17 साल का बिहारी लड़का जिसने Apple phone कम्पनी में नौकरी लेकर दुनिया को हिला दिया 😱

सुबह की हल्की ठंड, आईआईटी कानपुर का विशाल परिसर और इंटरव्यू हॉल के बाहर खड़ा एक दुबला तला किशोर सत्यम कुमार। उसकी आंखों में आत्मविश्वास था, पर कदमों में विनम्रता। चारों ओर उसके जैसे दर्जनों विद्यार्थी थे, सबके चेहरों पर तनाव और घबराहट थी। लेकिन सत्यम अलग था, वो शांत था, जैसे उसे पता हो कि आज जो होने वाला है, वो सिर्फ एक परीक्षा नहीं, बल्कि एक इतिहास बनने वाला क्षण है।

“नेक्स्ट कैंडिडेट, प्लीज अंदर!” से आवाज आई। सत्यम ने गहरी सांस ली और कमरे में कदम रखा। सामने पांच प्रोफेसर बैठे थे—गणित, भौतिकी, कंप्यूटर साइंस और ह्यूमैनिटीज के विशेषज्ञ। सबके चेहरों पर एक ही सवाल लिखा था, “इतना छोटा?” प्रोफेसर सिन्हा मुस्कुराए और पूछा, “बेटा, तुम्हारी उम्र क्या है?”

“सर, 17,” सत्यम ने हल्का सा सिर झुकाया। “जी सर। लेकिन मैंने पहली बार आईआईटी जेई 12 साल की उम्र में क्वालीफाई किया था।” कमरे में एक क्षण के लिए सन्नाटा छा गया। फिर किसी ने पूछा, “तुम्हें यह सब कैसे आता है? कैलकुलस, एल्गोरिदम्स, डेटा स्ट्रक्चर्स?”

भाग 2: एक अनोखी सोच

इतनी छोटी उम्र में सत्यम ने मुस्कुराते हुए जवाब दिया, “सर, मुझे खेतों में बीज बोना पसंद है। फर्क बस इतना है कि मैं अब मिट्टी में नहीं, कंप्यूटर की स्क्रीन पर बोता हूं।” पूरे इंटरव्यू पैनल के चेहरे पर मुस्कान दौड़ गई और यहीं से सत्यम की कहानी शुरू होती है। एक ऐसी कहानी जो आईआईटी के गलियारों से होते हुए एप्पल के हेड क्वार्टर तक पहुंचेगी।

बिहार के भोजपुर जिले के एक छोटे से गांव सोनपुरवा में सुबह की पहली किरण जब धान के खेतों पर गिरती थी, तो ओस की बूंदों में चमक उठता था भविष्य। लेकिन यह किसी और के लिए नहीं, सत्यम कुमार के सपनों का भविष्य था। उसके पिता रामनिवास कुमार एक साधारण किसान थे। उनके हाथों में मिट्टी थी, लेकिन दिल में ईमानदारी और मेहनत का खजाना। मां गीता देवी घर की रसोई और बच्चों की पढ़ाई दोनों संभालती थी।

गांव में सिर्फ एक प्राइमरी स्कूल था—टूटी खिड़कियां, धूल से भरी ब्लैक बोर्ड और एक टीचर जो हर तीसरे दिन आता था। लेकिन सत्यम के लिए वही स्कूल हार्वर्ड था। जब बाकी बच्चे किताबें फाड़कर पतंग बनाते, वो उन्हें सीने से लगाकर सोता था। रात को लालटेन की रोशनी में जब गांव सो जाता, सत्यम खिड़की से आसमान की ओर देखता और सोचता, “कभी तो मैं उन तारों को छू लूंगा जो आज बस दूर से चमकते हैं।”

भाग 3: संघर्ष और समर्पण

उसका पिता कहता, “बेटा, हमारे जैसे लोगों के लिए आसमान तक पहुंचना मुश्किल है।” सत्यम मुस्कुराता पर बाबा, “मुश्किल है, नामुमकिन नहीं।” वो दिन में खेतों में पिता की मदद करता और रात को अपनी किताबों के खेत में भविष्य बोता। हर सवाल उसके लिए एक बीज था। हर उत्तर एक फसल।

साल दो साल में गांव में बिजली आती-जाती थी, पर सत्यम की पढ़ाई नहीं रुकती थी। वो लालटेन की रोशनी में 2:00 बजे तक बैठकर गणित के सवाल हल करता और सुबह 5:00 बजे उठकर खेत में पानी देता। एक दिन उसकी मां ने कहा, “बेटा, इतना क्यों पढ़ता है तू? शरीर कमजोर हो जाएगा।” सत्यम बोला, “मां, मैं भूखा हूं। रोटी के लिए नहीं, ज्ञान के लिए।”

गांव के बच्चे जब क्रिकेट खेलते, सत्यम मिट्टी पर अंकों से ग्राफ बनाता। जब उसके पास नोटबुक खत्म हो जाती, वह पुराने अखबारों के खाली हिस्से पर गणित के फार्मूले लिख देता। उसके पिता को गांव वालों ने कई बार टोका, “इतना पढ़ा रहे हो। क्या करेगा यह? खेती जोतना है ना?” पर रामनिवास ने बस एक बार कहा, “अगर बीज में दम है तो मिट्टी उसे रोक नहीं सकती।”

भाग 4: आईआईटी की ओर

12 साल की उम्र में जब देश के लाखों बच्चे आईआईटी जेई का नाम ही नहीं जानते थे, सत्यम ने परीक्षा फॉर्म भर दिया। लोग हंसे, “अरे, बच्चा है यह। आईआईटी मजाक नहीं है।” लेकिन जब परिणाम आया, पूरे गांव की हंसी थम गई। “सत्यम कुमार, उम्र 12 वर्ष, आईआईटी जेई क्वालिफाइड।” खबर अखबारों और टीवी तक पहुंची। “बिहार का चमत्कार: बालक भारत का सबसे छोटा आईआईटियन।”

हर हेडलाइन में वही नाम था। पर सत्यम के लिए यह बस शुरुआत थी। वो बोला, “मैं आईआईटी पहुंचा नहीं हूं। बस दरवाजा देखा है। अब असली सफर शुरू होगा।”

2016 में आईआईटी कानपुर का विशाल परिसर। पहली बार गांव का वो लड़का इतने बड़े शहर, इतने बड़े कैंपस में कदम रखता है। चारों तरफ बोलचाल की अंग्रेजी, लैपटॉप्स, साइकिलें, प्रोजेक्ट्स और लेक्चर्स, और बीच में वो एक किसान का बेटा जो अब दुनिया को दिखाना चाहता था कि प्रतिभा जात या जगह से नहीं, जिद से तय होती है।

भाग 5: नए अनुभव

पहले दिन क्लास में जब उसने बोलना शुरू किया तो सबने सोचा, “यह तो बिहारी है।” पर जब उसने क्वांटम कंप्यूटिंग पर सवाल पूछा तो पूरा क्लासरूम खामोश हो गया। प्रोफेसर बोले, “मिस्टर कुमार, यू शुड बी इन अ रिसर्च लैब, नॉट इन अ क्लासरूम।”

सत्यम का जुनून अब प्रोजेक्ट्स की ओर बढ़ गया। वो दिन-रात लैब में रहता। आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस पर उसका पहला मिनी प्रोजेक्ट “एआई फॉर रूरल क्रॉप प्रेडिक्शन” यानी ऐसा सिस्टम जो किसानों को बताएं कि कौन सी मिट्टी में कौन सी फसल सबसे ज्यादा उपज देगी। प्रोफेसर और छात्र सब हैरान रह गए। उसकी कोडिंग स्किल्स इतनी तेज थीं कि कई सीनियर छात्र उससे मदद लेने लगे।

भाग 6: एप्पल की ओर

एक रात जब सब सो गए थे, सत्यम लैब में अकेला था। उसकी स्क्रीन पर Apple का लोगो चमका। उसने एक एआई एल्गोरिदम Apple के न्यूरल इंजन से बेहतर बनाकर दिखाया था। वो मुस्कुराया। अब यह कोड सिर्फ लैब तक नहीं रहेगा। दुनिया तक जाएगा। आईआईटी कानपुर का हर कोना अब उसे पहचानने लगा था। वो लड़का जो कभी मिट्टी में पेंसिल से ए बी सी लिखता था, अब Python, Swift और C++ की भाषाओं में भविष्य गढ़ रहा था।

और फिर एक सुबह उसके ईमेल में वो लाइन आई जिसने उसकी जिंदगी बदल दी। “वी लाइक टू इनवाइट यू फॉर एन इंटरव्यू एट Apple हेड क्वार्टर, कैलिफोर्निया।” सत्यम ने ईमेल पढ़ा। दिल धड़कने लगा। आंखों में आंसू आ गए। मां को फोन लगाया। “मां, मुझे अमेरिका बुलाया है एप्पल वालों ने।”

भाग 7: सपनों की ओर

मां ने कहा, “कौन से सेब वाले?” सत्यम हंस पड़ा। “मां, यह वही सेब है जिससे दुनिया चलती है।” सुबह की धूप आईआईटी कानपुर के हॉस्टल की खिड़की से झांक रही थी। सत्यम के लैपटॉप पर वो ईमेल अब भी खुला था। “वी लाइक टू इनवाइट यू फॉर एन इंटरव्यू एट एप्पल हेड क्वार्टर, क्यूपिनो, कैलिफोर्निया।”

कुछ देर तक वह ईमेल को बस देखता रहा। उसके चेहरे पर कोई दिखावटी मुस्कान नहीं थी। बस आंखों में चमक थी जो कह रही थी, “मेहनत का वक्त आ गया है।” उसके दोस्तों ने दौड़कर पूछा, “भाई, तू एप्पल जा रहा है सच में? यार, यह तो सपना है।” सत्यम ने धीरे से कहा, “सपने देखे नहीं जाते, बनाए जाते हैं।”

कुछ हफ्तों बाद कानपुर के स्टेशन से दिल्ली होते हुए वो अमेरिका के लिए निकला। पहली बार विमान में बैठा। उसके दिल में डर भी था, पर उत्साह उससे बड़ा था। कैलिफोर्निया की धरती पर कदम रखते ही उसे लगा जैसे किसी नई दुनिया में आ गया हो। सड़कें, इमारतें, तकनीक सब कुछ अलग था। लेकिन उसके अंदर की सादगी वैसी ही थी।

भाग 8: एप्पल का हेड क्वार्टर

एप्पल आईसी के क्यूपिनो कैंपस के बाहर जब उसने पहली बार वो विशाल कांच की बिल्डिंग देखी, जहां बीच में सफेद चमकता हुआ एप्पल का लोगो था, उसका दिल जोरों से धड़कने लगा। यही है वह जगह जहां मैं अपने सपनों का इंटरव्यू देने आया हूं। रिसेप्शन पर बैठी महिला ने मुस्कुरा कर पूछा, “नेम प्लीज।”

सत्यम बोला, “सत्यम कुमार, फ्रॉम इंडिया।” वो चौंक गई, “यू लुक सो यंग! आर यू रियली हियर फॉर इंटरव्यू?” सत्यम मुस्कुराया, “यस मैम, आई जस्ट टर्न 17।” थोड़ी देर बाद उसे एक ग्लास कॉन्फ्रेंस रूम में ले जाया गया। टेबल पर तीन लोग बैठे थे—एक एचआर मैनेजर, एक सीनियर इंजीनियर और एक वाइस प्रेसिडेंट ऑफ एआई रिसर्च। सबके चेहरों पर हैरानी थी।

भाग 9: आत्मविश्वास का परिचय

एचआर ने पहला सवाल पूछा, “टेल अस अबाउट योरसेल्फ, सत्यम।” सत्यम ने सीधी नजर में देखते हुए जवाब दिया, “आई एम फ्रॉम अ स्मॉल विलेज इन बिहार, इंडिया। माय फादर इज अ फार्मर। आई ग्रो अप विदाउट इलेक्ट्रिसिटी मोस्ट ऑफ द टाइम। बट आई हैड वन लाइट, द फायर ऑफ लर्निंग।” कमरे में सन्नाटा छा गया।

फिर उन्होंने पूछा, “व्हाई एप्पल? व्हाई नॉट गूगल और माइक्रोसॉफ्ट?” सत्यम ने मुस्कुराते हुए कहा, “बिकॉज़ एप्पल डजंट जस्ट मेक डिवाइसेस, इट डिज़ एक्सपीरियंसेस। आई डोंट वांट टू कोड फॉर अ कंपनी। आई वांट टू क्रिएट फॉर ह्यूमैनिटी।” सीनियर इंजीनियर ने हंसते हुए कहा, “ओके, शो अस व्हाट यू हैव गॉट।”

भाग 10: चुनौती का सामना

वाइट बोर्ड पर सवाल लिखा गया। “डिजाइन एन एआई मॉडल दैट प्रेडिक्ट्स यूजर बिहेवियर विद लिमिटेड डाटा।” सत्यम ने बिना किसी घबराहट के बोर्ड उठाया। सिर्फ 10 मिनट में उसने एक नई लॉजिक लिखी। “एडप्टिव न्यूरल प्रेडिक्शन मॉडल” जो एप्पल के एआई एल्गोरिदम से भी तेज और हल्का था। इंटरव्यू पैनल के लोग एक-दूसरे को देखने लगे।

फिर उसने अपना लैपटॉप खोला और कहा, “सर, आई कैन शो यू द सिमुलेशन आई बिल्ट फॉर इंडियन फार्मर्स यूजिंग सिमिलर लॉजिक।” उसने कोड रन किया। स्क्रीन पर खेतों के डाटा, मिट्टी की नमी और फसल की भविष्यवाणी दिखने लगी। एआई रियल टाइम में एनालिसिस कर रहा था। सीनियर इंजीनियर आगे झुक कर बोला, “वेट, दिस इज योर कोड?”

“यस सर, रोट इट इन अ स्मॉल लैब एट आईआईटी कानपुर।” एचआर ने फुसफुसाया, “ही इज अ जीनियस।” अगला राउंड था लॉजिकल आईक्यू टेस्ट, जहां हम उम्मीदवार 45 मिनट लेते थे। सत्यम ने उसे 9 मिनट 40 सेकंड में पूरा कर दिया और स्कोर आया 99.8%।

भाग 11: सफलता की ओर

वाइस प्रेसिडेंट ने आश्चर्य से पूछा, “यू ब्रोकन आवर इंटरनल रिकॉर्ड। हाउ डिड यू डू दैट?” सत्यम ने हल्की मुस्कान के साथ कहा, “सर, व्हेन यू ग्रोन अप सॉल्विंग प्रॉब्लम्स विदाउट इलेक्ट्रिसिटी, यू लर्न टू थिंक फास्ट दन मशीनंस।” कमरे में एक क्षण का सन्नाटा। फिर वाइस प्रेसिडेंट ने खड़े होकर कहा, “वेलकम टू एप्पल।”

सत्यम का इंटरव्यू खत्म हुआ। एचआर टीम ने बाहर आकर पूरी बिल्डिंग में खबर फैला दी। “17 ईयर ओल्ड इंडियन बॉय जस्ट एस् द टफेस्ट एप्पल इंटरव्यू।” दोपहर में ही उसे ऑफर लेटर मिला। “एआई रिसर्च इंजीनियर, एप्पल क्यूपिनो।” वो बिल्डिंग से बाहर निकला। आसमान की ओर देखा। सूरज चमक रहा था। जैसे कह रहा हो, “तू मिट्टी से आया था, पर अब पूरी दुनिया तेरी रोशनी में नहा रही है।”

भाग 12: गर्व का क्षण

उसने मां को कॉल किया। “मां, मुझे नौकरी मिल गई।” “कहां बेटा?” “Apple में।” “अच्छा, अब तू सेब बेचने वाला बनेगा?” सत्यम मुस्कुरा गया। “नहीं मां, मैं दुनिया बदलने वाला बन गया हूं।” आज वह बिहार का लड़का एप्पल कंपनी पर सीनियर पोस्ट पर भारत का गर्व बढ़ा रहा है।

भाग 13: संघर्ष की कहानी

सत्यम की कहानी सिर्फ उसकी व्यक्तिगत सफलता की नहीं, बल्कि उस संघर्ष की भी है जो उसने अपने परिवार और गांव के लिए किया। उसने अपने माता-पिता के सपनों को साकार किया और यह साबित किया कि कठिनाइयों के बावजूद, मेहनत और लगन से कुछ भी संभव है।

वो अब न केवल अपने गांव का हीरो था, बल्कि पूरे देश के युवाओं के लिए प्रेरणा का स्रोत बन गया। उसने यह दिखाया कि अगर इरादा मजबूत हो, तो कोई भी सपना सच किया जा सकता है।

भाग 14: प्रेरणा का स्रोत

सत्यम का सफर हमें यह सिखाता है कि हमें कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। चाहे परिस्थिति कितनी भी कठिन क्यों न हो, अगर हम मेहनत करें, तो हम अपने लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते हैं।

इस कहानी के माध्यम से हम समझते हैं कि असली सफलता उस समय मिलती है जब हम अपने सपनों के लिए लड़ते हैं और कभी हार नहीं मानते। सत्यम कुमार की कहानी एक प्रेरणा है, जो हर युवा को यह याद दिलाती है कि सपने देखने से ज्यादा महत्वपूर्ण है उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करना।

भाग 15: अंत में

इस प्रकार, सत्यम कुमार ने न केवल अपने सपनों को पूरा किया, बल्कि अपनी मेहनत और संघर्ष से एक नया इतिहास भी लिखा। आज वह एक सफल एआई रिसर्च इंजीनियर है, जो न केवल अपने परिवार का नाम रोशन कर रहा है, बल्कि समाज में भी बदलाव लाने की कोशिश कर रहा है।

दोस्तों, इस कहानी से हमें यह सीख मिलती है कि मेहनत का फल मीठा होता है और कभी भी अपने सपनों को छोड़ना नहीं चाहिए। अगर आप भी सत्यम की तरह अपने सपनों को पूरा करना चाहते हैं, तो मेहनत करें और आगे बढ़ें।

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