10वीं फेल लडकी ने करोडपति को कहा मुजे नोकरी दो 90 दिनो में कंपनी का नक्शा बदल दूँगी फिर जो हुआ!

एयरपोर्ट की चकाचौंध हमेशा लोगों को लुभाती है। चमचमाते फर्श पर खिसकते ट्रॉली बैग, तेज़ आवाज़ में गूंजती उड़ानों की घोषणाएं और हर चेहरे पर जल्दबाज़ी की छाप। हर कोई अपनी मंज़िल की ओर दौड़ रहा था। इसी भीड़ के बीच एक बुजुर्ग धीरे-धीरे चलते आगे बढ़ रहे थे। उनके पैरों में घिसी चप्पलें थीं, कपड़े साफ़ थे मगर फीके पड़ चुके थे। एक पुराना ऑफ-व्हाइट कुर्ता–पायजामा, कंधे पर कपड़े का छोटा थैला और चेहरे पर थकान। उनकी चाल इतनी धीमी थी मानो हर कदम सोच-समझकर रखा जा रहा हो।

गेट नंबर तीन पर एक चमकदार बोर्डिंग काउंटर था, जहां नीले यूनिफॉर्म में एक युवा एयर होस्टेस खड़ी थी। बुजुर्ग पास पहुँचे और धीमे स्वर में बोले,
“बेटी, बस एक गिलास पानी मिल जाता?”

लड़की ने पहले उन्हें ऊपर से नीचे तक देखा और होंठों पर हल्की हंसी आ गई। अगले ही पल वह हंसी ज़ोरदार ठहाके में बदल गई।
“ये कोई पानी का नल है क्या? जाओ बाहर, वहां भीख मांग लो।”

पास खड़े यात्री हंस पड़े। किसी ने व्यंग्य किया—“अब तो एयरपोर्ट पर भी भीख मांगने लगे लोग।”
एक युवक ने तो मोबाइल निकालकर वीडियो रिकॉर्ड करना शुरू कर दिया।

बुजुर्ग के चेहरे पर एक पल को लाज और पीड़ा की लकीर उभर आई। लेकिन उन्होंने कोई जवाब नहीं दिया, बस चुपचाप नज़रें झुका लीं। तभी दो सीआईएसएफ जवान आए। एक ने हाथ से इशारा कर कहा,
“अरे बाबा, लाइन मत रोको। हटो साइड में।”
दूसरा बोला, “पहले पैसे कमाओ, फिर हवाई जहाज़ में बैठना।”

बुजुर्ग धीरे-धीरे पीछे हट गए। किसी ने कुर्सी ऑफर नहीं की, न पानी। वह पास के एक लोहे के बेंच पर जाकर बैठ गए। चारों ओर लोग आते-जाते रहे, पर किसी ने उनकी ओर देखा तक नहीं। मानो वह वहां थे ही नहीं। उनकी आंखों में नमी थी, होंठ सूख चुके थे। उन्होंने पास रखा थैला देखा, फिर भीड़, फिर फर्श। कुछ क्षण आंखें बंद कर स्थिर बैठ गए।

लाउडस्पीकर पर घोषणा हुई—“अटेंशन प्लीज़, फ़्लाइट AI 827 मुंबई की ओर अब बोर्डिंग के लिए तैयार है।”
यात्री उत्साह में लाइन लगाने लगे। चारों तरफ़ रफ़्तार थी, लेकिन उस कोने में बैठे बुजुर्ग के आसपास समय ठहर गया था। किसी ने नहीं सोचा कि उस आदमी को पानी क्यों चाहिए था।

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