Dharmendra ने अपनी वसीयत मे ऐसा क्या दिया hema malini,Prakash kaur को कि हैरान हुई पूरी deol family

कहानी: धर्मेंद्र की संपत्ति और देओल परिवार का भविष्य

प्रारंभ

क्या 450 करोड़ की विशाल संपत्ति अब देओल परिवार के दो हिस्सों, यानी प्रकाश कौर और हेमा मालिनी के बीच एक नई जंग की वजह बनेगी? क्या सनी देओल के ऊपर लटक रही बैंक के कर्ज की तलवार और ईशा देओल के तलाक के बाद की अनसुलझी जिंदगी इस बंटवारे को और पेचीदा बना देगी? और सबसे बड़ा सवाल, क्या धर्मेंद्र ने जाने से पहले कोई ऐसी वसीयत लिखी थी, जो अब दशकों पुराने राज खोलने वाली है? आज हम इन्हीं सुलगते सवालों की गहराइयों में उतरेंगे और जानेंगे कि आखिर जूहू के उस बंगले और लोनावाला के उस फार्म हाउस की चारदीवारी के पीछे असल में क्या चल रहा है।

धर्मेंद्र का निधन

बॉलीवुड के दिग्गज अभिनेता धर्मेंद्र का 24 नवंबर 2025 को निधन होना भारतीय सिनेमा के एक सुनहरे युग का अंत है। लेकिन देओल परिवार के लिए यह एक बेहद निजी और जटिल अध्याय की शुरुआत भी है। जब मुंबई के पवन हंस श्मशान घाट पर उनकी अंतिम यात्रा निकली, तो वहां सिर्फ आंसुओं का सैलाब नहीं था। बल्कि वहां मौजूद हर शख्स की नजरें उस नाजुक संतुलन को देख रही थीं जो धर्मेंद्र ने अपने जीते जी दो परिवारों के बीच बनाए रखा था।

एक तरफ उनकी पहली पत्नी प्रकाश कौर का परिवार था, तो दूसरी तरफ हेमा मालिनी और उनकी बेटियां खड़ी थीं। सनी देओल की खामोश और पथराई हुई आंखें बता रही थीं कि अब परिवार की पूरी जिम्मेदारी उनके कंधों पर आ गई है। वहीं ईशा देओल का फूट-फूट कर रोना यह जता रहा था कि एक बेटी ने अपने सबसे मजबूत सहारे को खो दिया है। यह दृश्य सिर्फ दुख का नहीं था, बल्कि यह उस अजीब और गरीब रिश्ते की सच्चाई थी जिसे दुनिया दशकों से गॉसिप की तरह देखती आई है।

संपत्ति का बंटवारा

धर्मेंद्र अपने पीछे जो विरासत छोड़ गए हैं, वह सिर्फ फिल्मों की नहीं है। बल्कि एक विशाल आर्थिक साम्राज्य की है, जिसकी कीमत का अंदाजा लगाना भी आम आदमी के बस की बात नहीं है। मीडिया रिपोर्ट्स और इंडस्ट्री के जानकारों के मुताबिक, धर्मेंद्र की कुल संपत्ति लगभग 335 से 450 करोड़ के बीच आंकी गई है। लेकिन यह संपत्ति सिर्फ बैंक खातों में पड़ा पैसा नहीं है। इसमें शामिल है मुंबई की सबसे महंगी जमीनों में से एक जूहू का बंगला, लोनावाला का वह 100 एकड़ का विशाल फार्म हाउस जिसे धर्मेंद्र अपनी जान से ज्यादा प्यार करते थे, और पंजाब से लेकर देश भर में फैले उनके रेस्टोरेंट और अन्य निवेश।

अब जब घर का मुखिया नहीं रहा, तो स्वाभाविक रूप से यह सवाल उठ खड़ा हुआ है कि इस साम्राज्य का बंटवारा कैसे होगा? क्या यह बंटवारा शांतिपूर्ण होगा या फिर पुराने जख्म और दबी हुई कड़वाहटें बाहर निकलेंगी? क्योंकि जब बात करोड़ों की जायदाद की आती है, तो अक्सर खून के रिश्तों में भी दरारें पड़ते देर नहीं लगती।

लोनावाला का फार्म हाउस

सबसे पहले बात करते हैं उस संपत्ति की जो धर्मेंद्र के दिल के सबसे करीब थी—लोनावाला का फार्म हाउस। यह कोई आम छुट्टी मनाने की जगह नहीं है, बल्कि मुंबई और पुणे के बीच पहाड़ियों में छिपी 100 एकड़ की एक ऐसी दुनिया है जिसे धर्मेंद्र ने अपने हाथों से संवारा था। इसकी कीमत आज के समय में 100 करोड़ रुपए से भी ज्यादा बताई जाती है।

धर्मेंद्र ने अपने जीवन के आखिरी कई साल यहीं खेती करते हुए, पहाड़ों को निहारते हुए और अपनी जड़ों से जुड़े रहते हुए बिताए। यह जगह सिर्फ एक प्रॉपर्टी नहीं है, बल्कि एक भावनात्मक धरोहर है। सवाल यह है कि इस फार्म हाउस का असली हकदार कौन होगा? क्या यह प्रकाश कौर और उनके बेटों सनी और बॉबी के पास रहेगा, जो अक्सर वहां जाते रहे हैं, या फिर हेमा मालिनी और उनकी बेटियां भी इसमें अपना हिस्सा मांगेंगी?

जूहू का बंगला

दूसरी ओर, सबसे अहम संपत्ति है जूहू का वह आइकॉनिक बंगला जिसे दुनिया देओल परिवार का मुख्यालय मानती है। गांधीग्राम रोड पर स्थित यह बंगला सिर्फ एक घर नहीं है, बल्कि इसमें सनी सुपर साउंड नाम का डबिंग स्टूडियो और प्रीव्यू थिएटर भी है। इसकी कीमत ₹150 करोड़ तक हो सकती है।

आपको याद होगा कि 2023 में बैंक ऑफ बड़ौदा ने इस बंगले की नीलामी का नोटिस जारी किया था, क्योंकि सनी देओल पर लगभग ₹56 करोड़ का कर्ज बकाया था। भले ही वह नोटिस तकनीकी कारणों से वापस ले लिया गया हो, लेकिन इसने यह साफ कर दिया कि देओल परिवार एसेट रिच यानी संपत्ति के मामले में अमीर तो है, लेकिन कैश क्रंच यानी नकद पैसों की किल्लत से जूझ रहा है।

पारिवारिक समीकरण

अब जब धर्मेंद्र नहीं रहे, जो इस लोन में गारंटर थे, तो बैंक का दबाव फिर से बढ़ सकता है। ऐसे में अगर संपत्ति का बंटवारा होता है, तो क्या इस बंगले को बचाने के लिए सनी देओल को अपनी अन्य संपत्तियां बेचनी पड़ेंगी? यह एक ऐसा पेंच है जो इस कहानी को और भी दिलचस्प बना देता है।

अब जरा नजर डालते हैं उस पारिवारिक समीकरण पर जो इस पूरी कहानी की धुरी है। धर्मेंद्र की दो शादियां बॉलीवुड की सबसे चर्चित कहानियों में से एक रही हैं। 1954 में प्रकाश कौर से शादी करने के बाद, जब 1980 में उन्होंने हेमा मालिनी को अपनी पत्नी बनाया, तो यह सिर्फ एक लव स्टोरी नहीं थी, बल्कि एक बड़ा विवाद था।

कानूनी स्थिति

कहा जाता है कि हिंदू मैरिज एक्ट की बंदिशों से बचने के लिए उस समय धर्म परिवर्तन जैसी बातें भी उठी थीं। हालांकि धर्मेंद्र ने हमेशा इससे इंकार किया। कानून की नजर में आज भी यह सवाल पेचीदा हो सकता है कि क्या दूसरी शादी को उतनी ही वैधता मिलती है जितनी पहली को।

लेकिन भारतीय कानून का एक पहलू एकदम साफ है। बच्चों का अधिकार। चाहे शादी की कानूनी स्थिति कुछ भी हो। ईशा देओल और अहाना देओल को अपने पिता की संपत्ति में उतना ही हक मिलता है जितना सनी और बॉबी देओल को। धारा 16 के तहत वे क्लास एक वारिस हैं। इसका मतलब यह है कि अगर धर्मेंद्र ने कोई वसीयत नहीं छोड़ी है, तो उनकी पूरी संपत्ति उनके सभी छह बच्चों और पहली पत्नी प्रकाश कौर के बीच बराबर-बराबर बंटनी चाहिए।

हेमा मालिनी की भूमिका

लेकिन क्या असल जिंदगी में चीजें इतनी सीधी होती हैं? हेमा मालिनी ने हमेशा एक बहुत ही गरिमामई दूरी बनाए रखी है। उन्होंने कई साक्षात्कारों में यह स्पष्ट किया है कि उन्हें धर्मेंद्र की संपत्ति या पैसे से कोई लालच नहीं है। उन्होंने अपनी खुद की मेहनत से अपना एक अलग साम्राज्य खड़ा किया है।

लेकिन बात सिर्फ हेमा जी की नहीं है। बात ईशा और अहाना की है। हाल ही में ईशा देओल का अपने पति भरत तख्तानी से तलाक हुआ है। एक सिंगल मदर के तौर पर अपनी जिंदगी नए सिरे से शुरू करना किसी के लिए भी आसान नहीं होता। ऐसे नाजुक वक्त में पिता का साया सिर से उठ जाना ईशा के लिए दोहरी मार है।

भावनात्मक पहलू

क्या धर्मेंद्र ने अपनी इस लाडली बेटी के भविष्य को सुरक्षित करने के लिए कोई खास वसीयत लिखी होगी? इंडस्ट्री के अंदर खाने से ऐसी फुसफुसाहटें आ रही हैं कि धर्मेंद्र ने शायद अपनी लिक्विड एसेट्स यानी नकद, जेवर और निवेश का एक बड़ा हिस्सा अपनी बेटियों के नाम किया हो सकता है। ताकि उन्हें कभी किसी के आगे हाथ न फैलाना पड़े।

जबकि रियलस्टेट यानी जमीन जायदाद बेटों के पास रह सकती है। सनी देओल और बॉबी देओल का रुख इस पूरे मामले में बहुत मायने रखता है। पिछले कुछ सालों में खासतौर पर गदर दौर की अपार सफलता के बाद हमने देखा है कि सौतेले भाई बहनों के रिश्तों पर जमी बर्फ पिघलने लगी है।

परिवार में सामंजस्य

ईशा देओल ने अपने भाइयों की फिल्मों की स्क्रीनिंग रखी और सनी ने भी ईशा के मुश्किल वक्त में उनका साथ देने की बात कही। यह नया भाईचारा शायद इस संपत्ति विवाद को कोर्ट कचहरी के ड्रामा में बदलने से रोक ले। सनी देओल अब घर के बड़े हैं और उनकी बॉडी लैंग्वेज अंतिम संस्कार के दौरान यही बता रही थी कि वे सबको साथ लेकर चलना चाहते हैं।

लेकिन भावनाएं एक तरफ और पैसा दूसरी तरफ। जब वकीलों और चार्टर्ड अकाउंटेंट्स की एंट्री होती है, तो अच्छे-अच्छे रिश्तों में खटास आ जाती है। अगर जूहू बंगले का कर्ज चुकाने के लिए पैसों की जरूरत पड़ी और उसी समय ईशा ने अपने हिस्से की मांग कर दी, तो सनी देओल के लिए स्थिति को संभालना बहुत मुश्किल हो जाएगा।

निष्कर्ष

इसलिए सबसे ज्यादा संभावना आउट ऑफ कोर्ट सेटलमेंट यानी आपसी समझौते की है। जहां कुछ संपत्तियां बेचकर कर्ज चुकाया जाए और बाकी बची हुई संपत्ति को शांति से बांट लिया जाए। अंत में यह कहना गलत नहीं होगा कि धर्मेंद्र का जाना एक युग का अंत है। लेकिन यह एक नए अध्याय की शुरुआत भी है। वह एक ऐसे चुंबक थे जिन्होंने दो विपरीत ध्रुवों, दो अलग परिवारों को एक साथ बांधे रखा।

अब जब वह चुंबक नहीं रहा, तो क्या यह दोनों परिवार बिखर जाएंगे या फिर अपने पिता की इज्जत और देओल सरनेम की साख बचाने के लिए एकजुट रहेंगे? आने वाले कुछ महीने बहुत महत्वपूर्ण होने वाले हैं। वसीयत का खुलना, बैंकों के नोटिस और वकीलों की बैठकों के बीच हमें यह देखने को मिलेगा कि क्या ही मैन का परिवार भी उसी मजबूती से खड़ा रहता है जिसके लिए वे पर्दे पर जाने जाते हैं।

फिलहाल चारों तरफ एक खामोशी है। लेकिन यह खामोशी तूफान से पहले की है या फिर एक समझदारी भरे समझौते की, यह तो वक्त ही बताएगा। लेकिन एक बात तय है। धर्मेंद्र की असली विरासत उनकी दौलत नहीं बल्कि वो प्यार है जो उन्होंने करोड़ों दिलों में छोड़ा है।

आपकी राय

और उम्मीद यही है कि उनका परिवार उस प्यार का मान रखेगा और दौलत की चमक में रिश्तों को फीका नहीं पड़ने देगा। इस पूरे मामले पर आपकी राय क्या है? क्या बेटियां भी बेटों के बराबर की हकदार हैं? या परंपरा को निभाना जरूरी था? कमेंट में अपनी राय जरूर लिखें और इस वीडियो को शेयर करें ताकि यह कहानी हर किसी तक पहुंच सके जिसने धर्मेंद्र जी को प्यार दिया है।

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