हेमा मालिनी के साथ हुई नाइंसाफी 😔 सनी बोला यहां से जा रोते हुए वापस लौटी | Hema Malini Dharmendra

धर्मेंद्र का निधन: एक विरासत की कहानी

धर्मेंद्र देओल एक ऐसा नाम है जिसकी गूंज सिर्फ सिनेमा हॉल की सीटों में नहीं, बल्कि लोगों के दिलों में बरसों तक सुनाई देती रही। पंजाब के एक छोटे से गांव से निकलकर बॉलीवुड के इतिहास में अपनी शेर सी दहाड़ दर्ज करवाने वाले इस शख्स की जिंदगी सिर्फ लाइमलाइट, तालियों और शोहरत से भरी नहीं थी। बल्कि उसके पीछे एक गहरा संघर्ष, टूटे रिश्ते और अनहुआ दर्द दबा हुआ था। लेकिन आज यह आवाज हमेशा के लिए खामोश हो चुकी थी।

देश की शोक की लहर

पूरा देश रो रहा था। स्क्रीन पर हर न्यूज़ चैनल में श्रद्धांजलि चल रही थी और फैंस सड़कों पर रो रहे थे। लेकिन उनके घर के भीतर ऐसा तूफान उठने वाला था जो हर रिश्ते को चूर-चूर कर देगा। क्योंकि आज सवाल था विरासत किसकी? ताज किसका? रात के करीब 12:00 बज रहे थे। बंगले की सारी बत्तियां जल रही थीं, मगर दिल बुझ चुके थे।

हॉल के बीचोंबीच धर्मेंद्र साहब की तस्वीर पर फूलों की माला लटकी हुई थी। घर के एक-एक सदस्य अपने दुख और डर के साथ खामोश बैठे थे। उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर, जिनके चेहरे पर दर्द साफ दिख रहा था, वहीं दूसरी तरफ हेमा मालिनी थीं, जिनकी आंखें लाली से भरी थीं। दोनों के बीच की जगह खाली थी, लेकिन उस खाली जगह की खाई बहुत गहरी थी।

परिवार का तनाव

सनी देओल आंखों में लाल गुस्सा लिए दीवार को घूर रहा था, जैसे दिल में कोई बारूद भरा सवाल फटने के इंतजार में हो। बॉबी देओल थोड़ा शांत था, लेकिन उसके हाथ कांप रहे थे। दूसरी ओर, ईशा देओल और अहाना देओल मां के पास बैठी थीं, लेकिन नजरों में कहीं डर था। तभी मुख्य वकील अविनाश मेहरा अंदर आए। हाथ में एक पुराना लकड़ी का बक्सा और मोटी फाइल लिए। उनके पीछे दो गार्ड चले आ रहे थे और सभी की नजरें उस बक्से पर टिक गईं।

वसीयत का खुलासा

“सब लोग बैठ जाएं। आज धर्मेंद्र जी की लिखी अंतिम इच्छा यानी वसीयत खोली जाएगी,” अविनाश की आवाज में भारीपन था। कमरे में बर्फ जैसा सन्नाटा छा गया। सबकी धड़कनें तेज हो चुकी थीं। क्योंकि सभी जानते थे कि इस वसीयत में ही तय होगा कि साम्राज्य का मालिक कौन बनेगा।

अविनाश ने धीरे-धीरे फाइल खोली और पढ़ना शुरू किया, “मैं धर्मेंद्र सिंह देओल, पूरी मानसिक स्थिति में स्वस्थ रहते हुए, अपनी यह वसीयत अपने परिवार के नाम करता हूं।” हर चेहरा सांस रोक कर सुन रहा था।

संपत्ति का बंटवारा

वसीयत में लिखा था कि धर्मेंद्र की कुल संपत्ति—जूहू का बंगला, लोनावला का फार्म हाउस, पंजाब की जमीन, फिल्म प्रोडक्शन कंपनी, शेयर और 2700 करोड़ की लगभग कुल संपत्ति—पांच हिस्सों में बांटी जाएगी। लेकिन अचानक अविनाश ने अगला वाक्य पढ़ा, “परंतु अंतिम निर्णय एक गुप्त चिट्ठी में लिखी मेरी आखिरी इच्छा के आधार पर होगा, जिसे मैंने अपने हाथों से लिखकर लकड़ी की अलमारी में बंद किया है।”

चिंगारी का आगाज

सभी चौंक गए। सनी ने तेज आवाज में कहा, “कौन सी अलमारी? कहां है वो?” अविनाश ने उंगली से ऊपर की मंजिल की ओर इशारा किया। धर्मेंद्र जी के प्राइवेट रूम में। और यहीं से शुरू हुई पहली चिंगारी। ईशा उठकर आगे आई। “अलमारी की चाबी हमारे पास है। हम लेकर आते हैं।”

सनी ने तुरंत पकड़ कर कहा, “कोई कहीं नहीं जाएगा। यह घर सबसे पहले हमारा है। चाबी मेरे पास होगी।” हेमा मालिनी गुस्से से खड़ी हो गईं। “यह विरासत सिर्फ तुम्हारी नहीं, सबकी है। तुम्हें हक नहीं कि तुम अपनी मर्जी चलाओ।”

रिश्तों में दरार

प्रकाश कौर खामोशी से बोलीं, “धर्म को मत भूलना, सनी। तुम्हारे पिता के जाने का समय है।” लेकिन बात बिगड़ चुकी थी। बोलने से पहले ही तूफान फट पड़ा। सनी ने गुस्से में टेबल पर हाथ मारा। “घर, नाम, इज्जत सब मेरे पापा ने अपनी मेहनत से बनाया। किसी और को इसमें हिस्सा लेने का हक नहीं।”

ईशा ने चीखते हुए कहा, “हम भी उन्हीं की बेटियां हैं। खून अलग होने से अधिकार अलग नहीं हो जाता।” कमरा चीख-चिल्लाहट से भर गया।

पुलिस की एंट्री

अविनाश चिल्लाए, “अगर आप लोग ऐसे लड़ते रहे तो वसीयत की प्रक्रिया रोकनी पड़ेगी।” लेकिन तब तक देर हो चुकी थी। पूरे घर की बिजली अचानक गुल हो गई और बंगला अंधेरे में डूब गया। किसी ने चीख लगाई, “ऊपर वाले कमरे की अलमारी से किसी ने ताला तोड़ दिया है।”

हॉल में भगदड़ मच गई। सभी सीढ़ियों की ओर दौड़े। जब सब ऊपर पहुंचे तो देखा कि अलमारी का ताला टूटा पड़ा था। ड्रर खुले थे। कागज बिखरे थे। लेकिन सबसे बड़ी चीज गायब थी—वह गुप्त चिट्ठी।

चिट्ठी की खोज

सनी चिल्लाया, “यह अंदर वाला काम है। घर में ही किसी ने किया है।” तभी बॉबी धीरे से बोला, “शायद पापा की मौत भी नेचुरल नहीं थी।” पूरे घर पर जैसे आसमान गिर गया।

हेमा के हाथ कांपने लगे। ईशा रो पड़ी। सनी ने बॉबी की कॉलर पकड़ ली। “तूने अपने ही घर का पुलिस के केस कर दिया।” बॉबी की आवाज टूट रही थी। “मैंने अपने पिता के लिए किया, क्योंकि मुझे लगता है वह जाते-जाते कुछ कह नहीं पाए।”

पुलिस की पूछताछ

पुलिस ने घर की तलाशी शुरू कर दी। कमरों में खोज, लॉकर खोले गए। सीसीटीवी चेक हुआ। लेकिन सीसीटीवी का सबसे जरूरी फुटेज डिलीट पाया गया। कबीर चीखा, “इसे केवल घर के किसी सदस्य ने ही हटाया होगा।”

सनी ने गुस्से में कहा, “किसने किया?”

अंत में एक वादा

कमरे में नमी फैल गई। हर कोई भीतर से टूट चुका था। लेकिन अगले ही सेकंड एक और तूफान आया। इंस्पेक्टर कबीर मल्होत्रा की एंट्री हुई। जैसे ही सायरन की आवाज गूंजी, बंगले का दरवाजा खुला और पुलिस अंदर आई। सब चौंक गए।

कबीर ने कहा, “हमें शिकायत मिली है कि मौत संदिग्ध हो सकती है और वसीयत गायब है। इसलिए अब यह मामला पुलिस के तहत है।”

निष्कर्ष

यहां से शुरू हुई एक नई कहानी, जहां रिश्तों की कड़वाहट और प्यार की कमी ने सबको एक नए मोड़ पर ला खड़ा किया। सनी देओल, बॉबी देओल, हेमा मालिनी और प्रकाश कौर को अब एक दूसरे के सामने खड़ा होना था और अपने-अपने दर्द को साझा करना था।

धर्मेंद्र की मौत ने सिर्फ एक व्यक्ति को खोया नहीं, बल्कि एक परिवार को एक नई चुनौती दी है। क्या वे सब मिलकर अपने पिता की आखिरी इच्छा को पूरा कर पाएंगे? क्या वे एक बार फिर से एकजुट हो पाएंगे? यह सवाल अब सभी के मन में है।

इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि रिश्ते कितने भी टूट जाएं, प्यार और समझ से उन्हें फिर से जोड़ा जा सकता है। धर्मेंद्र का जीवन और उनकी विरासत इस बात का प्रमाण है कि परिवार का महत्व हमेशा सबसे ऊपर होता है।

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