लड़की गांव वालों से || नफरत करती थी पिता ने गांव के ही लड़के से कर दी शादी |और फिर

दिल्ली के एक पॉश इलाके में रिया नाम की एक लड़की रहती थी। रिया के पिता पुलिस विभाग में थे, माँ गृहिणी थीं और एक छोटा भाई था। रिया परिवार की बड़ी बेटी थी और उसे बहुत लाड़-प्यार से पाला गया था। पढ़ाई-लिखाई में भी वह अच्छी थी।

रिया की सबसे करीबी सहेली प्रीति थी। दोनों की सोच मिलती थी और खास बात यह थी कि उन्हें गाँव के लोग बिलकुल पसंद नहीं थे। वे उन्हें “गंवार” समझतीं और हमेशा तिरस्कार करतीं।

शादी का फैसला

एक दिन रिया के पिता ने बताया कि उन्होंने उसकी शादी के लिए एक लड़का ढूँढा है। जब रिया ने पूछा तो पता चला कि वह लड़का गाँव का रहने वाला है, स्कूल में बच्चों को पढ़ाता है और लेक्चरर बनने की तैयारी कर रहा है। यह सुनकर रिया को गुस्सा आ गया, क्योंकि वह गाँव के लोगों से नफ़रत करती थी।

पिता ने साफ़ कहा – “बेटी, यही मेरा फैसला है। यह लड़का ईमानदार और अच्छा है। मैं तुम्हारी शादी इसी से कराऊँगा।” मजबूरी में रिया मान गई और उसकी शादी अर्जुन नामक युवक से हो गई।

ससुराल का जीवन

अर्जुन का घर साधारण था – सिर्फ दो कमरे, बरामदा, छोटा-सा आँगन। रिया को यह सब पसंद नहीं आया। उसने मन ही मन ठान लिया कि वह यहाँ ज्यादा दिन नहीं रहेगी।
सास उसे प्यार करती, ननद काव्या उसे अपनाने की कोशिश करती, लेकिन रिया सबको दिखावा समझती। धीरे-धीरे उसने पति, सास और ननद – सब से झगड़ना शुरू कर दिया।

अर्जुन समझदार था। वह कहता, “यह गाँव है, धीरे-धीरे तुम्हें आदत हो जाएगी।” लेकिन रिया बदलने को तैयार नहीं थी। छह महीने तक यही चलता रहा।

आख़िरकार अर्जुन ने कहा –
“अगर तुम्हें यहाँ अच्छा नहीं लगता तो मायके चली जाओ। मैं तुम्हें रोकूँगा नहीं। रिश्ते ज़बरदस्ती नहीं निभाए जाते।”

रिया सामान बाँधकर मायके आ गई और वहीं से तलाक़ का केस डाल दिया।

एक साल बाद – सहेली की सीख

एक साल तक रिया मायके में रही। पिता उससे नाराज़ थे और बात नहीं करते थे। तभी उसकी सहेली प्रीति, जिसकी हाल ही में शादी हुई थी, मिलने आई।

प्रीति ने रोते-रोते कहा –
“रिया, मेरे ससुराल में बहुत पैसा है, बड़ा घर है। लेकिन यहाँ कोई प्यार नहीं है। सब रिश्ते सिर्फ औपचारिकता हैं। बीमार पड़ जाऊँ तो बस डॉक्टर के पास ले जाते हैं, लेकिन दिल से कोई हाल नहीं पूछता। ऐसा लगता है जैसे मैं अकेली हूँ।”

यह सुनकर रिया को अपने बीते दिन याद आए। जब वह बीमार हुई थी तो उसकी सास पूरी रात जागकर उसके पास बैठी थी। उसे अहसास हुआ कि उसने किस घर को ठुकरा दिया।

प्रीति ने कहा –
“रिया, तूने गलती की है। पैसा सब कुछ नहीं होता। असली दौलत प्यार और अपनापन है। जा, अपने घर-परिवार को संभाल ले। केस वापस ले ले और वहीँ अपना जीवन बिता।”

पश्चाताप

प्रीति की बातें रिया के दिल को गहराई तक छू गईं। वह पिता के पास गई, गले लगकर फूट-फूटकर रोई और बोली –
“पिताजी, मुझसे बहुत बड़ी गलती हो गई। मुझे माफ कर दो। मुझे अपने घर – अपने ससुराल वापस जाना है। वहाँ लोग मुझसे सचमुच प्यार करते थे।”

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