Dharmendra Prayer Meet: Hema Malini, बेटियां Esha, Ahana नहीं हुई शामिल

कहानी: धर्मेंद्र की अंतिम विदाई और देओल परिवार का संघर्ष

प्रारंभ

क्या धर्मेंद्र जी के जाने के बाद उनका परिवार सच में बिखर गया है? आखिर क्यों नहीं आई ड्रीम गर्ल हेमा मालिनी ताज लैंड्स एंड की उस भव्य प्रार्थना सभा में, जहां पूरा बॉलीवुड उमड़ पड़ा था? क्या 45 साल पुरानी वो कसम आज भी निभाई जा रही है कि प्रकाश कौर और हेमा मालिनी कभी एक छत के नीचे नहीं आएंगी? और सबसे बड़ा सवाल, क्या सलमान खान के आंसुओं ने देओल परिवार के उस दर्द को बयां कर दिया जो वे दुनिया से छिपाने की कोशिश कर रहे थे?

दोस्तों, आज हम डिकोड करेंगे ही मैन के अंतिम सफर के बाद के उन तीन दिनों की हर एक हलचल, हर एक आंसू और उन दो अलग-अलग प्रार्थना सभाओं का सच जिसने पूरी इंडस्ट्री को चौंका दिया है। दिल थाम कर बैठिए क्योंकि आज की कहानी में प्यार है, दर्द है और वो दूरियां हैं जो मौत के बाद भी नहीं मिटी।

धर्मेंद्र का निधन

24 नवंबर 2025 की सुबह जब यह खबर आई कि बॉलीवुड का शेर, पंजाब का पुत्तर और हम सबके प्यारे धर्मपाजी अब हमारे बीच नहीं रहे, तो मानो वक्त थम सा गया। 89 साल की उम्र में उन्होंने अपनी आखिरी सांस ली, लेकिन उनके जाने के बाद जो मंजर सामने आया, उसने कई सवालों को जन्म दिया। आमतौर पर जब इतने बड़े सितारे दुनिया छोड़ते हैं, तो उनकी अंतिम यात्रा में राजकीय सम्मान होता है। तिरंगे में लिपटा पार्थिव शरीर होता है, जैसे हमने श्रीदेवी या यश चोपड़ा जी के वक्त देखा था।

लेकिन धर्मेंद्र जी के साथ ऐसा नहीं हुआ। उनका अंतिम संस्कार उसी दिन दोपहर में बड़ी जल्दबाजी में विलय पार्ले के श्मशान घाट पर कर दिया गया। फैंस का गुस्सा सातवें आसमान पर था। सोशल मीडिया पर सनी देओल और बॉबी देओल को ट्रोल किया जाने लगा। लोग कह रहे थे कि सनी और बॉबी की फिल्में मत देखो। उन्होंने हमारे ही मैन को हमसे ठीक से विदा भी नहीं लेने दिया।

परिवार का निजी दर्द

लेकिन दोस्तों, इस जल्दबाजी और सादगी के पीछे की वजह थी देओल परिवार का निजी दर्द। निधन से कुछ दिन पहले अस्पताल से धर्मेंद्र जी का एक वीडियो लीक हो गया था, जिसमें वह बेसुध थे, और प्रकाश कौर उनके पास रो रही थीं। इस वीडियो ने परिवार को अंदर तक तोड़ दिया था। शायद यही वजह थी कि सनी पाजी और बॉबी ने फैसला किया कि अब और तमाशा नहीं होगा। अब सब कुछ निजी होगा, सिर्फ परिवार के बीच होगा।

लेकिन क्या एक सुपरस्टार सिर्फ परिवार का होता है? नहीं, वह तो जग का होता है। और इसी बात को समझते हुए मौत के ठीक 3 दिन बाद यानी 27 नवंबर को देओल परिवार ने एक ऐसा आयोजन किया जिसे उन्होंने शोक सभा नहीं बल्कि “सेलिब्रेशन ऑफ लाइफ” का नाम दिया।

प्रार्थना सभा का आयोजन

27 नवंबर की शाम बांद्रा का आलीशान ताज लैंड्स एंड होटल माहौल में एक अजीब सी खामोशी थी। लेकिन हवाओं में धर्मेंद्र जी की यादें तैर रही थीं। देओल परिवार ने फैसला किया था कि वह रोएंगे नहीं बल्कि उस जिंदगी का जश्न मनाएंगे जो उनके पिता ने शान से जी थी। होटल के सीसाइड लॉन्ज को सफेद फूलों से सजाया गया था। सफेद रंग जो शांति का प्रतीक है, आज ही मैन की विदाई का गवाह बन रहा था।

वहां छह बड़ी-बड़ी एलईडी स्क्रीन लगाई गई थीं, जिन पर धर्मेंद्र जी की फिल्मों के सीन चल रहे थे। कभी शोले का वीरू बसंती को तांगे पर ले जा रहा था, तो कभी अपने फिल्म का वो भावुक पिता अपने बेटों को गले लगा रहा था। लेकिन इन फिल्मी दृश्यों से ज्यादा भावुक वो नजारा था जो स्टेज के सामने घट रहा था।

सनी और बॉबी का दर्द

वहां खड़े थे सनी देओल और बॉबी देओल। वो भाई जो पर्दे पर दुश्मनों के छुड़ा देते हैं, आज बच्चों की तरह बेबस नजर आ रहे थे। सनी पाजी जिन्होंने हमेशा घर के बड़े बेटे का फर्ज निभाया, मेहमानों का स्वागत हाथ जोड़कर कर रहे थे। लेकिन उनकी सूजी हुई लाल आंखें बता रही थीं कि वो पिछले तीन दिनों से सोए नहीं हैं।

बॉबी देओल का हाल तो और भी बुरा था। वो अपने आंसू छिपाने की कोशिश भी नहीं कर रहे थे। वो बार-बार अपने पिता की तस्वीर को देखते और फफड़ाते। उनके साथ खड़े थे कर्ण देओल और अभय देओल, जो इस मुश्किल घड़ी में परिवार की ढाल बने हुए थे।

बॉलीवुड का मेला

इस प्रार्थना सभा में सितारों का मेला लगा था। लेकिन यह कोई अवार्ड शो नहीं था। यहां हर चेहरे पर एक शिकन थी, एक खालीपन था। सबसे भावुक कर देने वाला पल तब आया जब बॉलीवुड के भाईजान सलमान खान वहां पहुंचे। हम सब जानते हैं कि सलमान धर्मेंद्र जी को अपना पिता मानते थे और धर्म जी भी उन्हें अपने तीसरे बेटे की तरह प्यार करते थे।

जब सलमान ने सनी देओल को देखा, तो वह खुद को रोक नहीं पाए। वो आगे बढ़े और सनी को कस कर गले लगा लिया। उस एक पल में दोनों सुपरस्टार्स के बीच का स्टारडम पिघल गया और रह गए तो बस दो बेटे जो एक पिता के जाने का गम मना रहे थे। सलमान की आंखों से आंसू बह रहे थे और वह मंजर देखकर वहां मौजूद हर शख्स का दिल भर आया।

शाहरुख और बाकी सितारे

शाहरुख खान भी वहां पहुंचे अपने बेटे आर्यन खान के साथ। शाहरुख उन चंद लोगों में से थे जो अस्पताल में भी सबसे पहले पहुंचे थे और अंतिम संस्कार में भी। उन्होंने सनी और बॉबी को सांत्वना दी। उनके कंधे पर हाथ रखा, मानो कह रहे हों कि पूरा बॉलीवुड आपका परिवार है।

अमिताभ बच्चन, अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय भी वहां मौजूद थे। बच्चन परिवार और देओल परिवार का रिश्ता दशकों पुराना है। शोले की जय और वीरू की जोड़ी अब टूट चुकी थी और यह दर्द अमिताभ बच्चन के चेहरे पर साफ पढ़ा जा सकता था।

रेखा की उपस्थिति

रेखा जी जो हमेशा अपनी खूबसूरती और रहस्यमई आभा के लिए जानी जाती हैं, वो भी वहां पहुंचीं। रेखा और धर्मेंद्र की जोड़ी ने भी कई सुपरहिट फिल्में दी हैं। और आज अपनी उस पुरानी साथी को विदा करते वक्त रेखा भी बेहद संजीदा नजर आ रही थीं। आमिर खान, अक्षय कुमार, सुनील शेट्टी, जैकी श्रॉफ—शायद ही कोई ऐसा बड़ा नाम हो जो उस शाम ताज लैंड्स एंड में ना दिखा हो।

हेमा की अनुपस्थिति

लेकिन दोस्तों, इन सबके बीच एक सवाल जो हर किसी के मन में था, एक चेहरा जिसे सब ढूंढ रहे थे, वो वहां नदारद था। वो चेहरा था हेमा मालिनी का। जी हां, 27 नवंबर की उस शाम, जब पूरी दुनिया धर्मेंद्र जी को श्रद्धांजलि दे रही थी, उनकी ड्रीम गर्ल, उनकी दूसरी पत्नी हेमा मालिनी वहां मौजूद नहीं थीं। ना हेमा जी, ना ईशा देओल और ना ही अहाना देओल।

गॉसिप के गलियारों में सुगबुगाहट तेज हो गई। लोग बातें बनाने लगे कि क्या सनी देओल ने उन्हें बुलाया नहीं? क्या आज भी मौत के बाद भी सौतनों का आमना-सामना नहीं हो सकता? क्या प्रकाश कौर और हेमा मालिनी के बीच की दीवार इतनी ऊंची है कि दुख की यह घड़ी भी उसे गिरा नहीं सकी?

हेमा का समझदारी भरा फैसला

दोस्तों, सच यह है कि यह कोई झगड़ा नहीं बल्कि एक अघोषित मर्यादा थी जिसे दोनों परिवारों ने पिछले 45 सालों से निभाया है। यह देओल परिवार की परंपरा रही है कि दोनों परिवार एक दूसरे के रास्ते में नहीं आते। ताज लैंड्स एंड का आयोजन प्रकाश कौर और उनके बेटों ने किया था। वो वहां मेजबान थे।

ऐसे में हेमा मालिनी ने वहां ना जाकर एक बहुत ही समझदारी और गरिमामई फैसला लिया। उन्होंने उस माहौल को असहज होने से बचा लिया जो शायद उनकी मौजूदगी से हो सकता था। सोचिए अगर हेमा जी वहां जातीं और प्रकाश कौर का सामना होता, तो मीडिया का सारा कैमरा धर्मेंद्र जी की यादों से हटकर इस गॉसिप पर टिक जाता।

व्यक्तिगत प्रार्थना सभा

हेमा जी ने अपने पति की अंतिम विदाई को तमाशा नहीं बनने दिया। लेकिन इसका मतलब यह नहीं था कि हेमा जी ने अपने धर्म जी के लिए प्रार्थना नहीं की। उसी वक्त जब ताज में सितारे जमा थे, हेमा मालिनी ने अपने जूहू स्थित बंगले पर एक अलग निजी प्रार्थना सभा रखी थी।

यह है वो ट्विस्ट जो बहुत कम लोग जानते हैं। दो घर, दो परिवार और एक ही इंसान के लिए दो अलग-अलग प्रार्थना सभाएं। हेमा जी के घर पर माहौल बहुत ही निजी और भावुक था। वहां भीड़ नहीं थी। वहां कैमरा नहीं था। वहां सिर्फ वो लोग थे जो हेमा जी और उनकी बेटियों के करीब थे।

भारत तख्तानी का समर्थन

इस निजी सभा में एक चेहरा ऐसा दिखा जिसने सबको चौंका दिया। वो थे ईशा देओल के पूर्व पति भारत तख्तानी। हम सब जानते हैं कि ईशा और भारत का तलाक हो चुका है। दोनों अलग हो चुके हैं। लेकिन इस दुख की घड़ी में भारत ने पुरानी कड़वाहट को भुला दिया और अपनी सासू मां और पूर्व पत्नी के साथ चट्टान की तरह खड़े नजर आए।

यह एक बहुत बड़ा संदेश था कि रिश्ते टूट सकते हैं, लेकिन इंसानियत और परिवार का मोह नहीं छूटता। इसके अलावा गोविंदा की पत्नी सुनीता आहूजा भी हेमा जी के घर पहुंची। उन्होंने बाद में मीडिया को बताया कि गोविंदा जी ताज वाले इवेंट में गए थे। लेकिन मैं हेमा जी के पास आई क्योंकि मैं उनके ज्यादा करीब हूं।

सोनू निगम का परफॉर्मेंस

अब जरा इस पूरे घटनाक्रम को डिकोड करते हैं। आखिर क्यों 45 साल बाद भी यह दूरियां इतनी गहरी हैं। हमें थोड़ा पीछे जाना होगा। 1980 के उस दौर में जब धर्मेंद्र और हेमा की शादी हुई थी। धर्मेंद्र पहले से शादीशुदा थे। प्रकाश कौर से उनके चार बच्चे थे। हिंदू मैरिज एक्ट के तहत वह दूसरी शादी नहीं कर सकते थे।

गॉसिप की दुनिया में यह बात बहुत मशहूर है कि उन्होंने इस्लाम धर्म कबूल किया था और अपना नाम दिलावर खान रखा था ताकि वह हेमा से निकाह कर सकें। हालांकि धर्मेंद्र जी ने हमेशा इस बात से इंकार किया कि उन्होंने धर्म बदला। लेकिन 1980 में हुई यह शादी उस समय का सबसे बड़ा स्कैंडल थी।

प्रकाश कौर का समर्थन

प्रकाश कौर ने उस वक्त एक बहुत ही क्रांतिकारी इंटरव्यू दिया था स्टार डस्ट मैगजीन को। उन्होंने कहा था कि भले ही वह एक अच्छे पति साबित ना हुए हों, लेकिन वो दुनिया के सबसे अच्छे पिता हैं। और अगर हेमा की जगह कोई औरत होती तो वह भी धर्मेंद्र को ही चुनती। क्योंकि मेरे पति हैं ही इतने हसीन।

सोचिए कितना बड़ा दिल होगा उस औरत का। प्रकाश कौर ने कभी धर्मेंद्र को तलाक नहीं दिया और हेमा मालिनी ने कभी प्रकाश कौर की जगह लेने की कोशिश नहीं की। उन्होंने अपनी अलग दुनिया बसाई। उन्होंने कभी जिद नहीं की कि धर्मेंद्र अपना पहला परिवार छोड़ दें।

पारिवारिक मर्यादा

यह जो अलग-अलग प्रार्थना सभाएं हम आज देख रहे हैं, यह उसी सहमति और समझौते का नतीजा है। दोनों औरतों ने अपने-अपने हिस्से के धर्मेंद्र को प्यार किया और आज जब वह चले गए, तो दोनों ने अपने-अपने तरीके से उन्हें विदा किया। इसे फूड कहना गलत होगा। इसे मर्यादा कहना चाहिए।

इस पूरे वाक्य में एक और दिलचस्प पहलू है फैंस और मीडिया का रिएक्शन। और फिर वह अफवाहें कि फैंस सनी और बॉबी से नाराज हैं क्योंकि उन्होंने राजकीय सम्मान नहीं लिया। फिल्म मेकर अनिल शर्मा ने इसका जवाब दिया। उन्होंने कहा, “धर्मेंद्र जी को किसी राजकीय सम्मान की जरूरत नहीं थी। उन्हें तो विश्व सम्मान मिला है।”

अंत में

और सच में ताज लैंड्स एंड में जिस तरह पूरा बॉलीवुड उमड़ा, जिस तरह सोशल मीडिया पर करोड़ों लोगों ने ओम शांति लिखा, वो किसी भी 21 तोपों की सलामी से बड़ा था। अंत में अगर इस पूरी स्क्रिप्ट को समेटें तो हमें क्या दिखता है? हमें दिखता है एक ऐसा इंसान जिसने अपनी शर्तों पर जिंदगी जी। एक ऐसा ही मैन जो अंदर से एक कोमल शायर था। एक ऐसा पिता जिसने दो परिवारों को संभाला।

भले ही वह कभी एक छत के नीचे ना आ सके हो। सलमान खान का रोना, सोनू निगम का गाना, हेमा मालिनी की वो भावुक पोस्ट और सनी बॉबी की वो खामोश और झुकी हुई आंखें, यह सब मिलकर एक ही कहानी कहते हैं। वो कहानी यह है कि धर्मेंद्र सिर्फ एक एक्टर नहीं थे। वह एक भावना थे और भावनाएं कभी मरती नहीं हैं।

दो प्रार्थना सभाएं हुईं तो क्या हुआ? प्रार्थनाएं तो एक ही ईश्वर के पास जाती हैं और वह सारी प्रार्थनाएं आज धर्मेंद्र जी की आत्मा को शांति दे रही होंगी। दोस्तों, यह थी धर्मेंद्र जी के अंतिम विदाई की पूरी इनसाइड स्टोरी। यह वीडियो किसी गॉसिप को हवा देने के लिए नहीं बल्कि उस जटिल और खूबसूरत रिश्ते को समझने के लिए था जो देओल परिवार ने दशकों से निभाया है।

हेमा जी ने अपनी गरिमा रखी, प्रकाश जी ने अपनी परंपरा और बेटों ने अपना फर्ज। यही है असली परिवार का मतलब। आपको क्या लगता है? क्या हेमा जी का अलग प्रार्थना सभा करना सही फैसला था या उन्हें ताज लैंड्स एंड जाना चाहिए था? अपनी राय कमेंट्स में जरूर बताएं और हां, अगर यह वीडियो आपको पसंद आया हो तो इसे लाइक करें और अपने दोस्तों के साथ शेयर करें ताकि वह भी जान सकें इस अधूरी सी मगर पूरी दास्तान का सच।

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