89 साल के Dharmendra ने कहा अलविदा, सुबह घर पर ली आखिरी सांस। लंबे वक्त से वेटिंलेटर पर थे।

गाँव में एक छोटा सा घर था, जिसमें एक साधारण सा लड़का, अर्जुन, अपने माता-पिता के साथ रहता था। अर्जुन एक खुशमिजाज लड़का था, जिसे खेलना और पढ़ाई करना बहुत पसंद था। उसके पास एक पुराना बॉल था, जिसे वह हमेशा अपने साथ रखता था। गाँव के बच्चों के साथ खेलते हुए, अर्जुन की ज़िंदगी बहुत खुशहाल थी। लेकिन एक दिन, उसकी ज़िंदगी में एक ऐसा मोड़ आया, जिसने सब कुछ बदल दिया।

एक नई मुलाकात

गाँव में एक नया लड़का, समीर, आया। समीर शहर से था और उसके पास बहुत सारे नए खिलौने और खेल थे। गाँव के बच्चे समीर की ओर आकर्षित हुए और उसे अपने खेल में शामिल करने लगे। अर्जुन को यह देखकर बहुत दुख हुआ, क्योंकि उसे लगता था कि अब उसके पास खेलने के लिए कोई नहीं रहेगा। लेकिन एक दिन, जब समीर अकेला बैठा था, अर्जुन ने उसके पास जाकर कहा, “क्या तुम मेरे साथ खेलना चाहोगे?”

समीर ने मुस्कुराते हुए कहा, “हाँ, क्यों नहीं! मुझे फुटबॉल खेलना बहुत पसंद है।” इस तरह, दोनों की दोस्ती की शुरुआत हुई। अर्जुन ने समीर को अपने गाँव के खेलों के बारे में बताया, और समीर ने अर्जुन को शहर के खेलों के बारे में सिखाया।

दोस्ती की गहराई

समय बीतता गया, और अर्जुन और समीर की दोस्ती गहरी होती गई। वे हर दिन साथ खेलने जाते, पढ़ाई करते और एक-दूसरे से अपने सपनों के बारे में बात करते। समीर ने अर्जुन को बताया कि वह बड़ा होकर एक प्रसिद्ध फुटबॉलर बनना चाहता है, जबकि अर्जुन का सपना था कि वह एक शिक्षक बने और गाँव के बच्चों को अच्छी शिक्षा दे।

एक दिन, समीर ने अर्जुन से कहा, “तुम्हें पता है, अगर हम मेहनत करें तो हम अपने सपनों को पूरा कर सकते हैं।” अर्जुन ने सहमति जताई और दोनों ने मिलकर पढ़ाई और खेल पर ध्यान देने का फैसला किया।

कठिनाइयाँ

लेकिन जैसे-जैसे समय बीतता गया, समीर को गाँव की कठिनाइयों का सामना करना पड़ा। गाँव में खेल के लिए सुविधाएँ नहीं थीं, और अक्सर बारिश के कारण वे बाहर नहीं खेल पाते थे। समीर ने अर्जुन से कहा, “अगर हम अपने गाँव में एक खेल का मैदान बना सकें, तो सभी बच्चे खेल सकेंगे।”

अर्जुन ने सोचा और कहा, “यह एक बेहतरीन विचार है! लेकिन हमें इसके लिए पैसे और अनुमति की जरूरत होगी।” दोनों ने मिलकर गाँव के प्रमुख से बात करने का फैसला किया।

गाँव के प्रमुख से मुलाकात

अर्जुन और समीर ने गाँव के प्रमुख से मिलने का समय तय किया। जब वे प्रमुख के पास पहुंचे, तो उन्होंने अपनी योजना बताई। प्रमुख ने उनकी बात ध्यान से सुनी और कहा, “यह एक अच्छा विचार है, लेकिन इसके लिए हमें गाँव के लोगों का समर्थन चाहिए।”

अर्जुन और समीर ने गाँव के लोगों को एकत्र किया और उन्हें अपनी योजना के बारे में बताया। पहले तो कुछ लोग skeptical थे, लेकिन धीरे-धीरे सभी ने समर्थन देना शुरू किया। गाँव के लोग अपनी-अपनी ओर से मदद करने लगे। कुछ ने पैसे दिए, कुछ ने श्रम देने का वादा किया।

खेल का मैदान बनाना

कुछ महीनों की मेहनत के बाद, गाँव में एक नया खेल का मैदान बनकर तैयार हुआ। यह गाँव के बच्चों के लिए एक सपना सच होने जैसा था। समीर और अर्जुन ने उस दिन एक बड़ा खेल आयोजन रखने का फैसला किया।

जब खेल का दिन आया, तो पूरा गाँव मैदान में इकट्ठा हुआ। बच्चे, बड़े, सभी ने मिलकर खेल का आनंद लिया। समीर और अर्जुन ने मिलकर फुटबॉल और अन्य खेलों का आयोजन किया। इस दिन ने गाँव के बच्चों को न केवल खेल का मजा दिया, बल्कि उन्हें एकजुट भी किया।

सपनों की ओर बढ़ना

समय के साथ, समीर ने अपने फुटबॉल कौशल को और निखारा। उसने गाँव के लिए कई प्रतियोगिताओं में भाग लिया और कई पुरस्कार जीते। अर्जुन ने भी अपनी पढ़ाई में मेहनत की और गाँव के स्कूल में एक शिक्षक बन गया।

समीर ने अपने सपने को पूरा करने के लिए शहर में एक फुटबॉल अकादमी में दाखिला लिया। अर्जुन ने उसे हमेशा प्रेरित किया, और दोनों ने एक-दूसरे के सपनों को पूरा करने के लिए समर्थन दिया।

अंत

कुछ सालों बाद, समीर एक प्रसिद्ध फुटबॉलर बन गया। उसने गाँव में एक फुटबॉल कैंप का आयोजन किया, जहाँ उसने बच्चों को खेल के प्रति प्रेरित किया। अर्जुन ने भी गाँव के बच्चों को पढ़ाई में मदद करना जारी रखा।

उनकी दोस्ती ने न केवल उनकी ज़िंदगी को बदला, बल्कि पूरे गाँव के बच्चों के लिए एक नई राह खोली। अर्जुन और समीर ने साबित कर दिया कि सच्ची दोस्ती और मेहनत से किसी भी सपने को साकार किया जा सकता है।

इस प्रकार, अर्जुन और समीर की दोस्ती ने गाँव में एक नई पहचान बनाई, और उनकी कहानी आज भी बच्चों को प्रेरित करती है।

निष्कर्ष

दोस्ती, मेहनत और एकजुटता से हम किसी भी चुनौती का सामना कर सकते हैं। अर्जुन और समीर की कहानी हमें यह सिखाती है कि सपनों को पूरा करने के लिए हमें एक-दूसरे का साथ देना चाहिए।

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