रात को शेख की बेटी ने नौकर को बुलाया, और फिर जो हुआ

रात के 2:00 बजे थे। संगमरमर के ठंडे फर्श पर हल्की सी लालिमा खिड़की के कांच से छनकर आ रही थी। अमीर ने अपने कांपते हुए हाथ को उस क्रिस्टल फूलदान की ओर बढ़ाया, जो नई, बेहद खूबसूरत फूल जैसी चमक थी। नूर, जिसका कमरा ठीक सामने था, उस वक्त जाग रही थी। नूर ने अमीर को बुलाया, “तेज आवाज करके बोला, अमीर जल्दी आना मेरे पास।”

जब अमीर उसके पास गया, तो नूर की बेबसी और खुशी के साथ मुस्कान को लौटाने में मदद की। आखिर नूर कौन थी और क्यों अमीर को अपने करीब बुलाया? जिसके बाद ऐसा रहस्य सामने आया जिससे नूर की जिंदगी बदल गई। जानने के लिए वीडियो को अंत तक पूरा देखिए।

महल का रहस्य

यह कहानी दुबई के उस मशहूर महल की है, जहां शेख आदिल का साम्राज्य सिर्फ दौलत और हीरे-जवाहरात का नहीं था, बल्कि वह गोपनीयता पर टिका था। इस किले की सबसे भरोसेमंद दीवार थी अमीर। अमीर अब 23 वर्ष का था, जो पाकिस्तान के लाहौर से आया था। 4 साल पहले वह एक साधारण नौकर नहीं बल्कि शेख के सुरक्षा प्रमुख द्वारा चुना गया एक तेज दिमाग वाला, कम पढ़ा लिखा लेकिन वफादार लड़का था। उसकी मुख्य जिम्मेदारी शेख की इकलौती लेकिन खूबसूरत बेटी नूर की सुरक्षा और देखभाल करना था।

नूर देखने में बहुत ही सॉफ्ट और कांचन जैसी चमक थी। उसकी मशहूर अदाएं और दिलकश अंदाज हर किसी को अपनी ओर आकर्षित करती थीं। नूर की पढ़ाई 3 महीने पहले अचानक बंद कर दी गई थी। शेख का मानना था कि घर से बाहर की दुनिया अब उसकी बेटी के लिए सुरक्षित नहीं है। नूर को यह फैसला नागवार गुजरा था। वह बड़ी-बड़ी किताबें पढ़कर दुनिया घूमना चाहती थी, लेकिन अब उसे संगमरमर की दीवारों में कैद कर दिया गया था।

शेख का आदेश

शेख आदिल हमेशा व्यापार और गुप्त डील्स में व्यस्त रहते थे। कभी दुबई, कभी लंदन और अब अमेरिका। वहीं पर उसके घर में शेख की पत्नी थी ज़ैनब। ज़ैनब एक सीधी साधी महिला थी। अपनी कम शिक्षा के कारण वह घर के जटिल मामलों से दूर रहती थी। अमीर वो एकमात्र व्यक्ति था जो शेख की अनुपस्थिति में परिवार की नब्ज़ जानता था। वह नूर के स्कूल के प्रोजेक्ट से लेकर ज़ैनब की दवाइयों तक सब कुछ संभालता था।

नूर अपनी निराशा को किताबों में दबाती थी। अमीर, जो अब उसका ड्राइवर, लाइब्रेरियन और निजी गार्ड था, हमेशा उसके आसपास रहता। एक दिन नूर ने कहा, “कहीं घूमने चलो। मेरा मन अब बहुत ज्यादा निराश हो रहा है।” अमीर जाने के लिए तैयार हो गया। वह हमेशा उसकी सुरक्षा सबसे पहले करता था।

बाजार की सैर

उन्होंने बाजार घुमाया और सुरक्षित घर वापस आए। एक दोपहर नूर ने कहा, “क्या तुम जानते हो कि इस घर की दीवारें मुझे खा रही हैं?” अमीर बिना सिर उठाए अपनी वर्दी की स्ट्रीट करता रहा। “नूर साहिबा, दीवारें नहीं खाती। यह आपकी सुरक्षा के लिए है।”

“सुरक्षा या जैद?” नूर ने तल्खी से पूछा। अमीर ने पहली बार उसकी आंखों में देखा। उन आंखों में उदास विद्रोह था। उसने महसूस किया कि वह सिर्फ एक काम करने वाला नौकर नहीं है, वह नूर का अकेला साथी था।

किताबों की खोज

एक दिन नूर को अपनी पसंदीदा किताब नहीं मिल रही थी। उसने कहा, “अमीर, जरा मुझे अपने कंधे पर उठाओ। मैं अभी तुम्हारे जितनी बड़ी नहीं हूं। मैं ऊपर देखना चाहती हूं।” उसने तुरंत उसे कंधे पर बैठाया और बुक खोजने की कोशिश की, लेकिन नहीं मिला। फिर नीचे उतारा।

बोली, “अमीर, जब तुमने गोदी उठाई ना तो बहुत ही सुकून लग रहा था।” अमीर ने कहा, “ठीक है।” तभी अमीर ने अलमारी सरकाई। वह इतनी पास थे कि नूर ने अमीर के मेहनती हाथों को देखा। हाथ पर एक छोटा सा कट था, जो किसी औजार से लगा लग रहा था।

तूफानी सुबह

एक तूफानी सुबह शेख आदिल अपने प्राइवेट जेट में अमेरिका के लिए रवाना हुए। अमीर ने जाते हुए कहा, “तुम जानते हो, मेरे लिए इस घर में सबसे कीमती चीज क्या है? मैं तीन हफ्ते तक नहीं हूं। कोई गलती नहीं होनी चाहिए।” “जी शेख साहब, आपकी अमानत सलामत रहेगी,” अमीर ने शांत दृढ़ स्वर में कहा।

शेख की रवानगी के बाद घर में एक अजीब शांत तनाव छा गया। अब नूर और ज़ैनब की सुरक्षा पूरी तरह से अमीर पर निर्भर थी। शेख के जाने के बाद नूर अपनी मां से बहस करके गुस्सा थी। नूर अपनी मां ज़ैनब से गुस्से में थी क्योंकि उसे लगता था कि मां हमेशा शेख आदिल के हर फैसले का आंख मूंदकर समर्थन करती है।

मां-बेटी का झगड़ा

उनकी ताज़ा बहस का मुख्य कारण नूर की पढ़ाई का अचानक बंद होना था। नूर अभी 20 साल की थी और उच्च शिक्षा के लिए विदेश के एक प्रतिष्ठित कॉलेज में आवेदन करने की योजना बना रही थी। लेकिन शेख आदिल ने सुरक्षा का हवाला देते हुए उसकी पढ़ाई बंद करवा दी और उसे घर में ही रहने का सत्य निर्देश दिया।

नूर को लगा कि यह सिर्फ सुरक्षा नहीं बल्कि आजादी छीनने जैसा है। उसने मां से कहा, “आप कम पढ़ी लिखी होने के कारण मेरी महत्वता नहीं समझतीं और हमेशा पिता की आज्ञा मान लेती हैं।” ज़ैनब का सीधा सा जवाब था, “तुम्हारे पिता जो करते हैं, वह तुम्हारी भलाई के लिए है।”

दुर्घटना का दिन

नूर इस बात से आगबुला हो गई थी। उसे महसूस हुआ कि मां उसे चारदीवारी में कैद करने में पिता का साथ दे रही है। इसी निराशा और विद्रोह में वह तेजी से सीढ़ियों से नीचे उतर रही थी। ज़ैनब अपनी रसोई के काम में व्यस्त थी।

घर के अंदर अमीर एक कोने में सिक्योरिटी फीड को चेक कर रहा था। तभी एक भयानक आवाज आई। “धड़ाम!” नूर संगमरमर की चमकती फर्श पर फिसल गई थी। उसका सिर सीढ़ियों के निचले सिरे से टकराया। खून का एक छोटा सा पूल तुरंत फैल गया। ज़ैनब चिल्लाती हुई भागी आई, “मेरी बच्ची, या अल्लाह!” उनकी आंखों में आंसू थे, लेकिन उनकी देह डर से जम गई थी।

अमीर की तत्परता

अमीर किसी ट्रेंड इमरजेंसी वर्कर की तरह भागा। उसने ज़ैनब को किनारे किया और नूर को अत्यंत कोमलता से उठाया। उसकी सांसे चल रही थीं, लेकिन वह बेहोश थी। अमीर ने तुरंत अपनी जैकेट उतार कर नूर के सिर के घाव पर मजबूती से दबाया। ज़ैनब घबरा गई, लेकिन होश में अमीर ने बोला, “ज़ैनब साहिबा, एंबुलेंस नहीं। शेख साहब को यह बात गुप्त रखनी होगी। मैं उसे हॉस्पिटल लेकर जा रहा हूं। डॉक्टर राशिद को फोन कीजिए। वह जानते हैं कि सब कुछ निजी रखना है।”

यह अमीर का पहला संदिग्ध व्यवहार था। उसने तुरंत गोपनीयता को प्राथमिकता दी। जीवन रक्षा को नहीं। अमीर ने नूर को हॉस्पिटल पहुंचाया और वापस घर आया। घर सन्नाटे में था। उसने अपने वॉकी टॉकी जैसी डिवाइस उठाई और शेख आदिल को सेटेलाइट फोन से कॉल किया।

शेख का गुस्सा

“सर, मैं अमीर बोल रहा हूं।” एक आपातकाल। शेख की दहाड़ फोन पर गूंजी, “हाउ डर यू कॉल मी नाउ? मैं एक डील में हूं। क्या हुआ?” अमीर ने शांत स्वर में घटना बताई। दूसरी ओर एक क्षण के लिए सन्नाटा छा गया। फिर शेख का स्वर ठंडा और जानलेवा हो गया। “तुम कहां थे जब यह हुआ? अमीर, कहां थे तुम? क्या तुम जानते हो इसका मतलब क्या है? मेरी बेटी अब सुनो। तुम डॉक्टर को पैसे दो। तुम सब कुछ संभालो। लेकिन तुम्हारी ड्यूटी अब शुरू होती है। अगर उसे कुछ हुआ, मैं तुम्हें छोड़ूंगा नहीं। यह तुम्हारी जिम्मेदारी है। जब तक वह ठीक नहीं हो जाती, तुम 24 घंटे उसकी सेवा करोगे।”

नूर की वापसी

अगले दिन नूर को घर लाया गया। सिर पर पट्टी बंधी थी और वह कमजोर थी। डॉक्टर ने कहा कि वह कुछ देर के लिए अंतिम कुछ घंटों की स्मृति खो सकती है। शेख के आदेश के बाद अमीर नूर के कमरे में ही था। वहीं नीचे सोता था और वह उसे दवा देता, किताबें पढ़कर सुनाता और उसके माथे पर ठंडी पट्टी रखता।

एक शाम नूर ने धीरे से कहा, “तुम अच्छे हो। मुझे याद नहीं कि मैं क्यों गिरी। तुम्हें याद है?” अमीर का चेहरा सफेद पड़ गया। “मुझे नहीं पता नूर साहिबा, मैंने सिर्फ आवाज सुनी।” यह एक सफेद झूठ था। अमीर जानता था क्योंकि वह उस समय सीढ़ियों के पास ही था।

खामोश मोहब्बत

लेकिन रिकॉर्डिंग्स में वह कोने में ही दिखा रहा था। नूर को छुप-छुप कर देखा करता था। उसे वह दिन याद आ रहा था जब उसने नूर को संगमरमर के फर्श से उठाकर अपनी गोदी में लिया था। उस वक्त वो सिर्फ एक मालिक की बेटी नहीं बल्कि एक कमजोर और घायल इंसान थी जिसकी सुरक्षा अमीर के हाथ में थी।

एक धीमी लेकिन साफ आवाज आई। “अमीर, सुनो!” नूर पूरी तरह से होश में थी। उसकी आंखों में चमक थी लेकिन उसका चेहरा अभी भी उदास था। अमीर तुरंत उठकर उसके बिस्तर के पास आया। “जी नूर साहिबा, कोई तकलीफ है?” नूर ने सिर हिलाया। “तकलीफ यह चोट नहीं है। अमीर, मेरे अंदर एक खामोशी है। डर की जैद की और अब इस राज की जो मैंने देखा।”

एक नया अध्याय

अमीर ने नूर की आंखों में देखा। “मुझे तुम्हारे रक्षा कवच की नहीं बल्कि तुम्हारी मदद चाहिए। तुम मेरी इस खामोशी को दूर कर सकते हो।” नूर ने धीमी आवाज में आगे कहा। “मुझे थोड़ा ठंडा करो।” उसने तुरंत छोटी सी किस किया और बोली, “ध्यान से करना।”

अमीर समझ नहीं पाया कि वह ठंडा करने से क्या कह रही है। “तुम पहले दरवाजे को अंदर से बंद कर दो। अमीर और ज़ैनब मां को बता दो कि मैं सो गई हूं और अब किसी को अंदर आने की जरूरत नहीं है। तभी मेरी तबीयत जल्दी ठीक होगी।” यह एक स्पष्ट आदेश था। अकेलेपन और गोपनीयता का।

अमीर का निर्णय

अमीर ने पल भर के लिए सोचा। दरवाजा बंद करना शेख के आदेश के खिलाफ जाना था। लेकिन नूर की उदासी और आंखों की मांग को वह अनदेखा नहीं कर सका। उसने धीरे से दरवाजा बंद किया और कमरे के अंदर की कुंडी लगा दी। अमीर ने वापस आकर बर्फ की एक ठंडी पट्टी ली और नूर के माथे पर बहुत कोमलता से रखी।

“क्या अब आपको ठंडा महसूस हो रहा है?” नूर साहिबा और उस रात उन दोनों के बीच वह सब कुछ हुआ जो वह चाहती थी। उसके तबीयत में धीरे-धीरे सुधार होना शुरू हुआ। नूर ने धीरे से मुस्कुराकर अपनी आंखें बंद कर ली। “हां, अमीर, अब मैं सुरक्षित महसूस कर रही हूं।” यह सुरक्षा नौकर की नहीं बल्कि साथी की थी।

ज़ैनब की चिंता

फिर जब वह ठीक हो गई और अमीर कमरे से बाहर निकला, तो वह बाथरूम में छिपकर अरबी भाषा में बात करता जिससे ज़ैनब ही उसे समझ ना पाती। “वह खतरे से बाहर है। कोड रेड हटा दिया गया है। हां, लिफाफा मैंने छुपा दिया है।”

एक रात अमीर ने नूर के कमरे के नीचे किताबों की एक शेल्फ को धीरे से सरकाया। अंदर एक छोटा सा गुप्त कमरा था। वहां कोई हथियार नहीं था। लेकिन ढेर सारे सोल्डर्स और एक सेटेलाइट रेडियो सेट था। यह स्पष्ट था कि अमीर सिर्फ नौकर नहीं बल्कि शेख के गुप्त संचालन का केंद्र बिंदु था।

शेख का गुस्सा

वह उस रात कहां था जब नूर गिरी? वह सीढ़ियों के पास था। लेकिन उसे क्यों नहीं पता कि वह कैसे गिरी। ज़ैनब पढ़ी लिखी कम थी। लेकिन मां की सहज बुद्धि तेज थी। वह अमीर और नूर की बढ़ती नजदीकी को देख रही थी। एक शाम ज़ैनब ने अमीर को लाइब्रेरी के पास बुलाया।

“अमीर बेटा,” उन्होंने दबी आवाज में कहा, “तुम मेरी बच्ची का अच्छा ख्याल रख रहे हो।” अमीर ने विनम्रता से सिर झुकाया लेकिन मुझे एक बात कहनी है। ज़ैनब कांप रही थी। “वह मुझे सब याद है। तुम मुझे मत बताना कि तुम कहां थे और नूर को भी मत याद दिलाना कि वह क्यों गिरी। शेख के आने तक सब शांत रहे।”

ज़ैनब का त्याग

अमीर ने अचानक सिर उठाया। यह एक खुला रहस्य था। ज़ैनब सब जानती थी। अमीर ने पूछा, “ज़ैनब साहिबा, आप क्या कह रही हैं?” ज़ैनब के चेहरे पर निराशा की एक परत थी। “मैं तुम्हारी सच्ची पहचान जानती हूं। अमीर, तुम शेख के परछाई हो। वो मेरे पति हैं। और मैं उन्हें बचाऊंगी। अब जाओ और अपनी ड्यूटी करो।”

शेख की पत्नी, जो अनपढ़ दिखती थी, वह अमीर की असली भूमिका और शायद शेख के अवैध कामों के बारे में सब जानती थी। और वह अपने पति को बचाने के लिए यह राज छुपा रही थी। ज़ैनब को अच्छी तरह से पता था कि अमीर नूर की सिर्फ सुरक्षा नहीं करता बल्कि नूर से बेइंतहा मोहब्बत करता है।

प्रेम की गहराई

यह मोहब्बत पिछले 4 सालों से पनप रही थी, जिसे अमीर ने अपनी वफादारी की चादर के नीचे धीरे से सरकाया था। ज़ैनब ने अपनी जवानी में एक ऐसे ही वफादार और गरीब लड़के से प्यार किया था, जिसे शेख आदिल ने पैसे और सामाजिक हैसियत के दम पर उनसे दूर कर दिया था।

ज़ैनब को अमीर और नूर में अपनी ही अधूरी प्रेम कहानी की झलक दिखती थी। वह जानती थी कि अगर शेख को अमीर के इस इश्क के बारे में पता चला तो वह अपने गिरोह के रहस्य से ज्यादा अमीर को इस भावनात्मक विश्वासघात के लिए सजा देंगे।

अमीर का संकल्प

इसलिए ज़ैनब, जो अनपढ़ होकर भी प्रेम की भाषा समझती थी, चाहती थी कि अमीर अपनी ड्यूटी करता रहे ताकि वह नूर के करीब बना रहे और शेख की नजरों में कभी भी प्रेमी के रूप में ना आए। बल्कि सिर्फ वफादार नौकर बना रहे। यह अमीर और नूर की नजदीकी को बनाए रखने की ज़ैनब की अंतिम कोशिश थी।

एक मां की कोशिश जो अपनी बेटी को वह खुशी देना चाहती थी जो उसे खुद नहीं मिली थी। ज़ैनब के इस राज को समझकर अमीर की आंखें नम हो गईं। उसका प्रेम अब सिर्फ एकतरफा नहीं बल्कि एक मां के मौन समर्थन के साथ था। इस समझ के बाद अमीर ने नूर की जान बचाने और उसे आजादी दिलाने का फैसला किया। चाहे इसके लिए उसे शेख के पूरे साम्राज्य को ही क्यों ना दाव पर लगाना पड़े।

निष्कर्ष

उनकी प्रेम कहानी अब महल की दीवारों के बीच दबे राजों से ज्यादा मजबूत हो चुकी थी। दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीखने को मिलता है कि वफादारी, प्यार और सच्चाई हमेशा एक जैसी नहीं होती। कभी-कभी वे एक दूसरे की परीक्षा लेती हैं। अमीर, जो एक नौकर था, ने अपनी वफादारी और प्रेम के बीच की सबसे कठिन लड़ाई लड़ी।

नूर, जो सोने के पिंजरे में बंद थी, ने पहली बार किसी में सच्ची आजादी देखी। और ज़ैनब, जो एक मां थी, ने समझा कि कभी-कभी अपनी बेटी को बचाने के लिए चुप रहना भी एक त्याग होता है। इस कहानी ने हमें यह एहसास दिलाया कि रुतबा, शेखी और दौलत से बड़ी चीज होती है मानवता और भावना।

अमीर ने यह दिखाया कि इंसान का असली दर्जा उसके काम या हैसियत से नहीं बल्कि उसके दिल की सच्चाई से तय होता है। नूर की खामोश मोहब्बत ने साबित किया कि प्यार किसी पहचान या तबके का मोहताज नहीं होता, वह बस महसूस होता है।

दोस्तों, कभी किसी के दिल की गहराई को उसकी औकात से मत तोलो। क्योंकि कुछ लोगों की खामोशी किसी बादशाह की हुकूमत से भी ज्यादा ताकतवर होती है।

समापन

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