Dharmendra के निधन के बाद पहली बार दिखीं पहली बीवी Prakash Kaur,शोकसभा में Rekha ने मिलकर जाना हाल !

धर्मेंद्र, बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता, जिनका निधन 24 नवंबर 2025 को हुआ, ने अपने पीछे एक बड़ा परिवार और कई यादें छोड़ी हैं। उनके निधन के बाद, उनके परिवार के भीतर के रिश्तों और भावनाओं का खुलासा हुआ, जिसमें उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर और दूसरी पत्नी हेमा मालिनी के बीच की जटिलताएं भी शामिल हैं। इस लेख में हम बात करेंगे प्रकाश कौर के दुख, उनकी पहली सार्वजनिक उपस्थिति, और रेखा के साथ उनके भावुक क्षणों के बारे में।

धर्मेंद्र का निधन

धर्मेंद्र का निधन पूरे फिल्म उद्योग के लिए एक बड़ा सदमा था। 89 साल की उम्र में उन्होंने अपनी अंतिम सांस ली, और उनके जाने से न केवल परिवार, बल्कि उनके प्रशंसकों और फिल्म इंडस्ट्री में भी शोक की लहर दौड़ गई। धर्मेंद्र के निधन के बाद उनके परिवार ने अपनी भावनाओं को साझा करने का निर्णय लिया, लेकिन इस बार सब कुछ अलग था।

प्रार्थना सभा का आयोजन

27 नवंबर को देओल परिवार ने धर्मेंद्र की याद में ताज लैंड्स एंड में एक प्रार्थना सभा का आयोजन किया। इस इवेंट को “सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ” का नाम दिया गया। इस अवसर पर कई बड़े सितारे शामिल हुए और धर्मेंद्र की याद में श्रद्धांजलि दी। लेकिन इस इवेंट में सबसे बड़ा सवाल यह था कि क्या हेमा मालिनी और उनकी बेटियां ईशा और अहाना वहां शामिल होंगी या नहीं।

जब ताज होटल में धर्मेंद्र की याद में यह इवेंट चल रहा था, तब सभी की नजरें हेमा मालिनी पर थीं। लेकिन आश्चर्यजनक रूप से, ना तो हेमा मालिनी वहां पहुंचीं और ना ही उनकी दोनों बेटियां। इस अनुपस्थिति ने सबको चौंका दिया और लोगों में यह चर्चा शुरू हो गई कि क्या सनी और बॉबी ने जानबूझकर अपने सौतेली मां और बहनों को इस दुख की घड़ी में शामिल नहीं किया।

प्रकाश कौर की पहली उपस्थिति

धर्मेंद्र के निधन के बाद पहली बार प्रकाश कौर को देखा गया। उन्होंने शोक सभा में शामिल होने के लिए सफेद साड़ी पहनी थी, जिसमें उन्होंने सिर पर पल्लू ओढ़ रखा था। उनकी उपस्थिति ने सभी को भावुक कर दिया। प्रकाश कौर ने अपने पति के प्रति सम्मान व्यक्त करते हुए शोक सभा में भाग लिया। इस दौरान, रेखा, जो धर्मेंद्र की करीबी दोस्त थीं, भी वहां पहुंचीं और उन्होंने प्रकाश कौर से मिलकर उनका हालचाल जाना।

प्रकाश कौर की यह पहली सार्वजनिक उपस्थिति थी, और उनके चेहरे पर जो मातम था, वह उनके दिल के हालात को बयां कर रहा था। रेखा ने प्रकाश कौर से मिलने के बाद उनके दुख को साझा किया और उन्हें सांत्वना दी।

परिवार के बीच की दरारें

धर्मेंद्र के निधन के बाद, यह स्पष्ट हो गया कि देओल परिवार में पुरानी दरारें अभी भी मौजूद हैं। सनी और बॉबी ने अपनी सौतेली मां और बहनों को इस कठिन समय में सहारा नहीं दिया। यह स्थिति दर्शाती है कि कैसे परिवारों के बीच की जटिलताएं कभी-कभी जीवन के सबसे कठिन समय में भी सामने आती हैं।

हेमा मालिनी और उनके परिवार ने अपने तरीके से धर्मेंद्र को विदाई दी, जबकि देओल परिवार ने अपने तरीके से। यह साफ नजर आ रहा था कि दोनों परिवारों के बीच की दूरी अब और भी बढ़ गई है।

अहाना का दृष्टिकोण

धर्मेंद्र की चौथी बेटी अहाना देओल ने भी अपने पिता की विरासत को लेकर एक अलग दृष्टिकोण रखा। उन्होंने स्पष्ट किया कि उन्हें अपने पिता की दौलत में से कोई भौतिक संपत्ति नहीं चाहिए। अहाना ने कहा, “मुझे उनकी फिएट कार चाहिए, क्योंकि उस गाड़ी से मेरे पापा की अनगिनत यादें जुड़ी हैं।” यह बयान न केवल उनकी अपने पिता के प्रति प्रेम को दर्शाता है, बल्कि यह भी दिखाता है कि कैसे वह भौतिक चीजों से ज्यादा यादों को महत्व देती हैं।

रेखा का समर्थन

रेखा का प्रकाश कौर से मिलना और उन्हें सांत्वना देना इस बात का संकेत था कि दु:ख की इस घड़ी में एक-दूसरे का सहारा बनना कितना महत्वपूर्ण है। रेखा ने प्रकाश के पास जाकर न केवल उन्हें सांत्वना दी, बल्कि यह भी बताया कि वह इस मुश्किल वक्त में उनके साथ हैं।

समाज पर प्रभाव

इस घटना ने न केवल देओल परिवार को प्रभावित किया, बल्कि समाज में भी एक महत्वपूर्ण संदेश भेजा। यह दर्शाता है कि भौतिक संपत्तियों से ज्यादा महत्वपूर्ण रिश्ते और यादें होती हैं। अहाना का यह कदम यह साबित करता है कि एक व्यक्ति की असली संपत्ति उसके रिश्ते और यादों में होती है, न कि भौतिक वस्तुओं में।

निष्कर्ष

धर्मेंद्र की अंतिम विदाई ने हमें यह सिखाया कि रिश्ते चाहे कितने भी मजबूत क्यों न हों, दुख के समय वे कितनी जल्दी टूट सकते हैं। प्रकाश कौर ने अपने पति के प्रति अपने प्यार और सम्मान को एक नए तरीके से व्यक्त किया है, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में लोगों के लिए एक प्रेरणा बनेगा।

इस प्रकार, अहाना देओल ने अपने पिता के प्रति अपने प्यार और सम्मान को एक नए तरीके से व्यक्त किया है, जो निश्चित रूप से आने वाले समय में लोगों के लिए एक प्रेरणा बनेगा। उनकी कहानी यह दर्शाती है कि असली धरोहर प्यार, यादें और परिवार के रिश्ते हैं, जो हमेशा हमारे साथ रहते हैं।

आपकी इस बारे में क्या राय है? क्या आप भी मानते हैं कि रिश्ते और यादें भौतिक संपत्तियों से अधिक महत्वपूर्ण हैं? अपनी राय नीचे कमेंट में जरूर साझा करें।

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