10 साल पहले मरा हुआ पति अचानक पेट्रोल पंप पर मिला ; फिर कलेक्टर मैडम ने जो किया ….

एक छोटे से पहाड़ी गाँव में प्रिय वर्मा नाम की लड़की रहती थी। उसका परिवार बहुत गरीब था। मिट्टी के छोटे घर में माता-पिता और भाई-बहनों के साथ उसका बचपन बीता। पिता खेतों में काम करते थे, परंतु आमदनी बहुत कम होती थी। माँ घर संभालने के साथ-साथ मजदूरी करके परिवार का सहारा देती थीं।

प्रिया बचपन से ही समझदार और जिम्मेदार थी। सुबह वह गायों को चारा देती, खेतों में काम करती और घर के काम पूरे करने के बाद मिट्टी की दीवारों वाले स्कूल में पढ़ाई करने जाती। उसकी मेहनत देखकर शिक्षक भी कहते – “प्रिय जैसे बच्चे ही गाँव और परिवार का नाम रोशन कर सकते हैं।”

प्रिया का सपना बड़ा था – वह डीएम (जिला अधिकारी) बनना चाहती थी, ताकि गाँव और देश की सेवा कर सके।

शादी और संघर्ष

18 साल की उम्र में प्रिया की शादी अमन नाम के युवक से हुई। अमन भी गरीब था लेकिन ईमानदार और मेहनती। वह अपने पिता के साथ गाँव में टेम्पो चलाकर घर चलाता था। अमन ने हमेशा प्रिया का साथ दिया और उसके सपनों को पूरा करने के लिए हिम्मत बढ़ाई।

अमन ने कहा –
“प्रिय, तुम्हारा सपना मेरा सपना है। तुम आगे बढ़ो, मैं हमेशा तुम्हारे साथ हूं।”

प्रिया का सपना और हार

प्रिया ने कठिन मेहनत के बाद डीएम की परीक्षा दी, लेकिन वह सिर्फ दो अंक से असफल हो गई। वह निराश हुई, पर अमन ने उसे शहर जाकर तैयारी करने की सलाह दी।

शहर में प्रिया ने खूब मेहनत की। अमन रोज़ उसे फोन करके हिम्मत देता और कहता कि पैसों की चिंता मत करो, बस पढ़ाई पर ध्यान दो।

कई महीनों की कठिन मेहनत के बाद प्रिया ने डीएम की परीक्षा पास की और टॉप करके अधिकारी बनी।

समाज के ताने

गाँव लौटकर जब प्रिया और अमन ने जश्न मनाया, तो कई लोग ताने देने लगे –
“पत्नी डीएम और पति टेम्पो चालक? कैसी जोड़ी है यह?”

यह बातें सुनकर अमन अंदर से टूट गया। उसे लगा कि लोग उसकी मेहनत को नहीं, बल्कि उसके पेशे को तौल रहे हैं।

हरिद्वार की घटना

एक दिन दोनों हरिद्वार घूमने गए। गंगा स्नान करते समय तेज धारा में अमन बह गया। प्रिया ने पूरी कोशिश की, लेकिन उसे बचा नहीं सकी। कई दिन तलाशने के बाद भी अमन नहीं मिला। प्रिया का दिल टूट गया। उसने मान लिया कि अमन अब इस दुनिया में नहीं रहा।

चौंकाने वाला सच

कई महीनों बाद, जब प्रिया डीएम के रूप में ड्यूटी कर रही थी, एक दिन पेट्रोल पंप पर उसने अमन को देखा। वह ज़िंदा था!

प्रिया हैरान रह गई और बोली –
“अमन, तुम तो गंगा में बह गए थे। इतने दिन कहां थे?”

अमन ने बताया –
“मुझे एक साधु ने बचाया और नया जीवन दिया। पर मैं घर नहीं लौटा क्योंकि गाँव वालों की बातें मुझे तोड़ चुकी थीं। मुझे लगा कि मैं तुम्हारे लायक नहीं हूं। इसलिए दूर चला गया।”

प्रेम की जीत

प्रिया की आंखों में आंसू थे। उसने अमन का हाथ पकड़कर कहा –
“मुझे किसी की बातों से फर्क नहीं पड़ता। मुझे सिर्फ तुम्हारा साथ चाहिए। तुम्हारी मेहनत और ईमानदारी ही मेरे लिए सबसे बड़ा गर्व है।”

अमन ने राहत की सांस ली और कहा –
“अब मैं हमेशा तुम्हारे साथ रहूंगा।”

दोनों हाथों में हाथ डाले घर लौटे। अब उनके लिए समाज की बातें महत्वहीन थीं। उनके जीवन में सिर्फ प्यार, सपने और एक-दूसरे का साथ ही सबसे बड़ी सच्चाई थी।

👉 यह कहानी हमें सिखाती है कि सच्चा प्यार और भरोसा किसी भी परिस्थिति से बड़ा होता है। समाज चाहे ताने दे, लेकिन एक-दूसरे का साथ और सम्मान ही असली ताकत है।

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