👉 मोमोज वाली समझकर SP मैडम को थप्पड़ मार दिया, फिर इंस्पेक्टर का जो हाल हुआ…”प्रिया शर्मा की कहानी..
सुबह का समय था, जब एक साधारण महिला लाल साड़ी पहने हुए धीरे-धीरे बाजार की ओर जा रही थी। उसकी चाल में एक अद्भुत आत्मविश्वास था, लेकिन कोई भी नहीं जानता था कि वह महज एक साधारण महिला नहीं, बल्कि जिले की एएसपी प्रिया सिंह हैं। प्रिया ने जानबूझकर यह रूप धारण किया था ताकि कोई उन्हें पहचान न सके। वह अपनी पुरानी यादों में खोई हुई थी और उन्होंने सोचा कि आज पुराने दिनों की तरह सड़क किनारे वाले ठेले से मोमोज खाए जाएं।
मोमोज की चाह
थोड़ा आगे बढ़ते ही उनकी नजर सड़क के किनारे एक छोटे से ठेले पर पड़ी। वहां एक 50 साल के दुबले-पतले बुजुर्ग अंकल मोमोज बेच रहे थे। प्रिया धीरे-धीरे चलकर ठेले के पास पहुंची और बोली, “अंकल, एक प्लेट मोमोज लगा दीजिए।” अंकल मुस्कुराए और जल्दी से गरमागरम मोमोज प्लेट में डालकर उनके हाथ में दे दिए। जैसे ही प्रिया ने मोमोज खाना शुरू किया, उनके चेहरे पर खुशी साफ छलक रही थी। बचपन से ही उन्हें मोमोज बहुत पसंद थे। लेकिन व्यस्त जीवन के कारण उन्हें ऐसा मौका कम ही मिलता था।
वह चुपचाप स्वाद का आनंद ले रही थी कि तभी अचानक वहां एक इंस्पेक्टर, विक्रम, अपने तीन-चार सिपाहियों के साथ आया। वह ठेले के पास रुककर गुस्से में बोला, “अरे ओ बुड्ढे, जल्दी से पैसे निकाल।” बुजुर्ग अंकल घबरा गए। उनके हाथ कांपने लगे और वह हकलाते हुए बोले, “साहब, अभी तो दिन की शुरुआत है। अभी तक मैंने कुछ कमाया भी नहीं। शाम को आइए तो पैसे दे दूंगा। अभी मेरे पास नहीं है।”
अत्याचार का सामना
यह सुनकर इंस्पेक्टर विक्रम भड़क उठा और बिना कुछ सोचे समझे अंकल के गाल पर एक जोरदार थप्पड़ जड़ दिया। यह देखकर प्रिया हैरान रह गई। उन्होंने तुरंत बीच में आकर कहा, “रुकिए इंस्पेक्टर साहब, आप इनसे किस बात के पैसे मांग रहे हैं और क्यों? किस हक से आपने इन्हें थप्पड़ मारा? आपको कोई अधिकार नहीं है बेवजह किसी गरीब के साथ ऐसा करने का।”
इंस्पेक्टर विक्रम ने उन्हें घूरते हुए कहा, “तुम बीच में मत पड़ो। तुम्हें पता भी है मामला क्या है? ज्यादा बोलोगी तो अभी तुम्हें गिरफ्तार कर लूंगा।” प्रिया ने गुस्से में जवाब दिया, “आप जो कर रहे हैं, बिल्कुल गलत है। कानून में कहीं नहीं लिखा कि आप गरीबों से वसूली करें। इसका अंजाम आपको भुगतना पड़ेगा। सुधर जाइए।”
यह सुनकर इंस्पेक्टर विक्रम बुरी तरह भड़क गया और उसने गुस्से में प्रिया के गाल पर एक जोरदार तमाचा मार दिया। थप्पड़ इतना जोरदार था कि प्रिया लड़खड़ा गई। लेकिन उन्होंने खुद को संभाल लिया। उन्होंने गुस्से से कहा, “आपने मुझ पर हाथ उठाया। अब मैं आप पर एफआईआर दर्ज करवाऊंगी।”
न्याय की लड़ाई
इंस्पेक्टर ने हंसते हुए धमकी दी, “एफआईआर तुझे समझ नहीं आया? ज्यादा बोलगी तो इतना मारूंगा कि घर तक नहीं जा पाओगी।” इतना कहकर उसने फिर से मोमोज वाले अंकल का कॉलर पकड़ लिया और चीखते हुए बोला, “अबे बुड्ढे, ज्यादा होशियारी मत कर। जल्दी से पैसे निकाल वरना अभी तेरा ठेला उठा दूंगा।” इंस्पेक्टर विक्रम ने गुस्से में ठेले पर एक जोरदार लात मारी। थैला उलट गया और सारे मोमोज सड़क पर बिखर गए।
बेचारे अंकल डर के मारे रोने लगे और घुटनों के बल बैठकर मोमोज समेटने लगे। तभी इंस्पेक्टर ने डंडा उठाकर अंकल की पीठ पर जोर से मारा। अंकल हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाने लगे, “साहब, मैं सच कह रहा हूं। अभी कुछ कमाया ही नहीं। शाम को आइएगा। जो भी कमाऊंगा दे दूंगा। प्लीज, मुझे मत मारिए।”
यह देखकर प्रिया सिंह और सहन नहीं कर पाई। उन्होंने गुस्से में आगे बढ़कर कहा, “अंकल, आपको माफी मांगने की जरूरत नहीं है। यह लोग गरीबों पर जुल्म उठा रहे हैं। इन्हें शर्म भी नहीं आती। इंस्पेक्टर साहब, अब मैं आपको आपकी औकात दिखाकर रहूंगी।”
इंस्पेक्टर विक्रम ने हंसी उड़ाते हुए कहा, “अरे तेरी इतनी हिम्मत, तू मुझे औकात दिखाएगी? जा, अपना काम कर।” इतना कहकर इंस्पेक्टर और उसके सिपाही जाने लगे। जाते-जाते विक्रम ने मुड़कर अंकल को धमकी दी, “शाम को फिर आऊंगा। अगर पैसे नहीं मिले तो ना तू बचेगा, ना तेरा ठेला। समझ गया ना?”
संकल्प का समय
प्रिया तुरंत अंकल के पास गई और प्यार से बोली, “अंकल, आप ठीक हैं। टेंशन मत लीजिए, घर जाइए। मैं इन पुलिस वालों को सबक सिखा कर रहूंगी।” अंकल ने रोते हुए कहा, “बेटा, तूने मेरे लिए इतना क्यों किया? तेरे ही चक्कर में तुझे मार पड़ी। तू क्या कर लेगी उनका? वो पुलिस वाले हैं। सालों से हम पर जुल्म करते आ रहे हैं। हम कुछ नहीं कर पाए। तू भी कुछ नहीं कर पाएगी। छोड़ दे यह सब।”
प्रिया ने गहरी सांस लेते हुए जवाब दिया, “नहीं अंकल, अब बहुत हो गया। आप नहीं जानते मैं क्या कर सकती हूं। मैं इन लोगों को उनके गुनाहों की सजा दिलवा कर ही रहूंगी। आप फिक्र मत कीजिए। बस घर जाइए और आराम कीजिए।” यह कहकर प्रिया वहां से निकली और सीधा घर पहुंची।
गुस्से का ज्वाला
घर पहुंचकर सड़क पर हुई सारी बातें उनके दिमाग में घूमती रही। उनका खून खौल रहा था। उन्होंने मन ही मन ठान लिया, अब इन्हें छोड़ना नहीं है। सबसे पहले इस इंस्पेक्टर पर रिपोर्ट दर्ज कराऊंगी और इसे सस्पेंड करवा कर रहूंगी।
अगली सुबह प्रिया ने खुद को बिल्कुल साधारण महिला के रूप में तैयार किया। सफेद साड़ी पहनी और बिना किसी पहचान के थाने पहुंच गई। जैसे ही वह अंदर गई, उनकी नजर उस हवलदार पर पड़ी जो कल सड़क पर इंस्पेक्टर के साथ था। प्रिया ने सीधा उससे पूछा, “इंस्पेक्टर विक्रम कहां है?”
हवलदार ने जवाब दिया, “मैडम, वह किसी काम से शहर गए हैं। एसएओ संजय शर्मा भी बाहर गए हैं।” इतने में पीछे के दरवाजे से एसएओ संजय शर्मा अंदर आया। उसकी नजर सफेद साड़ी पहने उस महिला पर पड़ी और वह सीधे प्रिया के पास गया। “क्या बात है मैडम? यहां किस लिए आई हैं?”
थाने में मौजूद सिपाही और एसएओ संजय शर्मा दोनों को जरा भी अंदाजा नहीं था कि उनके सामने खड़ी यह साधारण दिखने वाली महिला दरअसल जिले की एसएसपी प्रिया सिंह हैं। प्रिया ने अपनी मधुर लेकिन सख्त आवाज में कहा, “सर, मुझे इंस्पेक्टर विक्रम के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करवानी है। उसने सड़क पर एक बुजुर्ग मोमोज वाले को थप्पड़ मारा। उसका ठेला गिरा दिया और जब मैंने उसे रोका तो उसने मुझ पर भी हाथ उठाया। मैं इसीलिए यहां आई हूं ताकि इंस्पेक्टर विक्रम के खिलाफ एफआईआर दर्ज हो।”

भ्रष्टाचार का पर्दाफाश
यह सुनते ही एसएओ संजय शर्मा हैरान हो गया। उसने तिरछी नजरों से प्रिया को देखा और बोला, “आपको पता है आप किसके खिलाफ बात कर रही हैं? वह यहां का इंस्पेक्टर है। हम उसके खिलाफ रिपोर्ट नहीं लिख सकते। और फिर क्या हो गया अगर उसने एक थप्पड़ मार दिया? छोड़िए यह सब। वैसे भी वह गरीब क्या कर सकते हैं? आप बेकार की टेंशन मत लीजिए और घर जाइए।”
यह सुनकर प्रिया सिंह का खून खौल उठा। उन्होंने गुस्से में जवाब दिया, “देखिए, मुझे कानून मत सिखाइए। इस देश में रहने वाला हर नागरिक बराबर है। गरीब हो या अमीर, अगर कोई अपराध करता है तो उसके खिलाफ कार्रवाई करनी ही पड़ेगी। हर किसी को न्याय पाने का हक है और अगर आपने रिपोर्ट दर्ज नहीं की तो मैं आपके खिलाफ भी कार्रवाई कर सकती हूं। समझे आप?”
संजय शर्मा यह सुनकर भड़क गया। उसने गुस्से में आवाज ऊंची करते हुए कहा, “तेरी इतनी औकात कि तू हम पर रिपोर्ट दर्ज करेगी। मैं चाहूं तो अभी तुझे अंदर कर दूं। ज्यादा जुबान मत चला और यहां से दफा हो जा। तू जानती नहीं हमारी कितनी पावर है।”
प्रिया सिंह उसकी आंखों में आंखें डालकर बोली, “लगता है तुम्हें और तुम्हारे इंस्पेक्टर को औकात दिखानी ही पड़ेगी। लेकिन याद रखना, जब मैं लौटूंगी तब तुम दोनों इस थाने में टिक नहीं पाओगे। मेरे शब्द याद रखना।”
साहस का प्रदर्शन
इतना कहकर वह गुस्से में थाने से निकल गई। थाने में मौजूद हवलदार और बाकी सिपाही चुपचाप एक-दूसरे का चेहरा देखने लगे। सबके मन में एक ही सवाल था, “यह औरत आखिर है कौन जो इतनी बेखौफ बातें करके चली गई।”
प्रिया सिंह घर लौटी। उनका गुस्सा अब और भी बढ़ चुका था। उन्होंने खुद से कहा, “यह थाना सफाई मांगता है। अगर ऐसे लोग यहां रहेंगे तो गरीबों का हक मारते रहेंगे और शहर बर्बाद होता रहेगा। अब इन्हें बेनकाब करना ही पड़ेगा।”
उन्होंने तुरंत फैसला किया और सीधे डीएम अजय वर्मा के ऑफिस पहुंची। अंदर पहुंचते ही उन्होंने पूरी घटना डीएम को सुनाई। सब कुछ सुनकर डीएम का भी खून खौल उठा। उन्होंने सख्त लहजे में कहा, “प्रिया मैडम, जो आपने बताया, वह बेहद शर्मनाक है। लेकिन कार्रवाई के लिए हमें सबूत चाहिए। क्या आपके पास कोई सबूत है?”
प्रिया ने तुरंत अपना फोन निकाला और बोली, “जी सर, मेरे पास सबूत है। जब मैं थाने में रिपोर्ट दर्ज करवाने गई थी, मैंने अपने फोन की रिकॉर्डिंग ऑन कर रखी थी। उसमें एसएओ संजय शर्मा की सारी बातें रिकॉर्ड हो गई हैं। और यह देखिए, यह वीडियो। इसमें इंस्पेक्टर विक्रम अंकल को थप्पड़ मार रहा है और उनका ठेला गिरा रहा है।”
सख्त कार्रवाई
डीएम ने रिकॉर्डिंग और फुटेज देखी। उनका गुस्सा सातवें आसमान पर पहुंच गया। उन्होंने कहा, “इन दोनों को सस्पेंड करना बहुत जरूरी है। अगर ऐसे पुलिसकर्मी थाने में रहेंगे तो लोग डर में दबे रहेंगे और न्याय नहीं मिलेगा। अब और नहीं। मैं कल सुबह प्रेस मीटिंग बुलाऊंगा। उसमें सभी बड़े अफसर, नेता और मीडिया मौजूद रहेंगे और मैं उनके सामने इन दोनों की करतूत उजागर करके इन्हें सस्पेंड करूंगा। मैडम, आप टेंशन मत लीजिए। कल का इंतजार कीजिए और मीटिंग में जरूर आइए।”
प्रिया ने सिर हिलाया और घर लौटी। अगली सुबह जिले के सबसे बड़े ऑफिस में प्रेस मीटिंग रखी गई। हॉल खचाखच भरा था। मीडिया के कैमरे चमक रहे थे। बड़े-बड़े नेता, अफसर, ईएसपी, एसडीएम, इंस्पेक्टर और आईपीएस अधिकारी सभी मौजूद थे। माहौल तनावपूर्ण था। सबको इंतजार था कि आज आखिर क्या खुलासा होने वाला है।
प्रेस मीटिंग का आयोजन
मीटिंग हॉल में सन्नाटा छा गया था। कैमरे चालू हो चुके थे। तभी डीएम अजय वर्मा माइक उठाते हैं और गहरी आवाज में कहते हैं, “आज मैं आप सभी को एक बेहद गंभीर मामला बताने आया हूं। हमारे जिले के थाने में इंस्पेक्टर विक्रम और एसएओ संजय शर्मा ने ऐसा काम किया है जो पुलिस की वर्दी पर दाग है। जिस वर्दी का काम जनता की रक्षा करना है, उसी वर्दी में रहकर इन लोगों ने गरीबों पर जुल्म ढाया और कानून का मजाक बनाया।”
इतना कहते ही पूरे हॉल में खुसफुसाहट शुरू हो गई। तभी डीएम ने माइक एसएसपी प्रिया सिंह की तरफ बढ़ाया। प्रिया सिंह अपने आत्मविश्वास से भरे अंदाज में माइक संभालती हैं और कहती हैं, “आप सभी जानते हैं कि पुलिस का काम है जनता की सेवा। लेकिन जब यही पुलिस जनता पर जुल्म करे, तब हमें आवाज उठानी पड़ती है। कुछ दिन पहले मैंने अपने ही जिले के इंस्पेक्टर विक्रम और एसएओ संजय शर्मा को गरीबों से वसूली करते, मारपीट करते और कानून का दुरुपयोग करते देखा। मैंने खुद इसके सबूत इकट्ठा किए हैं। आप सब अब वह देखिए।”
सबूत का खुलासा
इतना कहते ही हॉल की बड़ी स्क्रीन पर वीडियो चलाया जाता है। वीडियो में साफ दिख रहा था कि इंस्पेक्टर विक्रम सड़क किनारे एक बुजुर्ग मोमोज वाले को थप्पड़ मार रहा है। ठेला गिरा रहा है और उसे धमका रहा है। फिर थाने में एसएओ संजय शर्मा उस महिला से बदतमीजी करते हुए रिपोर्ट दर्ज करने से मना कर रहा है। जैसे ही वीडियो खत्म हुआ, पूरे हॉल में शोर मच गया।
इसके बाद प्रिया ने अपनी रिकॉर्डिंग सबको सुनाई। उसमें एसएओ संजय शर्मा की बेहूदा बातें और रिपोर्ट दर्ज ना करने की साफ आवाज गूंज रही थी। अब माहौल और गर्म हो चुका था। सभी लोग गुस्से में थे। तभी डीएम अजय वर्मा फिर माइक उठाते हैं और सख्त आवाज में कहते हैं, “आज से इंस्पेक्टर विक्रम और एसएओ संजय शर्मा को तत्काल प्रभाव से निलंबित किया जाता है। इनके खिलाफ विभागीय कार्यवाही शुरू की जाएगी। ऐसे लोगों का इस विभाग में कोई स्थान नहीं है। कानून से ऊपर कोई नहीं है। चाहे वह पुलिस ही क्यों ना हो।”
न्याय की जीत
हॉल तालियों से गूंज उठा। तभी एक वरिष्ठ नेता खड़े होकर बोले, “प्रिया मैडम जैसी ईमानदार अवसर ही इस जिले की शान है। आपने जो कदम उठाया उससे आम जनता का विश्वास पुलिस में कायम रहेगा।”
प्रिया सिंह ने माइक उठाकर कहा, “यह लड़ाई सिर्फ एक बुजुर्ग ठेले वाले के लिए नहीं थी, बल्कि हर उस गरीब के लिए थी जो सालों से चुपचाप अन्याय सह रहा है। अब किसी गरीब को डरने की जरूरत नहीं। कानून सबके लिए बराबर है।” पूरे हॉल में तालियां गूंजने लगीं।
इंस्पेक्टर विक्रम और एसएओ संजय शर्मा को उसी मीटिंग के तुरंत बाद पुलिस सुरक्षा में थाने से बाहर ले जाया गया। दोनों के चेहरे पर शर्म और गुस्सा साफ दिख रहा था। प्रिया सिंह ने बाहर निकलते हुए मीडिया से कहा, “आज एक मिसाल कायम हुई है। अब जिले में कोई गरीब इंसाफ के लिए दर-दर नहीं भटकेगा। जो भी जनता पर जुल्म करेगा, उसे यही अंजाम मिलेगा।”
नई शुरुआत
उस दिन से पूरे जिले में चर्चा थी। एसएसपी मैडम ने कर दिखाया। गरीब ठेले वाले अंकल की आंखों में आंसू थे। लेकिन इस बार यह आंसू दर्द के नहीं, राहत के थे। प्रिया सिंह के इस साहसिक कदम से पूरे जिले में एक नया संदेश गया। कानून सबके लिए बराबर है।
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