे अंदर बहुत हुनर है। बस थोड़ा समय लगेगा। घबराओ मत,” मनीषा ने प्यार से कहा। उस दिन के बाद मनीषा ने रोहित की मदद करना शुरू कर दिया। लंच के समय वह उसे सिखाती कि कैसे बेहतर तरीके से काम किया जाए।
धीरे-धीरे रोहित का आत्मविश्वास बढ़ने लगा। एक दिन दीपक ने यह सब देखा। शाम को उन्होंने मनीषा को अपने केबिन में बुलाया। मनीषा घबरा गई। “क्या कुछ गलत हो गया?” केबिन में पहुंचकर उसने देखा कि दीपक मुस्कुरा रहे थे। “बैठिए मनीषा जी।” मनीषा बैठ गई। दिल तेजी से धड़क रहा था।
“मैंने देखा कि आप रोहित की मदद कर रही हैं। बहुत अच्छा काम है,” दीपक ने कहा। मनीषा ने राहत की सांस ली। “सर, मुझे लगा कि मुझे ऐसा करना चाहिए। उस बच्चे को सपोर्ट की जरूरत है।” “बिल्कुल सही। और इसीलिए मैंने तय किया है कि अब से आप ट्रेनिंग इंचार्ज होंगी। नए कर्मचारियों को आप ही ट्रेनिंग देंगी।”
नया अध्याय
मनीषा को यकीन नहीं हो रहा था। “सर, लेकिन मैं सिर्फ 3 महीने से हूं यहां।” “समय से ज्यादा अनुभव मायने रखता है और आपने जो सीखा है वह बहुत कीमती है। आप जानती हैं कि गलतियों से कैसे सीखना है और दूसरों की मदद कैसे करनी है।” मनीषा की आंखों से खुशी के आंसू निकल आए। “धन्यवाद सर। मैं आपको निराश नहीं करूंगी।”
“मुझे पता है,” दीपक ने कहा। उस दिन घर जाते हुए मनीषा ने आसमान की तरफ देखा। कितना बदल गया था सब कुछ। एक गलती ने उसे इतना कुछ सिखा दिया था। उसने सीखा था कि हर इंसान बराबर है। पद या हैसियत से किसी की कीमत नहीं होती।
समापन
क्या आपके साथ किसी ने ऐसा बर्ताव किया है? क्या दीपक ने सही किया? आपने कभी गलती में किसी के साथ ऐसा किया है तो कमेंट में अपनी राय जरूर लिखें। वीडियो को लाइक, शेयर करें और हमारे चैनल को सब्सक्राइब करें।
इस कहानी ने हमें यह सिखाया कि हमें हमेशा दूसरों के प्रति सम्मान और सहानुभूति रखनी चाहिए। किसी भी स्थिति में हमें धैर्य और विनम्रता से काम लेना चाहिए। मनीषा की गलती ने उसे एक नई पहचान दी, और उसने सीखा कि हर इंसान की अहमियत होती है।
Play video :
News
महिला CEO ने सिंगल डैड जनिटर का मज़ाक उड़ाया – बोली, ‘इंजन ठीक करो तो शादी करूंगी!’ और फिर उसने कर
महिला CEO ने सिंगल डैड जनिटर का मज़ाक उड़ाया – बोली, ‘इंजन ठीक करो तो शादी करूंगी!’ और फिर उसने…
भिखारी महिला को करोड़पति आदमी ने कहा — पाँच लाख रुपए दूँगा… मेरे साथ होटल चलो, फिर जो हुआ…
भिखारी महिला को करोड़पति आदमी ने कहा — पाँच लाख रुपए दूँगा… मेरे साथ होटल चलो, फिर जो हुआ… पटना…
तुम्हारे पिता के इलाज का मै 1 करोड़ दूंगा पर उसके बदले मेरे साथ चलना होगा 😧 फिर जो उसके साथ हुआ
तुम्हारे पिता के इलाज का मै 1 करोड़ दूंगा पर उसके बदले मेरे साथ चलना होगा 😧 फिर जो उसके…
सड़क किनारे फूल बेच रही लड़की और महिला अरबपति की पोती निकलीं…
सड़क किनारे फूल बेच रही लड़की और महिला अरबपति की पोती निकलीं… दोपहर का वक्त था। विक्रम राजवंश सिंह रेलवे…
“मैं तुम्हें 10 लाख रुपए दूंगा”लेकिन इसके बदले में, तुम्हें मेरे साथ होटल चलना होगा” फ़िर जो हुआ…
“मैं तुम्हें 10 लाख रुपए दूंगा”लेकिन इसके बदले में, तुम्हें मेरे साथ होटल चलना होगा” फ़िर जो हुआ… रात का…
बीमार पिता की जान बचाने के लिए बेटी ने मदद मांगी… करोड़पति लड़के ने 15 लाख का ऑफर दिया, फिर…
बीमार पिता की जान बचाने के लिए बेटी ने मदद मांगी… करोड़पति लड़के ने 15 लाख का ऑफर दिया, फिर……
End of content
No more pages to load