Dharmendra का गंगा में हुआ अस्थि विसर्जन, बेटे Sunny-Bobby ने नहीं इस शख्स ने निभाया आखिरी फर्ज़ !

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धर्मेंद्र का गंगा में अस्थि विसर्जन – बेटे नहीं, पोते ने निभाया आखिरी फर्ज़

बॉलीवुड के ही-मैन धर्मेंद्र ने 24 नवंबर को दुनिया को अलविदा कह दिया था। उनके निधन के बाद पूरा देश शोक में डूब गया, और देओल परिवार पर भी गम का पहाड़ टूट पड़ा। धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार के बाद अब उनके अस्थि विसर्जन की रस्म भी पूरी हो चुकी है। लेकिन इस रस्म में एक खास बात रही—धर्मेंद्र की अस्थियों को गंगा में प्रवाहित करने का फर्ज़ उनके बेटों सनी या बॉबी ने नहीं, बल्कि उनके बड़े पोते करण देओल ने निभाया।

हरिद्वार में निजी माहौल में हुआ अस्थि विसर्जन

धर्मेंद्र का अस्थि विसर्जन उत्तराखंड के पवित्र शहर हरिद्वार में किया गया। मां गंगा की निर्मल धारा में धर्मेंद्र की राख प्रवाहित कर दी गई। आमतौर पर ऐसी रस्में हरकी पौड़ी जैसे सार्वजनिक घाटों पर होती हैं, लेकिन देओल परिवार ने इस बार पांच सितारा होटल के प्राइवेट घाट को चुना, ताकि पूरा माहौल बेहद निजी और शांतिपूर्ण रहे। परिवार के सिर्फ छह सदस्य ही हरिद्वार पहुंचे थे। इनमें सनी देओल, बॉबी देओल, करण देओल, राजवीर देओल, आर्यमन और एक अन्य करीबी सदस्य शामिल थे।

अस्थि विसर्जन की रस्म – बेटे नहीं, पोते ने निभाया फर्ज़

धर्मेंद्र के निधन के बाद उनके बेटे सनी देओल ने पिता का दाह संस्कार मुंबई के पवनहंस श्मशान घाट पर किया था। लेकिन अस्थि विसर्जन की रस्म के लिए सनी और बॉबी ने अपने बेटे करण को आगे किया। करण देओल ने गंगा के पवित्र जल में अपने दादा की अस्थियों को प्रवाहित किया। यह रस्म सुबह करीब 9:30 बजे पूरी विधि-विधान और मंत्रोच्चारण के साथ संपन्न हुई। इस दौरान परिवार के सभी सदस्य भावुक नजर आए। करण ने न सिर्फ अपने दादा का फर्ज़ निभाया, बल्कि पूरे परिवार की भावनाओं को भी संभाला।

तस्वीरों में दिखा परिवार का दर्द और एकजुटता

अस्थि विसर्जन के बाद सभी ने मां गंगा में डुबकी लगाई। सामने आई तस्वीरों में सनी और बॉबी देओल के चेहरे पर गहरा दुख साफ नजर आ रहा था। बॉबी देओल सफेद रंग के बाथरोब में थे, जबकि राजवीर और आर्यमन टॉवल लपेटे हुए थे। सभी एक-दूसरे के गले लगकर भावुक होते दिखे। यह पल परिवार के लिए बेहद भावनात्मक था, जहां हर सदस्य ने धर्मेंद्र को अंतिम विदाई दी।

कड़ी सुरक्षा और पूरी गोपनीयता

इस पूरी प्रक्रिया के दौरान होटल और प्रशासन की तरफ से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था थी। मीडिया को दूर रखा गया और परिवार ने अस्थि विसर्जन को बेहद निजी रखा। पहले कहा जा रहा था कि देओल परिवार हरकी पौड़ी पर अस्थि विसर्जन करेगा, लेकिन बाद में उन्होंने होटल के प्राइवेट घाट पर यह रस्म पूरी करने का फैसला किया। परिवार के सिर्फ छह सदस्य ही हरिद्वार पहुंचे थे। सभी लोग 2 दिसंबर को हरिद्वार पहुंचे थे, लेकिन अस्थि विसर्जन की रस्म एक दिन बाद यानी 3 दिसंबर को सुबह सम्पन्न हुई।

धर्मेंद्र की अस्थियों को चुनने का जिम्मा भी पोते करण पर

धर्मेंद्र के निधन के बाद जब उनका अंतिम संस्कार हुआ, तो सनी देओल ने पिता का दाह संस्कार किया था। बाद में सनी के बड़े बेटे करण दादा की अस्थियों को चुनने के लिए श्मशान घाट पहुंचे थे। यही वजह रही कि अस्थि विसर्जन की रस्म भी करण के हाथों ही पूरी करवाई गई। यह परंपरा परिवार में नई शुरुआत का संकेत देती है, जहां जिम्मेदारी अगली पीढ़ी को सौंपी गई।

धर्मेंद्र – पर्दे पर ही-मैन, परिवार में आदर्श

धर्मेंद्र का जीवन हमेशा संघर्ष, मेहनत और सफलता की मिसाल रहा। उन्होंने अपने बच्चों और पोते-पोतियों को हमेशा संस्कार और पारिवारिक मूल्यों का महत्व समझाया। यही वजह है कि धर्मेंद्र के अंतिम संस्कार से लेकर अस्थि विसर्जन तक, परिवार ने हर रस्म को पूरी श्रद्धा और परंपरा के साथ निभाया।

अस्थि विसर्जन के बाद परिवार लौटा मुंबई

अस्थि विसर्जन के बाद देओल परिवार ने मां गंगा में डुबकी लगाई और धर्मेंद्र की आत्मा की शांति के लिए प्रार्थना की। इसके बाद पूरा परिवार हरिद्वार से मुंबई के लिए रवाना हो गया। धर्मेंद्र के अस्थि विसर्जन की रस्म भी शोक सभा और अंतिम संस्कार की तरह बेहद निजी रखी गई। परिवार ने मीडिया और बाहरी लोगों से दूरी बनाए रखी, ताकि वे अपने दुख और भावनाओं को शांति से साझा कर सकें।

धर्मेंद्र की विदाई – भावनाओं का सैलाब

धर्मेंद्र की अस्थि विसर्जन की तस्वीरें सामने आईं तो फैंस भी भावुक हो गए। बॉलीवुड के ही-मैन को गंगा की निर्मल धारा में अंतिम विदाई मिल गई। परिवार के हर सदस्य ने इस मौके पर अपने आंसू बहाए और दादा के लिए मन से प्रार्थना की। करण देओल ने जिस तरह अपने दादा का फर्ज़ निभाया, वह पूरे परिवार और फैंस के लिए गर्व का पल था।

परिवार की एकजुटता और संस्कारों की मिसाल

धर्मेंद्र के अस्थि विसर्जन की रस्म ने एक बार फिर साबित किया कि देओल परिवार अपने संस्कारों और परंपराओं को कितनी गंभीरता से निभाता है। जहां बॉलीवुड में कई परिवारों में ऐसे मौके पर विवाद या दिखावा देखने को मिलता है, वहीं देओल परिवार ने पूरी प्रक्रिया को बेहद निजी, शांत और भावनात्मक रखा। करण देओल ने अपने दादा के प्रति जो सम्मान दिखाया, वह आने वाली पीढ़ियों के लिए मिसाल है।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र के अस्थि विसर्जन की रस्म में बेटे सनी और बॉबी नहीं, बल्कि पोते करण ने फर्ज़ निभाया। परिवार के सिर्फ छह सदस्य हरिद्वार पहुंचे, और पूरी प्रक्रिया निजी माहौल में पूरी हुई। धर्मेंद्र की अस्थियां मां गंगा की निर्मल धारा में प्रवाहित कर दी गईं। इस मौके पर परिवार की भावनाएं, एकजुटता और संस्कारों की झलक साफ नजर आई। धर्मेंद्र की विदाई ने एक बार फिर साबित किया कि असली ही-मैन सिर्फ पर्दे पर नहीं, बल्कि अपने परिवार के संस्कारों में भी अमर रहता है।

समाप्त

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