मुझे खाने को दीजिए… मैं आपके बेटे को ठीक कर दूंगी!” | गरीब लड़की का चमत्कार

बारिश की रात थी। हवाओं में ठंडक और सन्नाटा पसरा हुआ था। शहर की सबसे आलीशान कोठी के बाहर कीली सड़क पर एक कमजोर सी लड़की बैठी थी। उसके कपड़े फटे हुए थे, बाल भीगे हुए और आंखों में भूख व थकान की गहरी परछाई थी। उसने कांपते हुए दोनों हाथ जोड़कर गेट के भीतर खड़े सुरक्षा गार्ड को आवाज दी। मगर गार्ड ने उसे अनसुना कर दिया।

कुछ ही देर बाद एक काली गाड़ी आकर रुकी। उसमें से अरबपति राजीव मल्होत्रा उतरे। उनका चेहरा चिंता और थकान से भरा हुआ था क्योंकि उनका इकलौता बेटा आरव महीनों से गंभीर बीमारी की गिरफ्त में था। लड़की ने हिम्मत जुटाकर उनकी ओर देखा और टूटी आवाज में कहा, “मुझे खाने को दीजिए। मैं आपके बेटे को ठीक कर दूंगी।”

राजीव के कदम ठिटक गए। वह लड़की की ओर घूरने लगे। उनके कानों को यकीन नहीं हुआ कि किसी भिखारिन ने उनके बेटे के इलाज की बात की है, जबकि दुनिया के सबसे बड़े डॉक्टर भी जवाब दे चुके थे। बारिश की बूंदें उस लड़की के चेहरे से बहती रहीं। लेकिन उसकी आंखों में एक अजीब आत्मविश्वास चमक रहा था। मानो वह कुछ ऐसा जानती हो जिसे बाकी दुनिया नहीं समझ पाई।

राजीव का माथा गुस्से से तन गया। उन्होंने हाथ उठाकर गार्ड को इशारा किया। “भगा दो इसे। यह पागल हो गई है।” गार्ड लड़की के पास बढ़ा। लेकिन लड़की वहीं जमीन पर बैठ गई। उसकी आंखों से आंसू बह निकले। आवाज कांप रही थी। “मैं झूठ नहीं बोल रही। बस एक रोटी दे दीजिए। कसम खाती हूं आपके बेटे को ठीक कर दूंगी।”

राजीव का चेहरा कठोर था। उन्हें लगा यह कोई चाल है, कोई धोखा। आखिर इतने नामी डॉक्टर जिनका इलाज नहीं कर पाए, भूखी बेसहारा लड़की क्या कर सकती है? तभी पीछे से अनीता की आवाज आई। वह सीढ़ियों पर खड़ी थी। उसका दिल लड़की की मासूमियत देखकर पसीज गया था। “राजीव, अगर उसने खाना मांगा है तो इसमें बुराई क्या है? शायद इसे सच में मदद चाहिए।”

अनीता ने नौकर से रोटी मंगवाई। लड़की ने कांपते हाथों से रोटी ली। भूख से टूट पड़ी। हर निवाला खाते-खाते उसकी आंखों से आंसू टपकते रहे। रोटी खत्म होते ही लड़की ने गहरी सांस ली। चेहरा उठाया और शांत स्वर में बोली, “अब मुझे आपके बेटे के पास ले चलिए।” उसकी आवाज में अब कोई विनती नहीं बल्कि भरोसा और यकीन था।

राजीव और अनीता दोनों क्षण भर एक दूसरे को देखने लगे और हवा में सन्नाटा और रहस्य और भी गहरा हो गया। राजीव ने हिचकिचाते हुए लड़की को घर के अंदर आने दिया। भव्य कोठी के लंबे गलियारों से गुजरते हुए उसकी नंगी पांव की आहट संगमरमर पर गूंज रही थी। नौकर चाकर और गार्ड सब हैरानी से देख रहे थे कि आखिर एक भूखी लड़की अरबपति के बेटे के कमरे की ओर क्यों ले जाई जा रही है।

कमरे के अंदर अंधेरा और उदासी छाई हुई थी। वेंटिलेटर मशीन की हल्की-हल्की बीप की आवाज माहौल को और भारी बना रही थी। बिस्तर पर आरव पड़ा था। कमजोर, पीला और महीनों से कोमा सा। उसकी नब्जें इतनी धीमी थीं कि किसी को भी डर लग सकता था। लड़की धीरे से बिस्तर के पास बैठ गई। उसने अपने गीले बाल पीछे किए और आरव के हाथ को दोनों हथेलियों में थाम लिया। उसकी आंखें बंद हो गईं और होठों पर कोई अनजानी धुन फूटने लगी। ना वह कोई भाषा थी ना कोई पहचानी हुई प्रार्थना बल्कि किसी मंत्र जैसी लय।

धीरे-धीरे कमरे की हवा बदलने लगी। वह भारी
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